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इसरो प्रमुख ने कहा, "चंद्रयान-3 और गगनयान पर काम शुरू"

ऋषभ कुमार शर्मा
१ जनवरी २०२०

विक्रम लैंडर के सफलतापूर्वक लैंड ना कर पाने के बाद भारत अब चंद्रयान-3 मिशन पर काम शुरू कर रहा है. साथ ही एक और अंतरिक्ष मिशन गगनयान पर भी इसरो काम कर रहा है. इसके 2022 तक लॉन्च होने की संभावना है.

Indien Raumsonde Chandrayaan 2 Eintritt Mondumlaufbahn | Kailasavadivoo Sivan, ISRO
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Kiran

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने भारत के चंद्रमा पर भेजे जाने वाले एक और मिशन चंद्रयान-3 की घोषणा की है. प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 को सरकार की तरफ से हरी झंडी मिल गई है. यह मिशन 2021 में प्रक्षेपित किया जा सकता है. भारत ने सितंबर 2019 में एक महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 प्रक्षेपित किया था.

इस मिशन में ऑरबिटर के चांद की कक्षा में घूमने के साथ लैंडर को चांद की सतह पर उतरना था. लेकिन आखिरी समय पर संपर्क टूटने की वजह से लैंडर की चांद की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई. इसरो के मुताबिक चंद्रयान ऑरबिटर अभी भी सही तरह से काम कर रहा है. इस ऑरबिटर को अगले सात साल तक काम में लिया जा सकता है.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Indian Space Research Organization

केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि चंद्रयान-3 को साल 2020 में प्रक्षेपित किया जाएगा. लेकिन के सिवन ने इस मिशन के 2021 में प्रक्षेपित होने की उम्मीद जताई. सिवन ने कहा, "चंद्रयान-3 मिशन पर काम शुरू हो गया है. इस प्रॉजेक्ट के पूरा होने में 14 से 16 महीने लग सकते हैं. ऐसे में यह प्रॉजेक्ट 2021 में पूरा होने की संभावना है. चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 की तरह ही बनाया जाएगा." इसका मतलब इसमें भी एक रोवर और एक लैंडर होगा. इसरो प्रमुख ने कहा कि इससे दूसरे उपग्रह प्रक्षेपण कार्यक्रमों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. चंद्रयान-4 के अलावा इस साल 25 से ज्यादा दूसरे अंतरिक्ष मिशन भी इसरो लॉन्च करेगा. सिवन ने कहा कि चंद्रयान 3 के लैंडर को भी विक्रम लैंडर वाली जगह पर उतारने की योजना है.

तस्वीर: Getty Images/AFP/S. D´Souza

इस पर लागत के बारे में बताते हुए सिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 की लागत करीब 250 करोड़ होगी. पूरे मिशन की लागत 615 करोड़ के आसपास होगी. चंद्रयान-2 की लागत करीब 960 करोड़ थी. विक्रम लैंडर के बारे में बात करते हुए सिवन ने कहा, "लैंडिंग के समय रफ ब्रेकिंग फेज उम्मीद के मुताबिक ही हुआ लेकिन दूसरे फेज में हम लैंडर की रफ्तार कम नहीं कर सके जिससे तीसरे फेज में वह हमारे नियंत्रण से बाहर चला गया और उसकी हार्ड लैंडिंग हुई." इसके अलावा सिवन ने गगनयान मिशन की भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 के साथ गंगनयान मिशन की तैयारी भी इसरो कर रहा है. गगनयान भारत की मानवयुक्त अंतरिक्षयान परियोजना है. साल 2022 में इसरो के तीन अंतरिक्षयात्रियों को कम से कम सात दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजने की योजना है.

तस्वीर: picture-alliance/AP/A. Rahi

केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने चंद्रयान-2 को एक विफल मिशन कहने को गलत बताया था. उन्होंने कहा था कि इसमें निराश होने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि कोई भी देश पहली बार में चांद पर नहीं उतर सका है. उन्होंने कहा कि भारत ने इस मिशन से बहुत कुछ सीखा है. अमेरिका को चांद पर सफलतापूर्वक उतरने में बहुत समय लिया था लेकिन भारत इतना समय नहीं लेगा. सिंह ने कहा कि चंद्रयान-2 के अनुभव और पहले से उपलब्ध इंफ्रास्ट्रक्चर से चंद्रयान-3 की लागत कम होगी.

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