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समाज

महिलाओं के खिलाफ हिंसा बंद करने की मांग

१० फ़रवरी २०२०

भारत में कड़े कानून के बावजूद महिलाओं के खिलाफ हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. वन बिलियन राइजिंग अभियान के मौके पर कलाकारों ने इकट्ठा होकर हिंसा रोकने की मांग की.

Indien Kalkutta Studenten Protest gegen Vergewaltigung
तस्वीर: Debjani Choubey

भारत में महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण से जुड़े कानून को सात पहले सख्त कर दिया गया था लेकिन इसके बावजूद हिंसा कम नहीं हो रही है. दिल्ली में दर्जनों कलाकारों ने 'वन बिलियन राइजिंग' अभियान के समर्थन में प्रदर्शन किया. वन बिलियन राइजिंग अभियान के तहत दुनियाभर में महिलाएं अपनी आवाज बुलंद करती आई हैं. इसकी शुरुआत 2012 में हुई थी और इसका मकसद महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा पर आवाज उठाना है.

वैलेंटाइन डे के मौके पर हर साल 'वन बिलियन राइजिंग' अभियान मनाया जाता है. इस मौके पर दिल्ली में कलाकारों ने पारंपरिक ढोल और वाद्य यंत्रों की मदद से लोगों में महिला हिंसा के खिलाफ जागरूकता फैलाने की कोशिश की. वन बिलियन राइजिंग अभियान की दक्षिण एशिया कोऑर्डिनेटर कमला भसीन कहती हैं, "पुरुष, महिला और बच्चे जो महिलाओं से प्यार करते हैं और उनका सम्मान करते हैं, उन्हें आगे बढ़कर बोलना चाहिए-अब और हिंसा नहीं. अब बहुत हुआ."

सांकेतिक तस्वीर.तस्वीर: Reuters/A. Fadnavis

2013 में कानून कड़े करने के बावजूद महिला के खिलाफ हिंसा के मामले रुक नहीं रहे हैं. अपराध इतने सामान्य हो चुके हैं कि उन्हें आम तौर पर देश के प्रमुख अखबारों में बेहद कम जगह दी जाती हैं. 2012 में चलती बस में एक युवती से बलात्कार और उसकी मौत के बाद हजारों लोग आक्रोश में सड़क पर उतार आए थे और बलात्कार जैसे मामले में सख्त कानून बनाने की मांग की थी.

लोगों के गुस्से के बाद कानून में बदलाव हुआ और बलात्कार के मामले 20 साल तक की सजा का प्रावधान है. महिलाओं का पीछा करना और महिला तस्करी भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया जा चुका है. इसके अलावा जघन्य अपराधों में 16 साल से ज्यादा उम्र के आरोपियों को वयस्क माना जाएगा और उसे वयस्कों की तरह ही सजा दी जा सकेगी.

भले ही बलात्कार या बदले की भावना से हत्या का मामला बड़ी खबर बन जाती है लेकिन देश के न्यायिक सिस्टम पर इसका प्रभाव कम पड़ता है क्योंकि वह पहले से ही बहुत अधिक मामलों के बोझ तले दबा पड़ा है. राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर बुलबुल धर कहती हैं, "हम सभी को साथ खड़े होने की जरूरत है क्योंकि कोई भी पीड़ित हो सकता है. मैं भी पीड़ित हूं सकती हूं. हमें साथ आना होगा."

एए/एके (एपी)

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