नासा ने निकट भविष्य के अपने अंतरिक्ष मिशनों के लिए 10 नए नामों की घोषणा की है, जिनमें एक भारतीय मूल के डॉक्टर भी शामिल हैं. ये लोग चांद और मंगल ग्रह पर जाने वाले मिशनों का हिस्सा बनेंगे.
विज्ञापन
45 वर्षीय डॉक्टर अनिल मेनन स्पेसएक्स के पहले फ्लाइट सर्जन थे. उसके पहले वो नासा के लिए भी इसी भूमिका में अंतरिक्ष मिशन पर यात्रियों के स्वास्थ्य की देखभाल कर चुके हैं. वो इससे भी चार बार आवेदन कर चुके थे. उनका पांचवां आवेदन सफल रहा.
अनिल के माता पिता भारत और यूक्रेन से अमेरिका जा कर बस गए थे. अनिल का जन्म अमेरिका में ही हुआ और वो वहीं पले बढ़े. उन्हें आपात स्थितियों में भी काम करने का अनुभव है. 2010 में उन्होंने हैती में आये विध्वंसकारी भूकंप के बाद पीड़ित लोगों की मदद की थी.
"आर्टेमिस पीढ़ी"
फिर 2015 में वो संयोग से नेपाल में आए एक बड़े भूकंप से बस कुछ ही मिनटों पहले वहां पहुंचे थे. वहां भी उन्हें भूकंप पीड़ितों की मदद करने का मौका मिला.
नवंबर में स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के सदस्य जब अंतरिक्ष में छह महीने बिता कर धरती पर वापस लौटे थे, तब फ्रांसीसी अंतरिक्ष यात्री थॉमस पेस्के को अनिल ने ही समुद्र में तैर रहे उनके कैप्सूल से बाहर निकाला था. उन्होंने कहा, "इसे खुद महसूस करना एक अविश्वसनीय अनुभव होगा."
अनिल और बाकी नौ लोग जिस टीम में शामिल होंगे उसे नासा "आर्टेमिस पीढ़ी" कहती है. इसका नाम संस्था के आर्टेमिस कार्यक्रम के नाम पर रखा गया है जिसका उद्देश्य है कुछ ही सालों में चांद पर और फिर मंगल ग्रह पर कदम रखना.
इन 10 लोगों को 12,000 आवेदकों में से चुना गया. यह सब विविध पृष्ठभूमि के हैं और इन्हें मानव इतिहास के अभी तक से सबसे कठिन खोजी मिशनों को पूरा करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए चुना गया है.
दो साल लंबा प्रशिक्षण
इनमें उच्च स्तरीय वैज्ञानिक भी शामिल हैं. 38 साल के क्रिस विलियम्स एक मेडिकल फिजिसिस्ट और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उनका शोध कैंसर के इलाज के लिए इमेज गाइडेंस के तरीके ईजाद करने पर केंद्रित था.
35 वर्षीय क्रिस्टीना बर्च ने एमआईटी से बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की है. अंतरिक्ष के जाने की प्रेरणा उन्हें अपने ही उस काम से मिलीं जो वो अपनी प्रयोगशाला में कर रही थीं. वो एक सफल ट्रैक साइक्लिस्ट भी रह चुकी हैं. उन्होंने ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई भी कर लिया था और विश्व कप में मेडल भी जीते हैं.
नासा का लक्ष्य है 2025 में अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतारना. लेकिन अपोलो युग की तरह इस बार संस्था यह काम अकेले नहीं करेगी और स्पेसएक्स जैसी निजी कंपनियों की भी मदद लेगी.
जनवरी में सभी लोग टेक्सास के ह्यूस्टन स्थित जॉनसन अंतरिक्ष केंद्र पहुंचेंगे और उसके बाद वहां उनका दो साल लंबा प्रशिक्षण शुरू होगा.
उन्हें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को चलाने और उसकी देखरेख करने, स्पेसवॉक करने, रोबॉटिक कौशल, एक ट्रेनिंग जेट को सुरक्षित तरीके से चलाने और अपने रूसी सहयोगियों से बात करने के लिए रूसी भाषा का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
सीके/एए (एएफपी)
अश्वेत महिला अंतरिक्ष यात्री: एक विशिष्ट वर्ग में अल्पसंख्यक
पहली अश्वेत महिला अंतरिक्ष यात्री मे जेमिसन को भी उड़ान का मौका पुरुषों और अश्वेत महिलाओं के 30 सालों बाद मिल पाया था. भारतीय मूल की कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स का नाम भी इस गौरवशाली सूची में शामिल है.
तस्वीर: WAM/AP Photo/picture alliance
अंतरिक्ष में पहली अश्वेत महिला
मे जेमिसन (बाईं तरफ) "सिर्फ" पहली अश्वेत अंतरिक्ष यात्री नहीं हैं. वो अमेरिकी अंतरिक्ष यान की सवारी करने वाली पहली अश्वेत महिला थीं. उन्होंने अंतरिक्ष में पदार्थों और बोन सेल रिसर्च पर प्रयोग भी किए और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेसोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी और रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी में भी काम किया. वो एक गैर लाभकारी एसटीईएम शिक्षण संस्थान चलाती हैं और एक उत्सुक जैज डांसर हैं.
तस्वीर: NASA/Newscom/picture alliance
तीन बार उड़ान भरने वालीं स्टेफनी विल्सन
स्टेफनी विल्सन की एक बहु-प्रतिभावान अंतरिक्ष यात्री हैं. विल्सन एक ऐरोस्पेस इंजीनियर हैं जो पहले गैलिलियो अंतरिक्ष यान पर काम करती थीं. 1996 में नासा ने उन्हें एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुन लिया, लेकिन उन्हें उनका पहला मिशन मिला 2006 में. उसके बाद वो 2007 और 2010 में फिर अंतरिक्ष में गईं. अब वो नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिसका लक्ष्य है चांद पर पहली महिला को भेजना.
तस्वीर: NASA/Bill Ingalls
जोन हिग्गिनबॉथम ने भी किया 10 साल इंतजार
जोन हिग्गिनबॉथम को भी नासा ने स्टेफनी के साथ ही चुना था और उन्हें भी अपनी पहली उड़ान के लिए 10 साल इन्तजार करना पड़ा. एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के तौर पर उन्होंने स्पेस शटल कोलंबिया और कई दूसरे अभियानों पर काम किया. नौ सालों में वो 53 शटल लॉन्चों का हिस्सा रहीं. जब वो अंतरिक्ष गईं तो वो उस टीम का हिस्सा बनीं जिसने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के निर्माण में मदद की.
तस्वीर: NASA/Yvette Smith
सियैन प्रॉक्टर
सियैन प्रॉक्टर सिर्फ चुनिंदा अश्वेत महिला अंतरिक्ष यात्रियों में से ही नहीं हैं वो धरती की परिक्रमा करने वाले पहले "सिविलियन साइंस" दल का भी हिस्सा थीं. उन्होंने स्पेसएक्स के "इंस्पिरेशन4" के साथ सितंबर 2021 में उड़ान भरी. उन लोगों को 'सिविलियन' कहा जरूर गया लेकिन सब पेशेवर एविएटर और वैज्ञानिक थे. प्रॉक्टर नासा के सोलर सिस्टम एम्बेसडरों में से एक हैं.
तस्वीर: Inspiration4/John Kraus
चीन की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री
पारम्परिक रूप से अंतरिक्ष में हर काम को पहली बार किए जाने का रिकॉर्ड अमेरिका और रूस के पास ही रहा है. लेकिन अब चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम भी काफी तरक्की कर गया है. 2012 में लिउ यांग चीन की पहली सक्रिय महिला अंतरिक्ष यात्री बनीं. एक साल बाद वांग यापिंग भी उनके नक्शेकदम पर गईं और तिआनगोंग-1 अंतरिक्ष स्टेशन से फिजिक्स की एक लाइव क्लास भी ली.
तस्वीर: picture alliance/ZUMAPRESS.com
भारतीय मूल की महिला अंतरिक्ष यात्री
अमेरिका में भारतीय मूल की भी कुछ महिला अंतरिक्ष यात्री हुई हैं, जैसे कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स. चावला पहली बार स्पेस शटल कोलंबिया पर एक रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के तौर पर गई थीं. कोलंबिया पर ही 2003 में उनका दूसरा मिशन उनके लिए घातक रहा. पृथ्वी के वायुमंडल में वापस आते समय शटल के टुकड़े टुकड़े हो गए और उस पर सवार दल के सभी लोग मारे गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/NASA
कोरिया की एकलौती अंतरिक्ष यात्री
यी सो-येओन दक्षिण कोरिया की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री ही नहीं हैं, बल्कि वो अंतरिक्ष में जाने वाली पहली कोरियन हैं. वो पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं. 2008 में उन्हें आईएसएस जाने के लिए रूस में होने वाले प्रशिक्षण के लिए चुना गया. उन्होंने अंतरिक्ष में नौ दिन बिताए. वापस लौटते समय उनके यान की लैंडिंग अच्छी नहीं रही और उनकी पीठ में चोट आ गई. उन्होंने 2014 में बतौर अंतरिक्ष यात्री इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: EPA/STR/picture-alliance
जापान की दो महिला अंतरिक्ष यात्री
जापान के अंतरिक्ष कार्यक्रम जाक्सा को अमेरिका के नासा, यूरोप के ईएसए और रूस के रॉसकॉसमॉस के साथ बिग फोर का हिस्सा माना जाता है लेकिन उसने आज तक दो ही महिला अंतरिक्ष यात्री दिए हैं. इनमें पहली थीं चियाकि मुकाई (तस्वीर में) जो कोलंबिया और डिस्कवरी स्पेस शटलों पर गई थीं. दूसरी जापानी महिला अंतरिक्ष यात्री नाओको यामाजाकि डिस्कवरी पर गई थीं.
तस्वीर: JAXA/NASA
यूएई: अंतरिक्ष कार्यक्रम में लिंग संतुलन
संयुक्त अरब अमीरात का अंतरिक्ष कार्यक्रम भी काफी तरक्की कर रहा है. उसने अंतरिक्ष यात्रियों का भी एक कार्यक्रम शुरू किया है जिसके लिंग संतुलन से दूसरे देशों को जलन हो सकती है. अप्रैल 2021 में इस कार्यक्रम के लिए नूरा अल-मतरुशी (दाईं तरफ) और मोहम्मद अल-मुल्ला को चुना गया. इनका प्रशिक्षण नासा के साथ होगा.