विवेक रामास्वामी बने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नए दावेदार
२२ फ़रवरी २०२३
भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी ने रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए दावेदारी की घोषणा कर दी है. नामांकन को जीतने के लिए उनकी टक्कर डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय मूल की ही निक्की हेली से होगी.
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37 साल के बायोटेक उद्यमी और निवेशक रामास्वामी आप्रवासी भारतीय दम्पति के बेटे हैं और उनका जन्म अमेरिकी राज्य ओहायो में हुआ था. वो बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. कुछ सालों पहले उन्होंने एक बायोटेक कंपनी की स्थापना की थी और फिर एक हेज फंड में पार्टनर बन गए थे.
मंगलवार 21 फरवरी की रात जारी किए गए एक वीडियो में उन्होंने अपनी दावेदारी की घोषणा यह कहते हुए की कि अमेरिका में इस समय एक "राष्ट्रीय पहचान का संकट" खड़ा हो गया है जो एक वामपंथी विचारधारा द्वारा चलाया जा रहा है.
राजनीति में बाहरी
उन्होंने कहा कि इस विचारधारा ने "विश्वास, देशभक्ति और कड़ी मेहनत" की जगह "कोविडिस्म, क्लाइमेटिस्म और लैंगिक विचारधारा जैसे नए सेक्युलर धर्मों" को ला दिया है. रामास्वामी ने कहा, "हम अपनी विविधता और अपने अंतरों से इतने अभिभूत हो गए हैं कि हम यह भूल गए थे कि अमेरिकी नागरिक के रूप में कितने मायनों में हम एक जैसे ही हैं."
वीडियो के साथ साथ वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार में छपे एक संपादकीय में उन्होंने लिखा कि अगर वो जीत गए तो वो अफर्मेटिव एक्शन को हटाने की कोशिश करेंगे. वो न्याय मंत्रालय को "अवैध नस्ल-आधारित प्राथमिकताओं" को हटा देने का भी आदेश देंगे.
रामास्वामी को राजनीति में एक बाहरी कहा जा रहा है. उन्हें 2021 में एक किताब के लेखक के रूप में ख्याति मिली थी, जिसका नाम था "वोक इंक: इनसाइड कॉर्पोरेट अमेरिकाज सोशल जस्टिस स्कैम."
उन्होंने "नेशन ऑफ विक्टिम्स" नाम की किताब भी लिखी थी और कंजर्वेटिव घेरों में जिम्मेदार निवेश गतिविधियों को प्रोत्साहन देने वाले पर्यावरण संबंधी, सामजिक और कॉर्पोरेट गवर्नेंस आंदोलन की आलोचना की वजह से अपना दर्जा बढ़ाया.
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कंजर्वेटिव गलियारों में लोकप्रिय
उनकी छोटी सी कंपनी ने शेवरॉन, ब्लैकरॉक, वॉल्ट डिज्नी और एप्पल जैसे दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में छोटे छोटे शेयर खरीदे और फिर उनसे इस तरह की नीतियों को रद्द करने की मांग की ताकि मुनाफे पर ध्यान केंद्रित किया जा सके. इस तरह की नीतियों में विविधता का प्रोत्साहन, कार्बन उत्सर्जन को कम करना आदि शामिल हैं.
चुनावों में धांधली के हथकंडे
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उनकी कंपनी स्ट्राइव एसेट मैनेजमेंट ने छह महीनों से भी कम में निवेशकों से 53 अरब रुपयों से भी ज्यादा धनराशि हासिल की. जिन कंपनियों पर स्ट्राइव ने दबाव डालने की कोशिश की थी उन पर उसका कितना असर पड़ा यह स्पष्ट नहीं है.
लेकिन रामास्वामी की बातों से वो कंजर्वेटिव राजनीतिक गलियारों में लोकप्रिय हो गए और उन्हें टीवी कार्यक्रमों में बोलने के लिए भी नियमित रूप से बुलाया जाने लगा. उनकी कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक अब वो कार्यकारी चेयरमैन के पद को छोड़ देंगे और अपनी दावेदारी पर काम करेंगे.
रिपब्लिकन पार्टी के अंदर पहले ही कई नेता 2024 में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनावों के लिए अपनी दावेदारी की घोषणा कर चुके हैं. इनमें पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अमेरिकी राजदूत निक्की हेली के अलावा पूर्व उप-राष्ट्रपति माइक पेंस, फ्लोरिडा के राज्यपाल रॉन देसांतिस और साउथ कैरोलाइना के सांसद टिम स्कॉट शामिल हैं.
सीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
भारतीय मूल के नेता जो विश्व भर में छाए
अब तक कई भारतीय मूल के लोग दुनिया भर की सरकारों में तमाम अहम पद संभाल चुके हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा से लेकर मॉरीशस, फिजी, गुयाना जैसे देशों में भी भारतवंशी नेताओं का लंबा इतिहास रहा है.
तस्वीर: Kirsty Wigglesworth/AP/dpa
ऋषि सुनक
ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बन रहे हैं जो भारतीय मूल के हैं. कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य ऋषि सुनक फरवरी 2020 से ब्रिटिश कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे हैं. इसके पहले वह ट्रेजरी के मुख्य सचिव थे. ऋषि सुनक 2015 में रिचमंड (यॉर्क) से संसद सदस्य के रूप में चुने गए थे. सुनक भारत की कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और लेखिका सुधा मूर्ति के दामाद हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/S. Rousseau
कमला हैरिस
अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में डेमोक्रैट पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार चुनी गई हैं कमला हैरिस. वह डेमोक्रैट पार्टी की ओर से अमेरिकी कांग्रेस में पांच सीटों पर काबिज भारतीय मूल के सीनेटरों में से एक हैं. कमला हैरिस की मां का नाम श्यामला गोपालन है. किशोरावस्था तक कमला हैरिस अपनी छोटी बहन माया हैरिस के साथ अकसर तमिलनाडु के अपने ननिहाल में आया करती थीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Kaster
निक्की हेली
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की दूत रह चुकीं निक्की हेली का नाम बचपन में निमरता निक्की रंधावा था. 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन में जगह पाने वाली वह भारतीय मूल की पहली राजनेता बनीं. इससे पहले वह दो बार साउथ कैरोलाइना की गवर्नर रह चुकी थीं. उनके पिता अजीत सिंह रंधावा और मां राजकौर रंधावा का संबंध पंजाब के अमृतसर जिले से है. शादी के बाद उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया.
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बॉबी जिंदल
भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक के रूप में सबसे पहले बॉबी जिंदल लुइजियाना के गवर्नर बने थे. इस तरह निक्की हेली अमेरिका में किसी राज्य की गवर्नर बनने वाली भारतीय मूल की दूसरी अमेरिकी नागरिक हुईं. जिंदल एक बार रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी भी पेश कर चुके हैं. उनके माता पिता भारत से अमेरिका जाकर बसे थे.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Press
प्रीति पटेल
ब्रिटेन की पहली भारतीय मूल की गृह मंत्री बनीं पटेल हिंदू गुजराती प्रवासियों के परिवार से आती हैं. माता-पिता पहले अफ्रीका के युगांडा जाकर बसे थे जहां उनका जन्म हुआ. 1970 के दशक में उनका परिवार ब्रिटेन आकर बसा. 2010 में कंजर्वेटिव पार्टी से चुनाव जीतकर ब्रिटिश संसद पहुंची प्रीति पटेल खुद बाहर से आकर देश में शरण लेने के इच्छुकों के प्रति काफी सख्त रवैया रखती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/PA Wire/S. Rousseau
अनीता आनंद
कनाडा की कैबिनेट में भारतीय मूल के लोगों की भरमार है. पब्लिक सर्विसेज एंड प्रोक्योरमेंट की केंद्रीय मंत्री अनीता इंदिरा आनंद कनाडा की कैबिनेट में शामिल होने वाली पहली हिंदू महिला हैं. इससे पहले वह टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर थीं. भारत से आने वाले इनके माता पिता मेडिकल पेशे से जुड़े रहे. मां स्वर्गीया सरोज राम अमृतसर से और पिता एसवी आनंद तमिलनाडु से आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/A. Wyld
नवदीप बैंस
ट्रूडो कैबिनेट में साइंस, इनोवेशन एंड इंडस्ट्री मंत्री नवदीप बैंस कनाडा के ओंटारियो प्रांत में जन्मे थे. सिख धर्म के मानने वाले इनके माता पिता भारत से वहां जाकर बसे थे. 2004 में केवल 26 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला चुनाव जीता और कनाडा की संसद में लिबरल पार्टी के सबसे युवा सांसद बने. अपने राजनीतिक करियर में बैंस ने हमेशा इनोवेशन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने की दिशा में काम किया है.
तस्वीर: picture-alliance/empics/The Canadian Press/D. Kawai
हरजीत सज्जन
भारत के पंजाब के होशियारपुर में जन्मे हरजीत सज्जन इस समय कनाडा के रक्षा मंत्री हैं. कनाडा की सेना में लेफ्टिनेंट-कर्नल के रूप में सेवा दे चुके सज्जन इससे पहले 11 सालों तक पुलिस विभाग में भी काम कर चुके हैं. पंजाब में ही जन्मे नेता हरबंस सिंह धालीवाल 1997 में कनाडा की केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य बनने वाले पहले भारतीय-कनाडाई थे.
तस्वीर: Reuters/C. Wattie
महेन्द्र चौधरी
दक्षिणी प्रशांत महासागर क्षेत्र में बसे द्वीपीय देश फिजी में भारतीय मूल के लोग ना केवल सांसद या मंत्री बल्कि देश के प्रधानमंत्री तक बने हैं. यहां की 38 फीसदी आबादी भारतीय मूल की ही है. लेबर पार्टी के नेता चौधरी को 1999 में देश का प्रधानमंत्री चुना गया. लेकिन एक साल के बाद ही एक सैन्य तख्तापलट से सरकार गिर गई. एक बार फिर 2006 के संसदीय चुनाव जीत कर वह वित्त मंत्री बने.
तस्वीर: Getty Images/R. Land
लियो वरादकर
2017 में आयरलैंड के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने लियो वरादकर कंजरवेटिव फिन गेल पार्टी से आते हैं. डब्लिन में पैदा हुए और पेशे से डॉक्टर वरादकर 2007 में पहली बार सांसद बने. 2015 में समलैंगिक विवाह पर आयरलैंड में हुए जनमत संग्रह के दौरान उन्होंने सार्वजनिक तौर पर घोषित किया कि वे खुद समलैंगिक हैं. उनके पिता अशोक मुंबई से आए एक डॉक्टर थे और आयरलैंड में मिरियम नाम की एक नर्स के साथ शादी कर वहीं बस गए.
तस्वीर: DW/G. Reilly
एंतोनियो कॉस्ता
पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंतोनियो कॉस्ता भारत में गोवा से ताल्लुक रखते हैं. 2017 में वह प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजे गए थे. खुद सोशलिस्ट विचारधारा के समर्थन कॉस्ता ज्यादा से ज्यादा प्रवासियों के अपने देश में आने का स्वागत करते हैं. पहले उनके पिता गोआ से मोजाम्बिक गए और फिर उनका परिवार पुर्तगाल में बसा.