त्रिपुरा दंगेः पत्रकारों के ट्वीट्स खंगाल रही है पुलिस
१० नवम्बर २०२१
भारतीय पुलिस दर्जनों पत्रकारों और वकीलों के ट्विटर अकाउंट खंगाल रही है कि उन्होंने मुस्लिम विरोधी हिंसा के बारे में कुछ लिखा है या नहीं. त्रिपुरा में हुई मुस्लिम विरोधी हिंसा के मद्देनजर यह कार्रवाई हो रही है.
विज्ञापन
भारत में पुलिस ने वकीलों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के करीब दर्जनों सोशल मीडिया खातों की जांच शुरू की है. यह जांच की जा रही है कि इन लोगों ने त्रिपुरा में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान ऐसा कुछ तो नहीं लिखा, जिससे हिंसा भड़की हो.
रविवार को अधिकारियों ने कम से कम 102 सोशल मीडिया खाताधारकों के खिलाफ आपराधिक मामले में जांच शुरू की है. यह जांच फर्जी खबर फैलाने के आरोपों के तहत की जा रही है. जिन लोगों की जांच की जा रही है उनमें भारत के कई प्रतिष्ठित पत्रकारों के अलावा एक ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार और अमेरिका में रहने वाले कानून के एक प्रोफेसर भी हैं. जानकारी के मुताबिक जिनकी जांच की जा रही हैं उनमें ज्यादा मुस्लिम हैं.
भारत में सांप्रदायिक दंगे 14 फीसदी घटे
भारत में 2019 में सांप्रदायिक दंगों के 440 मामले दर्ज किए गए, 10 मार्च को राज्य सभा में सरकार की ओर से दिए बयान के मुताबिक दंगों में 14 फीसदी की कमी आई है. दंगों में संपत्ति के साथ-साथ लोगों का भविष्य भी उजड़ता है.
तस्वीर: AFP/M. Kiran
सबसे ज्यादा दंगे
गृह मंत्रालय ने राज्य सभा में बताया कि 2019 में 440 दंगों के मामले दर्ज किए गए जो कि इसके पूर्व के साल से 14 प्रतिशत कम है. 2018 में 512 सांप्रदायिक दंगे हुए थे. गृह मंत्रालय ने नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों को पेश करते हुए जानकारी दी. बिहार में सबसे अधिक 135 मामले दर्ज किए गए.
तस्वीर: DW/S. Ghosh
यूपी में नहीं हुए दंगे
गृह मंत्रालय का कहना है कि उत्तर प्रदेश में 2019 में सांप्रदायिक दंगे के मामले नहीं हुए. लेकिन उत्तर प्रदेश में कथित लव जिहाद जैसे मामलों को लेकर तनाव की खबरें सामने आती रहती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Khan
झारखंड में भी दंगे
छोटे से राज्य झारखंड में सांप्रदायिक या धार्मिक हिंसा के 54 मामले साल 2019 में दर्ज किए गए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain
हरियाणा में कितने दंगे
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो का हवाला देते हुए गृह मंत्रालय ने बताया कि हरियाणा में 50 मामले दंगों के दर्ज किए गए.
तस्वीर: IANS
बाकी राज्यों का हाल
गृह मंत्रालय के मुताबिक महाराष्ट्र में 47, मध्य प्रदेश में 32, गुजरात में 22 और केरल में 21 सांप्रदायिक या धार्मिक दंगों के मामले दर्ज किए गए.
तस्वीर: Reuters
समाज को जख्म देते दंगे
धार्मिक दंगों के कारण समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है. दंगों के दौरान जान और माल का नुकसान तो होता ही है साथ ही राज्य और देश की छवि भी खराब होती है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
6 तस्वीरें1 | 6
पिछले महीने त्रिपुरा में भीड़ ने कई जगह मुस्लिम इलाकों में हिंसा की थी. बांग्लादेश में हुई हिंदू-विरोधी हिंसा के जवाब में कई हिंदू संगठनों ने राज्य में रैलियां निकाली थीं. उसी दौरान भीड़ ने कम से कम चार मस्जिदों और मुस्लिम इलाके में दर्जनों घरों व दुकानों पर हमले किए थे.
यूएपीए के तहत मामला
पुलिस ने कहा कि ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के जिन खातों की जांच की जा रही है, उन पर संदेह है कि फर्जी वीडियो और अन्य सामग्री के जरिए हिंसा को और भड़काया. कार्रवाई के लिए आतंकवाद विरोधी कानून अनलॉफुल एक्टीविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया है. मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे एक काला और क्रूर कानून बताते हैं. इस कानून के तहत पुलिस को बिना किसी आरोप के किसी को भी छह महीने तक हिरासत में रखने का अधिकार है.
ज्यादातर विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट रविवार तक हटाई जा चुकी थीं. इनमें बहुत सी पोस्ट ऐसी हैं जो त्रिपुरा में हमले का शिकार मुसलमानों के बारे में हैं. ऑस्ट्रेलिया के एक पत्रकार सीजे वॉलरमैन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिपुरा में हो रही हिंसा और हिंसा का विरोध कर रहे मुसलमानों को ही हिरासत में लेने जैसी घटनाओं की निंदा नहीं की.
बाईलाइन टाइम्स के पत्रकार वॉलरमैन ने 30 अक्टूबर को लिखा था, "हिंदू भीड़ द्वारा त्रिपुरा में मस्जिदों और मुसलमानों की संपत्तियों पर 27 हमलों की पुष्टि हो चुकी है.”
सन 2200 में कैसे होंगे अमीर और गरीब
02:37
एक भारतीय पत्रकार श्याम मीरा सिंह के खिलाफ भी जांच हो रही हैं. सिंह ने ट्वीट किया था, "त्रिपुरा जल रहा है.” उन्होंने बताया कि ट्वीटर ने एक ईमेल के जरिए उन्हें सूचित किया था कि त्रिपुरा पुलिस ने इस ट्वीट के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया है.
विज्ञापन
पुलिस कार्रवाई की निंदा
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक संस्था ने सोमवार को कहा, "इन पत्रकारों का अपराध मात्र इतना है कि उन्होंने उत्तर पूर्वी राज्य त्रिपुरा में मस्जिदों पर हमलों के बारे में लिखा.”
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है. पत्रकारों की इस संस्था ने मांग की कि "पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को सजा देने के बजाय” दंगों के बारे में जांच हो.
त्रिपुरा में हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी पार्टी की सरकार है. आलोचकों का कहना है कि मोदी सरकार के केंद्र में सत्ता में आने के बाद से भारत में मुस्लिम आबादी के खिलाफ हमले बढ़े हैं. सरकार इन आरोपों को गलत बताती है.
त्रिपुरा पुलिस की सोशल मीडिया खातों की जांच की विपक्षी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने भी निंदा की है. ट्विटर पर उन्होंन लिखा, "त्रिपुरा जल रहा है, इसकी ओर इशारा करना कार्रवाई की मांग करना है. लेकिन पर्दा डालने के लिए बीजेपी की पसंदीदा तिकड़म है, संदेशवाहक को सजा. यूएपीए से सच छिपाया नहीं जा सकता.”
वीके/एए (एएफपी)
तस्वीरों में कैद वो लम्हे जिन्हें भुलाना मुमकिन नहीं
तस्वीरों के सहारे हम इतिहास को जिंदा रखते हैं. देखिए ऐसी कुछ घटनाओं की तस्वीरें जिन्हें शायद ही कोई भारतीय भूल पाए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. E. Curran
कन्हैया
जेएनयू छांत्र संघ अध्यक्ष कन्हैया को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद अदालत ले जाया गया और वहां उन पर वकीलों ने हमला कर दिया. उसके बाद छपी इस तस्वीर ने पूरे भारत को दो हिस्सों में बांट दिया. एक हिस्सा कन्हैया के साथ था और दूसरा उसके खिलाफ.
तस्वीर: Reuters
अन्ना आंदोलन
साल 2011 में समाजसेवी अन्ना हजारे ने दिल्ली के रामलीला मैदान में यूपीए सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अनशन किया. अन्ना को लोगों का समर्थन मिला. रामलीला मैदान में उनका समर्थन करने एक लाख से ज्यादा लोग पहुंचे. इस अनशन को खत्म करवाने के लिए सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी.
तस्वीर: AP
गुजरात का नरसंहार
2002 के गुजरात दंगों की यह तस्वीर बहुसंख्यकों की हिंसा का एक ऐसा प्रतीक बन गई कि इस तस्वीर में दिख रहे युवक की जिंदगी भी बदल गई. आज वह खुद अपनी इस तस्वीर पर शर्मिंदा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D'souza
छर्रों की पीड़ित
कश्मीर की 12 साल की यह बच्ची सुरक्षाकर्मियों के चलाए छर्रों में अपनी आंखें खो बैठी. अखबारों में जब इसकी तस्वीर छपी तो सब सहम गए. छर्रों पर बहस शुरू हो गई. अब सरकार नए उपाय तलाश रही है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
पुलवामा हमला
14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हुआ था. इस हमले में 46 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे. इस हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था. भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में बम गिराए थे. इसके जवाब में पाकिस्तान ने कार्रवाई की और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया.
तस्वीर: IANS
रेप की पीड़ा
निर्भया कांड के बाद जब आहत युवा दिल्ली में सड़कों पर उतरे तो इस तस्वीर ने वायरल होकर ऐसा आंदोलन खड़ा किया कि रेप के खिलाफ कानून तक को बदल जाना पड़ा.
तस्वीर: Getty Images/N. Seelam
बाबरी विध्वंस
अयोध्या में बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चढ़े इन युवकों की तस्वीर ने भारत के सामाजिक तानेबाने को तहस-नहस कर दिया. 6 दिसंबर 1992 की फोटो के बाद पूरे भारत में भयानक दंगे हुए और फिर आतंकवाद के एक ऐसे सिलसिले के शुरुआत हुई जो आज तक जारी है.
तस्वीर: AFP/Getty Images
आतंकवादी कसाब
2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले के दौरान आतंकी अजमल आमिर कसाब की तस्वीर सामने आई थी. ये तस्वीर सीएसटी स्टेशन पर ली गई थी. इसी रात कसाब को पकड़ लिया गया था. 2012 में कसाब को फांसी दे दी गई थी.
तस्वीर: AP
गोधरा की जलती ट्रेन
साबरमती एक्सप्रेस के जले हुए एस-6 कोच की यह तस्वीर आजाद भारत के सबसे भयानक सांप्रदायिक दंगों की वजह बना. 28 फरवरी 2002 को अखबारों में छपी इस तस्वीर ने हर भारतीय के मन को दहला दिया था.
तस्वीर: AP
भोपाल की भयानक याद
पीछे पोस्टर में आप एक ब्लैक एंड व्हाइट फोटो देख पा रहे हैं? जमीन में दबी इस लाश की फोटो मशहूर फोटोग्राफ रघु राय ने 1984 में भोपाल गैस कांड के बाद खींची थी. आज भी यह तस्वीर सिहरन पैदा कर देती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP
राजीव गांधी की आखिरी तस्वीर
इस तस्वीर के कुछ पलों बाद राजीव गांधी बम धमाके में मारे गए थे. अपनी हत्यारिन के हाथों फूल माला पहनते राजीव गांधी की इस तस्वीर ने भारतीय जनमानस को झकझोर दिया था.
तस्वीर: Getty Images/AFP
महात्मा गांधी की शव यात्रा
आजाद भारत की शायद यह पहली ऐसी तस्वीर थी जिसने हर भारतीय की आंख को भिगो दिया था.