भारत ने डेटा स्टोरेज नियमों का उल्लंघन करने के कारण मास्टरकार्ड पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध का देश के बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र पर बड़ा असर हो सकता है.
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मास्टरकार्ड इंक (Mastercard) पर प्रतिबंध के भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले ने देश के वित्तीय क्षेत्र को संकट में डाल दिया है क्योंकि इस कारण बैंक नए कार्ड जारी नहीं कर पाएंगे. इससे उनकी कमाई पर असर पड़ेगा और भुगतान जैसी जरूरी सेवाएं भी प्रभावित होंगी.
बुधवार को भारत के केंद्रीय बैंक ने यह आदेश जारी किया था. ऐसा ही आदेश बीते अप्रैल में अमेरिकन एक्सप्रेस के खिलाफ भी जारी हुआ था. लेकिन मास्टरकार्ड पर प्रतिबंध के ज्यादा असर हो सकते हैं क्योंकि भारतीय बाजार में उसकी पैठ कहीं गहरी है और बहुत से वित्तीय संस्थान इस अमेरिकी कंपनी के पेमेंट नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं.
सौ से ज्यादा कार्ड प्रभावित
रॉयटर्स समाचार एजेंसी के एक विश्लेषण के मुताबिक भारत में कार्यरत 11 स्थानीय और विदेशी बैंक देश में लगभग 100 तरह के डेबिट कार्ड जारी करते हैं जिनमें से एक तिहाई मास्टरकार्ड हैं. और 75 से ज्यादा क्रेडिट कार्ड इस कंपनी की ही सेवाएं प्रयोग करते हैं.
तस्वीरों मेंः दुनिया के 10 सबसे कैशलेस देश
दुनिया से 10 सबसे कैशलेस देश
भारत में नोटबंदी के बाद कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा देने पर बहुत जोर दिया जा रहा है. एक नजर दुनिया के सबसे ज्यादा कैशलेस देशों पर.
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10. दक्षिण कोरिया
मास्टर कार्ड कैशलेस जर्नी नाम की एक रिपोर्ट में दुनिया की सबसे ज्यादा कैशलेस अर्थव्यवस्थाओं का ब्यौरा दिया गया है. इस लिस्ट में 10वें पायदान पर दक्षिण कोरिया है जहां समूचे कंज्यूमर पेमेंट का 70 फीसदी पेमेंट कैशलेस होता है. देश की 58 फीसदी आबादी के पास डेबिट कार्ड है.
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9. जर्मनी
सबसे कैशलेस देशों की फेहरिस्त में नौवें नंबर पर यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी है. यहां कुल कंज्यूमर पेमेंट का 76 प्रतिशत भुगतान कार्ड या अन्य कैशलेस तरीकों से होता है. 88 फीसदी आबादी के पास डेबिट कार्ड है.
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8. अमेरिका
अमेरिका में 72 प्रतिशत लोगों के पास डेबिट कार्ड है जबकि कुल कंज्यूमर पेमेंट का 80 फीसदी पेमेंट कैशलेस होता है. हालत यह है कि वहां एटीएम मशीनों की प्रासंगिकता पर सवाल उठने लगे हैं.
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7. नीदरलैंड्स
नीदरलैंड्स ने कैशलेस होने के मामले में खासी प्रगति की है जहां कुल कंज्यूमर पेमेंट का 85 फीसदी पेमेंट कैशलेस हो रहा है. देश के 98 प्रतिशत लोगों के पास डेबिट कार्ड है. राजधानी एम्सटरडैम में पार्किंग वाले तक कैश नहीं लेते, सिर्फ कार्ड से ही पेमेंट होता है.
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6. ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में 79 प्रतिशत लोगों के पास डेबिट कार्ड है जबकि कंज्यूमर पेमेंट का 86 प्रतिशत कैशलेस होता है. वहां कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कई आयोजन होते हैं.
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5. स्वीडन
स्वीडन में 2008 में जहां 110 बैंक डकैतियां हुईं, वहीं 2011 में इतनी संख्या घटकर 16 रह गई. वजह है बैंकों में कम से कम कैश होना. कैशलेस देशों की सूची में स्वीडन पांचवें नंबर पर है जहां कंज्यूमर पेमेंट का 89 फीसदी हिस्सा कैशलेस है. देश के 96 प्रतिशत लोगों के पास डेबिट कार्ड है.
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4. ब्रिटेन
लंदन की मशहूर डबल डेकर बस में चढ़ने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आपके पास या तो 'ओइस्टर कार्ड' हो या प्रिपेड टिकट, क्योंकि इसमें कैश नहीं चलता. वैसे पूरे ब्रिटेन में कैश का चलन घट रहा है. कुल कंज्यूमर पेमेंट का 89 कैशलेस ही होता है और 88 फीसदी लोगों के पास डेबिट कार्ड हैं.
कनाडा में कुल कंज्यूमर पेमेंट का 90 फीसदी कैशलेस होता है जबकि देश के 88 फीसदी लोगों के पास डेबिट कार्ड है. वैसे, कनाडा ने 2013 से सेंट के सिक्के बनाना बंद कर दिया है. यानी वहां भी कैशलेस होने पर ज्यादा से ज्यादा जोर है.
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2. फ्रांस
फ्रांस में 69 प्रतिशत लोगों के पास डेबिट कार्ड है, हालांकि कुल कंज्यूमर पेमेंट का 92 फीसदी हिस्सा कैशलेस होता है. फ्रांस में तीन हजार यूरो से ज्यादा कैश के लेन-देन की अनुमति नहीं है.
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1. बेल्जियम
फिलहाल बेल्जियम दुनिया का सबसे ज्यादा कैशलेस देश है जहां कुल कंज्यूमर पेमेंट का 93 फीसदी कैशलेस होता है. देश की 86 फीसदी आबादी के पास डेबिट कार्ड है. वहां अगर तीन हजार यूरो से ज्यादा कैश का लेन-देन किया तो सवा दो लाख यूरो तक का जुर्माना हो सकता है.
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भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि 22 जुलाई से नए मास्टरकार्ड जारी नहीं किए जा सकेंगे. मास्टरकार्ड पर 2018 में जारी नियमों का पालन न करने का आरोप है, जिनके तहत विदेशी कार्ड कंपनियों को भारतीय भुगतान का डेटा स्थानीय सर्वर पर ही रखना होगा और भारत को उसकी उपलब्धता होनी चाहिए.
रिजर्व बैंक के फैसले का असर मौजूदा ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा लेकिन उद्योग जगत के विशेषज्ञ कहते हैं कि कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों की गतिविधियां प्रभावित होंगी क्योंकि बैंकों को मास्टरकार्ड के विकल्प के रूप में वीसा जैसी कंपनियों से नए समझौते करने होंगे. बैंकों का कहना है कि इस प्रक्रिया में महीनों लग सकते हैं.
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वीसा को फायदा
एक बैंक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि मास्टरकार्ड की प्रतिद्वन्द्वी कंपनी वीसा (Visa) पर जाने में पांच महीने तक का वक्त लग सकता है. चूंकि अमेरिकन एक्सप्रेस और मास्टरकार्ड दोनों ही प्रतिबंधित हैं तो वीसा को मोलभाव में बहुत ज्यादा लाभ मिल जाएगा जबकि इस बाजार में उसका पहले ही अधिपत्य है.
इस वरिष्ठ भारतीय बैंकर ने बताया, "बैंकों के लिए इसका अर्थ होगा अस्थायी रुकावटें, बहुत सारा मोलभाव और कुछ देर के लिए व्यापार में नुकसान.”
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2018 में नए नियम जारी किए थे. हालांकि अमेरिकी कंपनियों ने इन नियमों में ढील देने के लिए केंद्रीय बैंक को मनाने की काफी कोशिश की थी लेकिन वे कामयाब नहीं रहीं.
देखिएः जब पूरे हुए एटीएम के 50 साल
ATM के 50 साल
50 साल, पहले दुनिया ने पहली एटीएम मशीन देखी. आज भी बैंकिंग के इतिहास में शायद इससे बड़ी खोज नहीं हुई. एक नजर इसके इतिहास और भविष्य पर.
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पहली मशीन
वैसे तो पहली बार नोट गिनने की मशीन 50 साल पहले स्कॉटलैंड के जॉन स्टीफर्ड-बैरन ने बनाई. लेकिन इसकी ज्यादा चर्चा नहीं हुई. बैरन की मशीन के आधार पर 1968 में पहली बार गिनकर नोट देने वाली मशीन लॉन्च की गई. कैपिटल नेशनल बैंक ऑफ मायामी के निदेशक ने इस पहली एटीएम मशीन को बैंक की लॉबी में लगवाया.
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सीमा के पार
अमेरिका में लॉन्च हुई एटीएम मशीन ने दुनिया भर में तहलका मचा दिया. 1970 के दशक में यूरोप में भी पैसा निकालने वाली मशीनें बेहद लोकप्रिय हो गईं. 1970 के दशक में एटीएम ऐसा दिखाई पड़ता था.
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कैसे काम करती है मशीन
एटीएम मशीन एक सॉफ्टवेयर के जरिये ऑपरेट करती है. मशीन के भीतर लगे खांचों में नोट भरे जाते हैं. सॉफ्टवेयर मशीन को नोट निकालने का निर्देश देता है. हर मशीन इंट्रानेट कनेक्शन से जुड़ी होती है, जिसके चलते कैश निकालने के बाद सीधे बैंक खाता भी अपडेट हो जाता है.
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आम जिंदगी का हिस्सा
एटीएम के चलते बैंकों और आम लोगों के बड़ी राहत मिली है. अब पैसा निकालने के लिए बैंक जाने की और पासबुक अपडेट कराने की जरूरत नहीं पड़ती. इन मशीनों के जरिये बैकिंग में कागज का इस्तेमाल 50 फीसदी कम हुआ है.
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यूनिवर्सल सिस्टम
एटीएम मशीन चाहे दुनिया के किसी हिस्से में हो, उनके कुछ बटन एक जैसे होते हैं. एंटर के लिए हरा और कैंसल के लिए लाल. इसी एकरूपता के चलते आपको भाषा भले ही समझ न आए लेकिन एटीएम इस्तेमाल किया जा सकता है.
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नकदी का जलवा
आज एटीएम मशीन का जलवा पूरी दुनिया में है. कड़े नियमों वाले इस्लामिक देशों में भी इस मशीन को खूब इस्तेमाल किया जाता है. इस्लाम में जमा पैसे पर ब्याज लेना हराम माना जाता हो, लेकिन एटीएम मशीन तो मुस्लिम देशों में घनघनाती है.
तस्वीर: MEHR
एटीएम नहीं मिनी बैंक
समय के साथ ये मशीनें भी इंटेलिजेंट हुई हैं. अब इनमें पैसा जमा और ट्रांसफर भी किया जा सकता है. हल्की फुल्की इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा भी मिलने लगी है.
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अपराधियों की भी पसंदीदा मशीनें
भारत में बुल्डोजर से एटीएम मशीन उखाड़ने के मामले सामने आ चुके हैं. जर्मनी में धमाका कर मशीन क्रैक करने के मामले सामने आ चुके हैं. जर्मनी में करीब हर महीने ही कहीं न कहीं एटीएम को निशाना बनाया जाता है.
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भविष्य कितना लंबा
अब एटीएम मशीनों के दिन भी लदते दिख रहे हैं. कैश से प्लास्टिक मनी तक पहुंची दुनिया अब कैशलेस होने की ओर बढ़ रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक अगले 5-10 साल में परंपरागत एटीएम खत्म होने लगेंगे. इनकी जगह मोबाइल कनेक्टिविटी वाली कोडिंग मशीनें लेने लगेंगी.
रिपोर्ट: टीके/ओएसजे
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भारत में डेबिट और क्रेडिट कार्डों के जरिए भुगतान में काफी वृद्धि हुई है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि देश में 6.2 करोड़ क्रेडिट कार्ड और 90.2 करोड़ डेबिट कार्ड हैं जिनके जरिए कुल मिलाकर 40.4 अरब डॉलर यानी 22 खरब रुपये से भी ज्यादा का लेनदेन होता है.
मास्टरकार्ड निराश
मास्टरकार्ड ने कहा है कि इस फैसले से वह निराश है और बताई गईं चिंताएं दूर करने पर काम करेगी. गुरुवार को जारी एक बयान में कंपनी ने कहा, "हम भारत सरकार के डिजीटल इंडिया विजन को आगे बढ़ाना चाहते हैं. इसके लिए हम अपने ग्राहकों और साझीदारों पर लगातार निवेश करते हैं. और (चिंताओं को दूर करने की कोशिश) उसी कड़ी का हिस्सा होंगे.”
मास्टरकार्ड भारत को एक अहम बाजार मानती है. 2019 में उसने अगले पांच साल के भीतर एक अरब डॉलर के निवेश का ऐलान करते हुए कहा था कि भारत को लेकर वह बहुत उत्सुक है. 2014 से 2019 के बीच भी कंपनी ने भारत में एक अरब डॉलर का निवेश किया था.
देखिएः दुनिया को मिले 52 नए करोड़पति
दुनिया को मिले 52 लाख नए करोड़पति
2020 में जब पूरी दुनिया महामारी की मार से बेहाल थी, धन बढ़ रहा था. क्रेडिस स्विस की हालिया रिपोर्ट बताती है कि 2020 में दुनिया में 52 लाख नए करोड़पति जुड़े हैं. किन देशों में सबसे ज्यादा करोड़पति जुड़े, जानिए...
तस्वीर: Ed Jones/AFP
नंबर 6: ब्रिटेन
दुनिया में करोड़पतियों की संख्या कुल आबादी के एक फीसदी से ज्यादा हो गई है. सिर्फ ब्रिटेन में 2020 में दो लाख 58 हजार नए करोड़पति जुड़े हैं, यानी उनकी कुल संपत्ति एक मिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गई.
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नंबर 5: फ्रांस
2020 में दुनिया में कुल पांच करोड़ 61 लाख करोड़पति थे. सिर्फ फ्रांस में तीन लाख नौ हजार नए करोड़पति जुड़े.
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नंबर 4: जापान
क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट दिखाती है कि महामारी के दौरान सरकार द्वारा खर्चे गए और अनुदान में दिए गए धन का फायदा अमीरों को हुआ. जापान में इस साल तीन लाख 90 हजार नए लोगों की आय एक मिलियन डॉलर यानी पांच करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई.
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नंबर 3: ऑस्ट्रेलिया
पिछले एक साल में ऑस्ट्रेलिया में तीन लाख 92 हजार नए लोगों की कुल संपत्ति एक मिलियन डॉलर को पार कर गई.
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नंबर 2: जर्मनी
जर्मनी में एक मिलियन डॉलर से ज्यादा संपत्ति वाले लोगों में छह लाख 33 हजार लोग और जुड़ गए, जो दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा संख्या है.
2020 में करोड़पतियों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी अमेरिका में देखी गई. वहां 17 लाख 30 हजार नए लोगों की कुल संपत्ति एक मिलियन डॉलर यानी लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपये को पार कर गई.
तस्वीर: Ed Jones/AFP
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कंपनी के भारत में कई शोध और विकास केंद्र भी हैं, जहां चार हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं, जो अमेरिका के बाद उसका दूसरा सबसे बड़ा केंद्र है. 2013 में भारत में मास्टरकार्ड के सिर्फ 29 कर्मचारी थे.
बैंकों पर असर
बैंकिंग सेक्टर में काम करने वाले लोग कहते हैं कि मास्टरकार्ड से वीसा पर जाने से बैंकों को फीस और अन्य कई तरह की आय का नुकसान होगा. आरबीआई (RBI)के फैसले पर एक रिसर्च नोट में मैक्वायरी बैंक ने कहा कि क्रेडिट कार्ड एक फायदेमंद उत्पाद थे क्योंकि इन पर 5 से 6 प्रतिशत का रिटर्न मिलता है.
कई बैंक जैसे आरबीएल की वेबसाइट पर 42 क्रेडिट कार्ड सूचीबद्ध हैं और सभी मास्टरकार्ड की सेवाएं इस्तेमाल करते हैं. यस बैंक के पास सात मास्टरकार्ड हैं और एक भी वीसाकार्ड नहीं है. सिटीबैंक के पास चार मास्टरकार्ड हैं.
आरबीएल ने एक बयान में कहा है कि उसका वीसा के साथ समझौता हो गया है लेकिन उसे लागू करने में 10 हफ्ते का समय लगेगा. एक सूत्र के मुताबिक इस समझौते के मोलभाव में छह महीने का वक्त लगा है.
यस और सिटीबैंक ने कहा है कि नए विकल्पों विचार किया जा रहा है.