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भारत: इथेनॉल नीति से गुस्से में क्यों हैं कार मालिक

आमिर अंसारी रॉयटर्स
१२ अगस्त २०२५

भारत ने जुलाई में पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित समय से पांच साल पहले ही हासिल कर लिया, लेकिन वाहन मालिक कम माइलेज और इंजन के खराब प्रदर्शन की शिकायत कर रहे हैं.

इथेनॉल मिश्रण वाले पेट्रोल बेचे जाने से ग्राहक परेशान हैं
इथेनॉल मिश्रण वाले पेट्रोल बेचे जाने से ग्राहक परेशान हैंतस्वीर: Prakash Singh/AFP/Getty Images

भारत सरकार की नई ई20 नीति (20 फीसदी इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल) को लेकर वाहन मालिकों की कई शिकायतें हैं. भारत जिस तरह से अपने उत्सर्जन को कम करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए पेट्रोल में इथेनॉल को मिक्स कर रहा है, उपभोक्ता शिकायत कर रहे हैं कि इससे उनके वाहन के इंजन को नुकसान पहुंच रहा है.

भारत सरकार के तेजी से बढ़ते इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम का उद्देश्य ऊर्जा आयात को घटाना है. इस कार्यक्रम से भारत के किसानों की मदद भी होती है. दरअसल, बायोफ्यूल बनाने के लिए गन्ने और मक्के की जरूरत होती है, जिसे स्थानीय किसान उगाते हैं.

भारतीय कंपनियों ने नई डिस्टिलरियों में भारी निवेश कर रखा है और किसानों ने इथेनॉल की जरूरत को पूरा करने के लिए इन फसलों का उत्पादन भी बढ़ाया है. भारत ने हाल ही में पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिलाने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा किया है.

क्या कह रहे हैं उपभोक्ता

कार समीक्षक अमित खरे, जिनको यूट्यूब, मेटा और इंस्टाग्राम समेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर हर महीने 1.5 करोड़ लोग देखते हैं, ने इस ईंधन की आलोचना की है. खरे ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से कहा, "इथेनॉल एक शुष्क और संक्षारक ईंधन है."

उन्होंने कहा, "इससे इंजनों को ईंधन की सप्लाई करने वाले कई पुर्जे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. न तो सरकार और न ही देश के पेट्रोल पंप उपभोक्ताओं को इन सभी मुद्दों के बारे में सूचित कर रहे हैं. ग्राहकों को अंधेरे में रखा जा रहा है." जुलाई के महीने में जब उन्होंने इस मुद्दे से जुड़ा एक वीडियो पोस्ट किया तो कई ग्राहकों ने अपनी चिंता जाहिर की.

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उपभोक्ता पेट्रोल पंपों पर विकल्प की मांग कर रहे हैं

सोशल मीडिया पर अब उपभोक्ता अपनी कारों में क्या डालें, यह चुनने का अधिकार मांग रहे हैं. वे कम माइलेज, पुराने इंजनों को नुकसान और उसके बाद महंगी मरम्मत की शिकायतें कर रहे हैं.

ग्राहकों की मांग है कि पेट्रोल पर उन्हें विकल्प दिया जाएतस्वीर: Prakash Singh/AFP/Getty Images

एक और कार समीक्षक सुंदरदीप सिंह ने कहा कि सरकार को पेट्रोल पंपों के लिए अलग-अलग मिश्रण वाले पेट्रोल बेचना अनिवार्य कर देना चाहिए और उन पर स्पष्ट रंग-कोड लगाना चाहिए. सिंह ने कहा, "ज्यादातर उपभोक्ताओं को यह नहीं पता होता कि वे जो पेट्रोल खरीद रहे हैं उसमें कितना इथेनॉल मिलाया गया है."

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कम माइलेज की शिकायत

सरकार ने बीते दिनों कहा कि ई20 ईंधन को लेकर चिंताएं निराधार है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कहा कि आलोचना में "तकनीकी आधार" का अभाव है और कहा कि उसकी अपनी रिपोर्ट में इंजन को कोई बड़ी क्षति या प्रदर्शन में कोई कमी नहीं पाई गई.

लेकिन सरकार ने माना है कि नई कारों में माइलेज में थोड़ी कमी आ सकती है. सरकार के मुताबिक, यह कमी एक फीसदी से लेकर दो फीसदी तक और पुरानी कारों में छह फीसदी तक हो सकती है. लेकिन उसने साथ ही कहा कि नियमित सर्विसिंग से इसे नियंत्रित किया जा सकता है.

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सरकार के इन दावों पर कार मालिकों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और सोशल मीडिया पर माइलेज के आंकड़े साझा किए और सरकार पर सच्चाई छिपाने का आरोप लगाया. खरे ने कहा कि उन्होंने दो महीने तक ई20 मिक्स पेट्रोल से चलने वाली कार का परीक्षण किया और उसके माइलेज में पांच से छह फीसदी की गिरावट देखी.

ग्रीन हाउस गैसों में कटौती का लक्ष्य

बायोफ्यूल भारत सरकार की ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और तेल आयात की लागत में कटौती करने की योजनाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस नीति से भारत को 2014 से 2024 के बीच कच्चे तेल के आयात पर होने वाले खर्च में लगभग 1060 अरब रुपये की बचत हुई और उसी दशक में 5.44 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से बचने में मदद मिली.

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भारत ने ईंधन बनाने के लिए गन्ना, मक्का और चावल जैसी फसलों को अपनाकर इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि की है, जिससे लोगों और मवेशियों के लिए अनाज की उपलब्धता कम हो गई है.

भारत की दो सबसे बड़ी मोटरसाइकिल और स्कूटर निर्माता कंपनियों हीरो मोटोकॉर्प और टीवीएस मोटर ने भी इथेनॉल के बारे में एडवाइजरी जारी की है और कहा है कि 2023 से पहले बने उनके वाहनों को ई20 ईंधन पर कुशलतापूर्वक चलाने के लिए ईंधन सिस्टम में मॉडिफिकेशन की जरूरत है.

आमिर अंसारी डीडब्ल्यू के दिल्ली स्टूडियो में कार्यरत विदेशी संवाददाता.
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