अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं. चुनाव में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं और ताजा सर्वे के अनुसार अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों को डॉनल्ड ट्रंप की तुलना में जो बाइडेन ज्यादा पसंद आ रहे हैं.
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बुधवार को जारी एक सर्वे के अनुसार अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के ज्यादातर लोग जो बाइडेन और कमला हैरिस की जोड़ी को वोट देंगे. 2020 इंडियन अमेरिकन एटीट्यूड सर्वे के अनुसार भारतीय मूल के 72 फीसदी वोटर बाइडेन को वोट देंगे, जबकि सिर्फ 22 फीसदी ही ट्रंप के समर्थन में हैं. बाकी बचे छह फीसदी में से तीन किसी तीसरी पार्टी को वोट करना चाहते हैं, जबकि तीन फीसदी किसी को भी वोट नहीं देना चाहते.
इस सर्वे में कुल 936 लोगों ने हिस्सा लिया. पोलिंग फर्म यूगोव ने 1 से 20 सितंबर के बीच पोलिंग कराई. ये सर्वे अमेरिका की मशहूर जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया और कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस ने मिलकर कराया है. अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार कमला हैरिस का जो बाइडेन का जोड़ीदार होना उन्हें फायदा पहुंचा रहा है. अखबार के अनुसार बाइडेन को फ्लोरिडा, मिशिगन और पेनसिल्वेनिया राज्यों में इसका फायदा मिल सकता है. कमला हैरिस की मां भारतीय थीं और इस वजह से ना केवल अमेरिका में रहने वाले भारतीयों में, बल्कि भारत में भी वे लोकप्रिय हो रही हैं.
क्या कहते हैं दिल्ली में रहने वाले कमला हैरिस के मामा
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कमला हैरिस का जादू
सर्वे के नतीजों में भी यह बताया गया है कि 45 फीसदी लोगों ने यह माना कि वे कमला हैरिस के ही कारण वे नवंबर में वोट डालने जाने वाले हैं. शोध में कहा गया है, "इस चुनाव में भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों के लिए अमेरिका और भारत के रिश्ते कम मायने रखते हैं, जबकि राष्ट्रहित के मुद्दे जैसे स्वास्थ्य व्यवस्था और अर्थव्यवस्था लोगों के लिए ज्यादा अहम है. अमेरिका की राजनीति में भारतीय मूल के लोगों का महत्त्व बढ़ रहा है. यह शोध लोगों के रवैयों में विविधता को दिखाता है और एक विस्तृत तस्वीर पेश करता है."
अमेरिका में 3 नवंबर को चुनाव होने हैं. कोरोना महामारी के बीच इस बार चुनावी रैलियां उतनी भव्य नहीं हैं जितनी आम तौर पर अमेरिका में देखी जाती हैं. महामारी को लेकर डॉनल्ड ट्रंप का रुख भी इस चुनाव की दिशा को निर्धारित करेगा. अमेरिका और भारत दोनों ही कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित देश हैं. जहां आधिकारिक रूप से अमेरिका में अब तक 80 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं, वहीं भारत में यह संख्या 73 लाख है. अमेरिका में दो लाख से ज्यादा लोग इस वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं, वहीं भारत में यह आंकड़ा लगभग आधा है.
अब तक कई भारतीय मूल के लोग दुनिया भर की सरकारों में तमाम अहम पद संभाल चुके हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा से लेकर मॉरीशस, फिजी, गुयाना जैसे देशों में भी भारतवंशी नेताओं का लंबा इतिहास रहा है.
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ऋषि सुनक
ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बन रहे हैं जो भारतीय मूल के हैं. कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य ऋषि सुनक फरवरी 2020 से ब्रिटिश कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे हैं. इसके पहले वह ट्रेजरी के मुख्य सचिव थे. ऋषि सुनक 2015 में रिचमंड (यॉर्क) से संसद सदस्य के रूप में चुने गए थे. सुनक भारत की कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और लेखिका सुधा मूर्ति के दामाद हैं.
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कमला हैरिस
अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में डेमोक्रैट पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार चुनी गई हैं कमला हैरिस. वह डेमोक्रैट पार्टी की ओर से अमेरिकी कांग्रेस में पांच सीटों पर काबिज भारतीय मूल के सीनेटरों में से एक हैं. कमला हैरिस की मां का नाम श्यामला गोपालन है. किशोरावस्था तक कमला हैरिस अपनी छोटी बहन माया हैरिस के साथ अकसर तमिलनाडु के अपने ननिहाल में आया करती थीं.
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निक्की हेली
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की दूत रह चुकीं निक्की हेली का नाम बचपन में निमरता निक्की रंधावा था. 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन में जगह पाने वाली वह भारतीय मूल की पहली राजनेता बनीं. इससे पहले वह दो बार साउथ कैरोलाइना की गवर्नर रह चुकी थीं. उनके पिता अजीत सिंह रंधावा और मां राजकौर रंधावा का संबंध पंजाब के अमृतसर जिले से है. शादी के बाद उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया.
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बॉबी जिंदल
भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक के रूप में सबसे पहले बॉबी जिंदल लुइजियाना के गवर्नर बने थे. इस तरह निक्की हेली अमेरिका में किसी राज्य की गवर्नर बनने वाली भारतीय मूल की दूसरी अमेरिकी नागरिक हुईं. जिंदल एक बार रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी भी पेश कर चुके हैं. उनके माता पिता भारत से अमेरिका जाकर बसे थे.
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प्रीति पटेल
ब्रिटेन की पहली भारतीय मूल की गृह मंत्री बनीं पटेल हिंदू गुजराती प्रवासियों के परिवार से आती हैं. माता-पिता पहले अफ्रीका के युगांडा जाकर बसे थे जहां उनका जन्म हुआ. 1970 के दशक में उनका परिवार ब्रिटेन आकर बसा. 2010 में कंजर्वेटिव पार्टी से चुनाव जीतकर ब्रिटिश संसद पहुंची प्रीति पटेल खुद बाहर से आकर देश में शरण लेने के इच्छुकों के प्रति काफी सख्त रवैया रखती हैं.
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अनीता आनंद
कनाडा की कैबिनेट में भारतीय मूल के लोगों की भरमार है. पब्लिक सर्विसेज एंड प्रोक्योरमेंट की केंद्रीय मंत्री अनीता इंदिरा आनंद कनाडा की कैबिनेट में शामिल होने वाली पहली हिंदू महिला हैं. इससे पहले वह टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर थीं. भारत से आने वाले इनके माता पिता मेडिकल पेशे से जुड़े रहे. मां स्वर्गीया सरोज राम अमृतसर से और पिता एसवी आनंद तमिलनाडु से आते हैं.
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नवदीप बैंस
ट्रूडो कैबिनेट में साइंस, इनोवेशन एंड इंडस्ट्री मंत्री नवदीप बैंस कनाडा के ओंटारियो प्रांत में जन्मे थे. सिख धर्म के मानने वाले इनके माता पिता भारत से वहां जाकर बसे थे. 2004 में केवल 26 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला चुनाव जीता और कनाडा की संसद में लिबरल पार्टी के सबसे युवा सांसद बने. अपने राजनीतिक करियर में बैंस ने हमेशा इनोवेशन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने की दिशा में काम किया है.
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हरजीत सज्जन
भारत के पंजाब के होशियारपुर में जन्मे हरजीत सज्जन इस समय कनाडा के रक्षा मंत्री हैं. कनाडा की सेना में लेफ्टिनेंट-कर्नल के रूप में सेवा दे चुके सज्जन इससे पहले 11 सालों तक पुलिस विभाग में भी काम कर चुके हैं. पंजाब में ही जन्मे नेता हरबंस सिंह धालीवाल 1997 में कनाडा की केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य बनने वाले पहले भारतीय-कनाडाई थे.
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महेन्द्र चौधरी
दक्षिणी प्रशांत महासागर क्षेत्र में बसे द्वीपीय देश फिजी में भारतीय मूल के लोग ना केवल सांसद या मंत्री बल्कि देश के प्रधानमंत्री तक बने हैं. यहां की 38 फीसदी आबादी भारतीय मूल की ही है. लेबर पार्टी के नेता चौधरी को 1999 में देश का प्रधानमंत्री चुना गया. लेकिन एक साल के बाद ही एक सैन्य तख्तापलट से सरकार गिर गई. एक बार फिर 2006 के संसदीय चुनाव जीत कर वह वित्त मंत्री बने.
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लियो वरादकर
2017 में आयरलैंड के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने लियो वरादकर कंजरवेटिव फिन गेल पार्टी से आते हैं. डब्लिन में पैदा हुए और पेशे से डॉक्टर वरादकर 2007 में पहली बार सांसद बने. 2015 में समलैंगिक विवाह पर आयरलैंड में हुए जनमत संग्रह के दौरान उन्होंने सार्वजनिक तौर पर घोषित किया कि वे खुद समलैंगिक हैं. उनके पिता अशोक मुंबई से आए एक डॉक्टर थे और आयरलैंड में मिरियम नाम की एक नर्स के साथ शादी कर वहीं बस गए.
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एंतोनियो कॉस्ता
पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंतोनियो कॉस्ता भारत में गोवा से ताल्लुक रखते हैं. 2017 में वह प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजे गए थे. खुद सोशलिस्ट विचारधारा के समर्थन कॉस्ता ज्यादा से ज्यादा प्रवासियों के अपने देश में आने का स्वागत करते हैं. पहले उनके पिता गोआ से मोजाम्बिक गए और फिर उनका परिवार पुर्तगाल में बसा.