भारत में हर रोज 415 लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं. कानून की सख्ती और जुर्माना अधिक होने के बावजूद लोग सड़क सुरक्षा को हल्के में लेते हैं. युवा वर्ग भी कई बार कानून को अनदेखा कर देता है और हादसे का शिकार होता है.
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भारतीय सड़कों पर महंगी से महंगी गाड़ियां दिख जाएंगी, मोटर साइकिल और कार फर्राटे भरती नजर आ जाएंगी लेकिन कड़वा सच यह भी है कि इन्हें चलाने वाले अधिकतर लोग मौका मिलते ही ट्रैफिक नियमों को तोड़ने से बाज नहीं आते हैं. आधी रात के बाद हाईवे हो या शहर की सड़कें, इन पर बड़े वाहन का तेज रफ्तार से चलना आम बात है. महानगरों में नाबालिगों के गाड़ी चलाने के दौरान जानलेवा हादसे के मामले भी चिंता का विषय है. कई हादसों में तो परिवार एकदम उजड़ जाता है.
ऐसा ही एक मामला रविवार 17 जनवरी को दिल्ली के द्वारका एक्सप्रेस वे पर हुआ, जहां तेज रफ्तार ट्रॉले ने गलत दिशा से आकर विमान के पायलट की कार को टक्कर मार दी. हादसा इतना भयानक था कि कार को कुचलते हुए ट्रॉला काफी आगे तक कार को घसीटता ले गया. मृतक पायलट के परिवार में पत्नी, तीन महीने का बच्चा और मां है. परिवार में पायलट अनमोल वर्मा इकलौते कमाने वाले थे. सड़क पर होने वाले इन दर्दनाक हादसों और बिखरते परिवारों के बीच देश में 18 जनवरी से पहली बार सड़क सुरक्षा महीने की शुरूआत हुई है.
लोगों को सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूक करने और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के उद्देश्य से इस साल सड़क सुरक्षा सप्ताह की जगह सड़क सुरक्षा माह का आयोजन किया जा रहा है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क सुरक्षा माह के आयोजन पर कहा, "आप ये जानकर हैरान होंगे कि इन सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों से हमारे देश को जीडीपी के 3.14 फीसदी के बराबर सामाजिक-आर्थिक नुकसान होता है."
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल सड़क दुर्घना में करीब 1.5 लाख लोगों की मौत होती है, जबकि 4.5 लाख लोग घायल होते हैं. गडकरी के मुताबिक, "सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले 70 फीसदी लोग 18-45 वर्ष के आयु वर्ग में आते हैं यानी देश में प्रतिदिन इस आयु वर्ग के 415 लोगों की मौत होती है." गडकरी का कहना है नीतिगत सुधारों और सुरक्षित प्रणाली को अपनाकर साल 2030 तक भारतीय सड़कों पर सड़क दुर्घटनाओं को शून्य करने की दिशा में सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं.
कानून की धज्जियां उड़ाते चालक
तेज गति, कार चलाने के दौरान सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं करना, गाड़ी चलान के दौरान मोबाइल पर बात करना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, मोटर साइकिल चालक और सवारी का हेलमेट नहीं लगाना कई बार हादसे का कारण बनता है. हादसे का एक और मुख्य कारण है-गलत दिशा में गाड़ी चलाना, समय बचाने के लिए चालक कई बार गलत दिशा में गाड़ी चलाता है और सामने से आने वाली गाड़ियों से उसकी गाड़ी टकरा जाती है, कई बार हादसा इतना भयानक होता है कि गाड़ी में सवार लोगों की मौके पर ही मौत हो जाती है.
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में 4,37,396 सड़क दुघर्टनाएं हुईं, इन हादसों में 1,54,732 लोगों की मौत हुई जबकि 4,39,262 अन्य लोग घायल हुए. आंकड़ों के मुताबिक 59.6 फीसदी हादसे ओवर स्पीडिंग के कारण हुए और 86,241 लोगों की मौत हुई जबकि 2,71,581 लोग घायल हुए. तमाम सरकारी कोशिशों के बावजूद सड़क हादसों में लगाम नहीं लग पा रहा है और यह साल दर साल बढ़ रहे हैं. साल 2018 में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या जहां 1,52,780 थी, वहीं ये आंकड़ा 2017 में 1,50,093 था.
साल 2019 में मोटर व्हीकल कानून में संशोधन किया गया था जिसके बाद ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना लगाना मुमकिन हो पाया. कानून में संशोधन का मकसद लोगों में ट्रैफिक नियमों को तोड़ने को लेकर भय भरना था क्योंकि इससे पहले तक जुर्माने की राशि बहुत कम होती थी. संशोधित कानून के मुताबिक कुछ नियमों को तोड़ने पर जुर्माना कई गुना तक बढ़ा दिया गया था. हादसों और मृतकों की संख्या देखने पर लगता है कि अब भी लोग कानून को लेकर गंभीर नहीं हुए हैं.
भारत में हर मिनट एक इंसान सड़क हादसे में अपनी जान गंवाता है, चार घायल होते हैं. जरा सी सावधानी से अपनी और दूसरों की जान बचाई जा सकती है, आईये जानें सड़क सुरक्षा की 14 अहम बातें.
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ध्यान भटकना
दुनिया भर में हर साल सबसे ज्यादा सड़क हादसे ध्यान भटकने की वजह से होते हैं. बेख्याली में लोगों का ध्यान सड़क से बाहर चला जाता है. मोबाइल फोन, खाना-पीना या फिर बाहर का नजारा देखना इसके मुख्य कारण हैं.
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तेज रफ्तार
आबादी के बीच से गुजरता हाईवे और उस पर लिखी स्पीड लिमिट, कई ड्राइवर इसे नजरअंदाज करते हैं. और यही तेज रफ्तार हादसे का कारण बनती है. कम लोग जानते हैं कि 80 कि.मी. प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती कार की ब्रेकिंग दूरी भी कम से कम 64 से 90 मीटर होती है.
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शराब
निर्धारित मात्रा से ज्यादा शराब पीने के बाद ड्राइवर को अचानक से फैसना लेने में परेशानी होती है. जांचकर्ताओं के मुताबिक अल्कोहल सड़क हादसों के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार है. शाम को शराब पीने के बाद रात में अचानक इमरजेंसी में गाड़ी चलाना, ऐसे हालात खतरा और बढ़ा देते हैं.
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संयम खोना
तेज रफ्तार, अचानक कट मारना, दूसरे को परेशान करते हुए आगे बढ़ना, ये ऐसी लापरवाहियां हैं जो हादसे को न्योता देती है. सड़क पर संयम रखना भी एक चुनौती है. ड्राइविंग करते वक्त खुद को शांत रखना बेहद जरूरी है.
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रॉन्ग साइड गाड़ी चलाना
कई बार लोग दूसरी दिशा में जाने के लिए यू टर्न का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि गलत दिशा में गाड़ी डाल देते हैं. ऐसा करके अपनी और दूसरे की सुरक्षा कभी खतरे में न डालें.
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किशोरों से सावधान
दुपहिया या कार पर सवार किशोरों से विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए. अनुभव की कमी, बेध्यानी, होड़ लगाने का शौक और लापरवाही की वजह से किशोर सड़कों को खतरनाक बनाते हैं.
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बारिश
बरसात में गाड़ी चलाते वक्त विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए. गीली सड़क पर घर्षण कम हो जाता है, जिसके चलते ब्रेक लगाने पर वाहन के फिसलने का खतरा बना रहता है. बरसात के दौरान सामने का नजारा भी बहुत साफ नहीं होता है.
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रात में ड्राइविंग
रात में वाहन चलाना आसान नहीं, इस दौरान दुर्घटना होने की संभावना भी दोगुनी होती है. शाम के वक्त इंसान पर थकान भी हावी होती है. इसके अलावा कई चालक हर वक्त हेडलाइट को हाई बीम पर रखते हैं. लिहाजा रात में ड्राइविंग करते वक्त सामने के शीशे या हेल्मेट के शीशे को बिल्कुल साफ रखें और बेहद संभलकर आगे बढ़ें.
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हेलमेट या सीट बेल्ट न पहनना
गाड़ी की गति अगर पैदल चाल से ज्यादा तेज हो तो सील्ट बेल्ट जरूर पहनें. हादसे की स्थिति में यह सिर, पेट और छाती की गंभीर चोटों से काफी हद तक बचाती है. दुपहिया में हेलमेट जरूर लगाएं.
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ओवरटेकिंग का जुनून
हर कोई चाहता है कि उसे खाली सड़क मिले, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जोखिम लेकर हर वाहन को ओवरटेक किया जाए. ओवरटेक करते समय हर वाहन से सुरक्षित दूरी बनाकर रखनी चाहिए.
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रेड लाइट जम्प करना
रेड लाइट को नजरअंदाज करने वाले ड्राइवर, दूसरी दिशा से आ रहे तेज रफ्तार ट्रैफिक की चपेट में आ सकते हैं. इस दौरान होने वाले हादसे गंभीर चोट पहुंचा सकते हैं. लिहाजा बेहतर है कि ट्रैफिक सिग्नल के आस पास जल्दबाजी न करें.
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वाहन में डिफेक्ट
दुनिया में हर चीज 100 फीसदी परफेक्ट नहीं है. इस बात को ड्राइविंग के वक्त भी ध्यान में रखें. वाहन में आने वाली दिक्कतों को नजरअंदाज न करें. हर गाड़ी में खास किस्म के फायदे और खामियां होती हैं, ड्राइविंग के वक्त इन चीजों को भी ध्यान में रखें.
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वाहन को लहराकर चलाना
मुड़ते वक्त इंडिकेटर न देना, व्यस्त सड़क पर रास्ता पूछने के लिए अचानक रुकना, ज्यादा ट्रैफिक होने पर बार बार लेन बदलना, ऐसा कर बेवजह दुर्घटना को न्योता न दें.
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तालमेल की कमी
ज्यादातर हादसे इस वजह से भी होते हैं कि एक चालक की हरकत दूसरों को समझ में नहीं आती. ऐसा न करें, सड़क पर ऐसी कोई भी हरकत न करें, जिसके चलते दूसरे भ्रमित हों.