वह दुल्हन बनेगी, मेकअप करेगी और मांग पर सिंदूर भी लगाएगी. लेकिन दूल्हा नहीं होगा और न ही उसकी बारात आएगी. गुजरात की महिला ने खुद से ही शादी करने का फैसला किया है.
गुजरात के वडोदरा की रहने वाली 24 वर्षीय क्षमा बिंदु की और लड़कियों की तरह दुल्हन बनने की ख्वाहिश थी लेकिन वह शादी नहीं करना चाहती थी. ऐसे में उन्होंने इस समस्या का समाधान खुद से शादी कर निकालने का फैसला किया. संभवत: भारत में सोलोगैमी का यह पहला मामला होगा. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बिंदु की शादी 11 जून को होगी. रिपोर्ट कहती है कि शादी के सभी समारोह होंगे लेकिन दूल्हा नहीं होगा और न ही बाराती होंगे.
बिंदु ने अखबार को कहा, "मैं कभी शादी नहीं करना चाहती थी. लेकिन मैं दुल्हन जरूर बनना चाहती थी." बिंदु का कहना है कि उन्होंने यह जानने के लिए इंटरनेट पर सर्च किया कि क्या देश में किसी महिला ने पहले कभी खुद से शादी की है. लेकिन उन्हें एक भी मामला नहीं मिला. वह कहती हैं, "शायद मैं अपने देश में खुद से प्यार का उदाहरण स्थापित करने वाली पहली हूं."
बुल्गारिया की मशहूर मुस्लिम शादियां
बुल्गारिया में इस छोटे से पोमाक मुस्लिम समुदाय की शादियां सिर्फ सर्दियों में होती हैं. ये तस्वीरें बताती हैं कि ये शादियां कितनी सुंदर होती हैं.
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बुल्गारियन दुल्हन का श्रृंगार
किमील अवदिनोवा अपनी शादी के लिए तैयार हो रही हैं. यह शादी बहुत खास है और इसे देखने के लिए पर्यटक भी आते हैं.
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रिबनोवो कस्बे की शादी
बुल्गारिया की रोडोप पहाड़ियों में यह छोटा सा कस्बा है जिसका नाम है रिबनोवो. इस कस्बे में रहने वाले ज्यादातर लोग पोमाक मुसलमान हैं.
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पोमाक यानी सताए हुए
बुल्गारिया एक धर्मनिरपेक्ष देश है लेकिन अधिकतर आबादी ईसाई है. यहां छोटा सा पोमाक मुस्लिम समुदाय भी रहता है जिसे कम्युनिस्ट तानाशाही के दौरान काफी प्रताड़ना झेलनी पड़ी. लेकिन ये लोग वे हैं जिन्होंने 16वीं-17वीं सदी के आसपास ओटोमन साम्राज्य के दौरान इस्लाम अपना लिया था.
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सिर्फ सर्दियों में शादी
पोमाक मुसलमानों की शादी सिर्फ सर्दियों में होती है. इसलिए इसका इंतजार सालभर किया जाता है.
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विशेष मेकअप
इस शादी की सबसे खास बात होती है दुल्हन का मेकअप. दुल्हन के पूरे चेहरे को जिस खूबसूरती से रंगा जाता है, उसे देखने ही बहुत से लोग आते हैं.
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परंपराएं
शादी की रस्म बहुत निजी होती है. दुल्हन के मेकअप के वक्त सिर्फ उसके ससुराल पक्ष की महिलाओं को वहां होने की इजाजत होती है.
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शादी के बाद अकेले हनीमून पर जाएंगी
बिंदु के मुताबिक खुद से शादी अपने लिए होने की प्रतिबद्धता और खुद के लिए बिना शर्त प्यार है. उन्होंने कहा यह "आत्म-स्वीकृति का एक कार्य" भी है. निजी कंपनी में काम करने वाली बिंदु कहती हैं, "लोग उनसे शादी करते हैं जिनसे वे प्यार करते हैं. मैं खुद से प्यार करती हूं और मैं ऐसा कर रही हूं."
शादी के बाद वह दो हफ्ते के लिए हनीमून पर गोवा जाने वाली हैं. बिंदु का कहना है कि उनके माता-पिता खुले विचार वाले हैं और उन्होंने शादी को लेकर आशीर्वाद भी दिया है.
सोलोगैमी एक सार्वजनिक समारोह में खुद से शादी करने की क्रिया है, जिसे स्व-विवाह या ऑटोगैमी भी कहा जाता है. जबकि इस तरह की शादी की कोई कानूनी स्वीकृति या मान्यता नहीं है. प्रतीकात्मक समारोह का इस्तेमाल कई लोग अपने आत्म-प्रेम और स्वतंत्रता को जाहिर करने के लिए करते हैं.
साल 1993 में अमेरिका में एक डेंटल हाइजीनिस्ट ने खुद से शादी की थी. इसे व्यापक रूप से स्व-विवाह का पहला प्रचारित कार्य माना जाता है, जिसमें बेकर के लगभग 75 दोस्तों ने हिस्सा लिया था. जहां दुल्हन ने कहा था "आई डू."
पिछले साल एक सोलोगैमी तलाक की भी रिपोर्ट आई थी. जब एक 33 साल की ब्राजीलियाई मॉडल क्रिस गैलेरा ने घोषणा की थी कि वह सिर्फ 90 दिनों के बाद अपनी खुद की शादी खत्म कर रही हैं क्योंकि उन्हें किसी और से प्यार हो गया है.
15 शादियों वाले राजा और 40 शादियों वाले संत
बहुविवाह यानी एक से ज्यादा लोगों के साथ शादी करने पर दुनिया के ज्यादातर देशों में रोक है लेकिन फिर भी इसे बर्दाश्त किया जाता है. आज भी दर्जन भर देशों यह कानूनी रूप से वैध है. 1-2 से लेकर 30 और 40 विवाह वाले लोग भी हैं.
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केवल 2 फीसदी बहुविवाह परिवार
आंकड़ों की बात करें तो दुनिया की आबादी में केवल दो फीसदी परिवार ही बहुविवाह वाले परिवार हैं. ज्यादातर देशों में इसकी हिस्सेदारी महज 0.5 फीसदी है. ये आंकड़े 2019 में वाशिंगटन के पीयू रिसर्च सेंटर ने 130 देशों का सर्वेक्षण करने के बाद जुटाए.
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औरतें भी करती हैं एक से ज्यादा मर्दों से शादी
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग और महिलाओं से भेदभाव के खिलाफ बनाई गई समिति ने इस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है. बहुविवाह को ज्यादातर मर्दों का खेल बताया जाता है लेकिन यह सिर्फ मर्दों का खेल नहीं है.
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बहुविवाह और बहुपति
मर्दों की एक से ज्यादा औरतों से शादी के किस्से बहुत हैं लेकिन औरतों के एक से ज्यादा मर्दों से शादी के उदाहरण भी हैं. कुछ जगहों पर एक मर्द कई बहनों से शादी करते हैं और इसी तरह कुछ जगहों पर एक औरत की कई भाइयों से भी शादी होती है. नेपाल में तो बकायदा इसकी एक परंपरा भी है.
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मध्यपूर्व और एशिया में वैध
बहुविवाह पर यूरोप सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में रोक है. मध्यपूर्व, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में यह कानूनी रूप से वैध है. हालांकि कानूनी रूप से वैध होने के बावजूद यह बहुत आम नहीं है. यह तस्वीर जोहानिसबर्ग के रॉबर्ट चाउके की है जिनकी छह पत्नियां और 26 बच्चे हैं.
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अफ्रीकी देशों में ज्यादा होते हैं बहुविवाह
उप सहारा के अफ्रीकी देशों में यह सबसे ज्यादा दिखाई देता है. यहां की 11 फीसदी आबादी बहुविवाह वाले परिवारों में रहती है. इनमें भी पश्चिमी और मध्य अफ्रीका के देशों में यह सबसे ज्यादा है. बुर्किना फासो में 36, माली में 34, और गांबिया में 30 तो नाइजर में 29 फीसदी आबादी बहुविवाह वाले परिवारों की है.
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मुसलमानों में ज्यादा
अफ्रीका के ईसाईयों की तुलना में मुसलमानों में यह प्रथा ज्यादा आम है. इसके अलावा स्थानीय धर्मों को मानने वालों में भी इसका प्रचलन ज्यादा है. नाइजीरिया में प्रतिबंधित होने के बावजूद 12 उत्तरी राज्यों में यह धड़ल्ले से जारी है जहां शरिया या इस्लामिक कानून है.
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रोक से भी नहीं बनी बात
गिनी बिसाउ और सेनेगल में 23 और टोगो में 17 फीसदी परिवार बहुविवाह वाले है. बहुविवाह पर रोक होने पर भी नाइजीरिया में 28 फीसदी तो गिनी में 26 फीसदी आबादी बहुविवाह परिवार वाली है. तस्वीर में नाइजीरिया के नेता अतीकू अबूबकर अपनी दो बीवियों के साथ चुनावी रैली में दिख रहे हैं.
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चार औरतों से शादी
ज्यादातर पश्चिमी अफ्रीकी देश कुछ शर्तों के साथ चार औरतों से शादी करने की मंजूरी देते हैं. इनमें सभी औरतों के साथ समान व्यवहार की भी शर्त है. हालांकि व्यवहार में बहुविवाह करने वाले ज्यादातर मर्द दो बीवियां रखते हैं.
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15 बीवियों वाले राजा
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा जूलू परंपरावादी हैं. उनकी चार पत्नियां और 20 बच्चे हैं. एस्वातिनी (भूतपूर्व स्वाजिलैंड) के राजा एमस्वाती तृतीय ने 15 औरतों से शादी की है जिनमें से एक की मौत हो गई और उनके 25 से ज्यादा बच्चे हैं.
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इतिहास में बहुविवाह
बहुविवाह को ऐतिहासिक रूप से युद्धों के जमाने में बढ़ावा मिला. इसके जरिए विधवाओं और अनाथ बच्चों को सहारा मिलता था. हालाकि फिर भी यह प्रथा ज्यादातर मुस्लिम देशों में ही पनपती रही. अरब देशों में पहली बार 1956 में इस पर रोक लगी और ऐसा करने वाला देश था ट्यूनीशिया.
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चार बीवियों की प्रथा
इस्लाम में चार बीवियां रखने की इजाजत है. हालांकि मिस्र के सर्वोच्च सुन्नी संस्थान के बड़े इमाम अहमद अल तायब इस प्रथा की आलोचना करते हैं और इसे "कुरान की गलत व्याख्या और पैगंबर की परंपरा" से निकली हुई बताते हैं. तायब इसे औरतों और बच्चों के साथ अन्याय मानते हैं.
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अमेरिका में बहुविवाह
यहूदी तोरा और क्रिश्चियन ओल्ड टेस्टामेंट में भी बहुविवाह के कई उदाहरण हैं लेकिन मध्ययुग में इस प्रथा को समाज ने खारिज कर दिया. अमेरिका के कट्टर ईसाई संप्रदाय मॉरमॉन को मानने वाले दसियों हजार लोग आज भी बहुविवाह की प्रथा चला रहे हैं. हालांकि उटा के मॉरमॉन समुदाय ने 1890 में इस पर रोक लगा दी.
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30-40 बीवियां
मॉरमॉन धर्म के प्रवर्तक स्मिथ की 30-40 बीवियां थीं जिनमें से एक की उम्र तो महज 14 साल ही थी. 2014 में इस धर्म से जुड़े चर्च जीसस क्राइस्ट ऑफ लैटर डे सेंट्स ने इस जानकारी को सार्वजनिक किया था.
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हिंदुओं में बहुविवाह
हिंदू धर्म में बहुविवाह आम लोगों के लिए वर्जित है, हालांकि धार्मिक पुस्तकों में बताया गया है कि भगवान राम के पिता दशरथ की तीन पत्नियां और कृष्ण की 16,108 रानियां थीं. इसके अलावा महाभारत में अर्जुन की दो पत्नी और द्रौपदी के पांच पतियों का भी जिक्र मिलता है.