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समाज

घूम रही हैं लड़कियां, और सिखा रही हैं घूमना

फैसल फरीद
१० सितम्बर २०२१

भारत की लड़कियां दहलीज लांघ रही हैं. बेझिझक और बेलौस. अब वे खूब घूमने लगी हैं, वो भी अकेले. वे अकेली घूमती हैं, लिखती हैं और इनके हजारों फॉलोअर्स हैं जो इनसे प्रेरणा भी पाते हैं.

तस्वीर: Faisal Fareed

फिरोजाबाद की रहने वाली कायनात काज़ी वैसे तो शिक्षिका हैं, लेकिन अब वह पूर्णकालिक यायावर हो गई हैं.  लगभग छह साल पहले उन्होंने जोधपुर की अपनी पहली एकल यात्रा की थी. उससे पहले वह समूह में यात्रा कर चुकी थीं. 

बीते चार साल में कायनात भारत में दो  लख किलोमीटर की यात्रा कर चुकी हैं जिसके जरिए उन्होंने एक लाख तस्वीरों का संग्रह किया है. कायनात बताती  हैं कि जब पहली बार एकल यात्रा करके लौटते हैं तो बोर्ड परीक्षा में पास होने जैसे प्रसन्नता होती है.

ताकि पर्यावरण पर ना आपकी यात्राओं का बोझ

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कायनात ने पूरा भारत लगभग देख, घूम और जी लिया है. आज वह फोटोग्राफर, ट्रैवल राइटर और ब्लॉगर हैं. हालांकि खुद को आज भी वह सोलो फीमेल ट्रैवलर कहती हैं. यायावरी के लिए उन्हें ढेरों पुरस्कार मिल चुके हैं. हाल ही में उन्हें पर्यटन रत्न सम्मान से नवाजा गया है.

घूमने का पुरस्कार

हिंदी साहित्य में पीएचडी कायनात राहगिरी नाम से हिंदी का पहला ट्रैवल फोटोग्राफी ब्लॉग भी चलाती हैं. इनकी कई फोटो प्रदर्शनियां लग चुकी हैं. वह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्यरत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट " परमतपा" के तहत भारत की 12 महान महिलाओं की संघर्ष की दास्तान पर काम कर रही हैं जिसके चलते उन्होंने पूरे देश में लद्दाख से कन्याकुमारी और गुजरात से नगालैंड तक की यात्राएं कर ऐसी 12 महान महिलाओं का साक्षात्कार किया है जिन्होंने न सिर्फ अपना बल्कि पूरे समाज का जीवन बदला है.

इसके अलावा कायनात ने मध्य प्रदेश शासन के लिए सतपुड़ा के जंगलों के भीतर  देवगढ़ स्थित 16वीं शताब्दी की बावड़ियों एवं गोंड आदिवासी समाज पर एक कॉफी टेबल बुक भी तैयार की है. फिलहाल वह देवगढ़ ग्राम को मध्य भारत का पहला मॉडल हेरिटेज विलेज बनाने के लिए पर्यटन से जोड़ने हेतु आदिवासी युवाओं के स्किल डेवलपमेंट के लिए कार्य कर रही हैं.

तस्वीर: Faisal Fareed

एक तरफ जहां कायनात अनुभवी यायावर हैं वहीँ दूसरी तरफ कुछ युवा लड़कियों ने भी यायावरी को एक जूनून बना लिया हैं.  प्रज्ञा श्रीवास्तव कुछ ऐसी ही हैं.  साल 2017 में उन्होंने अपनी पत्रकारिता की नौकरी छोड़ कर घूमना शुरू कर दिया और बीते चार साल में भारत के 34 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश घूम चुकी हैं.  प्रज्ञा बताती है कि सिर्फ लद्दाख और लक्षद्वीप बचा है, वहां भी कोरोना के कारण जाना टल गया है.  प्रज्ञा भारत के सुदूर क्षेत्रों में लगभग हर छोटी बड़ी जगह पर जा चुकी हैं.  वह बताती हैं कि आमतौर पर लोग घूमने को बहुत महंगा मानते हैं लेकिन ये मिथ्या है. 

प्रज्ञा कहती हैं, "आजकल हजार रुपये में ट्रेन में स्लीपर का टिकट मिलता है. रहने के लिए होम स्टे की व्यवस्था हो जाती है. बस आप थोड़ा सावधानी और संयम से काम लें.”

छोटी यात्राओं का बड़ा सुख

झारखण्ड की रहने वाली मोनिका मरांडी भी कुछ ऐसा ही कर रही हैं. मोनिका और प्रज्ञा दोनों बैचमेट हैं. मोनिका बताती हैं कि पढाई के दौरान ही दोनों ने फैसला किया था कि साथ में घूमने चलेंगे और एक दिन सफर शुरू हो गया. 

मोनिका कहती हैं, "हम लोगों ने सोचा कि इंग्लिश में बहुत सामग्री है और हिंदी में बहुत कम है तो फिर हम ने हिंदी में लिखने के लिए वेबसाइट chalatmusafir.com बनाई. यहां हम लोगों ने एक मंच दिया कि जो लोग हिंदी में लिखना चाहते हैं वे यहां आएं. देखते-देखते हमारी वेबसाइट पर आज 350 लेखक हैं जो अपनी यायावरी के किस्से साझा करते हैं.”

तस्वीर: Faisal Fareed

लखनऊ की रहने वाली शालू अवस्थी फिलहाल मुंबई में नौकरी कर रही हैं लेकिन यात्रा करना और घूमना इनका जूनून हैं. शालू ऐसी जगहों को चुनती हैं जो सस्ती और आसपास हों. जैसे मुंबई के बीच में बनाया गया एक गांव या फिर भारत का सबसे छोटा हिल स्टेशन जहां पर किसी भी किस्म के वाहन का प्रवेश पूरी तरह वर्जित है. 

शालू बताती हैं कि यात्रा करने से काम के दबाव से राहत मिलती है. वह कहती हैं, "मेरा ध्येय सिर्फ बजट यात्राओं पर रहता है  जिसे कम पैसे और कम समय में आप ज्यादा घूम सकें. ऐसी जगह जिसको आप छुपी हुई जगह कह सकते हैं.” शालू अपने यूट्यूब चैनल पर अपनी यात्राओं के बारे में बताती हैं.

सुरक्षित है यूं अकेले घूमना?

इस प्रश्न पर भले आपको तरह तरह के उत्तर मिलें लेकिन एकल यात्रा करने वाली ये लड़कियां इससे बखूबी परिचित हैं. प्रज्ञा के अनुसार, "बहादुरी और बेवकूफी में बहुत थोड़ा सा अंतर होता है.  अगर आप अकेले हैं तो आपको सजग रहना होगा. मैं पुरुलिया में ऐसे सुदूर स्थान पर थी जहां पर सिर्फ पुरुष थे लेकिन मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई. सबका व्यवहार बहुत ही अच्छा रहा.  बस आप थोड़ा ध्यान से रहिये.”

अनुभवी कायनात काजी बताती हैं कि अकेले यात्रा करने में अगर आजादी है तो आपके ऊपर जिम्मेदारी भी है.  वह कहती हैं, "आपको अपना ख्याल रखना है.  उसके साथ साथ अपने उपकरणों का भी ख्याल रखना है. ये एक बहुत ही बड़ा उत्तरदायित्व है  लेकिन लड़कियां उसको बखूबी निभा सकती हैं.”

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