दक्षिण चीन सागर में भारतीय नौसेना टास्क फोर्स की तैनाती
३ अगस्त २०२१भारत और चीन लगभग 15 महीनों से पूर्वी लद्दाख में एक सैन्य गतिरोध में शामिल हैं. भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े के जहाज दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण चीन सागर और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में एक विदेशी तैनाती पर आगे बढ़ेंगे. और संयुक्त रूप से अभ्यास में भाग लेंगे. भारतीय नौसेना चीन के पड़ोसी देशों की नौसेनाओं और क्वॉड के सदस्य देशों के साथ अभ्यास करेगी.
नौसेना के एक बयान में कहा गया है कि भारतीय नौसेना के जहाजों की तैनाती समुद्री क्षेत्र में अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करने और भारत-प्रशांत के देशों के बीच मौजूदा संबंधों को मजबूत करने के लिए मित्र देशों के साथ परिचालन पहुंच, शांतिपूर्ण उपस्थिति और एकजुटता को रेखांकित करना चाहती है.
चीन के पड़ोसियों के साथ अभ्यास
यह तैनाती भारत की "एक्ट ईस्ट नीति" के अनुसरण में और मित्र देशों के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए है. भारतीय टास्क फोर्स में गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर रणविजय, गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट शिवालिक, एंटी-सबमरीन कार्वेट कदमत और गाइडेड मिसाइल कार्वेट कोरा शामिल हैं.
बाद के तीन जहाजों को स्वदेश में डिजाइन किया गया है और वे हथियारों और सेंसर की एक बहुमुखी प्रणाली से लैस हैं जिसे रक्षा शिपयार्ड द्वारा भारत में बनाया गया है.
हिंद प्रशांत में चीन को चुनौती
हिंद प्रशांत में तैनाती के दौरान जहाजों को वियतनामी पीपल्स नेवी, रिपब्लिक ऑफ फिलीपींस नेवी, रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर नेवी (सिमबेक्स), इंडोनेशियाई नेवी (समुद्र शक्ति) और रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी (ऑस-इंडेक्स) के साथ द्विपक्षीय अभ्यास में भाग लेना है.
इसके अलावा वह जापानी समुद्री आत्मरक्षा बल, रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की नौसेना के साथ बहुपक्षीय अभ्यास मालाबार-21 में भी भाग लेगी.
भारतीय नौसेना के बयान में कहा गया है कि नौसेना क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास को आगे बढ़ाने के लिए मित्र देशों और भारतीय और प्रशांत महासागर क्षेत्रों में नियमित तैनाती करती है.
नौसेना का कहना है कि इसके अलावा इस तरह के जुड़ाव दोस्ती के पुल का निर्माण करते हैं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करते हैं. नौसेना के मुताबिक ये समुद्री पहल भारतीय नौसेना और मित्र देशों के बीच तालमेल और समन्वय को बढ़ाती है.
चीन का दावा
चीन दक्षिणी चीन सागर के बड़े हिस्से पर अपने अधिकार का दावा करता है. यह दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में तनाव और विवाद की बड़ी वजह है क्योंकि कई अन्य देश भी इन इलाकों पर दावा करते हैं, जिन्हें अमेरिका और यूरोप का भी समर्थन मिलता है. कथित "नाईन डैश लाइन" पर उसके अधिकार का दावा द हेग स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में भी खारिज हो चुका है.
चीन ने इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलीपींस, जापान, और ताइवान जैसे देशों की सीमाओं में लगातार अतिक्रमण किया है जिससे इन देशों ने भी अपने तेवर तीखे करने शुरू किए हैं.