मौसम विभाग ने कहा है कि भारत में मानसून का असर जून के मध्य तक बढ़ने की संभावना है. मानसून का इंतजार गर्मी से राहत और धान, कपास, मक्का, सोयाबीन, गन्ना और मूंगफली जैसे उत्पादों की बुवाई के लिए भी किया जा रहा है.
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मौसम विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया, "हमारे विस्तृत रेंज पूर्वानुमान के मुताबिक, बारिश संबंधि गतिविधि के 15 जून से बढ़ने की संभावना है. बारिश के उस दौर में केंद्रीय भारत और देश के उत्तरी मैदानी इलाकों में बारिश होगी."
भारत में होने वाली कुल बारिश के करीब 70 प्रतिशत के जिम्मेदार मानसून को देश की कृषि आधारित व्यवस्था का जीवन आधार माना जाता है. इस साल केरल के तट पर मानसून का आगमन सामान्य समय से दो दिन पहले 29 मई को ही हो गया, लेकिन उसके बाद से इसकी गति धीमी हो गई.
पहली जून को चार महीने लंबे मानसून मौसम की शुरुआत हो गई लेकिन तब से लेकर अभी तक औसत से 42 प्रतिशत कम बारिश हुई है. आईएमडी के मुताबिक औसत या सामान्य बारिश का मतलब होता है 96 से लेकर 104 प्रतिशत तक बारिश. इसके लिए पूरे मौसम की बारिश को 50 साल की औसत बारिश यानी 87 सेंटीमीटर से तुलना कर देखा जाता है.
तीन मौसम गुजरे, नहीं हुई बारिश, हड्डी का ढांचा बनी गायें
सोमालिया, केन्या और इथोपिया जैसे देश भयानक सूखा झेल रहे हैं. कई गांवों में मरे हुए मवेशियों का ढेर लग गया है. इससे बीमारियां फैलने का खतरा भी है.
तस्वीर: Michael Tewelde/World Food Programme/REUTERS
हॉर्न ऑफ अफ्रीका का सूखा
अफ्रीका के कई देशों में लगातार तीन बारिश के मौसम बिना बरसात के बीत चुके हैं. हॉर्न ऑफ अफ्रीका कहे जाने वाले सोमालिया, केन्या और अब इथोपिया जैसे देशों में सूखे से लोग और मवेशी बेहाल हैं.
तस्वीर: Maria Gerth/DW
करोड़ों की जान मुश्किल में
इन इलाकों में मवेशियों की दशा सूखे की भयावहता दिखाती है. सिर्फ केन्या में इसके चलते 21 लाख लोग भुखमरी की कगार पर खड़े हैं. पूरे इलाके में करोड़ों लोग इससे प्रभावित हैं.
तस्वीर: Maria Gerth/DW
आंखों के सामने दम तोड़ती उम्मीदें
सत्तर साल के हुसैन अहमद की 7 गायें इस त्रासदी की भेंट चढ़ चुकी हैं लेकिन अब भी मन में आस पाले बैठे हैं कि बची 16 का ये हाल नहीं होगा. इसी कोशिश में वे गायों को एक तालाब में पानी पिलाने जा रहे हैं.
तस्वीर: Mulugeta Ayene/UNICEF/AP/picture alliance
मवेशी बचाने की जद्दोजहद
इथोपिया के सोमाली इलाके की इस गाय की हालत गंभीर सूखे के चलते खराब हो चुकी है. खुद से उठना-बैठना भी मुश्किल है. स्थानीय उसे राहत और इलाज देने की कोशिश कर रहे हैं.
तस्वीर: Michael Tewelde/World Food Programme/REUTERS
किसी तरह पानी का इंतजाम
दामा मोहम्मद की भी आठ में से दो गायें सूखे की भेंट चढ़ गईं. बची गायों में से भी कई इस हालत में पहुंच चुकी हैं कि चल-फिर नहीं सकतीं. इसलिए वे उन्हें पिलाने के लिए पास के तालाब से पानी भर-भर कर लाती हैं.
तस्वीर: Mulugeta Ayene/UNICEF/AP/picture alliance
एक-एक घर में दर्जनों मवेशियों की मौत
इथोपिया के सोमाली इलाके के कोराहे जोन में रहने वाली हफ्सा बेदेल छह बच्चों की मां हैं. सागालो गांव की निवासी हफ्ता बताती हैं कि वे पहले ही उनकी 25 भेड़-बकरियां और 4 ऊंट मर चुके हैं.
तस्वीर: Maria Gerth/DW
कमजोर पशुओं को जल्द घेर रहे हैं रोग
इन इलाकों में लोग ऊंटों और अन्य मवेशियों के लिए सरकारी कुएं से पानी का इंतजाम कर रहे हैं. लेकिन सही खाना न मिलने से कमजोर हुए पालतू जानवर आसानी से कई रोगों के शिकार हो रहे हैं.
तस्वीर: Maria Gerth/DW
केन्या में राष्ट्रीय आपदा
लगातार बिगड़ती सूखे की दशा के चलते केन्या में राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा ने सितंबर में ही सूखे को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया था.
तस्वीर: Maria Gerth/DW
खुद को बचाएं या मवेशियों को
सूखे की वजह से भोजन और पानी की भारी कमी हो गई है, लोग खुद के लिए ही भोजन नहीं जुटा पा रहे, ऐसे में मवेशियों को कौन पूछे. जिससे यह स्थिति उनके लिए काल बन रही है.
तस्वीर: Maria Gerth/DW
गरीब देशों को ज्यादा खतरा
जलवायु परिवर्तन इन कम आय वाले देशों पर और ज्यादा गंभीर असर होता है. क्योंकि लोगों के पास बढ़ी पर्यावरणीय मुसीबतों से लड़ने के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं होतीं और सरकारें भी उनकी मदद कर पाने में अक्षम होती हैं.
तस्वीर: Mulugeta Ayene/UNICEF/AP/picture alliance
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महापात्रा ने बताया कि इस साल अभी तक मानसून जहां तक पहुंच गया है उन इलाकों में से देश के दक्षिणी, पूर्वी और उत्तरपूर्वी राज्यों में सामान्य से लेकर अधिक बारिश हो चुकी है. उन्होंने बताया, "आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम, दक्षिणी पश्चिम बंगाल, मेघालय, सिक्किम और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में अधिक बारिश हुई है."
इस साल धान की फसल का भविष्य तय करने में मानसून की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी. अगर खूब बारिश हुई तो भारत धान के वैश्विक व्यापार में अपनी अच्छी जगह बरकरार रख पाएगा. भारत में खेती जितने इलाके में होती है उसके लगभग आधे क्षेत्रफल में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है. ये इलाके सिंचाई के लिए मानसून की बारिश पर ही निर्भर रहते हैं.
भारत की अर्थव्यवस्था में खेती का करीब 15 प्रतिशत योगदान है लेकिन देश की 1.3 अरब आबादी के आधे से ज्यादा हिस्से का जीवन इस पर निर्भर है. देश में इस साल रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ी है और उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में बेसब्री से मानसून का इंतजार किया जा रहा है.
सीके/एए (रॉयटर्स)
उफ्फ ये गर्मी
देश के कई राज्यों में इस वक्त भीषण गर्मी पड़ रही है. इंसान ही नहीं पशु और पक्षी भी गर्मी से बेहाल हैं. गर्म हवा के थपेड़ों से बचने के लिए लोग तमाम उपाय अपना रहे हैं. तस्वीरों में देखिए, गर्मी से कैसे बच रहे हैं लोग.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
धूप से बचना है
कई राज्यों में मार्च के महीने से ही भीषण गर्मी पड़ रही है. उत्तर और पश्चिम भारत में गर्म हवाएं चल रही हैं.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
पानी ही सहारा
इस तस्वीर में ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल तेज गर्मी के बीच ड्यूटी करते हुए. चिलचिलाती धूप से थोड़ी राहत के लिए चेहरे पर पानी मारते हुए.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
ठंडा पानी और स्नान
इस तस्वीर में एक व्यक्ति सार्वजनिक नल पर स्नान करता हुआ. गर्मी से बचाव का एक तरीका यह भी है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
गर्मी से बचने के लिए
लोग गर्मी से बचने के लिए दोपहर में कई तरह के फल व पेय पदार्थ का सेवन करते हैं. गन्ने का जूस, तरबूज, पपीता, खरबूजा, अंगूर, संतरा और नारियल का पानी का इस्तेमाल लाभदायक होता है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
बर्फ का गोला
हम सभी ने बचपन में स्कूल की छुट्टी के बाद घर जाते हुए चुस्की या बर्फ के गोले जरूर खाए होंगे. बाजार में तो अब कई स्वाद वाली चुस्की आ गई है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
नदी में डुबकी
दिन की तपिश में बच्चे अपने शरीर को ठंडा रखने के लिए हुगली नदी में छलांग लगा रहे हैं, गर्मियों में कोलकाता में इस तरह की तस्वीरें आम रहती हैं.