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तो फिर नोटबंदी का फायदा क्या हुआ?

३० अगस्त २०१८

मोदी सरकार ने जिस काले धन को खत्म करने के लिए नोटबंदी की, उसमें से लगभग सारा पैसा वापस देश के वित्तीय तंत्र में आ गया है. भारतीय रिजर्व बैंक ने यह बात कही है. ऐसे में आलोचक पूछ रहे हैं कि फिर नोटबंदी का फायदा क्या हुआ.

Indische Rupie Geldschein
तस्वीर: Fotolia/ARTEKI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2016 में अचानक टीवी पर पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट बंद करने की घोषणा की, ताकि अरबों डॉलर मूल्य के काले धन को खत्म किया जा सके. इस कदम से ना सिर्फ अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ी, बल्कि करोड़ों लोगों को अपने पुराने नोट बदलवाने के लिए हफ्तों तक लाइन में खड़े होना पड़ा.

सरकार ने घोषणा की कि अगर किसी ने ढाई लाख रुपये से ज्यादा मूल्य के नोट बैंक में जमा किए तो उससे धन का स्रोत पूछा जाएगा. इस कदम का मकसद उन व्यापारियों और राजनेताओं को निशाना बनाना था, जिन्होंने अरबों का काला धन जमा कर रखा था. 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, "कुछ लोग अपने फायदे के लिए भ्रष्टाचार फैला रहे हैं. एक समय आता है जब आप महसूस करते हैं कि आपको समाज में कुछ बदलाव करना चाहिए और बदलाव करने का यह हमारा समय है."

इन देशों ने की नोटबंदी

आम तौर पर कैश पर निर्भर रहने वाले भारतीय समाज, खास कर गरीबों, मध्य वर्गों और छोटे व्यापारियों को नोटबंदी से बहुत परेशानी हुई. महीनों तक अफरा तफरी का आलम रहा. हालांकि अमीर लोगों ने अपने पैसे को बदलाव का तरीका तलाश लिया.

अब भारतीय रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के बाद सवाल उठ रहे हैं कि इस पूरी कवायद का फायदा क्या हुआ. रिपोर्ट कहती है कि 217 अरब डॉलर मूल्य के जो नोट बाजार से हटाए गए थे, उसमें से 99.3 प्रतिशत वापस अर्थव्यवस्था में आ गए हैं. पहले कुछ अधिकारियों का अनुमान था कि यह आकंड़ा 60 प्रतिशत से कम रहेगा.

लेखक और भारत में प्रोक्टर एंड गैम्बल कंपनी के पूर्व प्रमुख गुरचरण दास कहते हैं, "मुझे लगता है कि नोटबंदी एक गलती थी." वह कहते हैं कि इससे सरकार को मिलने वाले टैक्स में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, उल्टा कैश पर निर्भर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के लिए यह भयानक सपना साबित हुई.

दुनिया के सबसे महंगे 10 नोट

वह कहते हैं, "आप रातों रात ऐसे देश में सब कुछ नहीं बदल सकते हैं जो गरीब और निरक्षर है. इसलिए मेरे लिए यह सिर्फ आर्थिक नाकामी नहीं बल्कि नौतिक विफलता भी है."

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी को लेकर फिर सरकार को निशाना बनाया है. उन्होंने कहा है कि नोटबंदी न सिर्फ बड़ी विफलता है बल्कि यह आम लोगों पर सोचा समझा हमला था ताकि बड़े उद्योगपतियों की जेबों को भरा जा सके. उन्होंने नोटबंदी को एक बड़ा घोटाला बताया.

दूसरी तरफ, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में नोटबंदी का बचाव किया है. उन्होंने कहा है कि इससे अर्थव्यवस्था को एक औपचारिक स्वरूप मिला है और टैक्स कलेक्शन बढ़ने के साथ साथ आर्थिक वृद्धि भी बढ़ी है.

एके/आईबी (रॉयटर्स)

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