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भारत में निर्यात पर बैन से पाकिस्तान को भारी फायदा

३१ जनवरी २०२४

पाकिस्तान के चावल का निर्यात इस साल जून तक रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने की संभावना है. भारत में चावल के निर्यात पर लगीं सख्त पाबंदियों का उसके पड़ोसी को भरपूर फायदा हुआ है.

पाकिस्तान के व्यापारी
पाकिस्तान का चावल निर्यात रिकॉर्ड स्तर परतस्वीर: Rizwan Tabassum/AFP

पाकिस्तान 16 साल में सबसे ऊंचे दामों पर चावल निर्यात कर रहा है. इसके बावजूद उसका निर्यात इस साल जून तक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है. भारत के एक फैसले ने पाकिस्तानी निर्यातकों की किस्मत पलट दी.

दुनिया में चावल के सबसे बड़े उत्पादक भारत ने पिछले साल अपने निर्यात पर कई पाबंदियां लगा दी थीं. उसका नतीजा यह हुआ कि आयातकों को पड़ोसी देश पाकिस्तान के पास जाना पड़ा. पाकिस्तानी निर्यातक जिस दाम पर चावल बेच रहे हैं, वह करीब डेढ़ दशक में सबसे ऊपर है. इसके बावजूद उसका निर्यात लगातार बढ़ रहा है, जो उसकी खराब आर्थिक हालत को सुधारने में बड़ी राहत ला सकता है.

पाकिस्तान के चावल निर्यातकों के संगठन राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान (REAP) के अध्यक्ष चेला राम केवलानी ने बताया, "पिछले महीनों में चावल की मांग में भारी बढ़त हुई है. इसकी मुख्य वजह भारत से निर्यात रुकना है."

दुनिया के कुल चावल निर्यात का लगभग 40 फीसदी भारत से होता है. लेकिन पिछले साल उसने बासमती के अलावा अन्य सभी किस्मों के चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके अलावा उबले चावल के निर्यात पर ड्यूटी भी बढ़ा दी गई थी.

उत्पादन भी ज्यादा हुआ

केवलानी कहते हैं कि जून में खत्म हो रहे वित्त वर्ष 2023-24 में पाकिस्तान का कुल निर्यात 50 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच सकता है. पिछले वित्त वर्ष में यह 37 लाख टन था. कुछ विशेषज्ञ तो यहां तक मानते हैं कि निर्यात 52 लाख टन को भी छू सकता है क्योंकि इस साल का उत्पादन पिछले साल से बेहतर हुआ है.

दिल्ली स्थित एक व्यापारी के मुताबिक पिछले साल पाकिस्तान में 55 लाख टन चावल पैदा हुआ था लेकिन इस साल यह मात्रा 90 से 95 लाख टन तक पहुंच सकती है. इस व्यापारी ने नाम सार्वजनिक ना करने की शर्त पर बताया, "ज्यादा उत्पादन और वैश्विक बाजार में बढ़ी कीमतों के चलते पाकिस्तान के निर्यात में तेजी आई है. सिर्फ दिसंबर में उसने करीब सात लाख टन चावल निर्यात किया है.”

इस व्यापारी का अनुमान है कि पाकिस्तानी बासमती चावल का निर्यात 60 फीसदी तक बढ़कर लगभग 9.5 लाख टन पहुंच सकता है जबकि गैर-बासमती चावल के निर्यात में 36 फीसदी तक की वृद्धि का अनुमान है और यह 42.5 लाख टन तक जा सकता है.

एक अरब डॉलर का फायदा

कराची स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में असिस्टेंट प्रोफेसर आदिस नाखोदा कहते हैं कि चावल के निर्यात की इस मात्रा से पाकिस्तान को इस साल तीन अरब डॉलर मिलने का अनुमान है जबकि पिछले साल उसने 2.1 अरब डॉलर की कीमत के चावल का निर्यात किया था.

आमतौर पर भारत अपना गैर-बासमती चावल पाकिस्तान से कम कीमत पर निर्यात करता है. लेकिन भारत के बाजार से बाहर हो जाने के कारण अब आयातक पाकिस्तान की ओर चले गए हैं. लाहौर स्थित लतीफ राइस मिल्स के सेल्स और मार्किटिंग विभाग के प्रमुख हम्माद अतीक कहते हैं कि अधिक उत्पादन के बावजूद वहां चावल की कीमत बढ़ रही है.

इस साल पाकिस्तान 5 फीसदी टूटा चावल 640 डॉलर प्रति टन पर बेच रहा है जबकि उबले चावल की कीमत 680 डॉलर प्रति टन है. पिछले साल यह क्रमशः 465 डॉलर और 486 डॉलर प्रति टन थी.

पाकिस्तान से मुख्यतया इंडोनेशिया, सेनेगल, माली, आइवरी कोस्ट और केन्या को गैर-बासमती चावल निर्यात होता है. उसके बासमती आयातकों में यूरोपीय संघ, कतर और सऊदी अरब शामिल हैं.

अगले साल की भी उम्मीद

भारत के निर्यात पर पाबंदी के बाद बाजार में जो खालीपन आया है, वियतनाम, थाईलैंड और पाकिस्तान उसकी भरपाई की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन मुंबई स्थित एक डीलर के मुताबिक पाकिस्तान मध्य-पूर्व, यूरोप और अफ्रीका के नजदीक है, लिहाजा माल की ढुलाई सस्ती पड़ती है.

इस डीलर ने कहा, "भारत मई में चुनाव के बाद अपने निर्यात पाबंदी के फैसले की समीक्षा कर सकता है. लेकिन पाकिस्तान पहले ही अपने कुल सालाना निर्यात का लगभग दो तिहाई माल बेच चुका है और संभव है कि मई के आखिर तक वह अपना पूरा चावल बेच देगा.”

केवलानी कहते हैं कि पाकिस्तानी किसानों को अपने धान की रिकॉर्ड कीमतें मिली हैं जिसके कारण अगले साल वे अपनी बुआई बढ़ा सकते हैं. उन्होंने कहा, "अगर मौसम ने साथ दिया तो अगले मौसम में भी पाकिस्तान के पास अतिरिक्त चावल होगा.”

वीके/एए (रॉयटर्स)

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