भारत में कड़े कानून के बावजूद महिलाओं के खिलाफ हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. वन बिलियन राइजिंग अभियान के मौके पर कलाकारों ने इकट्ठा होकर हिंसा रोकने की मांग की.
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भारत में महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण से जुड़े कानून को सात पहले सख्त कर दिया गया था लेकिन इसके बावजूद हिंसा कम नहीं हो रही है. दिल्ली में दर्जनों कलाकारों ने 'वन बिलियन राइजिंग' अभियान के समर्थन में प्रदर्शन किया. वन बिलियन राइजिंग अभियान के तहत दुनियाभर में महिलाएं अपनी आवाज बुलंद करती आई हैं. इसकी शुरुआत 2012 में हुई थी और इसका मकसद महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा पर आवाज उठाना है.
वैलेंटाइन डे के मौके पर हर साल 'वन बिलियन राइजिंग' अभियान मनाया जाता है. इस मौके पर दिल्ली में कलाकारों ने पारंपरिक ढोल और वाद्य यंत्रों की मदद से लोगों में महिला हिंसा के खिलाफ जागरूकता फैलाने की कोशिश की. वन बिलियन राइजिंग अभियान की दक्षिण एशिया कोऑर्डिनेटर कमला भसीन कहती हैं, "पुरुष, महिला और बच्चे जो महिलाओं से प्यार करते हैं और उनका सम्मान करते हैं, उन्हें आगे बढ़कर बोलना चाहिए-अब और हिंसा नहीं. अब बहुत हुआ."
2013 में कानून कड़े करने के बावजूद महिला के खिलाफ हिंसा के मामले रुक नहीं रहे हैं. अपराध इतने सामान्य हो चुके हैं कि उन्हें आम तौर पर देश के प्रमुख अखबारों में बेहद कम जगह दी जाती हैं. 2012 में चलती बस में एक युवती से बलात्कार और उसकी मौत के बाद हजारों लोग आक्रोश में सड़क पर उतार आए थे और बलात्कार जैसे मामले में सख्त कानून बनाने की मांग की थी.
लोगों के गुस्से के बाद कानून में बदलाव हुआ और बलात्कार के मामले 20 साल तक की सजा का प्रावधान है. महिलाओं का पीछा करना और महिला तस्करी भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया जा चुका है. इसके अलावा जघन्य अपराधों में 16 साल से ज्यादा उम्र के आरोपियों को वयस्क माना जाएगा और उसे वयस्कों की तरह ही सजा दी जा सकेगी.
भले ही बलात्कार या बदले की भावना से हत्या का मामला बड़ी खबर बन जाती है लेकिन देश के न्यायिक सिस्टम पर इसका प्रभाव कम पड़ता है क्योंकि वह पहले से ही बहुत अधिक मामलों के बोझ तले दबा पड़ा है. राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर बुलबुल धर कहती हैं, "हम सभी को साथ खड़े होने की जरूरत है क्योंकि कोई भी पीड़ित हो सकता है. मैं भी पीड़ित हूं सकती हूं. हमें साथ आना होगा."
2019: पांच तरीके, जो यौन हिंसा के खिलाफ बने विरोध का हथियार
भारत में 2019 को बलात्कार की कई जघन्य घटनाओं के लिए याद किया जाएगा. वहीं दुनियाभर में यह यौन हिंसा के खिलाफ महिलाओं के संघर्ष का साल रहा है. एक नजर उन पांच तरीकों पर, जिनके जरिए महिलाओं ने अपना प्रतिरोध जताया.
अरब देश ट्यूनिशिया में एक स्कूल के बाहर कथित तौर पर हस्तमैथुन कर रहे एक सांसद की फुटेज सामने आने के बाद वहां #MeToo या #EnaZeda आंदोलन शुरू हुआ. बहुत सी महिलाओं ने सोशल मीडिया पर बताया कि कैसे उन्हें यौन उत्पीड़न का सामना पड़ा है. इससे पहले पूरी दुनिया में इस आंदोलन के जरिए कई सफेदपोश लोगों की हकीकत सामने आई.
तस्वीर: picture-alliance/D. Christian
"आपके रास्ते में बलात्कारी"
चिली की महिलावादी कार्यकर्ताओं के गीत "A Rapist in your Path" की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी. मेक्सिको, फ्रांस और तुर्की जैसे कई देशों में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस गीत पर परफॉर्म किया. गीत के बोल सरकार और देशों की आलोचना करते हैं कि वे बलात्कार को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं. यौन अपराधों के लिए महिलाओं को जिम्मेदार ठहराने वाली सोच को भी यह गीत खारिज करता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Blackwell
"यहां राजनीति नहीं चलेगी"
स्पेन में धुर दक्षिणपंथी पार्टी वोक्स के एक नेता ने जब महिलाओं के खिलाफ हिंसा की निंदा करने वाले एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया तो प्रदर्शनकारी राजधानी मैड्रिड की सड़कों पर उतर आए और ट्रैफिक जाम कर दिया. सामाजिक कार्यकर्ता नादियो ओटमान ने खावियर ऑर्तेगा स्मिथ का विरोध करते हुए कहा, "लैंगिक हिंसा के साथ आप राजनीति नहीं खेल सकते."
तस्वीर: Imago Images/Agencia EFE/E. Naranjo
जापान में नौकरी के बदले सेक्स?
जापान में कुछ प्रोफेसर और यूनिवर्सिटी छात्र मिल कर एक मुहिम चला रहे है जिसका मकसद नौकरी खोजने वाले ग्रेजुएट्स का यौन उत्पीड़न रोकना है. उनका कहना है कि नौकरियां कम हैं और इच्छुक लोग बहुत सारे हैं. ऐसे में नौकरी देने वाले ग्रेजुएट्स की मजबूरी का फायदा उठाने से नहीं हिचकते. बहुत से युवा नौकरी ना मिल पाने के डर से इस बारे में बात भी नहीं करते.
तस्वीर: BMwF/Ina Fassbender
रूस में सख्त कानून की वकालत
रूस में घरेलू हिंसा के खिलाफ कोई कानून नहीं है. तीन साल पहले एक बिल संसद में लाया गया जो पास नहीं हो पाया. इस साल बिल को फिर से संसद में लाया गया. लेकिन महिला आधिकार कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि बिल में महिलाओं के संरक्षण के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं. वे इससे ज्यादा मजबूत बिल की वकालत कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/TASS/M. Grigoryev
गंभीर स्थिति
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दुनिया भर में एक तिहाई से ज्यादा महिलाएं ऐसी हैं जो अपने जीवन में कभी ना कभी यौन हिंसा का शिकार हुई हैं. भारत में 2012 के गैंगरेप कांड के बाद से महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. बावजूद इसके बलात्कार की घटनाएं लगातार सुर्खियां बन रही हैं. (स्रोत: ह्यूमन राइट्स वॉच, रॉयटर्स, संयुक्त राष्ट्र, एमनेस्टी इंटरनेशनल)