पंजाब में दो दिन में दो लोगों की भीड़ द्वारा हत्या कर दिए जाने के बाद राज्य में तनाव है और लोगों को किसी बड़ी साजिश का डर सता रहा है.
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पंजाब में दो जगहों पर एक जैसी घटना हुई. पहले अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक व्यक्ति को गुरुग्रंथ साहिब को अपवित्र करने के आरोप में पीट-पीट कर मार डाला गया. उसके बाद कपूरथला जिले के एक गांव में वैसा ही मामला हुआ.
विभिन्न राजनीतिक दलों ने गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी की तो निंदा की है लेकिन भीड़ द्वारा हत्याओं पर बहुत कम प्रतिक्रिया आई है. पंजाब में जल्दी ही विधानसभा चुनाव होने हैं और सभी दल बहुत संभलकर बोल रहे हैं.
जब भारतीय जनता पार्टी के राज्य प्रमुख अश्वनी शर्मा से इस संबंध में मीडियाकर्मियों ने प्रतिक्रिया चाही तो उन्होंने कहा, "मुझे पूरे मामले का पता नहीं है. मुझे पहले सारे तथ्यों को जान लेने दीजिए, फिर मैं बयान जारी करूंगा.”
गुरुद्वारों में क्या हुआ?
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में शनिवार शाम एक व्यक्ति को वहां मौजूद लोगों ने पीट-पीट कर मार डाला. मीडिया में आ रही जानकारी के मुताबिक इस व्यक्ति ने प्रार्थना के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब को अपवित्र करने की कोशिश की. कुछ चश्मदीदों ने कहा कि उस युवक ने रेलिंग फांद कर गुरु ग्रंथ साहिब के पास रखी तलवार उठा ली थी.
तस्वीरेंः 'बाल कलाकार'
बाल काटने की करामात
ये बाल-चित्रकार हैं, यानी बालों से चित्रकारी करते हैं सिर पर. पंजाब के मंडी डबवाली शहर के दो भाई बाल काटने की करामात के चलते इंटरनेट पर छाए हुए हैं. देखिए, क्या करामात करते हैं सिद्धू बंधु.
तस्वीर: Imago/Zuma/
बाल काटने की कलाकारी
मंडी डबवाली के रहने वाले राजविंदर सिंह और गुरविंदिर सिंह सिद्धू आपकी मनचाही आकृति आपके सिर पर बना सकते हैं. वे बाल काटने वाले कलाकार हैं.
तस्वीर: Sunil Kataria/REUTERS
कैंची से चित्रकारी
31 साल के गुरविंदर और उनके छोटे भाई 29 साल के राजविंदर सिर पर बालों से ताजमहल से लेकर माइकल जैक्सन तक, जो कहे बना सकते हैं. कैंची और रेजर से चित्रकारी की इस कला ने उन्हें इंटरनेट पर मशहूर कर दिया है.
तस्वीर: Sunil Kataria/REUTERS
कई घंटे की मेहनत
मुश्किल डिजाइन बनाने में चार घंटे तक लग सकते हैं जबकि थोड़ा आसान डिजाइन घंटे भर में बन जाता है. इसके लिए वे 1,500 से 2,000 रुपये तक लेते हैं.
तस्वीर: REUTERS
अमेरिका से ईरान तक
शायद ही ऐसा कोई देश हो जहां बाल काटने वाला कलाकार मौजूद ना हो. ईरान के इस युवक का सिर गवाही देता है कि रचनात्मकता सिर पर सवार हो जाए तो सीमाएं नहीं मानती.
तस्वीर: Armin Amini
कला तो पुरानी है
वैसे बालों में ऐसे डिजाइन बनाने का काम दुनियाभर के कई स्टाइलिस्ट करते हैं. किसी फुटबॉल स्टेडियम में तो ऐसे जाने कितने सिर नजर आ सकते हैं जिन पर कोई अनोखा डिजाइन बना होता है.
तस्वीर: AP
कैसे कैसे तरीके
बाल काटने वालों ने अनोखे प्रयोग भी किए हैं. जैसे, बांग्लादेश की यह तस्वीर आपको याद ही होगी. यह तो सिर पर आग लगाकर बाट काटने वाला कलाकार है जो दुनियाभर में मशहूर हो गया था.
तस्वीर: Imago/Zuma/
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वीडियो में देखा जा सकता है कि उस युवक को रोकने के लिए कई लोग दौड़ रहे हैं. पुलिस ने एनडीटीवी को बताया कि वह 20-25 साल का युवक था जो उत्तर प्रदेश से आया था. अमृतसर के डीएसपी परमिंदर सिंह बंदल ने कहा, "20-25 साल का युवक था. उसने सिर पर पीला कपड़ा बांधा हुआ था. वह रेलिंग फांद गया तो लोगों ने उसे पकड़ लिया. वे लोग उसे बाहर ले गए, जहां हिंसक विवाद हुआ जिसमें उसकी मौत हो गई.”
कुछ ही घंटे बाद रविवार को कपूरथला जिले में ठीक वैसी ही घटना हुई. निजामपुर गांव के लोगों ने एक व्यक्ति को यह कहते हुए पकड़ लिया कि वह गुरुद्वारे में घुसने की कोशिश कर रहा था. हालांकि पुलिस वहां पहुंच गई थी लेकिन स्थानीय लोगों ने मांग की कि उस युवक से उनके सामने ही पूछताछ की जाए. पुलिस और लोगों के बीच हुई धक्का-मुक्की के दौरान उस युवक की भी हत्या कर दी गई.
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संभली हुई प्रतिक्रियाएं
लगभग सभी राजनीतिक दलों ने इन घटनाओं पर बहुत संभलकर प्रतिक्रिया दी है. हर कोई हत्या करने वालों की निंदा करने से बचता नजर आ रहा है जबकि बेअदबी पर खुलकर बोला जा रहा है.
आम आमदी पार्टी के प्रवक्ता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि उन्हें कुछ बोलने से पहले ज्यादा जानकारी चाहिए होगी. शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल ने दोनों घटनाओं को किसी बड़ी साजिश का हिस्सा बताया.
पंजाब के उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा अमृतसर में शनिवार को युवक को मारा नहीं जाना चाहिए था क्योंकि पुलिस से पूछताछ में वह जानकारी दे सकता था और साजिश की जड़ तक पहुंचा जा सकता था. गृह मंत्री रंधावा ने रविवार को दरबार साहिब का दौरा भी किया.
साजिश का शक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी घटना पर प्रतिक्रिया दी है. संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि जो लोग इस साजिश के पीछे हैं उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
पाकिस्तान में हिंदुओं का ऐतिहासिक भव्य मंदिर
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में कोहिस्तान नामक पर्वत श्रृंखला में कटासराज नाम का एक गांव है. यह गांव हिंदुओं के लिए बहुत ऐतिहासिक और पवित्र है. इसका जिक्र महाभारत में भी मिलता है. आइए जानें इसकी विशेषता.
तस्वीर: Ismat Jabeen
कई मंदिर
कटासराज मंदिर परिसर में एक नहीं, बल्कि कम से कम सात मंदिर है. इसके अलावा यहां सिख और बौद्ध धर्म के भी पवित्र स्थल हैं. इसकी व्यवस्था अभी एक वक्फ बोर्ड और पंजाब की प्रांतीय सरकार का पुरातत्व विभाग देखता है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
पहाड़ी इलाके में मंदिर
कोहिस्तान नमक का इलाका छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा है. ऊंची पहाड़ियों पर बनाए गए इन मंदिरों तक जाने के लिए पहाड़ियों में होकर बल खाते पथरीले रास्ते हैं. इस तस्वीर में कटासराज का मुख्य मंदिर और उसके पास दूसरे भवन दिख रहे हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
सबसे ऊंचे मंदिर से नजारा
कटासराज की ये तस्वीर वहां के सबसे ऊंचे मंदिर से ली गई है जिसमें मुख्य तालाब, उसके आसपास के मंदिर, हवेली, बारादरी और पृष्ठभूमि में मंदिर के गुम्बद भी देखे जा सकते हैं. बाएं कोने में ऊपर की तरफ स्थानीय मुसलमानों की एक मस्जिद भी है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
नहीं रही हिंदू आबादी
कटासराज मंदिर के ये अवशेष चकवाल शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर दक्षिण में हैं. बंटवारे से पहले यहां हिंदुओं की अच्छी खासी आबादी रहती थी लेकिन 1947 में बहुत से हिंदू भारत चले गए. इस मंदिर परिसर में राम मंदिर, हनुमान मंदिर और शिव मंदिर खास तौर से देखे जा सकते हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
शिव और सती का निवास
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव ने सती से शादी के बाद कई साल कटासराज में ही गुजारे. मान्यता है कि कटासराज के तालाब में स्नान से सारे पाप दूर हो जाते हैं. 2005 में जब भारत के उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी पाकिस्तान आए तो उन्होंने कटासराज की खास तौर से यात्रा की थी.
तस्वीर: Ismat Jabeen
शिव के आंसू
हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब शिव की पत्नी सती का निधन हुआ तो शिव इतना रोए कि उनके आंसू रुके ही नहीं और उन्हीं आंसुओं के कारण दो तालाब बन गए. इनमें से एक पुष्कर (राजस्थान) में है और दूसरा यहां कटाशा है. संस्कृत में कटाशा का मतलब आंसू की लड़ी है जो बाद में कटास हो गया.
तस्वीर: Ismat Jabeen
गणेश
हरी सिंह नलवे की हवेली की एक दीवार पर गणेश की तस्वीर, जिसमें वो अन्य जानवरों को खाने के लिए चीजें दे रहे हैं. ऐसे चित्रों में कोई न कोई हिंदू पौराणिक कहानी है. कटासराज के निर्माण में ज्यादातर चूना इस्तेमाल किया गया है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
धार्मिक महत्व
पुरातत्वविद् कहते हैं कि इस तस्वीर में नजर आने वाले मंदिर भी नौ सौ साल पुराने हैं. लेकिन पहाड़ी पर बनी किलेनुमा इमारत इससे काफी पहले ही बनाई गई थी. तस्वीर में दाईं तरफ एक बौद्ध स्तूप भी है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
प्राकृतिक चश्मे
कटासराज की शोहरत की एक वजह वो प्राकृतिक चश्मे हैं जिनके पानी से गुनियानाला वजूद में आया. कटासराज के तालाब की गहराई तीस फुट है और ये तालाब धीरे धीरे सूख रहा है. इसी तालाब के आसपास मंदिर बनाए गए हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
खास निर्माण शैली
कटासराज की विशिष्ट निर्माण शैली और गुंबद वाली ये बारादरी अन्य मंदिरों के मुकाबले कई सदियों बाद बनाई गई थी. इसलिए इसकी हालत अन्य मंदिरों के मुकाबले में अच्छी है. पुरातत्वविदों के अनुसार कटासराज का सबसे पुराना मंदिर छठी सदी का है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
दीवारों पर सदियों पुराने निशान
ये खूबसूरत कलाकारी एक हवेली की दीवारों पर की गई है जो यहां सदियों पहले सिख जनरल हरी सिंह नलवे ने बनवाई थी. इस हवेली के अवशेष आज भी इस हालत में मौजूद हैं कि उस जमाने की एक झलक बखूबी मिलती है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
नलवे की हवेली के झरोखे
सिख जनरल नलवे ने कटासराज में जो हवेली बनवाई, उसके चंद झरोखे आज भी असली हालत में मौजूद हैं. इस तस्वीर में एक अंदरूनी दीवार पर झरोखे के पास खूबसूरत चित्रकारी नजर आ रही है. कहा जाता है कि कटासराज का सबसे प्राचीन स्तूप सम्राट अशोक ने बनवाया था.
तस्वीर: Ismat Jabeen
बीती सदियों के प्रभाव
इस तस्वीर में कटासराज की कई इमारतें देखी जा सकती हैं, जिनमें मंदिर भी हैं, हवेलियां भी हैं और कई दरवाजों वाले आश्रम भी हैं. इस तस्वीर में दिख रही इमारतों पर बीती सदियों के असर साफ दिखते हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
सदियों का सफर
इस स्तूपनुमा मंदिर में शिवलिंग है. भारतीय पुरातत्व सर्वे की 19वीं सदी के आखिर में तैयार दस्तावेज बताते हैं कि कटासराज छठी सदी से लेकर बाद में कई दसियों तक हिंदुओं का बेहद पवित्र स्थल रहा है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
मूंगे की चट्टानें
कटासराज के मंदिरों और कई अन्य इमारतों में हिस्सों में मूंगे की चट्टानों, जानवरों की हड्डियों और कई पुरानी चीजों के अवशेष भी देखे जा सकते हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
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राज्य के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां) ने भी इन घटनाओं को साजिश बताते हुआ कहा कि लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. यूनियन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा, "सोमवार से हम कपास के किसानों को मुआवजा देने की मांग पर धरना शुरू कर रहे हैं. अब जनता का पूरा ध्यान इन घटनाओं पर चला गया है. अगर आप बेअदबी रोकना चाहते हैं और साजिश को बेनकाब करना चाहते हैं तो उन्हें पुलिस को दो, मारा क्यों?”
सिख धर्म में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को बड़ा पाप माना जाता है. इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं. 2015 में इस किताब के पन्ने फाड़े जाने की घटना के बाद राज्य में कई दिन तक भारी तनाव रहा था. ये पन्ने फरीदकोट जिले के एक गांव में फटे मिले थे जिसके बाद दो लोगों की हत्या कर दी गई थी. कई जांच टीम और दो आयोगों के बावजूद उस घटना की सच्चाई का पता नहीं चल पाया.
रिपोर्टः विवेक कुमार (एपी)
आसिया बीबी: एक गिलास पानी के लिए मौत की सजा
पाकिस्तान में 2010 में आसिया बीबी नाम की एक ईसाई महिला को मौत की सजा सुनाई गई थी. पानी के गिलास से शुरू हुआ झगड़ा उनके ईशनिंदा का जानलेवा अपराध बन गया था. लेकिन सु्प्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Governor House Handout
खेत से कोर्ट तक
2009 में पंजाब के शेखपुरा जिले में रहने वाली आसिया बीबी मुस्लिम महिलाओं के साथ खेत में काम कर रही थी. इस दौरान उसने पानी पीने की कोशिश की. मुस्लिम महिलाएं इस पर नाराज हुईं, उन्होंने कहा कि आसिया बीबी मुसलमान नहीं हैं, लिहाजा वह पानी का गिलास नहीं छू सकती. इस बात पर तकरार शुरू हुई. बाद में मुस्लिम महिलाओं ने स्थानीय उलेमा से शिकायत करते हुए कहा कि आसिया बीबी ने पैंगबर मोहम्मद का अपमान किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
भीड़ का हमला
स्थानीय मीडिया के मुताबिक खेत में हुई तकरार के बाद भीड़ ने आसिया बीबी के घर पर हमला कर दिया. आसिया बीबी और उनके परिवारजनों को पीटा गया. पुलिस ने आसिया बीबी को बचाया और मामले की जांच करते हुए हिरासत में ले लिया. बाद में उन पर ईशनिंदा की धारा लगाई गई. 95 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले पाकिस्तान में ईशनिंदा बेहद संवेदनशील मामला है.
तस्वीर: Arif Ali/AFP/Getty Images
ईशनिंदा का विवादित कानून
1980 के दशक में सैन्य तानाशाह जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून लागू किया. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ईशनिंदा की आड़ में ईसाइयों, हिन्दुओं और अहमदी मुसलमानों को अकसर फंसाया जाता है. छोटे मोटे विवादों या आपसी मनमुटाव के मामले में भी इस कानून का दुरुपयोग किया जाता है.
तस्वीर: Noman Michael
पाकिस्तान राज्य बनाम बीबी
2010 में निचली अदालत ने आसिया बीबी को ईशनिंदा का दोषी ठहराया. आसिया बीबी के वकील ने अदालत में दलील दी कि यह मामला आपसी मतभेदों का है, लेकिन कोर्ट ने यह दलील नहीं मानी. आसिया बीबी को मौत की सजा सुनाई. तब से आसिया बीवी के पति आशिक मसीह (तस्वीर में दाएं) लगातार अपनी पत्नी और पांच बच्चों की मां को बचाने के लिए संघर्ष करते रहे.
तस्वीर: picture alliance/dpa
मददगारों की हत्या
2010 में पाकिस्तानी पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर ने आसिया बीबी की मदद करने की कोशिश की. तासीर ईशनिंदा कानून में सुधार की मांग कर रहे थे. कट्टरपंथी तासीर से नाराज हो गए. जनवरी 2011 में अंगरक्षक मुमताज कादरी ने तासीर की हत्या कर दी. मार्च 2011 में ईशनिंदा के एक और आलोचक और तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज भट्टी की भी इस्लामाबाद में हत्या कर दी गई.
तस्वीर: AP
हत्याओं का जश्न
तासीर के हत्यारे मुमताज कादरी को पाकिस्तान की कट्टरपंथी ताकतों ने हीरो जैसा बना दिया. जेल जाते वक्त कादरी पर फूल बरसाए गए. 2016 में कादरी को फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद कादरी के नाम पर एक मजार भी बनाई गई.
तस्वीर: AP
न्यायपालिका में भी डर
ईशनिंदा कानून के आलोचकों की हत्या के बाद कई वकीलों ने आसिया बीबी का केस लड़ने से मना कर दिया. 2014 में लाहौर हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा. इसके खिलाफ परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सर्वोच्च अदालत में इस केस पर सुनवाई 2016 में होनी थी, लेकिन सुनवाई से ठीक पहले एक जज ने निजी कारणों का हवाला देकर बेंच का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया.
तस्वीर: Reuters/F. Mahmood
ईशनिंदा कानून के पीड़ित
अक्टूबर 2018 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आसिया बीबी की सजा से जुड़ा फैसला सुरक्षित रख लिया. इस मामले को लेकर पाकिस्तान पर काफी दबाव है. अमेरिकी सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस के मुताबिक सिर्फ 2016 में ही पाकिस्तान में कम से 40 कम लोगों को ईशनिंदा कानून के तहत मौत या उम्र कैद की सजा सुनाई गई. कई लोगों को भीड़ ने मार डाला.
तस्वीर: APMA
अल्पसंख्यकों पर निशाना
ईसाई, हिन्दू, सिख और अहमदी पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय का हिस्सा हैं. इस समुदाय का आरोप है कि पाकिस्तान में उनके साथ न्यायिक और सामाजिक भेदभाव होता रहता है. बीते बरसों में सिर्फ ईशनिंदा के आरोपों के चलते कई ईसाइयों और हिन्दुओं की हत्याएं हुईं.
तस्वीर: RIZWAN TABASSUM/AFP/Getty Images
कट्टरपंथियों की धमकी
पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामी ताकतों ने धमकी दी थी कि आसिया बीबी पर किसी किस्म की नरमी नहीं दिखाई जाए. तहरीक ए लबैक का रुख तो खासा धमकी भरा था. ईसाई समुदाय को लगता था कि अगर आसिया बीबी की सजा में बदलाव किया गया तो कट्टरपंथी हिंसा पर उतर आएंगे. और ऐसा हुआ भी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. K. Bangash
बीबी को अंतरराष्ट्रीय मदद
मानवाधिकार संगठन और पश्चिमी देशों की सरकारों ने आसिया बीबी के मामले में निष्पक्ष सुनवाई की मांग की थी. 2015 में बीबी की बेटी पोप फ्रांसिस से भी मिलीं. अमेरिकन सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस ने बीबी की सजा की आलोचना करते हुए इस्लामाबाद से अल्पसंख्यक समुदाय की रक्षा करने की अपील की थी.
बीबी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उन्होंने इस मामले से बरी कर दिया. आसिया को बरी किए जाने के खिलाफ आई अपील को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लोगों ने विरोध किया. लेकिन आसिया सुरक्षित रहीं. अब आसिया बीबी ने पाकिस्तान छोड़ दिया है. बताया जाता है वो कनाडा में रहने लगी हैं.