बांग्लादेश: भारतीय वीजा केंद्र अनिश्चित काल के लिए बंद
८ अगस्त २०२४
बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार गुरुवार को शपथ लेगी. इस बीच बांग्लादेश में "अस्थिर स्थिति" के कारण भारत ने वहां वीजा केंद्रों को अगली सूचना तक के लिए बंद कर दिया है.
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भारतीय वीजा के लिए आवेदन करने वाले ऑनलाइन पोर्टल पर कहा गया है, "अस्थिर स्थिति" के कारण बांग्लादेश में सभी भारतीय वीजा आवेदन केंद्र अगली सूचना तक बंद रहेंगे. ऑनलाइन पोर्टल पर जानकारी दी गई है कि अगली आवेदन की तारीख एसएमएस के जरिए सूचित की जाएगी और अनुरोध है कि अगले कार्य दिवस पर पासपोर्ट ले लें.
इससे पहले बुधवार को भारत ने बांग्लादेश में अस्थिर स्थिति के बीच अपने उच्चायोग और वाणिज्य दूतावासों से गैर-जरूरी कर्मचारियों और उनके परिवारों को निकाल लिया था. भारतीय मीडिया ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि भारतीय राजनयिक देश में ही बने हुए हैं और मिशन काम कर रहे हैं.
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भारत का दूतावास है और चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में वाणिज्य दूतावास हैं.
बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण 76 साल की नेता को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत भागना पड़ा और फिलहाल वह भारत में ही मौजूद हैं और दूसरे देश में शरण लेने पर विचार कर रही हैं.
बांग्लादेश के अखबार ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस के गुरुवार को बांग्लादेश लौटने की उम्मीद है. बांग्लादेश में सेना द्वारा समर्थित एक अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया जारी है और यूनुस कार्यवाहक सरकार का नेतृत्व करेंगे.
देश के सेना प्रमुख जनरल वाकर उज जमान ने बुधवार को कहा कि अंतरिम सरकार गुरुवार को स्थानीय समय के अनुसार रात 8 बजे शपथ लेगी. सलाहकार परिषद में 15 सदस्य हो सकते हैं. सेना प्रमुख ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि देश की स्थिति में काफी सुधार हो रहा है और अगले तीन चार दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी.
साथ ही सेना प्रमुख ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में हुई हिंसा में शामिल लोगों को "बख्शा नहीं जाएगा" और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद 6 अगस्त को संसद भंग कर दी थी.
यूनुस ने शांति की अपील की
बुधवार को फ्रांस की राजधानी पेरिस से ढाका के लिए रवाना होते हुए 84 साल के यूनुस ने शीर्ष पद के लिए उनका नाम आगे करने वाले छात्र आंदोलन के समन्वयकों को "बहादुर छात्र" कहते हुए बधाई दी. उन्होंने सभी से शांति कायम करने और हर प्रकार की हिंसा से बचने की अपील की है. यूनुस ने कहा, "हिंसा हमारी दुश्मन है. कृपया और दुश्मन न बनाएं. शांत रहें और देश के निर्माण के लिए तैयार हो जाएं."
2006 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता यूनुस ने पत्रकारों से कहा, "मैं घर वापस जाने और यह देखने के लिए उत्सुक हूं कि वहां क्या हो रहा है, और हम किस तरह से खुद को इस मुसीबत से बाहर निकालने के लिए एकजुट हो सकते हैं जिसमें हम फंसे हुए हैं."
जब उनसे पूछा गया कि देश में चुनाव कब होंगे, तो उन्होंने अपने हाथ ऊपर उठाए, मानो यह संकेत दे रहे हों कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा, "मैं जाकर उनसे बात करूंगा. मैं अभी इस पूरे क्षेत्र में नया हूं."
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
बांग्लादेश: शेख हसीना के हाथ से कैसे फिसल गई सत्ता
बांग्लादेश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को भीषण हिंसा और छात्रों के आंदोलन के कारण इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ना. आखिर कैसे सत्ता उनके हाथों से फिसल गई. उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर.
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शेख हसीना ने कैसे गंवाई सत्ता
5 अगस्त, 2024 को शेख हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और सेना के विमान में सवार होकर भारत पहुंच गईं. जुलाई की शुरूआत से ही बांग्लादेश में हजारों छात्र देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूदा कोटा सिस्टम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
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कोटा सिस्टम का विरोध
साल 2018 तक बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 फीसदी सीटों में कोटा लागू था. इसमें 30 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों और उनके बच्चों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं, 10 फीसदी पिछड़े जिलों के लोगों, पांच फीसदी अल्पसंख्यकों और एक प्रतिशत कोटा विकलांगों के लिए था. इस तरह सभी भर्तियों में केवल 44 फीसदी सीटें ही बाकियों के लिए खाली थीं.
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क्यों सड़कों पर आए छात्र
2018 में सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर कोटा सिस्टम को खत्म करने की घोषणा की. इसके अंतर्गत स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारजनों के लिए आरक्षित 30 फीसदी कोटा को भी खत्म करने की बात कही गई. इसके खिलाफ 2021 में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. 5 जून, 2024 को हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह संबंधित सर्कुलर को रद्द करे और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए चले आ रहे 30 फीसदी कोटा को कायम रखे.
इसके बाद देश के कई हिस्सों में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 93 फीसदी नौकरियों में भर्तियां योग्यता के आधार पर की जाएं. कोर्ट ने कहा 1971 के आंदोलन में शामिल रहे सेनानियों के परिजनों को सिर्फ पांच फीसदी आरक्षण मिले.
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हिंसा और इस्तीफे की मांग
जुलाई से चल रहा छात्रों का आंदोलन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शांत नहीं हुआ और यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा. छात्र संगठनों ने चार अगस्त को पूर्ण असहयोग आंदोलन शुरू करने की घोषणा की थी.
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हसीना के इस्तीफे के पहले क्या हुआ
4 अगस्त को हुई हिंसा में 94 लोग मारे गए. जिनमें 13 के करीब पुलिस वाले थे. सरकार ने प्रदर्शनों को रोकने के लिए सड़कों पर सेना को उतार दिया लेकिन छात्र पीछे नहीं हटे और हसीना के इस्तीफे की मांग की. 5 अगस्त को छात्र संगठनों ने ढाका में लॉन्ग मार्च का एलान किया. जब प्रदर्शनकारी पीएम आवास की ओर बढ़ने लगे तो हसीना ने सेना के विमान में सवार होकर देश छोड़ दिया.
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बांग्लादेश पर मजबूत पकड़
दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश में 76 साल की शेख हसीना दुनिया की सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वालीं सरकार प्रमुख थीं. शेख हसीना पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बनी और 2008 में वापस लौटीं और 5 अगस्त, 2024 तक पद पर बनी रहीं.
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हसीना पर आरोप
शेख हसीना पर सत्ता में 15 साल रहने के दौरान विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, अभिव्यक्ति की आजादी पर दमन और असहमति पर दमन के आरोप लगे. उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे. लेकिन हसीना सरकार इन आरोपों को खारिज करती रही.
तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS
विरासत में मिली राजनीति
शेख हसीना को राजनीति विरासत में मिली. उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान ने 1971 में पाकिस्तान से आजादी के लिए बांग्लादेश की लड़ाई का नेतृत्व किया था. 1975 में सैन्य तख्तापलट में उनके परिवार के अधिकांश लोगों के साथ उनकी हत्या कर दी गई थी. हसीना भाग्यशाली थीं कि उस समय वह यूरोप की यात्रा पर थीं. 1947 में दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में जन्मी हसीना पांच बच्चों में सबसे बड़ी हैं.
तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS
भारत में निर्वासित जीवन
शेख हसीना वर्षों तक भारत में निर्वासन में रहीं. फिर बांग्लादेश वापस चली गईं और अवामी लीग की प्रमुख चुनी गईं. उन्होंने 1973 में ढाका विश्वविद्यालय से बंगाली साहित्य में ग्रैजुएशन की और अपने पिता और उनके छात्र समर्थकों के बीच मध्यस्थ के रूप में राजनीतिक अनुभव हासिल किया.
तस्वीर: Saiful Islam Kallal/AP Photo/picture alliance
हसीना और आम चुनाव
शेख हसीना जनवरी, 2024 में लगातार चौथी बार चुनाव जीतीं. इस चुनाव का मुख्य विपक्षी दल और उनकी प्रतिद्वंद्वी बेगम खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने बहिष्कार किया था. इस चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे.
तस्वीर: AFP
निरंकुश शासन के आरोप
बीएनपी और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि हसीना की सरकार ने जनवरी, 2024 में हुए चुनाव से पहले 10,000 विपक्षी पार्टी कार्यकर्ताओं को झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया था. इस चुनाव का विपक्ष ने बहिष्कार किया था. जैसे-जैसे समय बीतता गया, वह निरंकुश होती गईं और उनके शासन में राजनीतिक विरोधियों और कार्यकर्ताओं की सामूहिक गिरफ्तारी, जबरन गायब होना और न्यायेतर हत्याओं के आरोप लगे.
तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS
शेख हसीना और खालिदा जिया के बीच संघर्ष
हसीना ने अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बीएनपी की प्रमुख खालिदा जिया के साथ हाथ मिला लिया और लोकतंत्र के लिए एक विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसने 1990 में सैन्य शासक हुसैन मोहम्मद इरशाद को सत्ता से उखाड़ फेंका. लेकिन जिया के साथ गठबंधन लंबे समय तक नहीं चला और दोनों महिलाओं के बीच तीखी प्रतिद्वंद्विता जारी रही.
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कमजोर हो चुकीं खालिदा जिया
शेख हसीना और खालिदा जिया के बीच कई सालों से राजनीतिक संघर्ष चला आ रहा है. 78 साल की जिया दो बार प्रधानमंत्री रह चुकी हैं और फरवरी 2018 में भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद से जेल में हैं. उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही है और 2019 में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने 5 अगस्त, 2024 को जिया को रिहा करने का आदेश दिया.
तस्वीर: A.M. Ahad/picture alliance/AP Photo
हसीना के भारत के साथ संबंध
भारत और बांग्लादेश के बीच बेहद मजबूत संबंध हैं. जब कभी भी बांग्लादेश को जरूरत पड़ी तो भारत उसके साथ खड़ा नजर आया. दोनों देशों के बीच पिछले 53 सालों से द्विपक्षीय संबंध हैं. 2023 में भारत में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत ने बांग्लादेश को विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था. हसीना के पीएम रहते हुए दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ा है.