म्यांमार की तानाशाही को हथियार बेच रहा है भारतः रिपोर्ट
२ मार्च २०२३समाजसेवी कार्यकर्ताओं के एक संगठन ने कहा है कि भारत के हथियार निर्माताओं ने म्यांमार को तोपों के पुर्जे दिए हैं, जिनका इस्तेमाल शासन विरोधी कार्यकर्ताओं के खिलाफ किया जा सकता है. म्यांमार में सैन्य जुंटा सत्ता पर काबिज है और वहां लोग लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्षरत हैं. आंग सान सू ची समेत कई राजनेताओं और हजारों कार्यकर्ताओं को जुंटा ने जेल में बंद कर रखा है.
म्यांमार में सत्ता पर काबिज सेना ने पहले भी विरोधी समूहों के खिलाफ तोपों व हवाई हमलों का इस्तेमाल किया है. इन हमलों का मकसद विरोध व असहमति को कुचलना है. मानवाधिकार संगठन अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील कर रहे हैं कि म्यांमार को हथियार ना दिए जाएं क्योंकि उनका इस्तेमाल आम लोगों के खिलाफ हो सकता है.
अक्टूबर में भेजे गए बैरल
‘जस्टिस फॉर म्यांमार' नामक संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर में भारत की कंपनी यंत्र इंडिया लिमिटेड ने 122 मिलीमीटर के आकार वाले 20 गन बैरल म्यांमार भेजे थे. यह रिपोर्ट जहाजों से भेजे गए सामान की जानकारियों के आधार पर तैयार की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक जिस कंपनी को यह सामान भेजा गया था उसका नाम इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज कंपनी लिमिटेड है और उसका दफ्तर यंगून में है. सामान की कीमत 3,30,000 डॉलर यानी करीब 27 करोड़ रुपये थी.
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समाचार एजेंसी एएफपी को मिले दस्तावेजों के मुताबिक पिछले साल इसी कंपनी ने जुंटा की ओर से निकाला गया एक ठेका हासिल किया था, जिसके तहत एक डेटा सेंटर में सुरक्षा उपकरण लगाए जाने थे. जस्टिस फॉर म्यांमार ने कहा कि बहुत संभव है कि ये बैरल सेना द्वारा तोपें बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे.
यंत्र इंडिया की वेबसाइट बताती है कि उसके पास गन बैरल और तोपखाने व टैंकों के अन्य पुर्जे बनाने की क्षमता है. यंत्र इंडिया और इनोवेटिव टेक्नोलॉजी दोनों ही से इस बारे में सवाल पूछे गए लेकिन किसी ने भी जवाब नहीं दिया. समाचार एजेंसी एएफपी ने भारत के विदेश मंत्रालय से टिप्पणी के लिए आग्रह किया था लेकिन जवाब नहीं आया.
भारत पर आरोप
जस्टिस फॉर म्यांमार के प्रवक्ता यदनार माउंग ने बताया, "ये बैरल निर्यात करके भारत जुंटा के आम नागरिकों पर अपराधिक हमलों में साथ दे रहा है.”
हालात पर नजर रखने वाले एक स्थानीय संगठन के मुताबिक बीते एक साल में सैन्य दमन के कारण म्यांमार में तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं. कई अंतरराष्ट्रीय समूहों और देशों ने जुंटा को लोकतंत्र बहाल करने के लिए तैयार करने की कोशिशें की हैं लेकिन अब तक वे नाकाम रही हैं. संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के बारे में जब भी प्रस्ताव आए हैं, उन्हें चीन और रूस का विरोध झेलना पड़ा है.
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दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव लाया गया था जिसमें आंग सान सू ची समेत हिरासत में रखे गए नेताओं को रिहा करने की मांग की गई थी. चीन और रूस के अलावा भारत भी इस प्रस्ताव पर मतदान से बाहर रहा था. भारत सरकार सैन्य जुंटा के साथ अपने संबंधों का बचाव करती रही है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर कह चुके हैं कि सीमा पर कई गंभीर खतरों जैसे कि संगठित अपराधों के कारण भारत के लिए जरूरी है कि वह अपने पड़ोसियों से संपर्क बनाए रखे.
भारत पर पहले भी इस तरह के आरोप लग चुके हैं कि वह म्यांमार की सैन्य जुंटा की मदद कर रहा है. जनवरी में नॉर्वे के सरकारी फंड ने कहा था कि उसने भारत की सरकारी कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स से अपना निवेश वापस ले लिया है क्योंकि खतरा है कि यह म्यांमार की जुंटा को हथियार बेच सकता है, और फंड के लिए यह अस्वीकार्य होगा.
वीके/एए (एएफपी)