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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिका के व्हाइट हाउस में होगा नरेंद्र मोदी का स्वागत

११ मई २०२३

अगले महीने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका जाएंगे, जहां राष्ट्रपति जो बाइडेन व्हाइट हाउस में उनसे मुलाकात करेंगे. दोनों नेता उससे पहले मई में ऑस्ट्रेलिया में भी मिलेंगे.

नवंबर 2022 में जो बाइडेन और नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया में मिले थे
नवंबर 2022 में जो बाइडेन और नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया में मिले थेतस्वीर: BAY ISMOYO/AFP

अमेरिका ने इस बात की पुष्टि की है कि 22 जून को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात करेंगे. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन ज्याँ-पिएरे ने बुधवार को बताया कि 22 जून को मोदी अमेरिका में बाइडेन से मिलेंगे. उन्होंने कहा कि इस मुलाकात से "भारत और अमेरिका के पारिवारिक और दोस्ताना रिश्तों को और मजबूती मिलेगी.”

कैरिन के मुताबिक दोनों नेताओं की बातचीत एक स्वतंत्र और सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्धता पर केंद्रित होगी और साथ ही तकनीकी साझीदारी पर भी चर्चा होगी. इस साझीदारी में सुरक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग शामिल है. मोदी और बाइडेन के बीच जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और कौशल विकास जैसी साझा चुनौतियों को सुलझाने पर भी चर्चा होगी.

भारत के विदेश मंत्रालय ने नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे की पुष्टि करते हुए कहा कि यह यात्रा "भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग की अहमियत को रेखांकित करती है.”

एक बयान में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, "यह ऐतिहासिक यात्रा भारत और अमेरिका के लिए वैश्विक तौर पर रणनीतिक और समग्र सहयोग को और मजबूत करने का एक मौका है.”

खट्टे-मीठे रिश्ते

बाइडेन सरकार के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते कमोबेश बेहतर रहे हैं. चीन को मुकाबला देने के लिए बाइडेन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कई देशों से रिश्ते मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं. आकुस और क्वॉड जैसे संगठनों को सक्रिय किया है, जिनके जरिये ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों के साथ गठजोड़ मजबूत हो रहे हैं. लेकिन भारत इस क्षेत्र में उसके अहम साझीदारों में से एक है.

लेकिन अमेरिका के अन्य सहयोगियों के उलट भारत से अमेरिका को रूस के खिलाफ किसी तरह का समर्थन नहीं मिला है. अमेरिका के बाकी तमाम सहयोगियों ने रूस के खिलाफ लगाए आर्थिक प्रतिबंधों का समर्थन किया है जबकि भारत ने रूस से आर्थिक और व्यापारिक सहयोग बढ़ा दिया है. रूस सामरिक दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा साझीदार है और सबसे बड़ा हथियार सप्लायर भी है.

इस महीने अमेरिका, जापान और भारत के नेता ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में क्वॉड सम्मेलन में मिलने वाले हैं. चारों देशों के नेताओं की सिडनी के ओपेरा हाउस में 24 मई को मुलाकात होगी.

बाइडेन रूस के खिलाफ दुनिया की ताकतों को एकजुट करने में जुटे हैं लेकिन भारत के रूस से रिश्ते और मजबूत हो रहे हैं. उसने रूस से और ज्यादा तेल खरीदा है, जिसके लिए उसने अपनी ऊर्जा जरूरतों का तर्क दिया है.

चीन ज्यादा जरूरी मुद्दा

सितंबर में भारतीय प्रधानमंत्री ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की थी. उस दौरान भारत ने यूक्रेन युद्ध पर बहुत नपी-तुली प्रतिक्रिया दी थी. मोदी ने पुतिन से कहा था, "मैं जानता हूं कि यह युग युद्ध करने का नहीं है.” भारत हमेशा कहता रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को रोक कर बातचीत से मुद्दों को सुलझाना चाहिए.

लेकिन रूस के मामले पर मतभेदों के बावजूद भारत और अमेरिका के आपसी रिश्ते खराब नहीं हुए हैं. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इसकी बड़ी वजह चीन है क्योंकि अमेरिका चीन के खिलाफ एक बड़ा सहयोगी चाहता है. वॉशिंगटन स्थित यूएस-इंडिया पॉलिसी इंस्टिट्यूट फॉर स्ट्रैटिजिक एंड इंटरनेशनल स्ट्डीज के अध्यक्ष रिचर्ड रोसो कहते हैं, "भले ही रूस, यूक्रेन और दुनियाभर के तमाम मुद्दों पर हम अलग-अलग राय रखते हों, एक उभरते हुए खतरे पर हम दोनों सहमत हैं. हमारी समझ में अगली पीढ़ियों के लिए वहां उम्मीद बहुत कम है.”

भारत बना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का अखाड़ा

पिछले साल बाइडेन ने भारत और हिंद-प्रशांत के 11 अन्य देशों के साथ एक व्यापार समझौता किया था. अमेरिका का कहना है कि इस इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क का मकसद सप्लाई चेन, डिजिटल ट्रेज, अक्षय ऊर्जा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करना है.

मानवाधिकारों का मुद्दा

जब अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय प्रधानमंत्री को व्हाइट हाउस में आमंत्रित करेंगे तो उन्हें मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की भी आलोचना झेलनी होगी, जिनका मानना है कि नरेंद्र मोदी की बीजेपी के सरकार में आने के बाद भारत में कट्टरपंथ और मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ा है व मीडिया की आजादी कम हुई है. मानवाधिकार कार्यकर्ता आरोप लगाते हैं कि बीजेपी सरकार ने मुसलमानों व अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाया है और अपनी ध्रुवीकरण की नीतियों से कई तरह के जुल्म ढाए हैं.

यूक्रेन जैसा हाल हिंद-प्रशांत में नहीं होने देंगेः क्वॉड

मोदी सरकार पर अपने आलोचकों को चुप कराने के लिए कानूनों व पुलिस का इस्तेमाल करने के आरोप भी लगते हैं. हालांकि भारत मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों को लगातार नकारता रहा है लेकिन कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों की रिपोर्टों में लगातार उसकी आलोचना होती है.

इस बारे में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ज्याँ-पिएरे ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन हमेशा मानवाधिकारों के मुद्दे पर अपने सहयोगियों से बात करते हैं लेकिन भारत और अमेरिका का रिश्ता रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, "हिंद-प्रशांत क्षेत्र की दृष्टि से यह बहुत अहम संबंध है. राष्ट्रपति मानते हैं कि यह एक महत्वपूर्ण रिश्ता है जिसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए और मजबूत किया जाना चाहिए.”

नरेंद्र मोदी सितंबर 2021 में भी व्हाइट हाउस में बाइडेन से मिल चुके हैं, जब वह क्वॉड नेताओं की बैठक में शामिल हुए थे. भारत जी-20 समूह का मौजूदा अध्यक्ष भी है और संभव है कि इस साल के दूसरे हिस्से में बाइडेन जी-20 की बैठक में हिस्सा लेने दिल्ली जाएंगे.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी, एपी)

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