दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभी ईडी की हिरासत से जमानत की कोशिश ही कर रहे थे कि सीबीआई ने उन्हें अदालत के अंदर ही गिरफ्तार कर लिया. केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं.
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केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई ने केजरीवाल को दिल्ली की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारी के समय केजरीवाल दिल्ली के राउज एवेन्यू स्थित निचली अदालत में थे.
सीबीआई ने अदालत में केजरीवाल को गिरफ्तार करने की अर्जी दी थी, जिसके बाद उन्हें अदालत में पेश गया. वहां एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और अदालत से उन्हें पांच दिनों तक हिरासत में रखने की अनुमति मांगी.
क्या है सीबीआई का केस
नई आबकारी नीति को नवंबर 2021 में लाया गया था. जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को नई आबकारी नीति पर एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें उन्होंने नीति में अनियमितताओं का दावा किया.
इस रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने सीबीआई से पूरे मामले की जांच करने का अनुरोध किया. सीबीआई ने अगस्त 2022 में उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली और 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आबकारी नीति में धन शोधन (मनी लॉन्डरिंग) के आरोपों की जांच कर रही है, जबकि सीबीआई इसी मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों की. सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 2022 में ही भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर लिया था, लेकिन उसने केजरीवाल को आरोपी नहीं बनाया था.
जांच की शुरुआत तो सीबीआई ने की, लेकिन केजरीवाल को गिरफ्तार पहले ईडी ने किया. बल्कि अगस्त 2022 में केजरीवाल इस मामले में बतौर गवाह सीबीआई के सामने पेश हुए थे और उनसे नौ घंटों तक पूछताछ की गई थी.
फंसते जा रहे हैं केजरीवाल
26 जून को केजरीवाल के वकील ने अदालत में यह सवाल उठाया कि उस समय वह गवाह थे और आज अचानक आरोपी कैसे बना दिए. इसपर सीबीआई ने कहा कि उसे किसी के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले उसे बताने की जरूरत नहीं है, उसे सिर्फ हिरासत के लिए अदालत की अनुमति की जरूरत है.
आम आदमी पार्टी की रोचक यात्रा
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भारत का सबसे युवा राजनीतिक दल है. 2012 में स्थापना से लेकर 2024 में केजरीवाल की गिरफ्तारी तक, 'आप' की यात्रा अन्य दलों से काफी अलग रही है.
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स्थापना
'आप' की स्थापना 26 नवंबर, 2012 को दिल्ली में हुई थी. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को ही उसका मुख्य संस्थापक और संचालक माना जाता है. पार्टी की स्थापना 'लोकपाल आंदोलन' के नाम से जाने जाने वाले भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन के बाद हुई थी, जिसे केजरीवाल और उनके उस समय के कई साथियों ने शुरू किया था.
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कौन हैं केजरीवाल
केजरीवाल सिर्फ करीब 12 सालों से राजनीति में हैं. अपने करियर की शुरुआत में वो पेशे से इंजीनियर थे. उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. बाद में उनका यूपीएससी में चयन हो गया और वो भारतीय राजस्व सेवा में अफसर बन गए.
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एक्टिविज्म में प्रवेश
केजरीवाल ने आयकर विभाग में नौकरी करते हुए 1999 में 'परिवर्तन' नाम का संगठन शुरू किया, जिसका ध्येय था गवर्नेंस के कई क्षेत्रों में सुधार लाने की कोशिश करना. कई साल इसी बैनर के तले एक्टिविज्म करने के बाद, उन्होंने 2006 में आयकर विभाग से इस्तीफा दे दिया. उस समय वो दिल्ली में जॉइंट कमिश्नर थे.
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आरटीआई कार्यकर्ता
इस दौरान केजरीवाल अपने कई साथियों के साथ सूचना के अधिकार की मांग करने वाले आंदोलन में जुट गए थे. 2006 में ही उन्हें सूचना के अधिकार के क्षेत्र में ही उनके काम के लिए रमोन मैग्सेसे पुरस्कार से नवाजा गया.
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लोकपाल आंदोलन
2011 में यूपीए सरकार के खिलाफ घोटालों के आरोपों के बीच केजरीवाल ने कई और लोगों के साथ मिल कर भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने के लिए एक निष्पक्ष और मजबूत संस्था लोकपाल के गठन की मांग के लिए एक आंदोलन शुरू किया. आंदोलन का चेहरा महाराष्ट्र के समाजसेवी अन्ना हजारे को बनाया गया, लेकिन आंदोलन का संचालन केजरीवाल, किरण बेदी, प्रशांत भूषण, मनीष सिसोदिया, संतोष हेगड़े समेत कई लोगों ने किया.
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आंदोलन से पार्टी
जब आंदोलन लोकपाल के गठन के लिए केंद्र सरकार को मजबूर करने में असफल रहा, तब केजरीवाल और कुछ साथियों ने राजनीति में कदम रखने का फैसला किया. उनके कई साथी इस मोड़ ओर उनसे अलग हो गए, लेकिन केजरीवाल और उनके समर्थकों ने नवंबर, 2012 में 'आम आदमी पार्टी' (आप) की स्थापना की.
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चुनावी सफलता
'आप' ने 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपनी पहली चुनावी परीक्षा में ही अच्छा प्रदर्शन किया और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी. 'आप' ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया और सरकार बना ली. यह सरकार सिर्फ 49 दिनों तक चली. इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. लेकिन 2015 में फिर से चुनाव हुए और 'आप' ने दिल्ली की 70 सीटों में 67 जीत कर भारी बहुमत से सरकार बनाई.
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विस्तार
दिल्ली में 2020 में 'आप' ने फिर से जीत दर्ज की और केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. इस बीच पार्टी ने दूसरे राज्यों में भी विस्तार करना शुरू कर दिया था. 2014 में पार्टी ने लोकसभा चुनाव भी लड़े और पंजाब से चार सीटों पर जीत दर्ज की. 2022 में पार्टी ने पंजाब में भी सरकार बना ली.
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राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
2022 में ही 'आप' ने गुजरात विधानसभा में तीसरा स्थान हासिल कर लिया. अप्रैल, 2023 में चुनाव आयोग ने उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया. उसे गोवा में भी राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा प्राप्त है.
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आबकारी 'घोटाला'
2021 में दिल्ली में 'आप' की सरकार ने एक नई आबकारी नीति लागू की. जुलाई 2022 में मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नीति में अनियमितताओं का दावा किया. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. सीबीआई ने धीरे धीरे इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी शामिल थे. मार्च, 2024 में प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में केजरीवाल को भी हिरासत में ले लिया.
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ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था और वह तब से तिहाड़ जेल में हैं. सीबीआई उनसे वहीं पूछताछ करेगी. बीच में लोकसभा चुनावों के दौरान उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी, लेकिन चुनावों के बाद उन्हें जेल लौटना पड़ा.
कुछ ही दिनों पहले निचली अदालत ने ईडी को पक्षपाती बताते हुए केजरीवाल को जमानत पर रिहा कर दिया था, लेकिन ईडी ने इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील कर दी और उच्च न्यायालय ने जमानत के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी.
इस बीच केजरीवाल ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है, लेकिन तब तक सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट की रोक के खिलाफ अपनी अर्जी वापस ले ली है.