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बीजिंग ओलंपियन आरिफ खान ने बताया असली मकसद

१४ फ़रवरी २०२२

बीजिंग में जारी शीतकालीन ओलंपिक में भारत के एकमात्र खिलाड़ी स्कीइर आरिफ खान का मकसद गोल्ड मेडल जीतना नहीं था. रविवार को उन्होंने दोनों मुकाबले पूरे किए लेकिन दौड़ में बहुत पीछे रहे.

Peking Arif Khan Olympische Spiele in Peking -Ski Alpin
तस्वीर: DW

भारतीय स्कीअर आरिफ खान ने रविवार को बीजिंग ओलंपिक में दोनों बाधाओं को पूरा किया, जो उनका लक्ष्य भी था. गोल्ड मेडल जीने वाले मार्को ओडरमाट से वह 38 सेकेंड पीछे थे, जो एक बहुत बड़ी दूरी है. यह प्रतियोगिता भारी बर्फबारी और बहुत खराब मौसम में हुई.

खान कहते हैं, "मौसम और बर्फ के कारण तो बहुत मुश्किल हो गई थी. गेट का क्या है, यह दिख ही नहीं रहा था. कई बार जो लोग आपसे पहले जाते हैं वे बर्फ के छोटे छोटे ढेर बना देते हैं. अगर आप अपनी रफ्तार बनाए रखना चाहें और थोड़ा खतरा उठाने की कोशिश करें तो आप ढेर से टकारते हैं और बाहर जा गिरते हैं. ऐसा आज हुआ भी. मेरा मकसद था कि रेस पूरी करूं और मैंने ऐसा कर दिया.”

बड़ी उपलब्धि

सिर्फ 46 खिलाड़ी इस दौड़ को पूरा कर पाए. 33 खिलाड़ी तो पहले ही मुकाबले में बाहर हो गए. आठ दूसरा मुकाबला पूरा नहीं कर पाए. खान कहते हैं, "इस बार मेरी रणनीति थी, कम आक्रामकता. आप ऐसी रेस में तो तेज रफ्तार रख सकते हैं जहां जीतने की कोशिश करें. लेकिन यहां तो नीचे तक जाना ज्यादा जरूरी था.”

भारत में कश्मीर के रहने वाले खान कहते हैं कि आमतौर पर वह बेहतर स्कीइंग करते हैं. उन्होंने बताया, "आज जैसा मैंने प्रदर्शन किया, आमतौर पर मैं उससे बेहतर करता हूं. लेकिन आज का मकसद था देश का प्रतिनिधित्व और रेस पूरी करना. ये ज्यादा जरूरी था.”

देश को नाम दिलाना था मकसद

खान को अब बुधवार को एक और प्रतियोगिता में हिस्सा लेना है. वह भारत के पहले और एकमात्र खिलाड़ी हैं जिन्होंने दो प्रतियोगिताओं के लिए क्वॉलिफाई किया है. वह बताते हैं, "भारत में 1.4 अरब लोगों की आबादी है और मैं उस पूरी आबादी का प्रतिनिध हूं. मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात है.”

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31 साल के खान कश्मीर के गुलमर्ग में पले-बढ़े हैं, जहां उनके पिता की टूअर कंपनी और स्की-इक्विपमेंट की दुकान है. खान कहते हैं कि बीजिंग में हिस्सा लेकर वह अपने देश का नाम भी एक शीतकालीन पर्यटन स्थल के रूप में लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि उनका बीजिंग में हिस्सा लेना "अगली पीढ़ी को प्रेरित करेगा और भारत को स्कीइंग के लिए उपयुक्त जगह के रूप में दुनियाभर में प्रचारित करेगा.” वह कहते हैं, "यही ओलंपिक में हिस्सा लेने के पीछे मेरा मुख्य मकसद था कि अपने देश को स्कीइंग के लिए एक जगह के तौर पर नाम दिलाऊं. हमारे पास विशाल चोटियां हैं, गोंदोला और चेयरलिफ्ट हैं. मैं वहां अल्पाइन रेसिंग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा हूं.”

वीके/एए (एपी)

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