स्ट्रॉबेरी दिखने में जितनी खूबसूरत है उतनी ही वह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. वह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने, कैंसर को दूर रखने में कारगर है. लेकिन इन खूबियों के बावजूद किसान इसे बाजार तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं.
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पोषक तत्वों से भरपूर स्ट्रॉबेरी की खेती हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और कुछ ठंडे इलाकों में होती है. देश ही नहीं विदेश में भी स्ट्रॉबेरी की बहुत मांग है. लेकिन कोरोना वायरस के कारण करोड़ों भारतीय जहां इसके फैलाव से बचने के लिए घरों में बंद हैं, वहीं पालतू जानवर स्ट्रॉबेरी और ब्रॉकली का भरपूर आनंद ले रहे हैं. भारत में 21 दिनों के लॉकडाउन के बीच किसान अपने उत्पाद को शहरों तक ट्रांसपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं.
भारत में ऐसे उत्पाद की मांग गर्मियों में अधिक होती है, लेकिन देश में कृषि सप्लाई चेन में अव्यवस्था के कारण किसानों का माल बाजार तक नहीं पहुंच पा रहा है. मांग में आई अचानक कमी की वजह से लाखों किसान प्रभावित हो रहे हैं. भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले 1,900 के पार चले गए हैं.
महाराष्ट्र के सतारा जिले में अपने दो एकड़ खेत में स्ट्रॉबेरी उगाने वाले किसान अनिल सलुनखे अब उसे गाय को खिला रहे हैं. अनिल कहते हैं, “पर्यटक और आइसक्रीम बनाने वाली कंपनियां आमतौर पर स्ट्रॉबेरी खरीदती हैं लेकिन अब यहां कोई पर्यटक नहीं आ रहा है.” अनिल को उम्मीद थी कि फसल बेचकर वह आठ लाख रुपये कमा लेंगे लेकिन अब तक वह ढाई लाख की लागत तक नहीं निकाल पाए हैं.
चीन और वियतनाम के मीट बाजारों में बिकने वाले वन्य जीव
चीन में पाबंदी के बावजूद फिर से वन्यजीवों के मांस की बिक्री शुरू होने की रिपोर्टें हैं. एक नजर उन वन्य जीवों पर जिन्हें चीन और वियतनाम के कई मीट बाजारों में जिंदा या मुर्दा जानवर बेचा जाता है.
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सांप की कई प्रजातियां
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शुतुरमुर्ग
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कनखजूरा
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हिरण
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पैंगोलिन
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साही
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मोर
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जंगली खरगोश
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लोमड़ी
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चमगादड़
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कछुए
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चिवेट
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ऊंट
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भारत के आईटी हब कहे जाने वाले बेंगलुरू के किसानों की भी हालत कुछ अच्छी नहीं है. मुनीशमप्पा ने 15 टन अंगूर की फसल को बेच नहीं पाने के कारण उसे पास के ही जंगल में फेंक दिया. उन्होंने अंगूर पैदा करने के लिए पांच लाख रुपये लगाए थे. यही नहीं मुनीशमप्पा ने आस पास के गांव वालों को मुफ्त में अंगूर ले जाने के लिए कहा, लेकिन कुछ ही लोग आए.
भारतीय अंगूर का निर्यात यूरोप में भी होता है लेकिन यूरोप ने पिछले कुछ हफ्तों में खरीद में तेजी से कटौती की है, क्योंकि वहां भी वायरस के कारण भारी तबाही मची हुई है.
महंगे फूल उगाने वाले किसान भी शादियों के रद्द होने के कारण परेशान हैं. शादी के दौरान महंगे फूलों की मांग बहुत अधिक होती है. किसान राहुल पवार कहते हैं, “गर्मी में एक फूल 15 से 20 रुपये के बीच बेचता हूं. अब हाल यह है कि कोई एक रुपए में भी खरीदने को तैयार नहीं है.” राहुल अब फूलों को तोड़ कर कंपोजिट खाद बनाने के लिए गड्ढे में डाल रहे हैं. फूलों के एक और किसान सचिन शेलर कहते हैं कि उनकी अच्छी कमाई गर्मी के दौरान होती है लेकिन इस अहम समय में बिक्री ठप्प हो गई है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
क्या एक फुटबॉल मैच ने स्पेन को कोरोना के जाल में फंसाया?
जिन देशों में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं, उनमें इटली के बाद स्पेन दूसरे नंबर पर है. लेकिन स्पेन कोरोना के जाल में कैसे फंसा, चलिए जानते हैं.
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31 जनवरी
स्पेन में कोरोना के पहले मामले की पुष्टि हुई. संक्रमण केनेरी द्वीप पर एक जर्मन टूरिस्ट में मिला, जो चीन का दौरा करने वाले लोगों के संपर्क में था.
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6 फरवरी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आधिकारिक टेस्ट प्रोटोकॉल निर्धारित किया. जिन लोगों को सांस संबंधी बीमारी और बुखार था और जिन्होंने बीते 15 दिन में चीन के हुबेई प्रांत का दौरा किया, उनका टेस्ट किया गया.
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19 फरवरी
स्पैनिश फुटबॉल क्लब वालेंसिया के 2,500 फैन्स एक फुटबॉल मैच देखने इटली के शहर मिलान गए. मैच वेलेंसिया और इटली के क्लब अटलांटा के बीच था. जिस शहर बेरगामो में अटलांटा क्लब स्थित है, उसके मेयर ने इस मैच को "एक जैविक बम" बताया. मैड्रिड में भी 18 फरवरी को चैंपियंस लीग का मैच हुआ.
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25 फरवरी
इटली से लौटे फुटबॉल फैंस से जुड़े कोरोना वायरस के मामले सामने आने लगे. वहीं केनेरी द्वीप के टेनेरीफ होटल में जब एक इतालवी टूरिस्ट पॉजिटिव पाया गया तो वहां ठहरे 700 लोगों को क्वांटरीन कर दिया गया. स्पेन की राजधानी मैड्रिड में पहला मामला सामने आया.
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26 फरवरी
संक्रमण को रोकने की कोशिश में स्पेन ने अपने देश के लोगों को चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ईरान, सिंगापुर और उत्तरी इटली ना जाने की सलाह दी. इनमें ज्यादातर इलाके कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से ग्रस्त रहे हैं.
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27 फरवरी
ज्यादा मरीजों का टेस्ट शुरू किया गया. जिन लोगों में कोविड-19 के स्पष्ट लक्षण दिख रहे थे, उनके तो टेस्ट हो ही रहे थे, अब ऐसे लोग भी इसमें शामिल कर लिए गए जो उत्तरी इटली और कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों की यात्रा करते रहे थे.
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3 मार्च
लेकिन कोरोना ने स्पेन को अपने चंगुल में समेट लिया था. स्पेन में कोरोना वायरस से पहली मौत हुई. मरने वाला व्यक्ति वालेंसिया में रहता था और 13 फरवरी को नेपाल गया था.
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5 मार्च
स्पेन के अधिकारियों ने आदेश दिया कि अगर कोई खिलाड़ी कोरोना वायरस से प्रभावित इलाके से आता है तो उसकी टीम के साथ होने वाला मैच बंद दरवाजों के पीछे खेला जाएगा.
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7 और 8 मार्च
धुर दक्षिणपंथी वोक्स पार्टी की मैड्रिड में सालाना रैली हुई. महिला अधिकार रैली हुई, देश भर में कई खेल आयोजन हुए. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से संबंधित प्रदर्शन भी हुए. 8 मार्च को स्पेन में कोरोना वायरस के 589 मामले सामने आए और 17 मौतें हुईं.
स्पेन ने इटली से आने वाली सीधी उड़ानों पर रोक लगा दी. संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में एक हजार से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई.
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12 मार्च
देश भर में स्कूलों को बंद कर दिया गया. कैटेलोनिया इलाके में इगुलाडा पहला ऐसा शहर बना जहां लॉकडाउन किया गया. वहां अब सिर्फ तीन हजार केस हैं और 84 लोगों की मौत हुई है.
स्पेन ने 15 दिन के आपातकाल की घोषणा की. सभी तरह की आवाजाही रोक दी गई. सिर्फ खाना और दवाएं खरीदने और काम पर जाने की छूट दी गई. बार, रेस्तरां और गैर जरूरी उत्पाद बेचने वाली दुकानों को बंद कर दिया गया.
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25 मार्च
स्पेन ने कोरोना वायरस से हुई मौतों के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया और मौतों का आंकड़ा 3,434 हो गया. हालांकि मृतकों का आंकड़ा इटली से काफी कम था लेकिन उसमें तेजी से इजाफा हो रहा था.
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23 मार्च
कोरोना वायरस की वजह से लगातार तेजी से बढ़ते संक्रमण की वजह से अस्पतालों में मौजूदा बेड कम पड़ते गए. राजधानी मैड्रिड में आपात अस्पतालों को बनाने की शुरुआत हुई.
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26 और 28 मार्च
लगातार गंभीर होते हालात के बीच स्पेन की सरकार ने आपातकाल को 12 अप्रैल तक बढ़ाने का फैसला किया. लॉकडाउन को सख्त कर दिया गया. अनिवार्य सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी कर्मचारियों को घर पर रहने को कहा गया. (रिपोर्ट: एके/रॉयटर्स)
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30 मार्च
संकट की घड़ी में मेडिकल कर्मचारियों के कठिन काम को लोगों की सराहना मिल रही है. वे घरों की बालकनी से तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ा रहे हैं. यहां एक अस्पताल के कर्मी लोगों का समर्थन के लिए शुक्रिया अदा करते हुए.