भारत में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की विद्यार्थी शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विवादों में घिरी है. उस पर करगिल संघर्ष के दौरान मारे गए एक कैप्टन की बेटी को हिंसा और बलात्कार की धमकी देने के आरोप लग रहे हैं.
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यह विवाद तब शुरू हुआ, जब गुरमेहर कौर ने सोशल मीडिया पर अपनी एक फोटो पोस्ट करते हुए लिखा, "मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा हूं और एबीवीपी से नहीं डरती. मैं अकेली नहीं हूं और देश का हर छात्र मेरे साथ है. #StudentsAgainstABVP."
यह पोस्ट उन्होंने दिल्ली के रामजस कॉलेज में हुई हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर डाली. बताया जाता है कि रामजस कॉलेज में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र उमर खालिद को बोलने के लिए आमंत्रित किए जाने पर एबीवीपी के छात्रों ने तोड़फोड़ की. उमर खालिद पर पिछले साल देशद्रोह के आरोप लगे थे.
गुरमेहर कौर ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा, "मुझे सोशल मीडिया पर बहुत धमकियां मिल रही हैं. जो प्रोफाइल फोटो मैंने पोस्ट की है, आप उसे देखेंगे तो लोग मुझे लगातार धमकी दे रहे हैं और मुझे राष्ट्र विरोधी बता रहे हैं. मुझे लगता है कि जब आपको लोग हिंसा या बलात्कार की धमकी देते हैं तो डर लगता है."
जानिए देशद्रोह के मायने, इतिहास और दायरे
राजद्रोह के मायने, दायरे और इतिहास
भारत में राजद्रोह के नाम पर हुई गिरफ्तारियों से इसकी परिभाषा और इससे जुड़े कानून की ओर ध्यान खिंचा है. आइए देखें कि भारतीय कानून व्यवस्था में राजद्रोह का इतिहास कैसा रहा है.
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भारतीय दंड संहिता यानि आईपीसी के सेक्शन 124-A के अंतर्गत किसी पर राजद्रोह का आरोप लग सकता है. ब्रिटिश औपनिवेशिक काल की सरकार ने 19वीं और 20वीं सदी में राष्ट्रवादी असंतोष को दबाने के लिए यह कानून बनाए थे. खुद ब्रिटेन ने अपने देश में राजद्रोह कानून को 2010 में समाप्त कर दिया.
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सेक्शन 124-A के अनुसार जो भी मौखिक या लिखित, इशारों में या स्पष्ट रूप से दिखाकर, या किसी भी अन्य तरीके से ऐसे शब्दों का प्रयोग करता है, जो भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के लिए घृणा या अवमानना, उत्तेजना या असंतोष पैदा करने का प्रयास करे, उसे दोषी सिद्ध होने पर उम्रकैद और जुर्माना या 3 साल की कैद और जुर्माना या केवल जुर्माने की सजा दी जा सकती है.
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"देश विरोधी" नारे और भाषण देने के आरोप में हाल ही में दिल्ली की जेएनयू के छात्रों, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एसएआर गिलानी से पहले कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी, लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती रॉय, चिकित्सक और एक्टिविस्ट बिनायक सेन जैसे कई लोगों पर राजद्रोह का आरोप लगा.
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सन 1837 में लॉर्ड टीबी मैकॉले की अध्यक्षता वाले पहले विधि आयोग ने भारतीय दंड संहिता तैयार की थी. सन 1870 में ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने सेक्शन 124-A को आईपीसी के छठे अध्याय में जोड़ा. 19वीं और 20वीं सदी के प्रारम्भ में इसका इस्तेमाल ज्यादातर प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादियों और स्वतंत्रता सेनानियों के लेखन और भाषणों के खिलाफ हुआ.
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पहला मामला 1891 में अखबार निकालने वाले संपादक जोगेन्द्र चंद्र बोस का सामने आता है. बाल गंगाधर तिलक से लेकर महात्मा गांधी तक पर इस सेक्शन के अंतर्गत ट्रायल चले. पत्रिका में छपे अपने तीन लेखों के मामले में ट्रायल झेल रहे महात्मा गांधी ने कहा था, "सेक्शन 124-A, जिसके अंतर्गत मुझ पर आरोप लगा है, आईपीसी के राजनीतिक वर्गों के बीच नागरिकों की स्वतंत्रता को दबाने के लिए रचे गए कानूनों का राजकुमार है."
सन 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने के बाद से ही मानव अधिकार संगठन आवाजें उठाते रहे हैं कि इस कानून का गलत इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ किए जाने का खतरा है. सत्ताधारी सरकार की शांतिपूर्ण आलोचना को रोकना देश में भाषा की स्वतंत्रता को ठेस पहुंचा सकता है.
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सन 1962 के एक उल्लेखनीय 'केदार नाथ सिंह बनाम बिहार सरकार' मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कानून की संवैधानिकता को बरकरार रखने का निर्णय लिया था. हालांकि अदालत ने ऐसे भाषणों या लेखनों के बीच साफ अंतर किया था जो “लोगों को हिंसा करने के लिए उकसाने वाले या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने की प्रवृत्ति वाले हों.”
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आलोचक कहते आए हैं कि देश की निचली अदालतें सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नजरअंदाज करती आई हैं और राज्य सरकारों ने समय समय पर मनमाने ढंग से इस कानून का गलत इस्तेमाल किया है. भविष्य में इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ लोग केंद्र सरकार से सेक्शन 124-A की साफ, सटीक व्याख्या करवाने, तो कुछ इसे पूरी तरह समाप्त किए जाने की मांग कर रहे हैं.
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गुरमेहर कौर कैप्टन मंदीप सिंह की बेटी हैं जो करगिल युद्ध के दौरान मारे गए थे. अपने फेसबुक पोस्ट में गुरमेहर ने लिखा, "एबीवीपी का निर्दोष छात्रों पर बर्बर हमला परेशान करने वाला था और यह रुकना चाहिए. यह हमला प्रदर्शनकारियों पर नहीं था बल्कि लोकतंत्र पर था जो हर भारतीय को प्रिय है."
दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ने वाली गुरमेहर ने लिखा, "जो पत्थर फेंके गए वह हमारे शरीर पर लगे, लेकिन हमारे विचारों को नुकसान पहुंचाने में वे नाकाम रहे. ये मेरी प्रोफाइल फोटो आतंक के राज के खिलाफ विरोध करने का मेरा तरीका है."
दूसरी तरफ, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने भी गुरमेहर की एक टिप्पणी पर ट्वीट किया है कि इस लड़की के दिमाग को कौन दूषित कर रहा है. यह ट्वीट उन्होंने मुरमेहर के उस कमेंट के जबाव में किया है जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति की अपील करते हुए लिखा था, "मेरे पिता को पाकिस्तान ने नहीं मारा था, उन्हें लड़ाई ने मारा था."
देखिए कौन कितना ताकतवर है
भारत-पाक: कौन कितना ताकतवर
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं. दोनों एक दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी हैं और दोनों के बीच बहुत तनाव रहता है. देखिए, किसके पास कितनी ताकत है. ये आंकड़े ग्लोबलफायरपावर नामक संस्था के हैं.
तस्वीर: AP
सैनिक
भारत के पास 13 लाख 25 हजार सैनिक हैं. पाकिस्तान के पास हैं 6 लाख 20 हजार.
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सुरक्षित बल
भारत ने 21 लाख 43 हजार सैनिक रिजर्व बलों में भर्ती कर रखे हैं जबकि पाकिस्तान के पास रिजर्व बलों की संख्या 5 लाख 15 हजार है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Singh
विमान
भारत के पास हैं 2086 विमान. पाकिस्तान के पास, 923.
तस्वीर: picture-alliance/Yu Ming Bj
हेलीकॉप्टर
भारत के बेड़े में 646 हेलीकॉप्टर हैं, पाकिस्तान के 306 से दोगुने से भी ज्यादा.
विमान उड़ाने और उतारने के लिए भारत के पास 346 हवाई अड्डे तैयार हैं. पाकिस्तान में ऐसे हवाई अड्डों की संख्या 151 है.
तस्वीर: Pakistan Air Force
टैंक
भारत के पास 6464 टैंक हैं जबकि पाकिस्तान के तोपखाने में 2924 टैंक हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images/S. Loeb
बख्तरबंद गाड़ियां
भारतीय सेना के पास 6704 बख्तरबंद गाड़िया हैं. पाकिस्तान के पास 2828.
तस्वीर: Reuters
तोप
भारत के पास 290 तोपें हैं जो पाकिस्तान की 465 तोपों से काफी कम हैं.
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रॉकेट लॉन्च सिस्टम
एक बार में एक से ज्यादा रॉकेट लॉन्च करने वाले सिस्टम भारत के पास 292 हैं जबकि पाकिस्तान के पास 197.
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जहाज
भारत के जल सैनिक बेड़े में 295 जहाज हैं. पाकिस्तान के पास ऐसे 197 जहाज हैं.
तस्वीर: Imago/Zuma Press
पनडुब्बियां
भारत के पास 14 पनडुब्बियां हैं, पाकिस्तान की 5 पनडुब्बियों से करीब तीन गुना.
तस्वीर: Vietnam News Agency/AFP/Getty Images
एयरक्राफ्ट कैरियर
पाकिस्तान के पास ऐसा एक भी समुद्री जहाज नहीं है जिस पर लड़ाकु विमान उतर सकें. भारत के पास दो हैं.
तस्वीर: picture-alliance / dpa
परमाणु बम
पाकिस्तान के पास 100 से 120 परमाणु बम होने का अनुमान है जबकि भारत के पास 90-110 के बीच.
तस्वीर: AP
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रिजिजू ने ट्वीट किया, "इस युवा लड़की के दिमाग को कौन दूषित कर रहा है? एक मजबूत सेना युद्ध को टालती है. भारत ने कभी किसी पर हमला नहीं किया लेकिन एक कमजोर भारत पर हमेशा हमला हुआ है."
सोशल मीडिया पर गुरमेहर को लेकर तरह तरह टिप्पणियां हो रही हैं. जहां कई लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं, वहीं कई उनके बचाव में भी उतरे हैं.
पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने गुरमेहर का मजाक उड़ाते हुए ट्वीट किया, "बात में है दम! #BharatJaisiJagahNahi". उन्होंने अपनी फोटो ट्वीट किया जिसमें लिखा है, "मैंने दो ट्रिपल सेंचुरी नहीं लगाई, इसके लिए मेरा बैट जिम्मेदार है."
अभिनेता रणदीप हुड्डा ने वीरेंद्र सहवाग की हां में हां मिलाई.
जाने माने पत्रकार शेखर गुप्ता ने सहवाग और रणदीप को हड़काते हुए ट्वीट किया, "दुख की बात है कि वीरू और रणदीप जैसे बड़े दिल के स्टार ऐसा कह रहे हैं. किसी के राष्ट्रवाद को सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं और उसके राष्ट्रवाद पर तो उसके पिता के सर्वोच्च बलिदान की मुहर है."
इस पर रणदीप हुड्डा ने पलटवार किया और कहा कि लड़की का राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है. उन्होंने शेखर गुप्ता को भी इसी का हिस्सा बता डाला.
गुरमेहर भी इस बहस में शामिल हुई और उन्होंने साफ किया कि वह सिर्फ छात्रों पर हुई हिंसा का विरोध कर रही हैं.