भारत में कोविड से 40 लाख से ज्यादा लोग मरे हैं: रिपोर्ट
२१ जुलाई २०२१
एक नए और विस्तृत अध्ययन के बाद शोधकर्ता दावा कर रहे हैं कि भारत में मौतों की संख्या सरकारी आंकड़ों से दस गुना ज्यादा हो सकती है.
तस्वीर: Anindito Mukherjee/Getty Images
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यह रिपोर्ट उन आधिक्य मौतों के बारे में है जो समान अवधि में पिछले बरसों में हुई मौतों से तुलना करके गिनी जाती हैं. हालांकि यह कहना मुश्किल है कि इन आधिक्य मौतों में से कितनी सीधे-सीधे कोविड से हई हैं लेकिन ये कोविड महामारी के देश पर हुए विस्तृत असर का अनुमान है. भारत ने आधिकारिक तौर पर कोविड-19 से 4 लाख 14 हजार लोगों के मरने की पुष्टि की है.
लेकिन आधिक्य मौतों का यहां कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है. अमेरिका स्थित सेंटर फॉर ग्लोबल डिवेलपमेंट ने अपने इस विस्तृत अध्ययन के लिए तीन अलग-अलग स्रोतों से आंकड़े लिए हैं. इसके आधार पर बताया गया है कि भारत में जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच हुई मौतों की संख्या 34 से 47 लाख के बीच हो सकती है. इसी अवधि में बीते बरसों की तुलना में यह संख्या दस गुना ज्यादा है.
विस्तृत अध्ययन
शोधकर्ताओं ने सात राज्यों में मौतों के आंकड़ों का अध्ययन किया है. इन सात राज्यों में कुल मिलाकर भारत की आधी से ज्यादा आबादी रहती है. भारत हर साल मौत के आंकड़ों का सर्वेक्षण तो करता है लेकिन अब तक 2019 तक के आंकड़े ही सार्वजनिक किए गए हैं. अमेरिकी शोधकर्ताओं ने सीरो सर्वेक्षण के आंकड़ों का भी अध्ययन किया है. सीरो सर्वेक्षण देशभर में हुए दो एंटिबॉडी टेस्ट के आंकड़े हैं.
इनकी तुलना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या से की गई. इसके अलावा भारत के एक लाख 77 हजार घरों में रहने वाले आठ लाख 68 हजार लोगों के बीच हुए उपभोक्ता सर्वेक्षण से आंकड़े लिए गए. इस सर्वेक्षण में यह भी पूछा जाता है कि पिछले चार महीने में घर के किसी सदस्य की मौत हुई है या नहीं. वैज्ञानिकों ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि सीरो सर्वेक्षणों के आधार पर संक्रमण दर का इस्तेमाल मौतों का अनुमान लगाने के लिए किया जाए.
तस्वीरों मेंः भारत में सांसों का संकट
भारत में सांसों का संकट
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन की कमी से मरीज और उनके रिश्तेदार लाचार घूम रहे हैं. ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से कई मरीजों की मौत हो जा रही है. कई मरीजों को अस्पताल में बेड भी नहीं मिल पा रहा है.
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS
शहर दर शहर लोग बेहाल
भारत के बड़े शहर हो या छोटे हर जगह कोरोना के मरीजों को बेहतर इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. देश की स्वास्थ्य व्यवस्था कोरोना के मरीजों का भार नहीं उठा पा रही है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
शहर दर शहर लोग बेहाल
देश के कई गुरुद्वारों में कोरोना के मरीजों को निशुल्क ऑक्सीजन दी जा रही है. मरीजों के लिए राजधानी दिल्ली में खास इंतजाम किए गए हैं. दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी की तरफ से 250 बेड का कोविड फैसिलिटी सेंटर बनया गया.
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शहर दर शहर लोग बेहाल
उत्तर भारत में इस वक्त भीषण गर्मी पड़ रही है. मरीज ही नहीं उनके रिश्तेदारों को कड़ी धूप में अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.
तस्वीर: Naveen Sharma/ZUMA Wire/imago images
शहर दर शहर लोग बेहाल
कोरोना के जो मरीज घर पर अपना इलाज करा रहे होते हैं जब उनका ऑक्सीजन लेवल अचानक गिर जाता है तो उन्हें अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते हैं. ज्यादातर उनके हाथ निराशा ही लगती है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
शहर दर शहर लोग बेहाल
भारत में कोरोना वायरस विकराल रूप ले चुका है. बड़े अस्पताल और छोटे अस्पताल दोनों ही कोरोना के मरीज लेने से इनकार कर रहे हैं. कई बार डॉक्टर भी मजबूरी में मरीजों को घर ले जाने की सलाह दे देते हैं.
अस्पताल में जगह नहीं मिलने के बाद परिजनों का बुरा हाल हो जाता है. वे अस्पताल प्रशासन के आगे कई बार हाथ जोड़ते भी नजर आते हैं.
तस्वीर: -/Hindustan Times/imago images
शहर दर शहर लोग बेहाल
दिल्ली के कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज को अस्थायी कोविड-19 देखभाल केंद्र के रूप में बनाया गया है. दिल्ली में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने के साथ ही ऑक्सीजन, इंजेक्शन और दवाइयों का संकट हो गया है.
तस्वीर: Raj K Raj/Hindustan Times/imago images
शहर दर शहर लोग बेहाल
सिर्फ दिल्ली ही नहीं कई राज्यों में पिछले कुछ दिनों से ऑक्सीजन का संकट बना हुआ है. हाईकोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों को ऑक्सीजन सप्लाई करने को लेकर आदेश भी दे चुका है.
अस्पताल में बेड ही नहीं बल्कि एंबुलेंस जैसी जरूरी सेवा भी कई मरीजों को नसीब नहीं हो रही है. अनेक राज्यों में मरीज रिक्शा, ऑटो रिक्शा, मोटर साइकिल पर सवार होकर अस्पताल तक पहुंचते हैं.
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS
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भारत के पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन के नेतृत्व में यह शोध हुआ था. इस साल अप्रैल और मई में भारत से भयावह तस्वीरें देखी गई जब कोरोना वायरस महामारी ने भारत पर ऐसा कहर बरपाया कि न सिर्फ अस्पताल और ऑक्सीजन सिलेंडर कम पड़ गए बल्कि श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए शवों की कतारें नजर आईं.
असल तस्वीर कहीं ज्यादा भयानक
रिपोर्ट कहती है कि "यह एक त्रासद सच्चाई है कि मरने वालों की संख्या हजारों में नहीं बल्कि लाखों में है.” हालांकि रिपोर्ट लिखने वालों ने स्पष्ट किया कि जरूरी नहीं आधिक्य मौतें सिर्फ कोविड से ही हुई हों. उन्होंने कहा, "हम मरने की सभी वजहों की गणना कर रहे थे. और हमने महामारी से पहले की मौतों के औसत से तुलना के आधार पर अनुमान लगाया है.” भारत सरकार ने इस रिपोर्ट पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है.
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 से हुई मौतों का सही अनुमान लगाने के लिए आधिक्य मौतें सबसे सही तरीका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने ट्विटर पर कहा, "हर देश के लिए यह जरूरी है कि आधिक्य मौतों का अनुमान लगाए. भविष्य में अधिक मौतें रोकने और अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था को झटकों के लिए तैयार रखने का यही रास्ता है.”
तस्वीरों मेंः संकट के समय भारत के साथ दुनिया
संकट के समय में भारत के साथ खड़ा हुआ विश्व
भारत इस वक्त कोरोना वायरस की दूसरी बड़ी लहर से जूझ रहा है. क्या मरीज और क्या अस्पताल, सभी ऑक्सीजन की किल्लत से कराह रहे हैं. मुश्किल घड़ी में भारत के साथ कई देश खड़े हो गए हैं. वे ऑक्सीजन, दवा और वैक्सीन भेज रहे हैं.
तस्वीर: High Commission of India for Singapore/REUTERS
अमेरिका
भारत की कोविड से जंग जारी है और इस दौरान भारत की मदद के लिए अमेरिका ने हाथ बढ़ाया है. 30 अप्रैल को अमेरिका से पहली आपात मेडिकल सप्लाई पहुंची. अमेरिका ने भारत को 400 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर, रैपिड कोरोना टेस्ट किट और अन्य चिकित्सा उपकरण भेजे. इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोविड-19 से लड़ाई में भारत का साथ देने की प्रतिबद्धता जताई थी.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
ब्रिटेन
ब्रिटेन ने कोरोना से लड़ाई में भारत की मदद तो की है लेकिन उसने कहा है कि उसके पास कोरोना वैक्सीन के अतिरिक्त टीके देने के लिए मौजूद नहीं है. ब्रिटेन फिलहाल कोरोना संकट में अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है. भारत को 495 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 120 नॉन-इनवेजिव वेंटिलेटर्स और 20 मैनुअल वेंटिलेटर्स की सप्लाई की जा चुकी है.
तस्वीर: ANI/REUTERS TV
जर्मनी
जर्मनी ने अपने पुराने दोस्त भारत की मदद करने के लिए कई फैसले लिए हैं. जर्मनी ने भारत की मानवीय सहायता के लिए दवाएं और वेंटिलेटर भेजे हैं. इसके अलावा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की पहली खेप भी भारत पहुंच चुकी है. भारत में जर्मन राजदूत वाल्टर लिंडनर ने कहा है कि महामारी में भारत ने टीकों और दवाओं का उत्पादन करके दुनिया और हमारी मदद की. अब हमें मुश्किल में फंसे दोस्तों की मदद करने की जरूरत है.
तस्वीर: Christoph Soeder/dpa/picture alliance
चीन
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने वादा किया कि कोविड-19 के खिलाफ जंग में उनका देश भारत की हरसंभव मदद करेगा और कहा कि चीन में बनी महामारी रोधी सामग्री ज्यादा तेज गति से भारत पहुंचाई जा रही है.
तस्वीर: Wang Yuguo/XinHua/picture alliance
सऊदी अरब
मुसीबत के इस समय में भारत की मदद के लिए सऊदी अरब ने भी हाथ बढ़ाया है. सऊदी अरब ने मुश्किल घड़ी में भारत को 80 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन भेजी है. भारत ने ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए कई देशों से मदद मांगी है.
तस्वीर: Foreign, Commonwealth & Development Office/AFP
सिंगापुर
सिंगापुर सरकार महामारी से जूझ रहे भारत की मदद के लिए आगे आई है. सिंगापुर ने भारत की मदद के लिए ऑक्सीजन और सिलेंडरों की खेप भेजी है.
तस्वीर: High Commission of India for Singapore/REUTERS
फ्रांस
फ्रांस ने भी भारत के लिए 'एकजुटता अभियान' की घोषणा है. जिसके तहत वह कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से लड़ने में भारत की मदद के लिए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, वेंटीलेटर्स और अन्य चिकित्सा सामान भेजने जा रहा है.
तस्वीर: PRABHAKAR/DW
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न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार ने एक रिपोर्ट में कहा है कि यदि भारत में बहुत तंग अनुमान भी लगाया जाए तो छह लाख मौतें हुई हैं और बुरी से बुरी स्थिति का अनुमान तो कई गुना ज्यादा है. भारत सरकार इन आंकड़ों को खारिज कर चुकी है. देश में अब तक सिर्फ आठ फीसदी वयस्कों को ही वैक्सीन की दोनों खुराक मिली हैं, जिस कारण कोरोना की तीसरी लहर को लेकर डर जाहिर किया जा रहा है.