कफ सीरप केस: 'कोल्डरिफ' बैन, डॉक्टर-कंपनी पर केस
५ अक्टूबर २०२५
यह फैसला मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 14 बच्चों की मौत के बाद लिया गया है. इन बच्चों की मौत किडनी फेलियर से हुई और इसका कथित संबंध 'कोल्डरिफ' नाम के कफ सीरप से हो सकता है.
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इस मामले में छिंदवाड़ा पुलिस ने दवा देने वाले डॉक्टर प्रदीप सोनी पर केस दर्ज किया है. साथ ही, कफ सीरप बनाने वाली दवा कंपनी 'श्री सन फार्मास्यूटिकल्स' को केस में मुख्य आरोपी बनाया गया है. 'श्री सन फार्मास्यूटिकल्स' तमिलनाडु की कंपनी है.
सेंट्रल ड्रग टेस्टिंग लैबोरेट्री (सीडीटीएल) चेन्नई में सीरप के नमूने की जांच के बाद उसे सही गुणवत्ता का नहीं पाया गया. सीडीटीएल, भारत की उन सात राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में से एक है जहां दवाओं और कॉस्मैटिक उत्पादों पर रिसर्च और समीक्षा की जाती है.
कफ सीरफ और एंटीबायॉटिक समेत कई दवाओं की जांच
समाचार एजेंसी पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि दवा के नमूनों में एक "बेहद विषैला पदार्थ" पाया गया. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने भी छह राज्य के 19 दवा उत्पादन केंद्रों में जांच शुरू कर दी है. इन दवाओं में कफ सीरफ (खांसी की दवा) और एंटीबायॉटिक शामिल हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी.
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छिंदवाड़ा में डॉक्टर पर दर्ज केस की जानकारी देते हुए एसपी अजय पाण्डेय ने मीडिया को बताया, "ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर की रिपोर्ट के आधार पर केस दर्ज किया गया. इस मामले में अधिकतर बच्चों का इलाज डॉक्टर प्रवीण सोनी ने किया. उन्होंने कोल्डरिफ दवा प्रिस्क्राइब की. इस आधार पर, उन्हें केस में एक आरोपी बनाया गया है. दवा निर्माता कंपनी, तमिलनाडु की श्री सन फार्मास्यूटिकल्स, को केस में मुख्य आरोपी बनाया गया है. डॉक्टर पुलिस हिरासत में है."
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बच्चों की मौत पर शोक जताया. उन्होंने कहा कि सीरप बनाने वाली कंपनी के अन्य उत्पादों की बिक्री पर भी बैन लगा दिया गया है.
एएफपी के अनुसार, मध्य प्रदेश के अलावा केरल और तमिलनाडु में भी इस दवा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
खबरों के अनुसार, "जहरीले" कफ सीरप में डायथलीन ग्लायकोल पाया गया और इसके कारण बच्चों की जान गई. डायथलीन ग्लायकोल, एक इंडस्ट्रियल सोलवेंट है. ब्रेक फ्लूड और फैब्रिक-डाई उत्पादन में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. मुंह से पीने या मुंह के रास्ते शरीर में जाने पर जहरीला असर हो सकता है.
यह पहली बार नहीं है जब बच्चों की दवा में इस तत्व की मिलावट पाई गई हो. साल 2022 में अफ्रीकी देश गांबिया में छोटे बच्चों में 'एक्यूट किडनी इंजरी' (एकेआई) के कई मामले सामने आए थे. 70 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी. डायथलीन ग्लायकोल से हुई पॉइजनिंग को इनकी वजह पाया गया.
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अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, यह तत्व बच्चों की सीरप आधारित दवा में मिला था. डायथलीन ग्लायकोलन मिली दवा के इस्तेमाल से हुए इन मामलों में मृत्यु दर 80 प्रतिशत थी. जांच के बाद दवाओं का तार हरियाणा की एक दवा निर्माता कंपनी 'मेडन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड' से जुड़ा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने डीसीजीआई को इसकी जानकारी दी. इसके बाद 'मेडन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड' को दवा उत्पादन रोकने का आदेश दिया गया.
एसएम/आरआर (एएफपी)