क्या है खुदरा महंगाई दर? इसका आपकी जेब से क्या लेनादेना है?
स्वाति मिश्रा
१५ दिसम्बर २०२१
थोक मूल्य सूचकांक में भारी उछाल के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक के महंगाई मापने का पैमाना अभी रेड लाइन के भीतर है. लेकिन खुदरा और थोक महंगाई दर के बीच असंतुलन से अर्थशास्त्री भी पसोपेश में हैं.
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भारत में थोक महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई इंडेक्स) 2011-12 सीरीज के अपने अधिकतम स्तर पर पहुंच चुकी है. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 14 दिसंबर को थोक महंगाई दर से जुड़े ताजा आंकड़े जारी किए. इसके मुताबिक, नवंबर 2021 में यह दर 14.23 प्रतिशत पर पहुंच गई.
एक साल पहले नवंबर 2020 में थोक महंगाई दर का आंकड़ा 2.29 फीसदी था. महंगाई दर में हुई इस वृद्धि की सबसे बड़ी वजह खाद्य पदार्थों खासतौर पर सब्जियों के दाम में हुआ इजाफा है. इसके अलावा खनिज संसाधन और पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में हुई वृद्धि भी इसके मुख्य कारणों में हैं.
डब्ल्यूपीआई का मतलब क्या?
होलसेल प्राइस इंडेक्स, यानी थोक मूल्य सूचकांक थोक बाजार में सामान की औसत कीमतों में हुए बदलाव को मापता है. थोक बाजार का मतलब है, बड़ी मात्रा में सामान की खरीदारी, जो कारोबारी, खुदरा व्यापारी या कंपनियां करती हैं. इस सूचकांक का मकसद बाजार में उत्पादों की गतिशीलता पर नजर रखना है, ताकि मांग और आपूर्ति की स्थिति का पता चल सके.
साथ ही, इससे निर्माण इंडस्ट्री और उत्पादन से जुड़ी स्थितियां भी मालूम चलती हैं. इस सूचकांक में सर्विस सेक्टर की कीमतें शामिल नहीं होतीं, ना ही यह बाजार के उपभोक्ता मूल्य की स्थिति ही दिखाता है. पहले डब्ल्यूपीआई मापने का बेस ईयर 2004-2005 था. लेकिन अप्रैल 2017 में सरकार ने इसे बदलकर 2011-12 कर दिया. अगर पुराने बेस ईयर के हिसाब से देखें, तो डब्ल्यूपीआई अप्रैल 2005 से लेकर अब तक के अपने उच्चतम स्तर पर है.
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सूचकांक की श्रेणियां
डब्ल्यूपीआई में सामग्रियों की तीन श्रेणियां होती हैं- प्राइमरी आर्टिकल्स, ईंधन और उत्पादित सामग्रियां. प्राइमरी आर्टिकल्स की भी दो उप-श्रेणियां हैं. पहली खाद्य उत्पाद. दूसरी गैर खाद्य उत्पाद. खाद्य उत्पादों में अनाज, धान, गेहूं, दालें, सब्जियां, फल, दूध, अंडा, मांस और मछली जैसी चीजें शामिल हैं. गैर खाद्य उत्पाद में तेल के बीज, खनिज संसाधन और कच्चा पेट्रोलियम शामिल है.
डब्ल्यूपीआई की दूसरी श्रेणी है ईंधन. इसमें पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतें देखी जाती हैं. तीसरी और सबसे बड़ी श्रेणी है, मैन्युफैक्चर्ड गुड्स, यानी उत्पादित सामग्रियां. इनमें कपड़ा, बने-बनाए कपड़े, रसायन, प्लास्टिक, सीमेंट और धातु जैसी चीजों के अलावा चीनी, तंबाकू उत्पाद, वसा उत्पाद जैसे मैन्युफैक्चर्ड खाद्य पदार्थ भी शामिल हैं.
दुनिया के सबसे महंगे शहर का नाम जानकर आप चौंक जाएंगे
इकॉनोमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट की ताजा रैंकिंग में दुनिया का सबसे महंगा शहर कौन सा पाया गया है? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह ना लंदन है, ना न्यू यॉर्क, ना पेरिस और ना हांग कांग.
तस्वीर: Daniel Ferreira-Leites Ciccarino/Zoonar/picture alliance
नंबर 10 पर ओसाका, जापान
रैंकिंग में दसवां स्थान जापान के ओसाका को मिला है. नौवें स्थान पर है अमेरिका का लॉस एंजेलेस और आठवें पर डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन. इस रैंकिंग के लिए इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के वैश्विक निर्वाह खर्च सर्वे से डाटा लिया गया था.
तस्वीर: Carl Court/Getty Images
न्यू यॉर्क छठे नंबर पर
न्यू यॉर्क को ताजा रैंकिंग में छठा स्थान मिला है और स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा को सातवां. इस सर्वे में 173 देशों में 200 से ज्यादा उत्पादों और सेवाओं के दामों की तुलना की जाती है. दामों को स्थानीय मुद्रा की जगह अमेरिकी डॉलरों में देखा जाता है.
तस्वीर: Eduardo Munoz/REUTERS
हांग कांग को मिला पांचवां स्थान
हांग कांग पांचवें स्थान पर रहा और स्विट्जरलैंड का ही एक शहर ज्यूरिख चौथे स्थान पर रहा. समीक्षकों का कहना कि सप्लाई चेन की समस्याओं और कोरोना वायरस की वजह से लगे प्रतिबंधों के कारण कई शहरों में निर्वाह खर्च बढ़ गया है.
तस्वीर: Virgile Simon Bertrand Courtesy of Herzog & de Meuron
पेरिस फिसला नंबर दो पर
फ्रांस की राजधानी रैंकिंग में पिछले साल के शीर्ष स्थान से फिसल कर इस साल दूसरे स्थान पर आ गई है. साथ ही सिंगापुर को भी दूसरा स्थान मिला है. दुनिया भर में तेल के दामों में उछाल की वजह से यातायात का खर्च बढ़ गया.
तस्वीर: Vincent Isore/IP3press/imago images
सबसे महंगा शहर
पेरिस को पहले स्थान से हटा कर अब दुनिया का सबसे महंगा शहर बन गया है तेल अवीव. इस्राएल की राजधानी ने डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा शेकेल की मजबूती और यातायात और किराना के सामान के दामों में आई उछाल की वजह से पांच स्थान ऊपर आकर पहली बार यह स्थान हासिल किया.
तस्वीर: Daniel Ferreira-Leites Ciccarino/Zoonar/picture alliance
जर्मनी में हैं सस्ते शहर
जर्मनी की राजधानी बर्लिन आठ स्थान गिर कर 50वें स्थान पर पहुंच गई. रैंकिंग में जर्मनी के छह शहर हैं और बर्लिन को उनमें से सबसे सस्ता पाया गया है. फ्रैंकफर्ट जर्मनी का सबसे महंगा शहर है लेकिन वो भी 19वें स्थान पर है.
तस्वीर: Paul Zinken/dpa/picture alliance
दुनिया का सबसे सस्ता शहर
सीरिया की राजधानी दमिश्क को दुनिया का सबसे सस्ता शहर पाया गया है. (सीके/एए)
एक ग्राहक के तौर पर आप और हम थोक खरीदारी का हिस्सा नहीं होते. हम खुदरा बाजार से सामान खरीदते हैं. इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम करता है कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई). इसी को हिंदी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक कहते हैं.
घर-परिवार विभिन्न पदार्थों और सेवाओं के लिए जो औसत मूल्य चुकाते है, सीपीआई उसी को मापता है. भारत सरकार ने डब्ल्यूपीआई के साथ ही सीपीआई के ताजा आंकड़े भी जारी किए हैं. इसके मुताबिक, सीपीआई पर आधारित खुदरा महंगाई दर नवंबर 2021 में 4.91 प्रतिशत पर पहुंच गई है. यह दर तीन महीने में अधिकतम स्तर है.
क्या आम महंगाई दर्शाता है डब्ल्यूपीआई?
दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाएं महंगाई मापने के लिए डब्ल्यूपीआई को मुख्य मानक मानती हैं. मगर भारत ऐसा नहीं करता. भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक और क्रेडिट से जुड़ी नीतियां तय करने के लिए थोक मूल्यों को नहीं, बल्कि खुदरा महंगाई दर को मुख्य मानक मानता है. लेकिन अर्थव्यवस्था के स्वभाव में डब्ल्यूपीआई और सीपीआई एक-दूसरे पर असर डालते हैं. डब्ल्यूपीआई बढ़ेगा, तो सीपीआई भी बढ़ेगा.
लेकिन फिलहाल सीपीआई, रिजर्व बैंक की नियंत्रण रेखा के भीतर है. भारत में सीपीआई छह प्रतिशत के दायरे में हो, तो रिजर्व बैंक खुश रहता है. खुदरा मुद्रास्फीति की दर नवंबर 2021 में 4.91 प्रतिशत थी. यानी रिजर्व बैंक का महंगाई मापने का जो पैमाना है, वह रेड लाइन से भीतर ही है. लेकिन सीपीआई और डब्ल्यूपीआई के बीच के इस असंतुलन से अर्थशास्त्री भी पसोपेश में हैं.
महंगाई से कराहते आम भारतीय
पेट्रोल, डीजल, खाने का तेल या फिर आटा, भारत में हर चीज की कीमत आसमान छू रही है. बेकाबू महंगाई से रोजमर्रा की चीजें भी अछूती नहीं है. कोविड काल में महंगाई जनता को जोर का झटका दे रही है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
महंगा पेट्रोल
पेट्रोल का दाम करीब-करीब हर रोज बढ़ता जा रहा है. दाम बढ़ने से मिडिल क्लास परिवारों पर काफी बोझ पड़ रहा है. कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के स्तर को अर्से पहले ही पार कर चुका है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
डीजल महंगा, माल ढुलाई महंगी
डीजल का दाम भी आसमान छूता जा रहा है. कई शहरों में डीजल तो 100 रुपये के पार जा चुका है, जिससे माल ढुलाई भी महंगी हो गई है. खेतों में सिंचाई के लिए भी डीजल का इस्तेमाल होता है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
रसोई गैस
रसोई गैस पिछले चार महीनों में 90 रुपये के करीब महंगी हो चुकी है. फिलहाल दिल्ली और मुंबई में रसोई गैस सिलेंडर का दाम 899.50 रुपये है. वहीं कोलकाता में यह 926 रुपये है.
तस्वीर: AFP
सीएनजी भी महंगी
कभी किफायती मानी जाने वाली सीएनजी और पीएनजी अब महंगी होती जा रही है. अक्टूबर महीने में सीएनजी 4.56 रुपये प्रति किलो और पीएनजी 4.20 रुपये प्रति यूनिट तक महंगी हो चुकी है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/X. Galiana
खाने का तेल
सरसों का तेल 200 रुपये प्रति किलो के ऊपर जा चुका है. सरकार ने हाल ही में खाद्य तेलों पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी घटाई थी लेकिन इसका कीमत पर असर होता नहीं दिख रहा है.
तस्वीर: Imago Images/Panthermedia
सब्जी और फल
बेमौसमी बारिश और माल ढुलाई दर में वृद्धि के कारण सब्जियों के दामों पर खासा असर पड़ा है. आलू, प्याज, टमाटर और हरी सब्जियां खुदरा बाजार में महंगी हो गई है. त्योहारों के मौसम में लोग इस महंगाई से खासे परेशान हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe
माचिस पर महंगाई की मार
14 साल के अंतराल के बाद माचिस की डिबिया महंगी होने वाली है. एक दिसंबर से इसकी कीमत एक रुपये से बढ़कर दो रुपये हो जाएगी. आखिरी बार 2007 में माचिस की कीमत में संशोधन हुआ था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Zimmer
केंद्रीय बैंक की चिंता
रिजर्व बैंक ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल से उत्पाद और सेवाओं के रिटेल दाम बढ़ने की चिंता जताई है. आरबीआई का कहना है कि महंगा पेट्रोल-डीजल यातायात और माल ढुलाई का बोझ बढ़ा रहा है.