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भारत और तालिबान के अधिकारियों की दुबई में मुलाकात

९ जनवरी २०२५

तालिबान और भारत के अधिकारियों की दुबई में मुलाकात हुई है. इस बैठक के बाद तालिबान ने भारत को अपना 'प्रमुख क्षेत्रीय सहयोगी' बताया है. अब तक तालिबान को किसी भी देश ने आधिकारिक मान्यता नहीं दी है.

 अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी
तालिबान और भारत के वरिष्ठ अधिकारियों की दुबई में बैठक हुई हैतस्वीर: WAKIL KOHSAR/AFP via Getty Images

2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत के साथ यह उनकी सबसे उच्च स्तर पर हुई बातचीत थी. समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक दो महीनों के भीतर भारत और तालिबान के अधिकारियों की यह दूसरी मुलाकात थी. बुधवार, 9 जनवरी की मुलाकात में भारतीय विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की. यह मुलाकात मोटे तौर पर कारोबार और मानवीय सहायता जैसे व्यावहारिक मुद्दों पर थी.

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तालिबान को किसी देश ने नहीं दी मान्यता

अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने भारत के साथ रिश्तों को विस्तार देने और ईरान के चाबहार पोर्ट से कारोबार को बढ़ावा देने पर बातचीत की है. इस बयान में कहा गया है, "अफगानिस्तान के संतुलित और अर्थव्यवस्था पर केंद्रित विदेश नीति के तहत इस्लामिक अमीरात एक अहम क्षेत्रीय और आर्थिक सहयोगी के रूप में भारत के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है."

दुबई में हुई मुलाकात के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत अफगानिस्तान में विकास की परियोजनाओं में शामिल होने और कारोबारी संबंधों को बढ़ाने पर विचार कर रहा था.

भारत अफगानिस्तान को मानवीय और दूसरी जरूरी सहायता मुहैया करा रहा हैतस्वीर: Altaf Qadri/AP Photo/picture alliance

भारत के बयान में कहा गया है कि मिस्री ने बता दिया है कि भारत अफगानिस्तान की अति आवश्यक मानवीय और विकास जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार है. उन्होंने यह भी कहा है कि अफगानिस्तान का कारोबारी समुदाय ईरान के चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल सामान मंगाने या भेजने के लिए भी कर सकता है. यह बंदरगाह भारत विकसित कर रहा है ताकि पाकिस्तान के कराची और ग्वादर के पोर्ट का इस्तेमाल किए बगैर सामान की ढुलाई कर सके.

भारत समेत किसी भी विदेशी सरकार ने अब तक अफगानिस्तान में तालिबान के प्रशासन को मान्यता नहीं दी है. हालांकि भारत उन देशों में शामिल है जिनके काबुल में छोटे मिशन चल रहे हैं. इसके जरिए कारोबार, सहायता और चिकित्सा सेवा मुहैया कराई जाती है. इसके साथ ही उसने तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान को मानवीय सहायता भी भेजी है. इलाके में सक्रिय चीन और रूस जैसे देशों ने भी अफगानिस्तान के साथ कारोबार और निवेश बढ़ाने के संकेत दिए हैं. भारत का कहना है कि वह इस मामले में संयुक्त राष्ट्र के निर्देशों पर चलेगा.

पाकिस्तान और तालिबान में तनाव

भारत के साथ संबंधों का बेहतर होना पाकिस्तान को विचलित कर सकता है. अफगानिस्तान और भारत के साथ पाकिस्तान की सीधी सीमा लगती है और पाकिस्तान का कहना है कि देश में पिछले दिनों कई हमले हुए हैं जो अफगान धरती से किए गए. अफगान तालिबान इन आरोपों से इनकार करता है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच फिलहाल रिश्ते तनावपूर्ण है. खासतौर से पाक-अफगान सीमा पर बीते महीनों में काफी अशांति रही है.

पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर बीते कुछ समय से काफी अशांति हैतस्वीर: AP/dpa/picture alliance

पाकिस्तान की सेना ने अफगान इलाकों में हवाई हमले भी किए हैं. पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पूर्वी पकटिका प्रांत में एक ट्रेनिंग सेंटर को ध्वस्त करने और उग्रवादियों को मारने के लिए अभियान शुरू किया. इन हमलों में दर्जनों लोग मारे गए जिनमें औरतें और बच्चे भी शामिल थे.  

अफगानिस्तान ने यह भी कहा है कि वह भारत की रक्षा चिंताओं को समझता है. अफगानिस्तान की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "दोनों पक्ष अलग अलग स्तरों पर लगातार संपर्क में रहने पर सहमत हुए हैं." इसी हफ्ते की शुरुआत में भारत के विदेश मंत्रालय ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने अफगान जमीन पर हाल ही में हुए पाकिस्तानी हवाई हमले की निंदा की थी. 

नवंबर में भारत के विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव और पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के प्रभारी जेपी सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल काबुल भेजा था. वहां उनकी मुलाकात अफगानिस्तान के कार्यावहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब मुजाहिद और दूसरे मंत्रियों से हुई थी. इस दौरान जेपी सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के प्रमुखों से भी मुलाकात की थी. दोनों देश खेल संबंधों को बेहतर बनाने में भी दिलचस्पी ले रहे हैं.

एनआर/आरपी (एपी, एएफपी)

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