वैक्सीनेशन को प्रोत्साहित करने खेतों तक पहुंच रहे युवा
२५ मई २०२१
कोरोना संक्रमण की रफ्तार को रोकने का बड़ा हथियार वैक्सीनेशन माना जा रहा है, इसके लिए जरूरी है कि आमजन में जागृति आए और वे वैक्सीन लगवाने को तैयार हों. ग्रामीण इलाकों में युवा टीके को लेकर अभियान चला रहे हैं.
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भारत के ग्रामीण इलाकों में कोरोना की वैक्सीन को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, इसे दूर करने के लिए धार जिले में यूथ फॉर चिल्ड्रन द्वारा गांव-गांव और खेत-खेत तक पहुंचकर अभियान चलाया जा रहा है. धार जिले का नालछा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है और यहां के लोगों में कोरोना को लेकर डर है, वे वैक्सीनेशन के लिए आसानी से तैयार नहीं हो रहे हैं. यहां लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, वे यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि कोरोना को वैक्सीन से कैसे रोका जा सकता है. आदिवासी वैक्सीनेशन के लिए तैयार हों, इसके लिए यहां के गांव तक यूथ फॉर चिल्ड्रन के वालंटियर पहुंच रहे हैं.
टीके को लेकर भ्रांतियां दूर करने की कोशिश
यूथ फॉर चिल्ड्रन के वालंटियर गांव-गांव जाकर लोगों का ऑक्सीजन लेवल चेक कर रहे हैं, लोगों को मास्क वितरण कर रहे हैं साथ ही लोगों को साबुन से हाथ धोने के फायदे गिना रहे हैं. वालंटियर्स लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं और इसका असर भी दिख रहा है, लोग टीकाकरण सेंटर पर जाकर वैक्सीन लगवा रहे हैं. गांव वालों को सलाह दी जा रही है कि बुखार आने पर या सर्दी खांसी होने पर घबराए नहीं, एएनएम या डॉक्टर से सलाह लें. उचित दवा सही समय पर लें. टीकाकरण के दोनों डोज बताए गए समय के मुताबिक लगवाएं और अपने खानपान के साथ अपने बच्चों का विशेष ध्यान रखें.
युवाओं की इस टीम की एक सदस्य गायत्री परमार ने बताया कि धार प्रशासन और यूनिसेफ की मदद से वे लोग इस काम को कर रहे हैं. सेवा भारती और स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ यूथ फॉर चिल्ड्रन युवा वालंटियर भी लोगों के नजरिए में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. डॉ. महेश यादव का कहना है कि लोग वैक्सीनेशन के लिए आगे आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सभी का लक्ष्य कोरोना को मात देने का है और इसके लिए सभी लोग मिलकर काम कर रहे हैं. जनजागृति अभियान के चलते लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर आकर्षण भी बढ़ा है और यही कारण है कि टीकाकरण केंद्र तक पहुंचने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है.
कोरोना के बीच ब्लैक फंगस की महामारी
म्यूकरमायकोसिस या ब्लैक फंगस भारत में तेजी से पैर पसार रहा है. म्यूकरमायकोसिस को आम तौर पर ब्लैक फंगस के रूप में जाना जाता है. हाल के समय में यह कोविड मरीजों में पाया गया है. यहां जानिए, कितना खतरनाक है यह फंगस.
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म्यूकरमायकोसिस या ब्लैक फंगस
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक म्यूकरमायकोसिस या ब्लैक फंगस (काली फफूंद) एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल संक्रमण है जो माइक्रोमाइसेट्स नामक फफूंद के समूह के कारण होता है. ये फफूंद पूरे वातावरण में मौजूद रहती है, जैसे कि मिट्टी और हवा में.
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कैसे करता है हमला
म्यूकरमायकोसिस मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जिन्हें स्वास्थ्य समस्याएं हैं या वे लोग जो दवाएं लेते हैं. ऐसे लोगों के शरीर की रोगाणुओं और बीमारी से लड़ने की क्षमता कम रहती है. ये फफूंद साइनस, दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है. गंभीर बीमारी के मरीजों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है.
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ब्लैक फंगस के लक्षण
ब्लैक फंगस के लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, धुंधला दिखाई पड़ना, आंखों के आसपास सूजन, आंखों में जलन या दर्द, नाक से खून आना, उल्टी या खांसने में खून आना आदि शामिल हैं. ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.
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किसे है ब्लैक फंगस का खतरा
डायबिटीज के मरीज, जिनका शुगर का स्तर बढ़ा हो. कोरोना के इलाज के दौरान जिन मरीजों को ज्यादा स्टेरायड दी गई हो. भारत के डॉक्टरों का कहना है कि स्वस्थ और मजबूत इम्युनिटी वाले लोगों पर ब्लैक फंगस हमला नहीं कर पाता है.
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ब्लैक फंगस से कैसे बचें
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और मेदांता अस्पताल के डॉ. नरेश त्रेहन कहते हैं कि जो लोग कोविड से उबर गए हैं वे अपना शुगर का स्तर जांचते रहें. डॉक्टरों के मुताबिक डायबिटीज के मरीज शुगर नियंत्रित रखें. स्टेरॉयड के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन होना चाहिए. डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक और एंटी फंगल दवाओं का इस्तेमाल करें.
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ब्लैक फंगस का शिकार होने पर क्या करें
अगर किसी को ब्लैक फंगस हो जाता है तो वह नाक, कान और गला रोग (ईएनटी) विशेषज्ञ से सलाह लें. इसके अलावा किसी असामान्य बीमारी का इलाज करने वाले डॉक्टर से भी बात करें. इस बीमारी का पता चलते ही इलाज शुरू कर देना चाहिए. जिससे शरीर में संक्रमण को तुरंत खत्म या नियंत्रित किया जा सके.
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दवा से इलाज मुमकिन
आम लोग ही नहीं बल्कि डॉक्टर और सरकार भी भारत में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले को लेकर चिंतित हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के मुताबिक इस बीमारी से निपटने वाली दवाओं का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है और राज्यों से इस बीमारी की सूचना देने को कहा गया है.
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बचने के तरीके
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक ब्लैक फंगस से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए. मिट्टी का काम करते समय जूते, दस्ताने और फुल पैंट और पूरी बांह की कमीज पहनें. अच्छे से स्नान करें.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
महामारी घोषित
बीते दिनों केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने को कहा. केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि ब्लैक फंगस को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत नोटिफाइड डिजीज श्रेणी में डाला जाए.
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राज्यों में तेजी से बढ़ते मामले
महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं. सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए.