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चाबहार में दफ्तर खोलेगी भारतीय कंपनी

चारु कार्तिकेय
२३ अगस्त २०२२

केंद्र सरकार में मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ईरान की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. उनकी यात्रा के दौरान घोषणा की गई है कि चाबहार बंदरगाह को चलाने वाली भारतीय कंपनी आईपीजीएल अब तेहरान और चाबहार में दफ्तर खोलेगी.

चाबहार बंदरगाह
चाबहार बंदरगाहतस्वीर: Fatemeh Bahrami/AA/picture alliance

चाबहार के शहीद बेहिश्ती बंदरगाह को चलाने वाली कंपनी इंडिया पोर्ट्स एंड ग्लोबल (आईपीजीएल) कंपनी जल्द ही तेहरान और चाबहार में अपने दफ्तर खोलेगी. उम्मीद की जा रही है कि स्थानीय दफ्तर खोलने से बंदरगाह के जरिए व्यापार को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी.            

यह घोषणा तेहरान में केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की ईरान के उप राष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर से मुलाकात के बाद की गई. सोनोवाल ने मुलाकात के दौरान इस प्रांत में व्यापार को कई गुना बढ़ाने में चाबहार की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित किया.

(पढ़ें: मोदी और जिनपिंग ने दिया मध्य-एशियाई देशों की अहमियत पर जोर)

भविष्य की ओर

मुलाकात के बाद जारी किए गए एक वक्तव्य में बताया गया कि सोनोवाल का मानना है कि मध्य एशिया और दक्षिण एशिया, बल्कि दक्षिण पूर्वी एशिया भी, के बीच व्यापार का एक तेज और किफायती जरिया बनने की चाबहार की क्षमता अभी भी अप्रयुक्त है.

वक्तव्य के मुताबिक मोखबर ने भी कहा कि चाबहार के विकास से व्यापार और जहाज में माल की लदाई की मात्रा में वृद्धि होगी. आईपीजीएल जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और कांडला पोर्ट ट्रस्ट द्वारा मिल कर बनाई भारत सरकार की एक जॉइंट वेंचर कंपनी है, जो चाबहार के शहीद बेहिश्ती बंदरगाह को चलाती है.

(पढ़ें: अफगानिस्तान में भारतीय निवेश का क्या भविष्य है?)

भारत सरकार के मुताबिक आईपीजीएल अभी तक चाबहार के जरिए 48 लाख टन से भी ज्यादा माल का व्यापार कर चुकी है. 2020 में भारत ने चाबहार के जरिए ही 75,000 टन गेहूं अफगानिस्तान भेजा था.

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भारत के सामरिक हित

सोनोवाल की यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने समुद्र से यात्रा करने वालों की मदद के लिए असीमित यात्राओं के योग्यता प्रमाण पत्र की मान्यता पर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए. इसका उद्देश्य दोनों देशों के नाविकों की आवाजाही को सुगम बनाना है.

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चाबहार ईरान का एकलौता समुद्री बंदरगाह है और भारत इसे अपनी सामरिक हितों को पूरा करने की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानता है. इसके जरिए भारत पूरी तरह से पाकिस्तान को नजरअंदाज कर अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक के देशों में अपना सामान भेज सकता है.

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