जुलाई-सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 7.6 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की है. यह पिछली तिमाही की विकास दर से कम है, लेकिन अभी भी भारत के छह प्रतिशत से ज्यादा के विकास को दर्शा रही है.
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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.6 प्रतिशत की विकास दर के दर्ज होने को आश्चर्यजनक कहा जा रहा है. कई जानकारों को आंकड़े इससे कम ही रहने का अंदेशा था.
यहां तक की आरबीआई ने भी इस तिमाही में सिर्फ 6.5 प्रतिशत विकास का ही अनुमान लगाया था. यानी प्रदर्शन आरबीआई के अनुमान से भी 1.1 प्रतिशत ज्यादा रहा. पिछली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर इससे ज्यादा थी (7.8 प्रतिशत), लेकिन पिछले साल इसी तिमाही में विकास दर इससे कहीं कम थी (6.2).
कुछ क्षेत्र ऊपर, कुछ नीचे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन आंकड़ों को "वैश्विक स्तर पर परीक्षा की घड़ी में भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और मजबूती" का संकेत बताया है. पिछले महीने, विश्व बैंक ने कहा था कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की सूची में बना रहेगा.
विश्व बैंक के मुताबिक भारत में डिमांड और निवेश अभी भी मजबूत हैं, जो महंगाई और चुनौतीपूर्ण वैश्विक हालात का मुकाबला करने में उसकी मदद कर रहे हैं. समीक्षकों के मुताबिक उत्पादन और निर्माण क्षेत्रों के प्रदर्शन ने विशेष रूप से चौंकाया है.
पिछले साल के मुकाबले इतनी बढ़ोतरी का श्रेय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को दिया जा रहा है, जिसने एक साल में 13.9 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है. 13.3 प्रतिशत बढ़त के साथ कंस्ट्रक्शन का प्रदर्शन भी अच्छा रहा.
इसके अलावा खनन, बिजली, गैस और पानी सप्लाई जैसी सुविधाओं में भी अच्छा विकास दर्ज किया गया है. हालांकि कुछ और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में चिंताजनक स्थिति भी नजर आ रही है.
चिंता की खबर
सर्विसेज और कृषि दोनों ही क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले धीमे पड़ गए हैं. सर्विसेज सिर्फ 5.8 प्रतिशत बढ़ा और कृषि सिर्फ 1.2 प्रतिशत. सरकारी खर्च की तस्वीर अच्छी लग रही है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था में निवेश का नेतृत्व करता है.
अपनी बिजली खुद बनाते भारत के गांव
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पिछली तिमाही के मुकाबले सरकारी खर्च में 3.04 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है. खपत और मांग या कंजंप्शन-डिमांड में खबर अच्छी नहीं है. जहां पिछली तिमाही में इसमें छह प्रतिशत बढ़त दर्ज की गई थी, दूसरी तिमाही में इसमें सिर्फ 3.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखाई दी.
कुछ जानकारों का कहना है कि खपत का कम होना आय के कम होने का संकेत हो सकता है और सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए. केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि यह आंकड़े दिखा रहे हैं कि इस पूरे साल की विकास दर 6.5 प्रतिशत रह सकती है.
सबको सबसे ज्यादा मौके देने वाली अर्थव्यवस्था कौन सी है
सिंगापुर पिछले दो साल से वैश्विक प्रतियोगितात्मकता रैंकिंग में अव्वल दर्जे पर था, लेकिन 2021 की सूची में वह नीचे खिसक गया है. जानिए कौन सा देश अब बन गया है सबको बराबर अवसर देने वाली अर्थव्यवस्था.
तस्वीर: Novartis
फिसला सिंगापुर
स्विट्जरलैंड के लॉजेन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट की वैश्विक प्रतियोगितात्मकता रैंकिंग में पिछले दो सालों से चोटी पर रहा सिंगापुर अब फिसल गया है. वह अब दुनिया की सबसे प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्था नहीं रहा. संस्थान के मुताबिक, रोजगार कम होने, उत्पादकत में आई गिरावट और महामारी के असर की वजह से सिंगापुर अब गिर कर पांचवें पायदान पर पहुंच गया है.
तस्वीर: Yeen Ling Chong/AP Photo/picture-alliance
अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड गिरावट
पिछले साल सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में 5.4 प्रतिशत की रिकॉर्ड गिरावट आई, हालांकि अब वहां हालात सुधर रहे हैं. सरकार ने कहा है कि पिछले छह महीनों से निर्यात लगातार बढ़ रहा है और मई में तो नौ प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसी बदौलत रैंकिंग में चोटी के पांच देशों में सिंगापुर एशिया का एकमात्र प्रतिनिधि था.
तस्वीर: Reuters/E. Su
टॉप10 में कौन
चोटी के 10 देशों में एशिया से दो और इलाके हैं - हांग कांग और ताइवान. भारत और मलेशिया भी टॉप 10 तक में नहीं हैं. दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर महामारी का बड़ा असर पड़ा है.
तस्वीर: Kokhanchikov/ Zoonar/picture alliance
चीन का बेहतर प्रदर्शन
महामारी के दौरान भी वृद्धि दर्ज करने की वजह से चीन 20वें से 16वें स्थान पर पहुंच गया. संस्थान के मुताबिक चीन में "गरीबी का कम होना जारी रहा और बुनियादी ढांचा और शिक्षा को बढ़ावा मिलता रहा."
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अमेरिका और ब्रिटेन स्थिर
अमेरिका 10वें स्थान पर बना रहा और ब्रिटेन एक पायदान की बढ़त हासिल कर 18वें स्थान पर आ गया. संस्थान का कहना है कि दोनों देशों ने महामारी के दौरान "प्रभावशाली" आर्थिक नीतियां लागू कीं.
तस्वीर: Kevin Lamarque/REUTERS
यूरोप की हालत सबसे अच्छी
संस्थान का आकलन है कि कोरोना वायरस महामारी का काफी भारी असर झेलने के बावजूद यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं ने "अधिकांश दूसरे देशों के मुकाबले संकट का बेहतर सामना किया."
तस्वीर: Robin Utrecht/picture alliance
सबसे बेहतर देश
इस साल रैंकिंग में स्विट्जरलैंड ने शीर्ष स्थान पाया है. संस्थान के मुताबिक, स्विट्जरलैंड ने महामारी के दौरान "एक अनुशासित वित्तीय रणनीति अपनाई". चोटी के पांच देशों में इसके अलावा यूरोप के तीन देश और रहे - स्वीडन, डेनमार्क और नीदरलैंड. (डीपीए)