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समलैंगिक मेजर पर फिल्म को सेना ने ठुकराया

२१ जनवरी २०२२

12 साल पहले सेना छोड़ चुके एक समलैंगिक मेजर के जीवन पर आधारित फिल्म की स्क्रिप्ट को सेना ने मंजूरी देने से इंकार कर दिया है. फिल्मकार ओनिर ने सवाल उठाया है कि क्या भारतीय सेना की नजर में समलैंगिक होना गैर कानूनी है.

Indien Tag der Republik
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma

ओनिर ने यह स्क्रिप्ट भारतीय से एक संपेंगिक मेजर के जीवन पर आधारित एक फिल्म बनाने के लिए लिखी थी. उन्होंने रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र पाने के लिए स्क्रिप्ट भेजी क्योंकि मंत्रालय अब फिल्मों में सेना के चित्रण को लेकर ज्यादा सक्रीय हो गया है.

जुलाई 2021 में रक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी), सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जरिए फिल्म निर्माता कंपनियों से कहलवाया था कि वो सेना पर कोई भी फिल्म, डॉक्यूमेंटरी या वेब सीरीज बनाने से पहले रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र ले लें.

56 देशों में स्वीकार्य

ओनिर ने स्क्रिप्ट दिसंबर 2021 में भेजी थी लेकिन मंत्रालय ने उसे मंजूरी देने से इंकार कर दिया है. ओनिर ने इस पर निराशा जताई है.

उन्होंने कहा है कि दुनिया के कम से कम 56 देशों में सेना में एलजीबीटीक्यूआई लोगों के होने को स्वीकार किया जाता है, लेकिन भारत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को अपराध न समझे जाने के फैसले के बाद भी भारतीय सेना में यह आज भी गैर कानूनी है.

ओनिर कहते हैं कि वो यह फिल्म भारतीय सेना के पूर्व मेजर के जीवन पर बनाना चाहते थे जिन्होंने दो साल पहले खुद ही अपने जीवन के बारे में बताया. मेजर जे सुरेश ने 11.5 सालों तक भारतीय सेना में सेवाएं देने के बाद 2010 में सेना से इस्तीफा दे दिया था.

इस्तीफे की वजहों में से एक उनका समलैंगिक होना भी था. जुलाई 2020 में मेजर सुरेश ने एक ब्लॉग लिख कर और मीडिया संगठनों को साक्षात्कार देकर अपने समलैंगिक होने के बारे में खुल कर बताया.

सेना की दुनिया

उन्होंने बताया कि कि लगभग 25 साल की उम्र में जब वो खुद भी अपनी समलैंगिकता को स्वीकार करने से जूझ रहे थे, सेना की 'हाइपर स्ट्रेट' (अति विषमलैंगिक) दुनिया ने उनके लिए स्थिति और मुश्किल बना दी थी.

पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि सेना को समलैंगिकता मंजूर नहीं हैतस्वीर: Altaf Hussain/REUTERS

उन्हें ऐसा लगता था कि अगर वो सेना में किसी को अपनी समलैंगिकता के बारे में बताएंगे जो उन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा, बल्कि मुमकिन है कि उन्हें बेइज्जत कर सेना से निकाल ही दिया जाएगा.

कई सालों की जद्दोजहद के बाद मेजर सुरेश ने धीरे धीरे हिम्मत जुटा कर अपने परिवार और दूसरे करीबी लोगों को अपने समलैंगिक होने के बारे में बताया और उसके बाद सेना से भी इस्तीफा दे दिया.

भारतीय सेना का समलैंगिकता के प्रति रवैया काफी विवादास्पद है. 2019 में उस समय सेना प्रमुख रहे जनरल बिपिन रावत ने कहा था भारतीय सेना भारत के कानून के ऊपर तो नहीं है, लेकिन इसके बावजूद सेना को समलैंगिकता मंजूर नहीं है.

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में समलैंगिकता को अपराध न समझे जाने का आदेश दिया थातस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/D. Talukdar

उन्होंने कहा था कि सेना में समलैंगिकता सेक्स एक अपराध है और ऐसा करने वालों को सेना के कानून के तहत सजा दी जाएगी. सेना अधिनियम, 1950 में समलैंगिकता का जिक्र नहीं है लेकिन इसे अनुच्छेद 45 के तहत "अशोभनीय आचरण" के तहत डाला जा सकता है.

इसे अनुच्छेद 46 (अ) के तहत "क्रूर, अभद्र और अप्राकृतिक" आचरण के तहत भी डाला जा सकता है, जिस के लिए कोर्ट मार्शल या सात साल तक की जेल भी हो सकती है.

जैसा कि ओनिर ने कहा है, दुनिया के कई देशों ने अपनी सेनाओं में समलैंगिक लोगों का खुले तौर पर स्वागत किया है. इनमें अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं.

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