युद्धग्रस्त यूक्रेन से पटना लौटे छात्रों ने बताया कि वे कैसे हालात से निकलकर आए हैं. लेकिन अब भी सैकड़ों छात्र फंसे हैं और किसी तरह निकलने का रास्ता खोज रहे हैं.
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‘‘एक दिन मेरी फ्लाइट कैंसिल हो गई थी. कीव एयरपोर्ट पर घंटों भूखे रहना पड़ा. मेरी खुशकिस्मती है कि मैं घर सुरक्षित लौट आई. अब मैं अपने माता-पिता के साथ हूं. यहां आने पर अब यूक्रेन की स्थिति के बारे में जो जानकारी मिल रही है, वह काफी डराने वाली है,'' यह कहना है बिहार के दरभंगा जिले की निवासी अंजली कुमारी का जो यूक्रेन के बुकोविनियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी, चेर्निटिस में मेडिकल (फर्स्ट ईयर) की छात्रा हैं.
अंजलि वाकई खुशकिस्मत रहीं कि अपने माता-पिता के पास लौट आईं क्योंकि सैकड़ों विद्यार्थी ऐसे हैं जो यूक्रेन पर हो रहे रूसी हमले के दौरान वहां विभिन्न शहरों में फंसे हैं. बमबारी यूक्रेन में रही है, किन्तु अपनी संतान की सुरक्षा को लेकर माता-पिता का दिल भारत में दहल रहा है. किसी का खाना-पीना छूट गया है तो कोई बच्चों की सलामती की दुआ कर रहा है.
ऐसी ही कुछ दुआएं कुबूल हुईं और 27 फरवरी को यूक्रेन से अलग-अलग विमानों से 23 बच्चे पटना पहुंचे. वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे बेटे अभिषेक से मिलने उसके माता-पिता करीब तीन घंटे पहले ही पटना एयरपोर्ट पहुंच गए. दोनों की आंखें बता रही थीं कि कई रातें उन्होंने जागकर काटी हैं. बाहर आते ही जैसे मां-पिता पर नजर पड़ी, दोनों के गले से लिपट कर खूब रोए, फिर पांव छूकर आर्शीवाद लिया. मिलन का यह दृश्य वहां सभी को रुला गया.
यही हाल बिहार विधानसभा के सदस्य राजीव सिंह और यूक्रेन से आई उनकी बिटिया रीमा सिंह का था. पिता को देख रीमा के सब्र का बांध टूट गया और वह बिलख पड़ीं.
खराब हैं हालात
दरभंगा के मोहम्मद अल्ताफ कहते हैं, ‘‘ यूक्रेन की हालत बहुत खराब है. वहां लोग भूखों मर रहे हैं. हम लोग भी दो दिनों तक भूखे रहकर मेट्रो स्टेशन के नीचे बने बंकरों में रहे.'' बुकोविनियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी की छात्रा व नालंदा जिले के एकंगरसराय प्रखंड के सैदपुर गांव निवासी दिव्या सिंह कहती हैं, ‘‘मैं यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से चेरिनवित्सी में थी. वहां स्थिति कीव व पूर्वी भाग की तरह इतनी बुरी नहीं है. हम रोमानिया बॉर्डर के करीब थे, इसलिए हमें भारतीय दूतावास ने सबसे पहले निकाला. तिरंगा देख कर रूस व यूक्रेन के सैनिक कोई रोक-टोक नहीं करते. बॉर्डर पर जाते वक्त हमारी बस पर तिरंगा लगा था और हम हाथ में भी तिरंगा लिए थे.''
सारण जिले के मशरक निवासी अनमोल प्रकाश ने बताया कि वहां स्थिति बदतर होती जा रही है. वह कहते हैं, "आम नागरिकों ने हथियार उठा लिए हैं. नागरिक भवनों पर बम बरसाए जा रहे हैं. देश छोड़ने को बहुत से लोग बॉर्डर पर खड़े हैं. जो रोक दिए गए हैं, वे मदद मांग रहे है. हमारी गाड़ी पर तिरंगा लगा था, इसलिए हम लोग सुरक्षित रोमानिया पहुंच गए.”
चेरिनवित्सी में मेडिकल (फर्स्ट ईयर) के छात्र आशीष कहते हैं, ‘‘हमारा हॉस्टल रोमानिया बॉर्डर से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर था. आवागमन का साधन नहीं होने के कारण लोगों मीलों पैदल चल कर देश से बाहर जाने के लिए बॉर्डर पहुंच रहे हैं. वे चाहते हैं कि रूसी फौज के आने से पहले वे वहां से निकल जाएं.''
जवाब दे रहा धैर्य
यूक्रेन के हारकीव इंटरनेशनल मेडिकल कॉलेज में सेकेंड ईयर के छात्र शुभम ने पटना के मनेर में अपनी मां सविता मिश्रा को फोन किया. बातचीत के दौरान सायरन की आवाज सुनाई दे रही थी. आवाज इतनी तेज थी कि शुभम की आवाज कभी-कभी काफी दब जा रही थी. उसने पोलैंड के रास्ते भारत लौटने की बात कही. बात हो ही रही थी कि उसने कहा, "मां, सिग्नल वीक हो रहा है. अब शायद ही बात हो पाए.” यह सुनते ही सविता मिश्रा अंदर तक कांप गईं.
दरअसल, वहां पढ़ाई के लिए बिहार से गए कई बच्चे अपने माता-पिता को वॉट्सऐप कॉल कर या फिर वीडियो भेजकर आपबीती सुना रहे हैं. हारकीव में फंसीं दरभंगा जिले के सिंहवाड़ा प्रखंड के बिदौली निवासी प्रकाश मलिक की बेटी व मेडिकल की छात्रा सत्याक्षी मलिक ने मदद के लिए परिजनों को एक वीडियो भेजा है जिसमें वह कह रही हैं कि यहां हालात पल-पल खराब होते जा रहे हैं.
सत्याक्षी कहती हैं, "हमें जहां बेसमेंट में रखा गया है, वहां धूल से काफी परेशानी है. हमारे बीच जो अस्थमा के मरीज हैं, वे काफी परेशान हैं. एक-एक करके हमें फ्रेश होने के लिए भेजा जा रहा है. माइनस दो डिग्री तापमान में बेसमेंट में कंबल भी काम नहीं कर रहा है. कई बच्चों की तबियत काफी खराब हो गई है. हम और हमारे साथी काफी बुरी स्थिति में हैं, हमारी मदद कीजिए.”
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खाने-पीने की समस्या
वहां फंसे लोगों व छात्र-छात्राओं के सामने खाने-पीने की समस्या खड़ी हो रही है. कोई बॉर्डर पर वीजा क्लीयरेंस के इंतजार में है तो कोई बंकर में दुबका पड़ा है. सारण जिले के खैरा थाना क्षेत्र के रामपुर कला गांव निवासी राम शरण सिंह की बिटिया जया कुमारी बुकोविनियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी की थर्ड ईयर की स्टूडेंट हैं. वह आमीर्निया बॉर्डर पर 24 घंटे से खड़ी हैं और बताती हैं कि इतनी भीड़ है कि कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं है. जंग के दो दिनों में ही हजारों लोगों ने यूक्रेन छोड़ा
भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल का तेलघी गांव निवासी करण चौधरी खुशकिस्मत नहीं रहे. 17 किलोमीटर पैदल चलने के बाद लवीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में उन्हें वापस भेज दिया गया. भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने फ्लाइट उपलब्ध होने पर उन्हें जल्द वापस भेजने का भरोसा दिलाया है.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजप्रताप यादव से वीडियो के जरिए हुई बातचीत में पटना के राजेंद्र नगर निवासी एक मेडिकल छात्र रिजवान ने बताया कि हंगरी बॉर्डर पर आने के लिए 18 लोगों ने भारतीय मुद्रा के हिसाब से 57,000 रुपये में एक टैक्सी तय की और रात के एक बजे बॉर्डर पहुंचे. वहां वह घंटों से माइनस दो डिग्री तापमान में खड़े रहे लेकिन अभी तक यूक्रेन से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई.
जुर्माने के डर से नहीं छोड़ रहे थे कॉलेज
नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कई छात्रों ने कहा कि यूक्रेन में एडमिशन कराने वाले एजेंटों व एजेंसियों ने भी उन्हें धोखे में रखा. ये छात्र दावा करते हैं कि घर लौटने पर एडमिशन रद्द करने की चेतावनी दी गई थी.
रूस के साथ तनाव की खबरों के बीच ही कई छात्र कॉलेज छोड़ घर जाना चाह रहे थे लेकिन अपने घर सिवान जिले के मैरवा लौटीं मेडिकल थर्ड ईयर की छात्रा अनन्या अनंत का कहना था कि कॉलेज प्रबंधन घर लौटने पर जुर्माना लगाने की बात कह रहा था. भारत सरकार द्वारा यूक्रेन छोड़ने की एडवाइजरी जारी करने के बाद ही कॉलेज प्रबंधन ने छुट्टी दी.
रूस-यूक्रेन युद्ध में कौन सा देश किसके साथ है
रूस कई फ्रंट से यूक्रेन पर हमला कर रहा है. हवाई बमबारियों के अलावा यूक्रेन पर क्रूज और बलिस्टिक मिसाइल भी दागे जाने की खबर है. पुतिन ने यूक्रेन की सेना से समर्पण करने को कहा है.
तस्वीर: Anatolii Stepanov/AFP
अमेरिका
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि दुनिया की प्रार्थना यूक्रेनी जनता के साथ है. उन्होंने रूस को चेताया, "राष्ट्रपति पुतिन ने जानबूझकर युद्ध शुरू किया है. इसके चलते होने वाली मौतों और बर्बादी का जिम्मेदार केवल रूस होगा. अमेरिका और साथी देश संगठित होकर मजबूती से इसका जवाब देंगे. पूरी दुनिया रूस को जिम्मेदार मानेगी."
तस्वीर: Alex Brandon/AP Photo/picture alliance
जर्मनी
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा, "24 फरवरी की यह तारीख यूक्रेन के लिए भीषण और यूरोप के लिए मायूस करने वाली है. हम रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाएंगे, ताकि रूसी नेतृत्व के आगे साफ हो जाए कि उन्हें इस हमले की बड़ी कीमत चुकानी होगी. पुतिन ने यह युद्ध शुरू करके गंभीर चूक की है. जर्मनी नाटो की प्रतिबद्धताओं के साथ खड़ा है."
तस्वीर: Michael Kappeler/Pool via REUTERS
ब्रिटेन
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, "यूक्रेन में हो रही भीषण घटनाओं से मैं स्तब्ध हूं. आगे क्या करना है, इसपर मैंने राष्ट्रपति जेलेन्स्की से बात की है. बिना किसी उकसावे के यूक्रेन पर हमला करके राष्ट्रपति पुतिन ने खूनखराबे और बर्बादी का रास्ता चुना है. ब्रिटेन और हमारे सहयोगी डटकर इसका जवाब देंगे."
तस्वीर: Matt Dunham/AP Photo/picture alliance
फ्रांस
राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद एक आपातकालीन बैठक बुलाई. इस मुद्दे पर राष्ट्र के नाम उनका एक संदेश टीवी पर भी प्रसारित हुआ. इसमें माक्रों ने कहा, "फ्रांस, यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा." फ्रेंच विदेश मंत्री जॉं ईव लु द्रियॉं ने भी कहा कि फ्रांस, हर तरह से यूक्रेन को समर्थन देगा.
तस्वीर: John Thys/AP/picture alliance
चीन
चीन ने यूक्रेन पर किए गए रूसी हमले को 'आक्रमण' कहे जाने का विरोध किया है. विदेश मंत्री वांग यी ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को फोन भी किया. इसमें उन्होंने कहा कि चीन समझता है कि यूक्रेन मामले का अपना एक जटिल इतिहास है. उन्होंने लावरोव से यह भी कहा कि चीन सुरक्षा से जुड़ी रूस की जायज चिंताओं को भी समझता है.
तस्वीर: Keith Tsuji/ZUMA/picture alliance
कनाडा
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने रूसी हमले की निंदा की. उन्होंने कहा कि रूस को इस आक्रामकता की सजा मिलेगी. ट्रूडो बोले, "बिना किसी उकसावे के किया गया यह हमला यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है. हम रूस से अपील करते हैं कि वह अपनी सेना और प्रॉक्सी फोर्स को यूक्रेन से निकाल ले."
तस्वीर: Adrian Wyld/empics/picture alliance
तुर्की
राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ने हमले की निंदा की. टीवी पर प्रसारित अपने भाषण में एर्दोआन ने कहा, "हम यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करना जारी रखेंगे." एर्दोआन ने यह भी कहा कि रूस और यूक्रेन, दोनों से तुर्की के करीबी संबंध हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच संघर्ष देखकर उन्हें बहुत निराशा हो रही है.
तस्वीर: Irina Yakovleva/ITAR-TASS/imago images
भारत
इस मामले पर अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान नहीं आया है. मगर यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने यूएनएससी में भारत का रुख स्पष्ट किया. उन्होंने मौजूदा घटनाक्रम पर दुख जताते हुए तनाव को तत्काल घटाने की अपील की. यह भी कहा कि सभी संबंधित पक्षों की जायज सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
दक्षिण कोरिया
राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा कि उनका देश रूस पर लगाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों का साथ देगा. राष्ट्रपति आवास ने एक बयान जारी कर कहा, "यूक्रेन की आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रहनी चाहिए. ताकत का इस्तेमाल करके निर्दोषों को नुकसान पहुंचाने का किसी हाल में समर्थन नहीं किया जा सकता है."
तस्वीर: Yonhap/REUTERS
ईरान
विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दोल्लाहियां ने एक ट्वीट में लिखा कि ईरान समस्या सुलझाने के लिए युद्ध का सहारा लेने में यकीन नहीं करता है. ईरान ने नाटो के उकसावे को यूक्रेन संकट की जड़ बताते हुए राजनैतिक और कूटनीतिक समाधान की अपील की.
तस्वीर: Michael Gruber/AP Photo/picture alliance
इटली
इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी ने कहा कि सारे सहयोगी एकजुट हैं. यूक्रेन की संप्रभुता, यूरोपीय सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और साझा मूल्य बनाए रखने के लिए जो भी करना पड़े, वे साथ मिलकर करेंगे. पीएम द्रागी ने यह भी कहा कि समय आ गया है कि यूरोपीय संघ रूस पर बेहद सख्त प्रतिबंध लगाए.
तस्वीर: ALBERTO PIZZOLI/AFP
हंगरी
प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने कहा कि यूरोपीय संघ और नाटो के अपने साथियों के साथ मिलकर हंगरी भी रूस के हमले की निंदा करता है. उन्होंने यह भी कहा कि हंगरी के लिए अपने लोगों की सुरक्षा सबसे जरूरी है. इसीलिए इस सैन्य संघर्ष से बाहर रहते हुए वह यूक्रेन को मानवीय सहायता देने के लिए तैयार है.
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ग्रीस
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद ग्रीस ने अपनी सेना और एनर्जी स्टाफ की आपातकालीन बैठक बुलाई. इसमें प्रधानमंत्री किरयेकोस मित्सोताइकिस ने रूसी हमले की निंदा की. राष्ट्रपति कैटरीना सैकलारापुलू ने भी कहा कि एक आजाद देश पर किए गए रूसी हमले की वह कड़ी निंदा करती हैं.
तस्वीर: Ludovic Marin/AFP/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने रूसी हमले को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का उल्लंघन बताया. विदेश मंत्री याइर लैपिड ने रूस की निंदा करते हुए यह भी कहा कि इस्राएल के रूस और यूक्रेन, दोनों के साथ अच्छे रिश्ते हैं. उन्होंने दोनों देशों में रहने वाले यहूदियों की भी बात की. कहा कि उनकी सुरक्षा इस्राएल के लिए अहम है.
तस्वीर: Jalal Morchidi/AA/picture alliance
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कई छात्रों का कहना था कि उन्हें अपने देश की मीडिया से दूर रहने की सलाह दी गई है. युद्ध से जुड़ी सूचना या वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की भी मनाही है.
मेडिकल की सस्ती पढ़ाई
भारत से बड़ी संख्या में छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन जाते हैं. इसकी मुख्य वजह वहां की सस्ती पढ़ाई है. वहीं से मेडिकल की पढ़ाई कर चुके डॉ. सतीश कुमार के अनुसार छह साल की पढ़ाई के लिए वहां अमूमन भारतीय मुद्रा में 20 से 25 लाख रुपये फीस के तौर पर देने होते हैं जबकि भारत में प्राइवेट मेडिकल कालेजों में पढ़ाई के लिए 50 लाख से एक करोड़ रुपये का खर्च आता है.
विदेशी कॉलेज से पास होने वाले मेडिकल छात्रों को भारत में प्रैक्टिस की इजाजत दिए जाने के बाद यूक्रेन में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है. मधुबनी जिले के निवासी व इंडो-यूरोपियन एजुकेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार बताते हैं कि साल 2019 में यूक्रेन में 19,667 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे थे.
यूक्रेन में 50 प्रतिशत छात्र मेडिकल की पढ़ाई करते हैं. इसके बाद अन्य कोर्स के छात्र आते हैं. कोरोना महामारी के कारण बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं यूक्रेन से लौट कर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे.
हमले के बाद अगली सुबह कैसे जगा यूक्रेन
24 फरवरी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू कर दिया. दोनों देशों ने एक-दूसरो को भारी नुकसान पहुंचाने का दावा किया है. 25 फरवरी की सुबह की तस्वीरें यूक्रेन का हाल बयां कर रही हैं.
कीव में एक यूक्रेनी फायरफाइटर मार गिराए गए एयरक्राफ्ट के मलबे का परीक्षण करता हुआ. रूस ने यूक्रेन के कई शहरों पर हवाई हमले किए हैं.
तस्वीर: Oleksandr Ratushniak/AP/picture alliance
सन्नाटे की तस्वीर
यह यूक्रेन की एक रिहायशी इमारत का दृश्य है, जिस पर रूसी सैनिकों ने हमला किया.
तस्वीर: Ukrainian Ministry of Emergencies/REUTERS
हाथ नहीं छोड़ना
यह तस्वीर जर्मनी के कोलोन शहर की है, जहां तमाम प्रदर्शनकारी यूक्रेन के प्रति समर्थन जता रहे हैं.
तस्वीर: Federico Gambarini(dpa/picture alliance
राजधानी का ऐसा हाल
यह यूक्रेन की राजधानी कीव का केंद्र है, जो हमले की अगली सुबह एकदम सुनसान पड़ा हुआ था.
तस्वीर: DANIEL LEAL/AFP
टेप का सहारा
यह तस्वीर यूक्रेन के खारकिव शहर की है. इस घर में रहनेवाली दारिया एंड्रीएवा ने खिड़कियों पर इस तरह टेप लगा दिए, ताकि ये धमाकों में गिर न जाएं.
तस्वीर: Daria Andrieieva
दौर बदला, ठौर बदला
रूसी हमले के बाद तमाम लोग यूक्रेन छोड़ने की जद्दोजहद कर रहे हैं. इस तस्वीर में दिख रहे लोग अपना सामान बांधकर एस्टली-बर्गसुरानी सीमा पार करके यूक्रेन से हंगरी का रुख कर रहे हैं.
तस्वीर: Janos Kummer/Getty Images
किससे कहें, कहां जाएं
रूसी हमले में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई रिहायशी इमारत के बाहर अपने कुत्ते के साथ टहलता बुजुर्ग व्यक्ति.
तस्वीर: Umit Bektas/REUTERS
साथ करेंगे सामना
यह कीव में एक इमारत के बेसमेंट की तस्वीर है, जहां कई लोगों ने शरण ले रखी है. यहां से उन्हें नए हमलों की चेतावनी देने वाले सायरन सुनाई देते हैं.
तस्वीर: Emilio Morenatti/AP/picture alliance
रूस को था अंदाजा
कीव में रिहायशी इलाके में क्षतिग्रस्त खड़ा एक अज्ञात सैन्य ट्रक. यूक्रेन के कई शहरों में इसी किस्म के नजारे दिख रहे हैं.
तस्वीर: OLGA YAKIMOVICH/REUTERS
आवाज उठाने के मंच
अटलांटा से खेलनेवाले यूक्रेनी फुटबॉलर रुसलान मालिनोवस्की ने गोल करने के बाद जो शर्ट पहनकर जश्न मनाया, उस पर लिखा था कि यूक्रेन में जंग न हो.
तस्वीर: PANAYOTIS TZAMAROS/In Time Sports/AFP/Getty Images
घर और एयरक्राफ्ट की टक्कर
एक अज्ञात एयरक्राफ्ट का कचरा, जो कीव में एक निजी घर से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गया.
तस्वीर: AFP
जान बची, तो लाखों पाए
रिहायशी इलाके में घर के बाहर क्षतिग्रस्त हुए एक एयरक्राफ्ट के मलबे का मुआयना करते लोग.
तस्वीर: REUTERS
बचपन की क्या गलती
एक बच्चा, जो युद्ध की विभीषिक झेलने वाली एक इमारत के सामने झूले पर बैठा है.