प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में ड्रीम प्रॉजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया. तीन साल पहले तैयार इस प्रोजेक्ट को तमाम विरोधों के बावजूद पूरा किया गया है. समारोहों में कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी हैं.
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लोकार्पण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर में मंत्रोच्चार के साथ पूजा-पाठ की और मंदिर के निर्माण में शामिल मजदूरों पर पुष्प वर्षा कर उन्हें सम्मानित किया और उनके साथ सीढ़ी पर बैठकर तस्वीर भी खिंचाई. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा, "विश्वनाथ धाम के पूरा होने से यहां हर किसी के लिए पहुंचना सुगम हो गया है. हमारे बुजुर्ग माता पिता बोट से जेटी तक आएंगे, जेटी से एस्केलेटर हैं, वहां से मंदिर तक आएंगे. दर्शन के लिए घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा. पहले यहां मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्गफीट में था, वह अब करीब पांच लाख वर्गफीट का हो गया है."
समारोह के लिए पूरे वाराणसी शहर को सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है. गंगा घाट, सड़क-चौराहे और बनारस की कई तंग गलियों तक में तैयारियों के असर को देखा जा सकता है. जगह-जगह बिजली की झालरें लगाई गई हैं और स्थानीय लोगों से भी अपील की गई है कि अपने घरों की ठीक उसी तरह सजाएं जैसे दीपावली के मौके पर सजाते हैं. प्रधानमंत्री ने भी काशी विश्वनाथ धाम की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की हैं.
एक महीने का उत्सव
लोकार्पण समारोह के बाद प्रधानमंत्री शाम को क्रूज पर सवार होकर गंगा आरती देखेंगे. आरती के समय प्रधानमंत्री मोदी के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा 11 अन्य बीजेपी शासित राज्यों के भी मुख्यमंत्री होंगे. लोकार्पण समारोह के बाद वाराणसी में एक महीने का उत्सव भी मनाया जाएगा जिसका नाम 'भव्य काशी-दिव्य काशी' रखा गया है और पूरे शहर में बंटवाने के लिए 16 लाख लड्डुओं का प्रसाद तैयार किया गया है जिसे बीजेपी कार्यकर्ता घर-घर पहुंचाने जाएंगे.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रॉजेक्ट का खाका आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने खींचा था. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा था, "काशी विश्वनाथ धाम को भव्य आकार देना आसान काम नहीं था. लेकिन मुझे इस बात की संतुष्टि है कि मंदिर का मूल स्वरूप बरकरार रखते हुए धाम को दिव्य और भव्य आकार देने में हम सफल रहे."
इन मुस्लिम देशों में हैं हिंदू मंदिर
दुनिया में भारत और नेपाल ही हिंदू बहुल देश हैं, लेकिन हिंदू पूरी दुनिया में फैले हैं. मुस्लिम देशों में भी उनकी अच्छी खासी तादाद है. डालते हैं एक नजर मुस्लिम देशों में स्थित मंदिरों पर.
तस्वीर: Imago/Zumapress/C. Jung
पाकिस्तान
पाकिस्तान के चकवाल जिले में स्थित कटासराज मंदिर का निर्माण सातवीं सदी में हुआ था. इस मंदिर परिसर में राम मंदिर, हनुमान मंदिर और शिव मंदिर खास तौर से देखे जा सकते हैं. पुरातात्विक विशेषज्ञ इसके रखरखाव में जुटे हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
मलेशिया
मलेशिया में हिंदू तमिल समुदाय के बहुत से लोग रहते हैं और इसलिए यहां बहुत सारे मंदिर हैं. गोमबाक में बातु गुफाओं में कई मंदिर हैं. गुफा के प्रवेश स्थल पर हिंदू देवता मुरुगन की विशाल प्रतिमा है.
तस्वीर: Imago/Zumapress/C. Jung
इंडोनेशिया
आज इंडोनेशिया भले ही दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश है, फिर भी वहां की संस्कृति में हिंदू तौर तरीकों की झलक दिखती है. वहां बड़ी संख्या में हिंदू मंदिर हैं. फोटो में नौवीं सदी के प्रामबानान मंदिर में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को देखा जा सकता है.
तस्वीर: Reuters/P. Erlangga
बांग्लादेश
बांग्लादेश की 16 करोड़ से ज्यादा की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगभग दस फीसदी है. राजधानी ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में और भी कई मंदिर हैं.
तस्वीर: DW/M. Mamun
ओमान
फरवरी 2018 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब ओमान पहुंचे तो वह राजधानी मस्कट के शिव मंदिर में भी गए. इसके अलावा मस्कट में श्रीकृष्ण मंदिर और एक गुरुद्वारा भी है.
तस्वीर: PIB
यूएई
संयुक्त अरब अमीरात में अभी सिर्फ एक मंदिर है जो दुबई में है. इसका नाम शिव और कृष्ण मंदिर है. जल्द ही अबु धाबी में पहला मंदिर बनाया जाएगा जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री मोदी ने रखी.
तस्वीर: Imago/robertharding
बहरीन
काम की तलाश में बहुत से लोग भारत से बहरीन जाते हैं, जिनमें बहुत से हिंदू भी शामिल हैं. उनकी धार्मिक आस्थाओं के मद्देनजर वहां शिव मंदिर और अयप्पा मंदिर बनाए गए हैं. (तस्वीर सांकेतिक है)
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Made Nagi
अफगानिस्तान
अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की संख्या अब लगभग 1000 ही बची है. इनमें से ज्यादातर काबुल या अन्य दूसरे बड़े शहरों में रहते हैं. अफगानिस्तान में जारी उथल पुथल का शिकार हिंदू मंदिर भी बने. लेकिन काबुल में अब भी कई मंदिर बचे हुए हैं.
तस्वीर: DW
लेबनान
लेबनान के जाइतून में भी हिंदू मंदिर मौजूद है. वैसे लेबनान में रहने वाले भारतीयों की संख्या ज्यादा नहीं है. 2006 के इस्राएल-हिज्बोल्लाह युद्ध के बाद वहां भारतीयों की संख्या में कमी आई.
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परियोजना का विरोध भी
तीन साल पहले शुरू की गई इस परियोजना का शुरुआती दौर में काफी विरोध भी हुआ और स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि भव्यता के चक्कर में बनारस की संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण में करीब चार सौ मकानों और कई मंदिरों को तोड़ा गया और जो लोग यहां रह रहे थे उन्हें पर्याप्त मुआवजा देकर दूसरी जगहों पर विस्थापित किया गया. हालांकि प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि परियोजना की जद में जो भी मंदिर आए हैं उनका भी संरक्षण किया जा रहा है लेकिन स्थानीय लोग इस बात से सहमत नहीं हैं.
इस कॉरिडोर के निर्माण के बाद वाराणसी के इस प्राचीन मंदिर में दर्शन करने के बाद लोग सीधे गंगा नदी में जा सकते हैं. योजना के तहत काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर ललिता घाट तक जाने वाले करीब 700 मीटर के रास्ते को चौड़ा किया गया और इसी इलाके में सबसे ज्यादा मकानों और मंदिरों को ध्वस्त किया गया. इस सीमा में आने वाले कई मकान सौ साल से भी ज्यादा पुराने थे और कई मंदिरों की प्राचीनता उससे भी ज्यादा थी. मंदिर के बाहर फूल माला बेचने वाले दिलीप बताते हैं, "इस कॉरिडोर के निर्माण से यहां की पूरी बस्ती ही उजड़ गई. तमाम लोग छोटी-मोटी दुकानें लगाते थे वो भी उजड़ गए हैं. अब तो सिर्फ बड़ी दुकानें ही दिखेंगी. लोगों ने अपनी मर्जी से मकान नहीं बेचा बल्कि इसके लिए उन पर दबाव डाला गया. काफी समय तक तो लोग विरोध करते रहे लेकिन बाद में सभी लोग शांत हो गए."
इतिहास के गवाह हैं ये मंदिर
दुनिया भर में ऐसे कई मंदिर हैं जो पौराणिक वास्तुकला और संस्कृति के सबूत हैं. इनमें से कुछ हिंदू और बौद्ध मंदिर तो भारत से बाहर दूसरे देशों में हैं.
तस्वीर: picture alliance/DINODIA
मृतकों का मंदिर, मिस्र
करीब 1300 ईसा पूर्व मिस्र में मृतकों का यह मंदिर बनाया गया. यहां शव रखे जाते थे, जिन्हें पौराणिक देवता अमून को चढ़ाया जाता था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. El-Dakhakhny
पार्थेनॉन का मंदिर, ग्रीस
इस मंदिर के खंडहर आज भी सिंकदर वाले ग्रीक साम्राज्य की निशानी हैं. एंथेस नाम की देवी के सम्मान में यह मंदिर 438 ईसा पूर्व में बनाया गया.
तस्वीर: Reuters/Y. Behrakis
टेम्पल ऑफ इनस्क्रिप्शन, मेक्सिको
माया सभ्यता से जुड़ा यह मंदिर सन 683 के आस पास तैयार हुआ. मिस्र के बाहर यह दुनिया में पिरामिड आकार का सबसे बड़ा ढांचा है.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/A. Meneghini
सोमनाथ मंदिर, भारत
सोमनाथ मंदिर पहली बार कब बना, इसका सही सही अंदाजा नहीं है. लेकिन दूसरी बार यह 649 ईसवी में बना. इसके बाद सोमनाथ बार बार हमलों का शिकार हुआ. 1951 में मंदिर का चालुक्य वास्तुकला के अनुसार पुर्नउद्धार किया गया.
तस्वीर: picture alliance/DINODIA
बोरोबुडुर मंदिर, इंडोनेशिया
9वीं शताब्दी में सेंट्रल जावा में यह महायान बौद्ध मंदिर बनाया गया. यहां खास अंदाज में गौतम बुद्ध की 500 से ज्यादा मूर्तियां हैं.
तस्वीर: Getty Images/U. Ifansasti
प्रांबानन मंदिर, इंडोनेशिया
9वीं शताब्दी के मध्य में ही इंडोनेशिया के दूसरे इलाके में हिंदू साम्राज्य संजया के राजाओं ने प्रांबानन मंदिर बनवाया. 47 मीटर ऊंचा यह मंदिर वास्तुकला का मास्टरपीस भी माना जाता है.
तस्वीर: A Brit and a Broad
अंकोरवाट मंदिर, कंबोडिया
12वीं शताब्दी में खमेर साम्राज्य के सूर्यवर्णम द्वितीय राजा ने अंकोरवाट में विष्णु का मंदिर बनाया. मान्यताओं के मुताबिक विशाल इलाके में फैला यह मंदिर एक रात में बनाया गया.
तस्वीर: S. Bandopadhyay
हम्पी मंदिर, भारत
भारत के कर्नाटक राज्य में पड़ने वाला यह मंदिर 14वीं शताब्दी में बनाया गया. कुछ इतिहासकारों के मुताबिक वहां मिले कुछ ढांचे ईसा पूर्व के भी हैं. हम्पी बीजिंग के बाद मध्यकाल का दूसरा बड़ा शहर था. इतिहासकारों के मुताबिक हम्पी तब शायद भारत का सबसे समृद्ध शहर था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Sarkar
पशुपतिनाथ, नेपाल
15वीं शताब्दी में राजा शुपुष्पा ने पशुपतिनाथ मंदिर का पुर्ननिर्माण किया. 11वीं शताब्दी के एक ग्रंथ के मुताबिक वहां पहले भी मंदिर था.
तस्वीर: Getty Images/AFP
वाट अरुण मंदिर, थाइलैंड
13वीं से 17वीं शताब्दी में अयुतथाया स्रामाज्य के दौरान यह मंदिर बनाया गया. यह बौद्ध मंदिर सूर्य को समर्पित है. इसे सूर्योदय का मंदिर भी कहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Sergi Reboredo
स्वर्ण मंदिर, भारत
16वीं शताब्दी में अमृतसर में एक गुरुद्वारा बनाया गया. लेकिन इसके बाद गुरुद्वारे ने कई हमले झेले. 1802 में महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर को चमकाने का एलान किया. उन्होंने निर्माण में सोने और संगमरमर का इस्तेमाल किया. 1830 में महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के लिए खजाने का सोना दान किया.
तस्वीर: picture-alliance/prisma/B. Bruno
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काशी विश्वनाथ धाम और राजनीति
विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के समय और इसके लिए की गई तैयारियों को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान में अब बीजेपी अपने हिन्दुत्व के एजेंडे को और अधिक धार देगी. बीजेपी के कई नेता काशी और मथुरा की चर्चा करने भी लगे हैं. काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनरुद्धार और अयोध्या में बन रहे मंदिर के निर्माण का बीजेपी सरकार को श्रेय देते हुए पोस्टर और होर्डिंग्स जगह-जगह दिखने भी लगी है.
विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह के लाइव प्रसारण के लिए पूरे यूपी में 27 हजार से ज्यादा एलईडी सेट लगवाए गए हैं जहां बीजेपी नेताओं को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वो स्थानीय लोगों को यह प्रसारण लाइव दिखाएं. इन सारी कवायदों को चुनावी राजनीति से ही जोड़कर देखा जा रहा है.