भारत के सामने महंगाई, बेरोजगारी, बढ़ते व्यापार घाटे की समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं. भारत का केंद्रीय बजट इन चुनौतियों से निपटने में कितना कारगर साबित होगा.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार की कमाई और खर्च का बहीखाता यानी बजट पेश कर दिया है. इनकम टैक्स की लिमिट 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी गई है, जिससे लोग खुश हैं. सीनियर सिटिजन्स और महिलाओं के लिए सेविंग्स पर ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं. इससे भी मिडिल क्लास खुश हुआ है.
लेकिन बड़े स्तर पर देखें, तो देश पर इस बजट का क्या असर होगा? ये जानने के लिए सरकार की ही मदद लेते हैं. बजट से ठीक पहले आए इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया था कि साल 2022-23 में आर्थिक वृद्धि हुई और इसकी तीन वजहें गिनाई गईं. पहली, कोरोना के बाद मांग में बढ़ोतरी. दूसरी, साल 2022 के पहले कुछ महीनों में बढ़ा निर्यात. और तीसरी, सरकार की ओर से किए गए खर्चे.
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मांग और निर्यात मुश्किल में
इन तीनों में से दो बातें तो आगामी बजट के लिए डरावना इशारा कर रही हैं, क्योंकि बढ़ी हुई मांग के अगले साल और बढ़ने के आसार नहीं हैं. बाकी यह तो सब जानते हैं कि नई नौकरियां आती हैं और सैलरी बढ़ती है, तो फिर मांग भी बढ़ती है. और अभी तो हालात भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में इससे उलट हैं. तो इस साल मांग बढ़ेगी और इससे बहुत आर्थिक वृद्धि होगी, इसकी संभावना कम ही लगती है.
दूसरी बात है निर्यात में बढ़ोतरी की. तो दुनियाभर में मांग सिकुड़ रही है. यूरोपीय देशों में तो वृद्धि के आसार ही नहीं दिख रहे. ऐसे में निर्यात बढ़ने की भी कम ही संभावना है.
महंगाई घटाने, नौकरियां और निर्यात बढ़ाने में सफल होगा बजट?
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सरकार के खर्च बढ़ाने का विकल्प
इन हालात में एक ही विकल्प बचता है- सरकार खर्च बढ़ाए. सरकार इसके लिए तैयार भी है. बजट में एलान किया गया है कि अगले साल सरकार अपनी ओर से 100 खरब रुपये खर्च करेगी. यह मौजूदा साल के मुकाबले करीब एक-तिहाई ज्यादा होगा. इस खर्च से सरकार नौकरियां बढ़ाने और आर्थिक वृद्धि लाने की कोशिश करेगी.
नौकरियां लाने के लिए सरकार ने अलग से कुछ योजनाएं बना रखी हैं. टूरिज्म को मिशन मोड में बढ़ाना इनमें से एक है. अगर ऐसा हुआ, तो स्थानीय स्तर पर ही ढेर सारे रोजगार पैदा किए जा सकते हैं. जैसे मान लीजिए कि अगर बनारस और अयोध्या जैसे शहरों में बड़ी संख्या में पर्यटक आने लगें, तो वहां टैक्सी, रेस्टोरेंट और होटल वगैरह के कितने रोजगार बढ़ जाएंगे.
बजट 2023 में क्या हुआ सस्ता, क्या महंगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को लोकसभा में आम बजट 2023-24 पेश किया. बजट में केंद्र सरकार की तरफ से कई बड़े ऐलान किए गए हैं. कुछ चीजें सस्ती हुईं तो कुछ महंगी हुईं हैं. जानते हैं क्या सस्ता हुआ और क्या महंगा.
तस्वीर: Janusz Pienkowski/Zoonar/picture alliance
सस्ती होगी ई-गाड़ी
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि खिलौने, साइकिल, ऑटोमोबाइल सस्ते होंगे. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन सस्ते होंगे. सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली लीथियम आयन बैटरी पर कस्टम ड्यूटी कम कर दी.
तस्वीर: Reuters/A. Shah
महंगी होगी किचन चिमनी
रसोई घर में इस्तेमाल होने वाली विदेशी किचन चिमनी अब महंगी हो जाएगी.
तस्वीर: Privat
सस्ते होंगे मोबाइल फोन
मोबाइल फोन के कुछ पार्ट्स, कैमरा लैंस, लिथियम सेल के आयात पर कस्टम ड्यूटी घटेगी. देश में मोबाइल फोन उत्पादन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
तस्वीर: picture alliance
महंगी होगी सिगरेट
सरकार ने सिगरेट पर आयात शुल्क बढ़ाकर 16 फीसदी कर दिया है. इसके साथ ही आयातित सिगरेट महंगी होंगी.
तस्वीर: Jason Oxenham/Getty Images
प्लेटिनम और सोना महंगा
बजट में सोना और प्लेटिनम महंगा कर दिया गया है.
तस्वीर: Jagadeesh/EPA/dpa/picture alliance
टीवी पार्ट्स सस्ते
टीवी पार्ट्स पर सरकार ने आयात शुल्क 5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया है.
तस्वीर: AP
लैब में बने हीरों को बढ़ावा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा है कि लैब में बने हीरों के उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा. इस वक्त दुनियाभर में प्राकृतिक हीरों की जगह लैब में बने हीरों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. इसलिए सरकार ने बजट में लैब में बने हीरों की मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाले सीड पर ड्यूटी कम कर दी है.
तस्वीर: Jack Guez/AFP
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नौकरियां लाने के लिए कई योजनाएं
फिर प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 लॉन्च करने का भी प्लान है. इसके तहत अगले तीन सालों में लाखों युवाओं को ट्रेंड किया जाएगा. सरकार ने 5जी सेवाओं का इस्तेमाल करके लैब लगाने की भी बात कही है, जहां ऐप डेवलप करने की नौकरियां आएंगी.
इसके अलावा किसी IIT के साथ मिलकर लैब में हीरे बनाने को और विस्तार देने की योजना है. सरकार को उम्मीद है कि इस सेक्टर में भारी नौकरियां आ सकती हैं. हालांकि, ये सारी नौकरियां अभी भविष्य में हैं. ये तुरंत नहीं आ जाएंगीं.
सर्वे: हर चौथे भारतीय को सता रही नौकरी जाने की चिंता
मार्केटिंग और डेटा एनालिटिक्स कंपनी कांतार के एक हालिया सर्वेक्षण से पता चलता है कि चार भारतीयों में से एक नौकरी की छंटनी के खतरे से चिंतित है. आर्थिक मंदी के बीच टेक कंपनियां बड़े स्तर पर छंटनी कर रही हैं.
तस्वीर: Westend61/imago images
नौकरी जाने को लेकर चिंतित
वैश्विक आर्थिक मंदी और भारत की अर्थव्यवस्था पर इसके असर को लेकर भारतीय काफी चिंतित है. कांतार के सर्वे के मुताबिक चार भारतीयों में से एक को नौकरी जाने की आशंका सता रही है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain
बढ़ती महंगाई से भी परेशान लोग
सर्वे में शामिल चार में तीन लोगों को बढ़ती महंगाई की चिंता है और वे चाहते हैं कि इससे निपटने के लिए सरकार ठोस कदम उठाए.
तस्वीर: Subhash Sharma/Zumapress/picture alliance
जा रही हैं नौकरियां
Layoffs.fyi के आंकड़ों के अनुसार 2023 में अब तक भारत में स्टार्टअप्स द्वारा लगभग 1,600-2,500 लोगों की छंटनी की जा चुकी है.
तस्वीर: Panta Astiazaran/AFP/Getty Images
कोविड को लेकर भी चिंता कायम
रिपोर्ट यह भी बताती है कि वैश्विक आर्थिक मंदी और कोविड का संभावित प्रकोप भारतीयों के लिए चिंता के प्रमुख क्षेत्र हैं.
तस्वीर: Syamantak Ghosh/DW
दुनियाभर की टेक कंपनियों में छंटनी
Layoffs.fyi के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी महीने में वैश्विक स्तर औसतन प्रतिदिन 3400 से अधिक टेक कर्मचारियों की नौकरी चली गई. Layoffs.fyi के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में अब तक 219 कंपनियों ने 68 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया.
तस्वीर: Payel Samanta/DW
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सरकार भी कर्ज की दरों से परेशान
वहीं पिछले कुछ वर्षों में कोविड के बाद अर्थव्यवस्था जिस हाल में थी, सरकार को उसे चलाने के लिए ज्यादा कर्ज लेना पड़ रहा था. इस वजह से ब्याज दरें बढ़ी हुई हैं. जिनकी EMI चल रही है, उनसे पूछ लीजिए.
वैसे बढ़ी हुई ब्याज दरों से परेशान तो सरकार भी है. आलम ये है कि वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार ने 94 खरब रुपये ब्याज चुकाने में दिए, जो सरकार के कुल खर्च का साढ़े 22 फीसदी है. अगले साल यह ब्याज 108 खरब होने का एस्टीमेट है, जो सरकार के कुल खर्च का 24 फीसदी बनता है. यह सरकार का सबसे बड़ा खर्च बना हुआ है.
21 भारतीयों के पास 70 करोड़ लोगों से ज्यादा संपत्ति
दावोस में वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम का वार्षिक आयोजन जारी है. इसी दौरान आधिकार संगठन ऑक्सफैम ने एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें दिए आंकड़े भारत में अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ते फासले की हैरतअंगेज तस्वीर पेश करते हैं.
तस्वीर: Sotheby´s
आधी जनता के पास बस 3 फीसदी
ऑक्सफैम की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 5 प्रतिशत भारतीयों के पास देश की संपत्ति का 60 प्रतिशत हिस्सा है. जबकि निचले 50 प्रतिशत लोगों के पास देश की संपत्ति का मात्र 3 प्रतिशत हिस्सा है.
तस्वीर: Sotheby´s
कितने अमीर हुए अरबपति
ऑक्सफैम की रिपोर्ट ‘सरवाईवल ऑफ़ द रिचस्ट: द इंडिया स्टोरी’ के मुताबिक, 2022 में भारत के सबसे धनी व्यक्ति की संपत्ति 46 प्रतिशत बढ़ी है.
तस्वीर: dapd
धन से आया धन
2012 से 2021 के दौरान भारत में जितना धन बढ़ा, उसका 40 प्रतिशत हिस्सा सबसे धनी एक प्रतिशत लोगों को मिला है. जबकि निचली 50 प्रतिशत जनसंख्या को मात्र 3 प्रतिशत हिस्सा मिला है.
तस्वीर: Soumyabrata Roy/NurPhoto/IMAGO
64 नए अरबपति
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अरबपतियों की संख्या वर्ष 2020 में 102 से बढ़कर वर्ष 2022 में 166 हो गई. भारत के 100 सबसे धनी लोगों की कुल संपत्ति 54 लाख करोड़ रुपये हो गई है. यह इतना पैसा है कि डेढ़ साल तक का केंद्रीय बजट इससे बन सकता है.
तस्वीर: Francis Mascarenhas/REUTERS
दोगुनी हुई भुखमरी
रिपोर्ट कहती है कि भूख से त्रस्त भारतीयों की संख्या 2018 में 19 करोड़ थी, जो 2022 में बढ़कर 35 करोड़ हो गई. मौत का शिकार हुए 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के 65 प्रतिशत बच्चे इसी कारण मारे गए.
तस्वीर: Subhash Sharma/Zumapress/picture alliance
10 लोगों के पास है 30 साल का बजट
सबसे धनी 10 भारतीयों की कुल संपत्ति 27 लाख करोड़ रुपये हो गई है. पिछले वर्ष से इसमें 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई. आज की तारीख में यह संपत्ति स्वास्थ्य व आयुष मंत्रालयों के 30 वर्ष के बजट, शिक्षा मंत्रालय के 26 वर्ष के बजट व मनरेगा के 38 वर्ष के बजट के बराबर है.
तस्वीर: Dinodia Photo Library/picture alliance
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मांग बढ़े या बचत, यह भी उलझन
सरकार के राजकोषीय घाटे की भी बात कर लेते हैं. माने सरकार ने कितना खर्च किया और कितना कमाया. तो अगले साल यह घाटा 6 परसेंट से कम रहेगा, जो इस साल साढ़े 6 परसेंट रहने वाला है. और सरकार अपना घाटा कर्ज लेकर भर रही है. जब सरकार कर्ज लेती है, तो बड़ा कर्ज लेती है. जैसे इस साल करीब 120 खरब और अगले साल करीब 123 खरब रुपये. इतना बड़ा लोन लिया जाता है, तो ब्याज दरें चढ़ी रहती हैं. माने कर्ज देने वाला ज्यादा ब्याज मांगता है.
जब सरकार के लिए ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो लोगों के लिए भी बढ़ती हैं. तो अगर सरकार इतना लोन लेती रही, तो आपकी ईएमआई की दर भी जल्द कम नहीं होने वाली. और लोग ज्यादा ब्याज दर का सोचकर ज्यादा सेविंग करने लगे, तो खर्च करना बंद कर देंगे. सरकार यह भी नहीं चाहती कि लोग खर्च कम करें. जब खर्च करेंगे, तभी तो मांग बढ़ेगी और इकॉनमी चलेगी.
सबसे शक्तिशाली देश
सक्रिय सैन्य शक्ति के विभिन्न मानकों जैसे सैनिकों की संख्या, कुदरती संसाधन, एयरपोर्ट और बजट आदि पर परखने के बाद थिंक टैंक 'ग्लोबल फायर पावर' ने सबसे शक्तिशाली देशों की सूची बनाई है. टॉप 10 देश हैं...
तस्वीर: Eraldo Peres/AP/picture alliance
सबसे शक्तिशाली है अमेरिका
अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है. उसका रक्षा बजट 801 अरब डॉलर का है. उसके पास करीब 14 लाख से ज्यादा सैनिक हैं, जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है.
तस्वीर: U.S. Army/ZUMA Press Wire Service/picture alliance
रूस
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत रूस के पास 10 लाख से ज्यादा सैनिकों की जमात है. उसके पास हथियारों का विशाल जखीरा है.
तस्वीर: Sefa Karacan/AA/picture alliance
चीन
चीन को सैन्य शक्ति के रूप में तीसरे नंबर पर रखा गया है. उसकी सेना दुनिया में सबसे बड़ी है. चीन के पास लगभग 22 लाख सक्रिय सैनिक हैं.
तस्वीर: Yang Pan/Xinhua/picture alliance
भारत
कुल सैन्य शक्ति में भारत चीन से थोड़ा ही पीछे माना गया है. चौथे नंबर की शक्ति भारत के पास परमाणु हथियारों का भी फायदा है.
जापान के पास सैनिकों की संख्या भले ही ज्यादा ना हो लेकिन वह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है, अपनी तकनीक और हथियारों के बल पर. उसके पास एक हजार के करीब तो लड़ाकू विमान हैं. 2021 में उसका रक्षा बजट दुनिया में छठा सबसे बड़ा था.
तस्वीर: The Yomiuri Shimbun/AP/picture alliance
दक्षिण कोरिया
उत्तर कोरिया से युद्ध का खतरा झेलना वाला दक्षिण कोरिया भी बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में तैयार है. उसके पास करीब छह लाख सक्रिय जवान हैं, जो दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी सेना बनाते हैं.
तस्वीर: Kim Jae-Hwan/AFP
फ्रांस
फ्रांस हथियारों के निर्माण में सबसे बड़े देशों में से एक फ्रांस के आधुनिक हथियार उसे सातवीं सबसे बड़ी शक्ति बनाते हैं.
तस्वीर: abaca/picture alliance
ब्रिटेन
रक्षा बजट के मामले में टॉप 5 देशों में शामिल ब्रिटेन की सेना दुनिया की सबसे पुरानी सेनाओं में से एक है. हालांकि उसके पास सक्रिय जवानों की बहुत बड़ी संख्या नहीं है लेकिन परमाणु और अन्य आधुनिक हथियार उसे ताकत देते हैं.
तस्वीर: Andrew Matthews/PA Images/imago images
पाकिस्तान
भारत का पड़ोसी और प्रतिद्वन्द्वी पाकिस्तान नौवें नंबर पर है. उसके पास भी परमाणु हथियार हैं जो उसे शक्तिशाली देशों में शामिल करते हैं.
तस्वीर: Anjum Naveed/AP/picture alliance
ब्राजील
ब्राजील दुनिया का दसवां सबसे ताकतवर देश माना गया है. उसके पास चार लाख से कम सक्रिय सैनिक हैं और विदेशों से खरीदे व घरेलू स्तर पर बनाए गए उसके ताकतवर हथियार उसकी ताकत हैं.
तस्वीर: Eraldo Peres/AP/picture alliance
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कागज पर अच्छा, जमीन पर मुश्किल
आखिरी बात सरकार की कमाई से जुड़ी. यानी जनता के दिए जाने वाले टैक्स की बात. तो टैक्स से कमाई अच्छी हो रही है. और आगे भी होती रहेगी. इस साल टैक्स से 300 खरब रुपये आने की गुंजाइश है और अगले साल के लिए 336 खरब आने का अनुमान है. यानी सरकार की टैक्स से होने वाली कमाई बढ़ ही रही होगी. फिर दूसरा जरिया है विनिवेश का. यानी सरकारी संपत्तियां बेचकर कमाई करने का. इसके टारगेट सरकार पिछले कई वर्षों से अचीव नहीं कर पा रही है.
तो सरकार ने जीडीपी ग्रोथ के जो टारगेट रखे हैं, उसे लेकर बजट के पन्नों पर तो सही तस्वीर खींची जा रही है. लेकिन अगर अर्थव्यवस्था में मांग नहीं बढ़ती है, वैश्विक अर्थव्यवस्था में घटी मांग से निर्यात स्थिर रहता है या घट जाता है और नौकरियां तुरंत नहीं आतीं, तो बजट में पेश की गई तस्वीर को जमीन पर उतारना बहुत मुश्किल होगा.