भारत में लोगों ने शुरू कर दी है खाने-पीने में कटौती
२४ मार्च २०२२
कोविड से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था में जनता पर दोहरी मार पड़ी है. महामारी से उबरने की शुरुआत ही हुई थी कि एक बार फिर महंगाई ने झटका दे दिया है. असर रसोईघर पर दिख रहा है.
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भारत में लोगों ने बाहर के खाने, ईंधन और यहां तक कि सब्जियों में भी कटौती करनी शुरू कर दी है क्योंकि महंगाई के कारण घर का खर्च बढ़ गया है. कोविड-19 से उबर रही अर्थव्यवस्था पर अब यूक्रेन युद्ध का असर दिखने लगा है और आवश्यक उपभोक्ता चीजों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिसका असर जन-जीवन पर नजर आने लगा है.
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में कंपनियां बढ़ती लागत को अब आम उपभोक्तों से वसूल रही हैं. हाल ही में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पांच महीनों में पहली बार वृद्धि हुई है. खाने के तेल के दाम भी आसमान छू रहे हैं.
घर का बजट मुश्किल में
कोलकाता में रहने वाली इंद्राणी मजूमदार कहती हैं, "भगवान जाने हम इतनी महंगाई में घर कैसे चलाएंगे.” इंद्राणी मजूमदार अपने परिवार में अकेली कमाने वाली हैं और दो साल की महामारी के दौरान उनकी तनख्वाह आधी हो चुकी है. वह बताती हैं कि उनके परिवार ने कई खर्चों में कटौती की है. वह बताती हैं कि परिवार अब ज्यादातर उबला हुआ खाना खाता है ताकि खाने के तेल का खर्च बचाया जा सके. ऐसी ही छोटी-छोटी कटौतियों की बात दर्जनों परिवारों ने कही है.
दरअअसल, बीते अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही के बीच भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि की रफ्तार उतनी तेज नहीं रही, जितनी कि उम्मीद की जा रही थी. अब अर्थशास्त्रियों ने आशंका जाहिर की है कि तेल की बढ़ी हुई कीमतों का असर मौजूदा रफ्तार पर पड़ेगा क्योंकि इसके कारण महंगाई बढ़ रही है.
कोलकाता में सब्जी बेचने वाले देबाशीष धारा कहते हैं कि फरवरी से अब तक उनकी बिक्री आधी हो चुकी है क्योंकि ट्रांसपोर्ट के महंगा होने के कारण सब्जियों का दाम बढ़ रहा है. दूध कंपनियां मदर डेयरी और अमूल भी दाम बढ़ा चुकी हैं. हिंदुस्तान यूनिलीवर और नेस्ले ने नूडल, चाय और कॉफी के दाम बढ़ा दिए हैं.
नया साल, नई महंगाई
2022 की शुरुआत भारतीयों के लिए महंगाई के झटके के साथ हो रही है. कार से लेकर एटीएम से पैसे निकालने तक महंगा हो रहा.
मुफ्त निकासी की सीमा खत्म होने के बाद एटीएम से नकद निकालने पर ज्यादा शुल्क देना होगा.
तस्वीर: Jaipal Singh/dpa/picture alliance
ऐप से खाना मंगाना महंगा
ऑनलाइन फूड ऑर्डर पर अब रेस्तरां के बजाय डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर से ही टैक्स वसूल होगा. ऐसे में ग्राहकों पर इसका बोझ पड़ सकता है. ऐप से टैक्सी और ऑटो बुक कराने पर भी जीएसटी लगेगा.
तस्वीर: Nasir Kachroo/NurPhoto/picture-alliance
कार महंगी
साल 2021 में ऑटो कंपनियां महंगे कच्चे माल के कारण कारों की कीमत कई बार बढ़ा चुकी हैं. करीब 10 ऑटो कंपनियां अपनी कारों के अलग-अलग मॉडलों के दाम बढ़ा रही हैं.
मुंबई में रहने वालीं गृहिणी रचना पवार कहती हैं, "घर का बजट संभालना बहुत मुश्किल हो गया है. इस तरह की महंगाई ने खरीदना कम करने को ही मजबूर कर दिया है.”
हर ओर महंगाई
भारत के कुल घरेलू उत्पाद में व्यक्तिगत उपभोग का हिस्सा लगभग 60 प्रतिशत है. 24 फरवरी को यूक्रेन द्वारा रूस पर हमले के बाद, जिसे रूस ‘विशेष सैन्य अभियान' कहता है, भारतीय कंपनियों ने दूध, नूडल, चिकन और अन्य सामोनों के दाम पांच से 20 प्रतिशत तक बढ़ाए हैं.
कोविड महामारी का असर भारत के लगभग 80 प्रतिशत परिवारों पर पड़ा था. करीब 1.4 अरब आबादी में से लगभग 80 करोड़ लोगों को महामारी के कारण सरकार से राशन मिला था. अब कीमतों में मामूली वृद्धि भी इन परिवारों के बजट को प्रभावित कर सकती है.
भारत के मुख्य सांख्यिकीविद रह चुके प्रणब सेन कहते हैं कि लगातार तीसरा साल ऐसा हो सकता है जब परिवारों का बजट तंग होगा. उन्होंने कहा, "महामारी के बाद बचत बढ़ाने की प्रक्रिया बस शुरू ही हो रही थी. इस नए झटके के बाद लोगों को अपना उपभोग कम करना पड़ेगा.”
दुनिया के सबसे महंगे शहर का नाम जानकर आप चौंक जाएंगे
इकॉनोमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट की ताजा रैंकिंग में दुनिया का सबसे महंगा शहर कौन सा पाया गया है? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह ना लंदन है, ना न्यू यॉर्क, ना पेरिस और ना हांग कांग.
तस्वीर: Daniel Ferreira-Leites Ciccarino/Zoonar/picture alliance
नंबर 10 पर ओसाका, जापान
रैंकिंग में दसवां स्थान जापान के ओसाका को मिला है. नौवें स्थान पर है अमेरिका का लॉस एंजेलेस और आठवें पर डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन. इस रैंकिंग के लिए इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के वैश्विक निर्वाह खर्च सर्वे से डाटा लिया गया था.
तस्वीर: Carl Court/Getty Images
न्यू यॉर्क छठे नंबर पर
न्यू यॉर्क को ताजा रैंकिंग में छठा स्थान मिला है और स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा को सातवां. इस सर्वे में 173 देशों में 200 से ज्यादा उत्पादों और सेवाओं के दामों की तुलना की जाती है. दामों को स्थानीय मुद्रा की जगह अमेरिकी डॉलरों में देखा जाता है.
तस्वीर: Eduardo Munoz/REUTERS
हांग कांग को मिला पांचवां स्थान
हांग कांग पांचवें स्थान पर रहा और स्विट्जरलैंड का ही एक शहर ज्यूरिख चौथे स्थान पर रहा. समीक्षकों का कहना कि सप्लाई चेन की समस्याओं और कोरोना वायरस की वजह से लगे प्रतिबंधों के कारण कई शहरों में निर्वाह खर्च बढ़ गया है.
तस्वीर: Virgile Simon Bertrand Courtesy of Herzog & de Meuron
पेरिस फिसला नंबर दो पर
फ्रांस की राजधानी रैंकिंग में पिछले साल के शीर्ष स्थान से फिसल कर इस साल दूसरे स्थान पर आ गई है. साथ ही सिंगापुर को भी दूसरा स्थान मिला है. दुनिया भर में तेल के दामों में उछाल की वजह से यातायात का खर्च बढ़ गया.
तस्वीर: Vincent Isore/IP3press/imago images
सबसे महंगा शहर
पेरिस को पहले स्थान से हटा कर अब दुनिया का सबसे महंगा शहर बन गया है तेल अवीव. इस्राएल की राजधानी ने डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा शेकेल की मजबूती और यातायात और किराना के सामान के दामों में आई उछाल की वजह से पांच स्थान ऊपर आकर पहली बार यह स्थान हासिल किया.
तस्वीर: Daniel Ferreira-Leites Ciccarino/Zoonar/picture alliance
जर्मनी में हैं सस्ते शहर
जर्मनी की राजधानी बर्लिन आठ स्थान गिर कर 50वें स्थान पर पहुंच गई. रैंकिंग में जर्मनी के छह शहर हैं और बर्लिन को उनमें से सबसे सस्ता पाया गया है. फ्रैंकफर्ट जर्मनी का सबसे महंगा शहर है लेकिन वो भी 19वें स्थान पर है.
तस्वीर: Paul Zinken/dpa/picture alliance
दुनिया का सबसे सस्ता शहर
सीरिया की राजधानी दमिश्क को दुनिया का सबसे सस्ता शहर पाया गया है. (सीके/एए)
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने आयात पर निर्भर करने वाले देशों को ईंधन की कीमतें बढ़ाने को मजबूर कर दिया है. भारत अपनी जरूरत का लगभग 85 प्रतिशत तेल आयात करता है और इस साल उसने ईंधन की कीमतें लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ाई हैं. भारत खाने के तेलों का भी दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है. उसकी कुल जरूरत का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से आता है.
भारत में पाम ऑयल सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला खाने का तेल है. इस साल उसकी कीमतें 45 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं. यूक्रेन जिस सूरजमुखी के तेल के सबसे बड़े उत्पादक हैं, उसकी सप्लाई प्रभावित होने से भी बाजार पर असर पड़ा है. कुछ थोक व्यापारियों का कहना है कि पिछले एक महीने में दाम बढ़ने के साथ-साथ खाने के तेलों की बिक्री में लगभग एक चौथाई की कमी आ चुकी है.
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मुश्किल अर्थव्यवस्था
फरवरी में लगातार दूसरे महीने मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से ऊपर रही है जबकि थोक मुद्रास्फीति 13 प्रतिशत से ज्यादा है. वित्तीय सेवाएं देने वाली संस्ता जेफरीज ने एक बयान जारी कर कहा, "चूंकि उपभोग कम हो रहा है इसलिए मुद्रास्फीति में वृद्धि के लिए इससे बुरा समय नहीं हो सकता था.”
भारत के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह उपभोक्ता वस्तुओं के दामों पर नजर बनाए हुए है. अगले महीने बैंक को अपनी नई मौद्रिक नीति तय करने के लिए बैठक करनी है. लेकिन बाजार को उम्मीद नहीं है कि रिजर्व बैंक दरों में कोई बदलाव करेगा. ऐसा ही कई अन्य देशों में भी हुआ है, इस बात को लेकर ऊहापोह में हैं कि महंगाई रोकने के लिए दरें बढ़ाई जाएं या नहीं.
दुनिया के सात सबसे महंगे देश
समय के साथ रहने का खर्च भी बढ़ा है. घर का किराया, बिजली, पानी और राशन जैसी आवश्यकताओं की कीमत भी बढ़ी है. लेकिन कुछ देशों में रहने की लागत बहुत है, जिससे कई व्यक्तियों और परिवारों के लिए जीवन यापन करना मुश्किल हो जाता है.
तस्वीर: Erik Lattwein/Zoonar/picture alliance / Zoonar
नंबर 7: बहामास
एक द्वीप पर रहने की विलासिता की अपनी कीमत होती है. बहामास में अधिकांश सामान आयात करना पड़ता है, जिससे रोजमर्रा के किराने के सामान की कीमत आसमान छू सकती है.
तस्वीर: Daniel Slim/AFP/Getty Images
नंबर 6: डेनमार्क
डेनमार्क उन लोगों के लिए नहीं है जो सस्ते में रहना चाहते हैं. यहां रेस्तरां में खाना बहुत महंगा होता है. एक मिड-रेंज रेस्तरां में दो लोगों के लिए तीन-कोर्स भोजन लगभग 600 डेनिश क्रोन (6,800 रुपये) है. राजधानी कोपेनहेगन दुनिया के सबसे महंगे शहरों में से एक है.
तस्वीर: Bruno Coelho/Zoonar/picture alliance
नंबर 5: लक्जेमबर्ग
छोटे देश लक्जेमबर्ग की क्रय शक्ति बहुत अधिक है. जबकि यह उच्च-स्तरीय बैंकिंग और अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थानों से भरा है. इसी वजह से यहां महंगे रेस्तरां, कैफे और बार भी हैं. कुछ लोग अपनी साप्ताहिक खरीदारी सीमा पार से करना पसंद करते हैं. क्योंकि दूध से लेकर बीफ तक सब कुछ फ्रांस में लक्जेमबर्ग की तुलना में काफी सस्ता है.
तस्वीर: DW/M. M. Rahman
नंबर 4: नॉर्वे
नॉर्वे हमेशा से ही दुनिया के सबसे महंगे देशों की सूची में उच्च स्थान पर रहा है. यह देश पर्यटकों के बीच भी काफी लोकप्रिय है. नॉर्वे में वैट की दर करीब 25 फीसदी है, जिस वजह से रोज की खरीदारी महंगी हो जाती है.
तस्वीर: Imago Images/robertharding/E. Rooney
नंबर 3: आइसलैंड
नॉर्डिक देश आइसलैंड हाल के सालों में मिलेनियल यात्रा ब्लॉगरों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय मंजिल रहा है. आइसलैंड में रहने की लागत अधिक है क्योंकि यहां राशन काफी महंगा है.
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नंबर 2: बरमूडा
बरमूडा टैक्स चोरी करने वालों के लिए स्वर्ग है. इसे आम भाषा में टैक्स हेवन कहा जाता है क्योंकि यहां करों की दर बहुत ही कम होती है. बरमूडा में कोई भी आसानी से कंपनी खोल सकता है.
तस्वीर: AP
नंबर 1: स्विट्जरलैंड
कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि स्विट्जरलैंड रहने के लिए सबसे महंगे देशों में से एक है. स्विट्जरलैंड में जब भोजन, पेय पदार्थ, होटल, आवास, रेस्तरां, कपड़े और स्वास्थ्य बीमा की बात आती है तो यह खास तौर से महंगा साबित होता है.
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लेकिन, आम उपभोक्ताओं के लिए राहत की कोई किरण नजर नहीं आ रही है. कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने कहा है कि इस महीने की तेल कीमतों की वृद्धि के चलते उत्पादकों की एफएमसीजी यानी तेजी से खत्म होने वालीं उपभोक्ता वस्तुओं की लागत 10-15 प्रतिशत तक बढ़नी तय है, जो अंततः आम ग्राहकों से ही वसूली जाएगी.