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भारत ने दर्ज की उम्मीद से ज्यादा जीडीपी विकास दर

१ दिसम्बर २०२३

जुलाई-सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 7.6 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की है. यह पिछली तिमाही की विकास दर से कम है, लेकिन अभी भी भारत के छह प्रतिशत से ज्यादा के विकास को दर्शा रही है.

कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में अच्छा विकास हो रहा है
कंस्ट्रक्शनतस्वीर: DW

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.6 प्रतिशत की विकास दर के दर्ज होने को आश्चर्यजनक कहा जा रहा है. कई जानकारों को आंकड़े इससे कम ही रहने का अंदेशा था.

यहां तक की आरबीआई ने भी इस तिमाही में सिर्फ 6.5 प्रतिशत विकास का ही अनुमान लगाया था. यानी प्रदर्शन आरबीआई के अनुमान से भी 1.1 प्रतिशत ज्यादा रहा. पिछली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर इससे ज्यादा थी (7.8 प्रतिशत), लेकिन पिछले साल इसी तिमाही में विकास दर इससे कहीं कम थी (6.2).

कुछ क्षेत्र ऊपर, कुछ नीचे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन आंकड़ों को "वैश्विक स्तर पर परीक्षा की घड़ी में भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और मजबूती" का संकेत बताया है. पिछले महीने, विश्व बैंक ने कहा था कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की सूची में बना रहेगा.

कृषि में विकास की रफ्तार कम हो रही हैतस्वीर: Manjunath Kiran/AFP/Getty Images

विश्व बैंक के मुताबिक भारत में डिमांड और निवेश अभी भी मजबूत हैं, जो महंगाई और चुनौतीपूर्ण वैश्विक हालात का मुकाबला करने में उसकी मदद कर रहे हैं. समीक्षकों के मुताबिक उत्पादन और निर्माण क्षेत्रों के प्रदर्शन ने विशेष रूप से चौंकाया है.

पिछले साल के मुकाबले इतनी बढ़ोतरी का श्रेय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को दिया जा रहा है, जिसने एक साल में 13.9 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है. 13.3 प्रतिशत बढ़त के साथ कंस्ट्रक्शन का प्रदर्शन भी अच्छा रहा.

इसके अलावा खनन, बिजली, गैस और पानी सप्लाई जैसी सुविधाओं में भी अच्छा विकास दर्ज किया गया है. हालांकि कुछ और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में चिंताजनक स्थिति भी नजर आ रही है.

चिंता की खबर

सर्विसेज और कृषि दोनों ही क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले धीमे पड़ गए हैं. सर्विसेज सिर्फ 5.8 प्रतिशत बढ़ा और कृषि सिर्फ 1.2 प्रतिशत. सरकारी खर्च की तस्वीर अच्छी लग रही है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था में निवेश का नेतृत्व करता है.

अपनी बिजली खुद बनाते भारत के गांव

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पिछली तिमाही के मुकाबले सरकारी खर्च में 3.04 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है. खपत और मांग या कंजंप्शन-डिमांड में खबर अच्छी नहीं है. जहां पिछली तिमाही में इसमें छह प्रतिशत बढ़त दर्ज की गई थी, दूसरी तिमाही में इसमें सिर्फ 3.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखाई दी.

कुछ जानकारों का कहना है कि खपत का कम होना आय के कम होने का संकेत हो सकता है और सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए. केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि यह आंकड़े दिखा रहे हैं कि इस पूरे साल की विकास दर 6.5 प्रतिशत रह सकती है.

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