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पूर्वी लद्दाख: भारत-चीनी सेनाएं हटने लगीं पीछे

९ सितम्बर २०२२

भारत और चीनी सेनाओं ने गुरूवार को पूर्वी लद्दाख के टकराव वाले बिंदु गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स से पीछे हटना शुरू कर दिया.

तस्वीर: Yawar Nazir/Getty Images

भारत और चीनी सेनाओं के बीच 16वें दौर की बातचीत के बाद इस पर सहमति बनी और पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी)-15 क्षेत्र से चीनी सेना ने पीछे हटना शुरू कर दिया, जो मई 2020 से चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए आगे की तरफ एक कदम है.

दोनों सेनाओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि पीछे हटने की प्रक्रिया की शुरूआत जुलाई में हुई 16वें दौर सैन्य वार्ता का नतीजा है. यह सैन्य वार्ता 17 जुलाई को चुशुल मोल्डो में हुई थी और 12 घंटे तक चली थी.

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भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से संक्षिप्त बयान में कहा गया, "8 सितंबर 2022 को भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक के 16वें दौर में बनी सहमति के अनुसार, भारतीय और चीनी सैनिकों ने गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्र में समन्वित और योजनाबद्ध तरीके से अलग होना शुरू कर दिया है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के लिए अनुकूल है."

हालांकि दोनों देशों के बीच अभी भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के रूप में जानी जाने वाली डे फैक्टो सीमा पर हजारों सैनिक तैनात हैं.

दरअसल उज्बेकिस्तान में अगले सप्ताह होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से ठीक पहले दोनों देशों ने यह कदम उठाया है. सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों भाग ले रहे हैं.

किसी भी पक्ष ने अब तक पुष्टि नहीं की है कि क्या दोनों नेता शिखर सम्मेलन के मौके पर द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. 2020 में गतिरोध की शुरूआत के बाद से दोनों के बीच वार्ता नहीं हुई है.

अब जो टकराव वाले बिंदु बने हुए हैं वे डेमचोक और डेपसांग हैं, जिन्हें चीन ने लगातार यह कहते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया है कि वे मौजूदा गतिरोध का हिस्सा नहीं हैं.

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सीमा विवाद

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 3,800 किलोमीटर लंबे इलाके में है. गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन पर अक्सर पूर्वी और पूर्वोत्तर सीमा पर घुसपैठ करने के भी आरोप लगते रहे हैं. उसके जवानों के हाथों कई भारतीय नागरिकों के अपहरण के मामले में सामने आ चुके हैं.

परमाणु शक्ति से लैस देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में कम से कम 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे और चीनी सैनिक भी बड़ी संख्या में मारे गए थे. चीन ने संख्या को लेकर कभी कोई सफाई नहीं दी है. लेकिन पीएलए के मुखपत्र 'पीएलए डेली' में साल 2021 को छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) ने गलवान मुठभेड़ में पांच चीनी सिपाहियों और अधिकारियों के त्याग को माना है. मरने वालों में पीएलए शिंकियांग सैन्य कमांड के रेजिमेंटल कमांडर भी शामिल हैं. सीएमसी पीएलए की उच्च कमांड संस्था है.

उसने शहीद रेजिमेंटल कमांडर को "सीमा की रक्षा करने वाले हीरो रेजिमेंटल कमांडर" की उपाधि दी और तीन और सैन्य अधिकारियों को 'फर्स्ट-क्लास मेरिट' दिया था. रिपोर्ट में ही कहा गया कि यह पहली बार है जब चीन ने मुठभेड़ में हुई क्षति को स्वीकारा है और सैनिकों के त्याग के बारे में विस्तार से बताया है.

इसके पहले 10 फरवरी 2021 को रूस की सरकारी समाचार एजेंसी टीएएसएस ने दावा किया था कि गलवान मुठभेड़ में चीन के 45 सैनिक मारे गए थे. भारतीय सेना के उत्तरी कमांड के जनरल अफसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने 17 फरवरी को कई मीडिया संस्थानों को दिए साक्षात्कार में भी यही कहा था कि चीन के 45 सैनिक मारे गए थे.

दोनों देशों के बीच गतिरोध को दूर करने के लिए सैन्य, राजनीतिक और राजनयिक स्तर पर वार्ताओं के कई दौर हो चुके हैं.

एए/एएफपी (रॉयटर्स, एपी)

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