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खाली पेट लीची खाने से मारे गए बच्चे

ओंकार सिंह जनौटी
२ फ़रवरी २०१७

बिहार में रहस्यमयी तरीके से सैकड़ों बच्चों की मौत की वजह बनी बीमारी का पता चला है. वैज्ञानिकों का दावा है कि बच्चों की मौत खाली पेट लीची खाने से हुई.

Bangladesch Litschies
तस्वीर: DW/M. Mamun

1990 के दशक में बिहार में गर्मियों में बच्चों की अचानक मौत का सिलसिला शुरू हुआ. हर साल 100 से ज्यादा बच्चे एक ही तरीके से मारे जाने लगे. स्वस्थ होने के बावजूद उन्हें अचानक चक्कर आता, बदन अकड़ जाता और फिर वे बेहोश हो जाते. आधे बच्चे फिर कभी आंख नहीं खोल पाए. डॉक्टरों को पता ही नहीं चला कि ऐसा क्यों हो रहा है.

लेकिन अब अमेरिका और भारत के वैज्ञानिकों ने रहस्यमयी मौतों का कारण खोजने के दावा किया है. मेडिकल साइंस की पत्रिका 'द लैंसेट' में छपे शोध के मुताबिक बच्चे लीची के जहर हाइपोग्लिसिन से मारे गए.

बिहार का मुजफ्फरपुर जिला अपनी लीचियों के लिए मशहूर है. हर साल सीजन के दौरान दर्जनों मजदूर अपने परिवार के साथ बगीचे में ही रहते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस दौरान बच्चों ने अक्सर खाली पेट जमीन पर गिरी हुई लीचियां खायीं.

लीची में एक किस्म का विष हाइपोग्लिसिन होता है जो शरीर में ग्लूकोज के निर्माण को रोक देता है. शरीर में यह जहर जाते ही बच्चों के खून में शुगर की मात्रा अचानक गिर गई. रात में खाना न खाने की वजह से उनके शरीर में पहले ही बहुत कम ऊर्जा थी, ऊपर से शुगर लेवल के और नीचे गिरने से सेहत अचानक बिगड़ गई.

(खाने में ये मिक्स न करें)

खाली पेट लीची खाकर जहर का शिकार हुए बच्चे अचानक चीखते और फिर अकड़कर बेहोश हो जाते. वैज्ञानिकों के मुताबिक मस्तिष्क में बहुत ही खतरनाक सूजन होने से ऐसा चलते होता था. मई और जून 2014 के दौरान मुज्जफरपुर के अस्पताल में भर्ती बच्चों की जांच के दौरान मस्तिष्क में सूजन का पता चला.

ऐसी ही बीमारी कैरेबियाई द्वीपों में भी सामने आ चुकी है. कैरेबियाई द्वीपों में एकी नाम के फल की वजह से ऐसा हो रहा था. एकी में भी लीची की तरह हाइपोग्लिसिन होता है जो शरीर को ग्लूकोज बनाने से रोकता है.

कैरेबिया में हुई रिसर्च के नतीजों को मुज्जफरपुर से मिलाने के बाद ही वैज्ञानिकों ने यह दावा किया. अब मुजफ्फरपुर के लोगों को बताया गया है कि वे अपने बच्चों को पक्के तौर पर रात में खाना खिलाएं. और बच्चों को ज्यादा लीची न खाने दें. अधिकारियों ने इस बात पर भी जोर दिया है कि हाइपोग्लिकैमिया या लो ब्लड शुगर के पीड़ित बच्चों को फौरन इमरजेंसी इलाज मिलना चाहिए.

(खायें लेकिन संभलकर)

 

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