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समाज

डॉक्टर बीमारी और उपकरणों की कमी से लड़ें या बहिष्कार से?

चारु कार्तिकेय
२५ मार्च २०२०

भारत के कई हिस्सों से खबर आ रही है कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षा उपकरणों की कमी हो गई है. किराये के मकान में रहने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को वायरस के संवाहक होने के डर से मकान मालिक घरों से निकाल भी रहे हैं.

Corona Auswirkungen weltweit / Indien
तस्वीर: Reuters/M. Sabharwal

जब से विश्व में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत हुई है तब से इस संघर्ष में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है डॉक्टरों और नर्सों जैसे अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों की. चाहे मरीज संक्रमित हो या ना हो, स्वास्थ्यकर्मियों को रोज दर्जनों अनजान व्यक्तियों के संपर्क में आने का जोखिम उठाना ही पड़ रहा है. कभी निरीक्षण करने के लिए या सैंपल लेने के लिए तो कभी देखभाल के लिए. जिस भी देश में महामारी ने भयावह रूप लिया वहां रोज इस वायरस के संपर्क में आने वालों की संख्या सैकड़ों और हजारों में चली गई. इसके साथ ही मेडिकल सेवाओं से जुड़े लोगों पर जोखिम के साथ काम का बोझ भी बढ़ गया.

भारत में भी संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है और उसके साथ स्वास्थ्यकर्मियों पर काम का बोझ भी. वे भी बिना डरे, बिना थके और बिना रुके अपना काम करते जा रहे हैं. पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर पूरे देश के लोगों ने अपनी अपनी घरों के बरामदों और छतों पर खड़े हो कर तालियां और थालियां बजा बजा कर इन्हीं स्वास्थकर्मियों को धन्यवाद दिया और इनके जज्बे को सराहा.

लेकिन सांकेतिक कदमों से परे क्या समाज और प्रशासन वाकई स्वास्थ्यकर्मियों को इज्जत और सुरक्षा दे पा रहे हैं? देश के कई हिस्सों से खबर आ रही है कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षा किट जैसे मास्क, दस्ताने, सूट इत्यादि की कमी हो गई है जिसकी वजह से वे इनके अभाव में ही मरीजों और संदिग्ध मरीजों से संपर्क में आने पर मजबूर हैं. कई जगह इस वजह से खुद डॉक्टर ही संक्रमण का शिकार हो गए हैं. सिर्फ बिहार की राजधानी पटना में ही कम से कम 83 डॉक्टरों को क्वारंटीन कर दिया गया है जिनमें कोविड-19 के लक्षण देखे गए थे.

 

कई डॉक्टरों ने सरकार से अपील की है कि इन उपकरणों को जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाए.

इसी तरह की खबरें और भी राज्यों से आ रही हैं.

कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करके भारत सरकार को कहा है कि मार्च महीने में ही 7.25 लाख सूट चाहिए थे लेकिन पता नहीं वे कब तक उपलब्ध कराए जाएंगे.

खबर यह भी है कि 19 मार्च तक तो भारत सरकार इन चीजों को निर्यात ही कर रही थी और जब संक्रमण के मामले 200 के पार निकल गए तब निर्यात पर प्रतिबंध लगाया.

अभी भी ऐसा लग रहा है कि इस कमी को जल्द पूरा कर पाना संभव नहीं होगा क्योंकि सरकार अब भी इन उपकरणों के सीमित इस्तेमाल पर जोर दे रही है.

घरों से निकाले जा रहे हैं डॉक्टर

डॉक्टर अभी इस कमी से जूझ ही रहे थे कि उनके सामने एक नया संकट आ गया. दिल्ली के प्रतिष्ठित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठन ने कहा है कि देश भर में किराये के मकानों में रहने वाले डॉक्टरों, नर्सों और दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों को वायरस के संवाहक होने के डर से उनके घरों से निकाला जा रह है. संगठन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कहा है कि कई डॉक्टर अपने सामान के साथ सड़कों पर आ गए हैं और उनकी मदद किए जाने की जरूरत है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने इस बारे में ट्वीट कर लोगों को ऐसा ना करने के लिए कहा है.

दिल्ली सरकार ने अधिसूचना जारी करके कहा है कि ऐसे मकान मालिकों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे.

कुछ दिनों पहले ऐसा ही बर्ताव दूसरे देशों में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने वाले विमानों के पायलटों और अन्य कर्मचारियों के साथ किए जाने की भी खबर आई थी.

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