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क्या होते हैं ग्रीन बॉन्ड, भारत में जल्द जारी होने वाले हैं

१० नवम्बर २०२२

भारत सरकार ग्रीन बॉन्ड के जरिए 16,000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है. सरकार ग्रीन बॉन्ड के जरिए हरित परियोजनाओं के लिए फंडिंग जुटाएगी.

तस्वीर: G. Fischer/blickwinkel/picture alliance

भारत सरकार के पहले ग्रीन बॉन्ड सौर ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित करेंगे, इसके बाद पवन और छोटी जलविद्युत परियोजनाएं होंगी. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की स्वच्छ परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए घरेलू बाजार पर नजर है.

ग्रीन बॉन्ड अन्य बॉन्डों की एक तरह का निवेश है, जिसमें निवेशकों को निवेश के बदले ब्याज दिया जाएगा. ग्रीन बॉन्ड में निवेश से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल सरकार द्वारा स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में किया जाएगा.

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बुधवार को वित्त मंत्रालय की ओर से जारी नए ग्रीन बॉन्ड मसौदे के मुताबिक केंद्र सरकार 16,000 करोड़ रुपये के ग्रीन बॉन्ड के माध्यम से इस साल 9 व्यापक श्रेणियों में परियोजनाओं और पहल का वित्तपोषण करेगी. ग्रीन बॉन्ड से मिलने वाले धन को भारत की संचित निधि में जमा किया जाएगा. यह नियमित ट्रेजरी नीति की तर्ज पर होगा और इसे पात्र ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.

ग्रीन बॉन्ड से प्राप्त पैसे का इस्तेमाल 25 मेगावाट से बड़े जलविद्युत संयंत्र, परमाणु परियोजनाएं और कोई भी बायोमास आधारित बिजली उत्पादन के क्षेत्र में नहीं किया जाएगा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में घोषणा की थी सरकार ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए संसाधन जुटाने के लिए ग्रीन बॉन्ड जारी करना का प्रस्ताव रखती है. सरकार चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही यानी अक्टूबर से मार्च के बीच ग्रीन बॉन्ड जारी करके 16,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है.

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मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन की अध्यक्षता में एक हरित वित्त कार्य समिति सरकारी विभागों द्वारा पेश परियोजनाओं में से हरित वित्तपोषण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं का चयन करेगी. सरकार ने कहा कि समिति परियोजनाओं को चुनने के लिए पर्यावरण विशेषज्ञों और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रतिनिधियों द्वारा निर्देशित होगी.

यह समिति हर साल ग्रीन बॉन्ड के माध्यम से वित्त पोषित होने वाली नई परियोजनाओं की पहचान करेगी.

वित्त मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में 2021 में कोप 26 के दौरान विजन "पंचामृत" के तहत कदम उठाए जाने के वादे किए थे और यह अनुमोदन भी उसी का हिस्सा है.

ग्रीन बॉन्ड एक ऐसा वित्तीय उपाय है जो पर्यावरण और जलवायु के अनुकूल वाली परियोजनाओं में निवेश को गति देगा. वैश्विक स्तर पर इस तरह के बॉन्ड निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय होते हैं.

एए/सीके (रॉयटर्स से जानकारी के साथ)

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