बीजिंग में जारी शीतकालीन ओलंपिक में भारत के एकमात्र खिलाड़ी स्कीइर आरिफ खान का मकसद गोल्ड मेडल जीतना नहीं था. रविवार को उन्होंने दोनों मुकाबले पूरे किए लेकिन दौड़ में बहुत पीछे रहे.
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भारतीय स्कीअर आरिफ खान ने रविवार को बीजिंग ओलंपिक में दोनों बाधाओं को पूरा किया, जो उनका लक्ष्य भी था. गोल्ड मेडल जीने वाले मार्को ओडरमाट से वह 38 सेकेंड पीछे थे, जो एक बहुत बड़ी दूरी है. यह प्रतियोगिता भारी बर्फबारी और बहुत खराब मौसम में हुई.
खान कहते हैं, "मौसम और बर्फ के कारण तो बहुत मुश्किल हो गई थी. गेट का क्या है, यह दिख ही नहीं रहा था. कई बार जो लोग आपसे पहले जाते हैं वे बर्फ के छोटे छोटे ढेर बना देते हैं. अगर आप अपनी रफ्तार बनाए रखना चाहें और थोड़ा खतरा उठाने की कोशिश करें तो आप ढेर से टकारते हैं और बाहर जा गिरते हैं. ऐसा आज हुआ भी. मेरा मकसद था कि रेस पूरी करूं और मैंने ऐसा कर दिया.”
बड़ी उपलब्धि
सिर्फ 46 खिलाड़ी इस दौड़ को पूरा कर पाए. 33 खिलाड़ी तो पहले ही मुकाबले में बाहर हो गए. आठ दूसरा मुकाबला पूरा नहीं कर पाए. खान कहते हैं, "इस बार मेरी रणनीति थी, कम आक्रामकता. आप ऐसी रेस में तो तेज रफ्तार रख सकते हैं जहां जीतने की कोशिश करें. लेकिन यहां तो नीचे तक जाना ज्यादा जरूरी था.”
बीजिंग 2022: शीतकालीन ओलंपिक खेलों के कुछ यादगार पल
ओलंपिक खेलों की दुनिया का सबसे बड़ा मंच हैं. इस साल के शीतकालीन खेलों में आनंद, निराशा और रोमांच के कई पल कैमरे में कैद किए गए हैं. डीडब्ल्यू आपके लिए बीजिंग 2022 खेलों के अभी तक के कुछ यादगार पल चुन कर लाया है.
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बर्फ पर उड़ान
अमेरिकी फिगर स्केटर नेथन चेन ने पुरुषों के फिगर स्केटिंग में ऐसा प्रदर्शन दिया जो तकनीकी रूप से उत्तम तो था ही, कलात्मक रूप से प्रभावशाली भी था. उन्होंने लगभग बिना किसी चूक के एक के बाद एक बेहद कठिन प्रदर्शन दिए और स्वर्ण पदक जीत लिया.
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संस्कृतियों का मिलन
फ्रीस्टाइल स्कीइंग करने वाले 18 साल के एलीन गू लगभग हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक मंत्र की तरह दोहराते हैं, "अमेरिका में, मैं अमेरिकी हूं और चीन में मैं चीनी हूं." गू खेलों की शुरुआत से पहले से ही बीजिंग 2022 का चेहरा हैं. उनका जन्म और लालन पालन अमेरिका में हुआ लेकिन बीते कुछ समय से वो चीन के लिए खेल रहे हैं. बीजिंग में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता.
स्लालोम खेलने वालीं स्लोवाकिया की पेत्रा विल्होवा खुद अपने प्रदर्शन पर भरोसा नहीं कर पा रही हैं. पहले दौर में वो सातवें स्थान पर रहीं और उन्हें लगा कि अब तो कोई भी मेडल हाथ नहीं लग पाएगा. लेकिन दूसरे दौर उन्होंने बिना किसी चूक के पूरा किया और खुद को भी चौंकाते हुए बाकी सबको पछाड़ दिया.
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निराशा का एक पल
28 साल की अमेरिकी स्लालोम खिलाड़ी मिकाएला शिफरिन स्वर्ण पदक की प्रबल दावेदार मानी जा रही थीं, लेकिन पहले तो जायंट स्लालोम में वो जल्द ही बाहर हो गईं. उसके बाद स्लालोम में भी कुछ ही पलों के बाद वो बाहर हो गईं. निराशा के उस पल में उन्हें अपने पिता की याद आ गई जिनका दो साल पहले एक हादसे में निधन हो गया था. उन्होंने रोते हुए कहा, "मैं अभी उन्हें फोन करना चाहती हूं, लेकिन अब वो यहां हैं ही नहीं."
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स्वर्णिम जोड़ी
इतालवी कर्लिंग खिलाड़ी स्तेफानिया कॉन्सतांतीनि अपने साझेदार अमोस मोसेनर को बार बार चिल्ला कर कहती हैं, "पीयू, पीयू, पीयू...और तेज, और तेज, और तेज." इस जोड़ी ने मिश्रित युगल श्रेणी में हर दौर में जीत हासिल की और स्वर्ण पदक अपने नाम किया.
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मोड़ से सावधान
लूग खेल शुरू होने से पहले से ही खिलाड़ी 13वें मोड़ के बारे में सोच कर ही जरा सा हिल जाते हैं. आप अगर वहां पहुंच कर जरा सा भी इधर-उधर हुए तो गिरना तय है.और यही हुआ जूलिया तौबित्ज के साथ जिन्हें स्वर्ण पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. गिरने के साथ ही कोई भी पदक जीतने का अवसर भी उनके हाथ से निकल गया.
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दर्द या खुशी?
स्कीएथलन में जीत दर्ज करने के बाद नॉर्वे की थेरेसे जोहॉग इस समय किस भाव से गुजर रही थीं, यह कहना मुश्किल है. माइनस 16 डिग्री तापमान में रेस खत्म करने के बाद निश्चित ही पहले तो वो दर्द में रही होंगी, लेकिन जल्द ही जीत की खुशी उन पर हावी हो गई. यह उनकी पहली अकेली ओलंपिक जीत थी और इस साल के खेलों में दिया जाने वाला पहला स्वर्ण पदक भी. (आंद्रेयास स्टेन-जीमंस)
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भारत में कश्मीर के रहने वाले खान कहते हैं कि आमतौर पर वह बेहतर स्कीइंग करते हैं. उन्होंने बताया, "आज जैसा मैंने प्रदर्शन किया, आमतौर पर मैं उससे बेहतर करता हूं. लेकिन आज का मकसद था देश का प्रतिनिधित्व और रेस पूरी करना. ये ज्यादा जरूरी था.”
देश को नाम दिलाना था मकसद
खान को अब बुधवार को एक और प्रतियोगिता में हिस्सा लेना है. वह भारत के पहले और एकमात्र खिलाड़ी हैं जिन्होंने दो प्रतियोगिताओं के लिए क्वॉलिफाई किया है. वह बताते हैं, "भारत में 1.4 अरब लोगों की आबादी है और मैं उस पूरी आबादी का प्रतिनिध हूं. मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात है.”
31 साल के खान कश्मीर के गुलमर्ग में पले-बढ़े हैं, जहां उनके पिता की टूअर कंपनी और स्की-इक्विपमेंट की दुकान है. खान कहते हैं कि बीजिंग में हिस्सा लेकर वह अपने देश का नाम भी एक शीतकालीन पर्यटन स्थल के रूप में लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि उनका बीजिंग में हिस्सा लेना "अगली पीढ़ी को प्रेरित करेगा और भारत को स्कीइंग के लिए उपयुक्त जगह के रूप में दुनियाभर में प्रचारित करेगा.” वह कहते हैं, "यही ओलंपिक में हिस्सा लेने के पीछे मेरा मुख्य मकसद था कि अपने देश को स्कीइंग के लिए एक जगह के तौर पर नाम दिलाऊं. हमारे पास विशाल चोटियां हैं, गोंदोला और चेयरलिफ्ट हैं. मैं वहां अल्पाइन रेसिंग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा हूं.”
वीके/एए (एपी)
चीन में क्या होगा "बाघ के साल" में
चीन में नए साल को ही सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. लोग लंबी छुट्टी लेते हैं, अपने अपने परिवारों के पास जाते हैं और जश्न कई दिनों तक चलता है.
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बाघ का साल
चीन में 12 सालों की अवधि के "बाघ के साल" की शुरुआत हो चुकी है. चीन में बाघ को बहादुरी और साहस के एक ऐसे प्रतीक के रूप में माना जाता है जो लोगों को उम्मीद दे सकता है, खास कर उथल पुथल के इन मौजूदा हालात में.
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वियतनाम में भी नया साल
चीनी नया साल 16 दिनों तक मनाया जाता है और इसके लिए अच्छे से तैयारी की जाती है. घरों और सड़कों की सफाई कर उन्हें लाल कंदीलों से सजाया जाता है. लाल रंग खुशी, उल्लास और समृद्धि का प्रतीक है. यह उत्सव सिर्फ चीन में ही नहीं बल्कि वियतनाम में भी मनाया जाता है जहां उसे "तेत" के नाम से जाना जाता है. इस मौके पर बाजारों में बहुत धूम होती है. लोग सजावट का सामान, खाने पीने की चीजें और तोहफे खरीदने जाते हैं.
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एक बेहतर साल की कामना
चीन में कई लोगों ने त्यौहार की शुरुआत परिवार के साथ भोजन कर और टीवी पर नए साल का रंगारंग कार्यक्रम देख कर की. इंडोनेशिया के बाली में यह परिवार जिस तरह साथ मिल कर प्रार्थना कर रहा है, यह भी नया साल मनाने का एक आम दस्तूर है.
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पारंपरिक भोजन
नए साल पर परोसे जाने वाले पारंपरिक पकवानों में मछली शामिल है. इंडोनेशिया में मछली के लिए जो शब्द है वो "प्रचुरता" से मिलता जुलता है. इसलिए थाली में पड़े भोजन को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जाता है ताकि नसीब में जो है उसे एक ही बार में पूरे का पूरा खत्म ना कर दिया जाए. जकार्ता में नए साल से पहले इस तरह की अस्थायी दुकानें कई जगह खुल जाती हैं.
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हांग कांग के फूल बाजार
फूल भी नए साल की पारंपरिक सजावट का हिस्सा हैं. हांग कांग में भी नया साल मनाया जाता है, लेकिन इस साल उत्सव की धूम कम ही रहेगी. कोविड-19 से जुड़े प्रतिबंधों की वजह से लोग धूमधाम से जश्न नहीं मना पाएंगे. इस साल भी आतिशबाजी जैसे मुख्य कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं.
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उत्सव का मतलब अलविदा भी
चीन में परिवार से दूर रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन नए साल पर ये लोग बड़ी संख्या में अपने अपने घर वापस लौटते हैं. कई लोग पूरे साल अपनी छुट्टियां बचा कर रखते हैं ताकि इस मौके पर अपने गृह शहर में ज्यादा से ज्यादा समय बिता सकें. बीजिंग में ये दोनों एक दूसरे को अलविदा कह रहे हैं क्योंकि अब ये एक दूसरे से कम से कम दो सप्ताह तक नहीं मिल पाएंगे.
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सबसे बड़ा नियमित आप्रवासन
यह 2019 में ली गई शंघाई के एक ट्रेन स्टेशन की तस्वीर है, लेकिन इस साल कोविड-19 के नियमों की वजह से ऐसा नजारा देखने को नहीं मिलेगा. फिर भी सरकार को इन छुट्टियों में 1.2 अरब लोगों के यात्रा करने की उम्मीद है. यह अपने आप में 2020 के मुकाबले अनुमानित रूप से 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी है.
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महामारी में एक और चीनी नया साल
पेकिंग विश्वविद्यालय के चेन लियनशान कहते हैं, "बाघ बुरी आत्माओं से सुरक्षा प्रदान करता है और वो हर तरह के राक्षसों और भूतों को हरा सकता है." कई लोग भी यही उम्मीद कर रहे होंगे कि 2022 में वो महामारी के चंगुल से निकल सकें. (फिलिप बोल)