केरल के एक शख्स ने वैक्सीन प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर छपी होने के खिलाफ याचिका डाली थी. मगर केरल हाई कोर्ट ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए शिकायतकर्ता पर ही 1 लाख का जुर्माना लगा दिया.
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केरल के रहने वाले पीटर मयालीपारामपिल को सर्टिफिकेट पर मोदी की तस्वीर होने से आपत्ति थी. पीटर ने इसके खिलाफ केरल हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में पीटर ने कहा कि उन्होंने अपनी वैक्सीन के लिए खुद पैसे खर्च किए हैं और उनके वैक्सीन सर्टिफिकेट पर मोदी की तस्वीर की कोई "उपयोगिता या प्रासंगिकता" नहीं है. याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को देश के कोविड टीकाकरण अभियान का चेहरा बनाकर अपना विज्ञापन कर रहे हैं.
दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत में भी कोविड वैक्सीन लगवाने वालों को सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. इसमें जानकारी दी जाती है कि व्यक्ति ने कब, कहां, किससे और कौन सी वैक्सीन लगवाई है. भारत में जारी होने वाले सर्टिफिकेट के आखिर में एक क्यूआर कोड और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी होती है.
1 लाख का जुर्माना
कोर्ट को पीटर के तर्क पसंद नहीं आए और याचिका खारिज कर दी गई. केरल हाई कोर्ट ने कहा, यह याचिका राजनीति से प्रेरित लगती है. मामला यही खत्म नहीं हुआ. जज ने याचिका को समय की बर्बादी बताते हुए पीटर पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने आगे कहा, "अगर याचिकाकर्ता अपने प्रधानमंत्री की तस्वीर देखकर शर्मिंदा होता है तो वह वैक्सीन सर्टिफिकेट के निचले हिस्से से नजरें फेर सकता है." पीटर मयालीपारामपिल के वकील ने न्यूज एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे.
इन मंदिरों पर चले अदालती आदेश
भारत में धार्मिक स्थल और इससे जुड़ी मान्यताओं को लोगों की आस्था के साथ जो़ड़ कर देखा जाता है. लेकिन देश में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं, जो किसी न किसी कारण अदालती मामलों में उलझे तो किसी पर अदालत ने कोई आदेश दिया.
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राम जन्मभूमि
एक लंबे अरसे से चले आ रहे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर 2019 को आदेश दिया था कि विवादित स्थल पर राम मंदिर ही बनेगा और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए कहीं ओर पांच एकड़ भूमि दी जाएगी. अदालत ने यह भी कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद का गिराया जाना गैर कानूनी था.
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केरल का सबरीमाला मंदिर
केरल के सबरीमाला मंदिर का मामला प्रवेश मान्यताओं से जुड़ा था. यहां 10-50 साल की उम्र वाली महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. मामला लंबे समय से उच्चतम न्यायालय में है, जिसे हाल में उच्चतम न्यायलय ने संवैधानिक बेंच को भेजा है.
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हाजी अली दरगाह, मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में स्थित हाजी अली दरगाह का मसला भी बंबई उच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है. दरगाह में पहले महिलाओं का प्रवेश वर्जित था लेकिन न्यायालय ने अगस्त 2016 में इस प्रतिबंध को महिलाओं के मौलिक अधिकारों के खिलाफ मानते हुए राज्य को महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया. साथ ही हाजी अली ट्रस्ट को भी महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के आदेश दिये.
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शनि सिंगनापुर मंदिर
महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित इस शनि मंदिर में पिछले साल तक महिलाओं का प्रवेश वर्जित था, जिसके चलते मामला बंबई उच्च न्यायालय पहुंचा. न्यायालय ने आदेश दिया कि पूजा स्थलों में जाना महिलाओं का मौलिक अधिकार है. अदालत के इस फैसले के बाद मंदिर ट्रस्ट ने महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी.
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त्रयंबकेश्वर मंदिर, नासिक
देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल त्रयंबकेश्वर मंदिर के अंदर महिलाओं का प्रवेश वर्जित था. लेकिन बंबई उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा कि अगर महिलाओं को मंदिर के भीतरी भाग में प्रवेश की अनुमति नहीं है तो वहां पुरूषों का प्रवेश भी वर्जित होना चाहिए. जिसके बाद से अब महिलाएं और पुरुष दोनों ही मंदिर के भीतरी भाग में नहीं जाते.
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर देश का सबसे अमीर मंदिर है. इस मंदिर का रखरखाव त्रावणकोर का पूर्व शाही परिवार करता है. पूरा मसला इसकी दौलत से जुड़ा है. मंदिर ट्रस्ट धार्मिक मान्यताओं का हवाला देते हुए इसकी तिजौरी खोलने के पक्ष में नहीं है, लेकिन सरकार इसकी दौलत का ब्यौरा चाहती है.
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ज्ञानवापी मस्जिद
अप्रैल 2021 में बनारस के जिला सिविल कोर्ट ने पुरातत्व विभाग को मस्जिद का विस्तार से सर्वेक्षण करने के लिए कहा और एक पांच सदस्यीय समिति के गठन का भी आदेश दिया जिसका काम यह पता लगाना होगा कि मस्जिद जहां है वहां उसके पहले कोई हिन्दू मंदिर था या नहीं. मस्जिद को लेकर एक याचिका दायर कर दी गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि वो जिस भूमि पर स्थित है वो मूल रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा थी.
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इससे पहले भारत में विपक्षी दल भी मोदी की तस्वीर को वैक्सीन सर्टिफिकेट पर छापने के खिलाफ रोष जता चुके हैं. उनकी मांग रही है अगर वैक्सीन सर्टिफिकेट पर मोदी की तस्वीर लगाई गई है तो कोविड से हुई मौतों के मामलों में मृत्यु प्रमाणपत्र में भी मोदी की फोटो छपनी चाहिए. सरकार का तर्क इस मामले में कुछ अलग है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की राज्यमंत्री भारती पवार ने 10 अगस्त 2020 को राज्य सभा में कहा था कि मोदी की तस्वीर लगाने से जागरुकता बढ़ेगी.
भारत में कोविड के मामलों में फिलहाल कमी देखी जा रही है. सरकार के मुताबिक, भारत में 1 अरब से ज्यादा कोविड वैक्सीन डोज लगाई जा चुकी हैं. 1 अरब डोज का लक्ष्य पूरा होने पर प्रधानमंत्री मोदी को बधाई देते कई बिलबोर्ड देशभर में लगाए गए हैं. भारत में अब तक आधिकारिक तौर पर कोरोना से 4 लाख 77 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. दुनिया भर में भारत से ज्यादा मौतें सिर्फ अमेरिका और ब्राजील में हुई हैं.