1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारतीय विदेश मंत्री सऊदी अरब और यूरोप की यात्रा पर

९ सितम्बर २०२४

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर दो दिन सऊदी अरब में बिता कर मंगलवार 10 सितंबर को यूरोप पहुंचेंगे. यूरोप में वो जर्मनी और स्विट्जरलैंड जाएंगे और उन देशों के नेताओं से कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे.

फरवरी, 2024 में म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेते एस जयशंकर
जयशंकर की यूरोप यात्रा को यूक्रेन युद्ध में भारत की मध्यस्थता की संभावनाओं से जोड़ कर देखा जा रहा हैतस्वीर: Johannes Simon/Getty Images

एस जयशंकर रविवार नौ सितंबर को गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) की बैठक के लिए सऊदी अरब की राजधानी रियाद पहुंचे. जीसीसी फारस की खाड़ी से घिरे देशों का एक समूह है. सऊदी अरब के अलावा, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, ओमान, कतार और कुवैत इसके सदस्य देश हैं.

जयशंकर की यात्रा से पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत और जीसीसी के बीच गहरे और बहुआयामी संबंध हैं, जो व्यापार, निवेश, ऊर्जा, संस्कृति जैसे क्षेत्रों और लोगों के बीच आपसी रिश्तों में दिखाई देते हैं.

यूक्रेन पर हो सकती है बातचीत

बयान में आगे कहा गया, "जीसीसी इलाका भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार के रूप में उभरा है और यहां बड़ी संख्या में (89 लाख) प्रवासी भारतीय रहते हैं." जयशंकर जीसीसी के सभी सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे.

पुतिन ने कहा है कि भारत, चीन और ब्राजील यूक्रेन युद्ध का हल ढूंढने की कोशिश कर रहे हैंतस्वीर: Alexander Zemlianichenko/AP Photo/picture alliance

यात्रा के दूसरे चरण में मंगलवार को जयशंकर जर्मनी की दो दिनों की यात्रा के लिए बर्लिन पहुंचेंगे. वहां वो जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक से और जर्मन सरकार के अन्य मंत्रियों से मिलेंगे. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों के हर पहलू पर बातचीत होगी. लेकिन अटकलें लग रही हैं कि बातचीत यूक्रेन युद्ध पर केंद्रित रह सकती है.

12 और 13 सितंबर को जयशंकर स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर में होंगे. वहां वो स्विस विदेश मंत्री से दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग पर बातचीत करेंगे. जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र समेत कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के दफ्तर हैं और जयशंकर इन संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मिलेंगे.

बीते कुछ हफ्तों से यूक्रेन युद्ध में भारत द्वारा मध्यस्थता करने की संभावना पर चर्चा चल रही है. जयशंकर की यूरोप यात्रा को इस संभावना की दृष्टि से भी देखा जा रहा है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई में रूस और अगस्त में यूक्रेन गए थे.

क्या भारत कर सकता है मध्यस्थता

इन यात्राओं के दौरान उन्होंने पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से और फिर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बातचीत की थी. पिछले हफ्ते रूस से जारी आधिकारिक बयानों में कहा गया कि भारत मध्यस्थता कर सकता है.

ईयू को तेल बेचकर रूस ने कमाए करोड़ों

01:53

This browser does not support the video element.

पांच सितंबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बयान में कहा था कि वो चीन, ब्राजील और भारत जैसे अपने उन मित्र देशों की इज्जत करते हैं जो यूक्रेन युद्ध "के सभी मुद्दों को हल करने की कोशिश" कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि वो इन तीन देशों में अपने सहयोगियों के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं.

लेकिन यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत की भूमिका काफी चर्चा में रही है. मोदी ने बार बार युद्ध की निंदा तो की लेकिन यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की निंदा नहीं की. संयुक्त राष्ट्र में रूस की आलोचना के लिए लाए गए प्रस्तावों से भी भारत दूर रहा.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद भारत लगातार रूस से सस्ते दाम पर कच्चा तेल खरीदता रहा, और इस वजह से पश्चिम में भारत की छवि रूस के मित्र देश की बनी रही.

पश्चिमी देश लगातार भारत से उम्मीद भी लगाए रहे कि वह रूस को युद्ध खत्म करने की सलाह देगा. लेकिन दो सालों से भी ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद युद्ध अभी भी खात्मे की तरफ बढ़ता हुआ नजर नहीं आ रहा है.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें