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फिर लुढ़का रुपया डॉलर के आगे

९ मई २०२२

डॉलर के मुकाबले रुपया अभी तक के सबसे निचले स्तर तक गिर कर 77.56 पर आ गया. जानकार इसके लिए अमेरिका में कड़ी होती मौद्रिक नीति और विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय स्टॉक्स को बेचने को जिम्मेदार मान रहे हैं.

Indische Währung |
तस्वीर: Janusz Pienkowski/Zoonar/picture alliance

तेल के उत्पादों के बढ़ते दाम और मजबूत होता अमेरिकी डॉलर रुपये पर हावी रहे हैं. रिजर्व बैंक ने पिछले ही सप्ताह ब्याज दरें भी बढ़ाई थीं, लेकिन निवेशकों का भारत से पैसे बाहर निकालना जारी रहा.

रूपया इससे पहले मार्च में डॉलर के मुकाबले 76.98 के ऐतिहासिक रूप से निचले स्थान पर पहुंचा था. सोमवार नौ मई को यह और लुढ़क कर 77.56 पर पहुंच गया. रुपये के लुढ़कने के साथ ही सेंसेक्स और निफ्टी50 पर भारतीय स्टॉक्स लगातार चौथे दिन घाटे में रहे.

(पढ़ें: महंगाई का मुकाबला करने के लिए आरबीआई ने बढ़ाई ब्याज दरें)

विदेशी निवेशक निकाल रहे हैं पैसा 

सोमवार को एक एक भारतीय स्टॉक शुरू में तो एक प्रतिशत से ज्यादा गिरे, लेकिन  बाद में स्थिति में कुछ सुधार आया. बैंक, धातु और तेल और गैस के स्टॉको में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली. रिलायंस जैसी वजनदार कंपनी के स्टॉक के मूल्य में तीन प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई.

डॉलर लगातार मजबूत होता जा रहा हैतस्वीर: Xie Zhengyi/dpa/picture alliance

स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़े दिखाते हैं कि इस साल अभी तक विदेशी निवेशकों ने कुल 1,340 अरब रुपये भारतीय शेयरों से निकाल लिए हैं.

(पढ़ें: वर्ल्ड बैंक ने भारत की विकास दर का अनुमान घटाया, पाकिस्तान का बढ़ाया)

यूक्रेन युद्ध और चीन में कोविड-19 प्रतिबंधों की वापसी से विदेशी निवेशक अपना जोखिम कम कर रहे हैं और भारत जैसे उभरते बाजारों में से पूंजी निकाल रहे हैं. उसके ऊपर से महंगाई ने भी भारत में निवेश की भावना पर असर डाला है. भारत पेट्रोल की अपनी 80 प्रतिशत से भी ज्यादा जरूरतों को आयात करता है.

मार्च में खुदरा महंगाई 6.95 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जो 17 महीनों में सबसे ऊंचा स्तर है. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इसी सप्ताह जो ताजा आंकड़े जारी किए जाएंगे उनमें पता चल सकता है कि अप्रैल में महंगाई सात प्रतिशत को भी पार गई.

महंगाई की चुनौती

पिछले सप्ताह अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने देश की मुख्य ब्याज दरों में आधा प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी की थी, लेकिन और ज्यादा आक्रामक कदमों को उठाना टाल दिया था.

भारत में तेल के बढ़ते दामों का बड़ा असर देखने को मिल रहा हैतस्वीर: Prakash Singh/AFP/Getty Images

विदेशी मुद्रा कंपनी ओआंडा के जेफ्री हेली ने एक नोट में बताया, "भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अचानक ब्याज दरें बढ़ाने के बाद अगर भारत में महंगाई सात प्रतिशत से ज्यादा चली जाती है...तो आरबीआई पर फिर से कदम उठाने का दबाव रहेगा. इससे रुपये को कुछ मजबूती तो मिल सकती है लेकिन स्थानीय शेयरों के लिए यह शायद ही अच्छा हो."

(पढ़ें: महंगाई की मारः भारत में लोगों ने शुरू कर दी है खाने-पीने में कटौती)

भारत के विदेशी मुद्रा के खजाने में लगातार आठवें हफ्ते में गिरावट देखने को मिली. रुपये को स्थिर करने के लिए रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा को बेच लेकिन इसके बाद अप्रैल 29 को खत्म होने वाले सप्ताह में विदेशी मुद्रा का खजाना  600 अरब डॉलर से भी नीचे चला गया.

सीके/एए (एएफपी)

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