क्या चुनाव के नतीजों से पहले शेयर बाजार में कोई खेल हुआ?
७ जून २०२४
भारतीय शेयर बाजार एग्जिट पोल के दम पर जमकर उछला और नतीजे आने के बाद उसमें भारी गिरावट आई. बहुत से लोग संदेह जता रहे हैं कि इसके पीछे कोई बड़ा खेल हुआ है.
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ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले हेतल शाह तब से 4 जून का इंतजार कर रहे थे, जब भारत में आम चुनाव की तारीखों का एलान हुआ था. शेयर बाजार में नियमित रूप से निवेश करने वाले शाह को पूरी उम्मीद थी कि 4 जून को शेयर बाजार में जोरदार उछाल आएगा. भारत और दुनियाभर के कई निवेशक कह चुके थे कि अगर नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते हैं तो शेयर बाजार में बड़ा उछाल आ सकता है.
इन उम्मीदों ने जोर तब पकड़ा जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्र अमित शाह तक ने सार्वजनिक रूप से कहा कि 4 जून को बाजार उछलेगा. उसके बाद जब शनिवार को एग्जिट पोल के नतीजे आए तो 3 जून को शेयर बाजार में भारी उछाल आया.
जमकर हुई खरीदारी
सोमवार 3 जून को सेंसेक्स तीन हजार से ज्यादा अंकों के उछाल के साथ बंद हुआ. एनएसई निफ्टी और बीएसई सेंसेक्स दोनों ही तीन फीसदी ऊपर बंद हुए. यानी लोगों ने जमकर खरीदारी की, इस उम्मीद में कि 4 जून को बाजार और बढ़ेगा. सबकुछ सकारात्मक था. नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी 400 पार के नारे के साथ चुनाव लड़ी थी. तमाम एग्जिट पोल बता रहे थे कि एनडीए को इसके आसपास ही सीटें मिल रही हैं. एक एग्जिट पोल में तो 408 सीटों का अनुमान लगाया गया था.
लोकसभा चुनाव के अजब-गजब नतीजे
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे में कुछ अजब-गजब रिकॉर्ड भी बने. कई दिग्गज हारे तो कुछ की जीत का अंतर बेहद मामूली था.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
एनडीए के बड़े विजेता
मध्य प्रदेश के इंदौर में लोकसभा चुनाव में एनडीए ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की है. इंदौर लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार शंकर लालवानी ने 10.08 लाख के विशाल अंतर से चुनाव जीता.
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नोटा को दो लाख वोट
इंदौर में ही एक और रिकॉर्ड बना है. वहां नोटा को 2,18,674 वोट मिले. 2024 के चुनाव में यह एक नया रिकॉर्ड है.
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मध्य प्रदेश में क्लीन स्वीप
मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. यहां की कई सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से विजय पताका लहराई.
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बीजेपी की झोली में दिल्ली
दिल्ली में बीजेपी ने एक बार फिर सातों सीटों पर कब्जा जमा लिया है. बीजेपी ने तीसरी बार दिल्ली की सातों सीटें जीती हैं. यहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर बीजेपी का विजय रथ रोकने में नाकाम रही.
तस्वीर: Goutam Hore/DW
सिर्फ 48 वोटों से जीत
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के उम्मीदवार रवींद्र वायकर ने मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट पर प्रतिद्वंद्वी शिवसेना (उद्धव गुट) के उम्मीदवार अमोल गजानन कीर्तिकर को मात्र 48 वोटों से हराया.
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मोदी की जीत का अंतर घटा
वाराणसी से चुनाव लड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस बार जीत का अंतर घट गया. इस बार मोदी 1,52,513 वोटों के अंतर से जीते. कांग्रेस के अजय राय को 4,60,457 वोट मिले, जबकि मोदी को 6,12,970 वोट मिले.
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राहुल की दो सीट से जीत
कांग्रेस नेता राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली और केरल की वायनाड सीट से चुनाव जीते हैं. रायबरेली में राहुल गांधी ने बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह को 3,90,030 वोटों से हराया वहीं वायनाड में उन्होंने सीपीआई उम्मीदवार एनी राजा को 3,64,422 वोटों के अंतर से पराजित किया.
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गुजरात में कांग्रेस का खाता खुला
10 साल बाद गुजरात में कांग्रेस का खाता खुला है. बनासकांठा लोकसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार गेनीबेन ठाकोर ने बीजेपी उम्मीदवार डॉ. रेखाबेन चौधरी को 31,000 से अधिक वोटों से हराया.
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यानी शेयर बाजार को ऊपर ही जाना था. हेतल शाह ने भी उस दिन अपना निवेश बढ़ा दिया. वह बताते हैं, "अब मेरे जैसा छोटा निवेशक तो यही सोचेगा ना कि सब कुछ पॉजीटिव है. सब लोग तो कह रहे थे कि नरेंद्र मोदी की सरकार बनेगी. बाजार भी बढ़ रहा था. संदेह की कोई वजह ही नहीं थी."
हुआ ठीक इसका उलटा. 4 जून को भारत के शेयर बाजारों में इतनी भारी गिरावट आई कि 20 लाख करोड़ रुपये डूब गए. एक बार तो बीएसई सेंसेक्स करीब 7,000 पॉइंट्स टूट गया था. ऐसा तब हुआ जबकि एनडीए को बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. फिर भी, लोगों को भारी नुकसान हुआ.
जांच की मांग
अब विपक्षी कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस पूरे उतार-चढ़ाव को एक खेल बताकर इसकी जांच की मांग कर रहे हैं. गुरुवार को राहुल गांधी और उनके सहयोगी जयराम रमेश ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शेयर बाजार में हुए उतार-चढ़ाव पर संदेह जाहिर किए.
राहुल गांधी ने मीडिया से कहा, "हम चाहते हैं कि एक संयुक्त संसदीय जांच दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री और बीजेपी के सदस्यों की भूमिका की जांच करे. हम जानना चाहते हैं कि वे विदेशी निवेशक कौन थे जिन्होंने ये ट्रेड किए.”
भारत: बड़े नेता जो चुनाव हार गए
4 जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजे कई बड़े नेताओं के लिए बहुत बुरे रहे. देखिए, वे नेता जिन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.
तस्वीर: Imago Images/Hindustan Times
स्मृति ईरानी
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से चुनाव हार गईं. यहीं से राहुल गांधी को हराने वालीं ईरानी को कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने हराया.
तस्वीर: @hdmalhotra/X/IANS
अधीर रंजन चौधरी
कांग्रेस के बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल में पश्चिमी बेहरामपुर सीट से उम्मीदवार थे जो पार्टी का गढ़ माना जाता है. छह बार के सांसद चौधरी को टीएमसी उम्मीदवार और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान ने 85 हजार से ज्यादा मतों से हराया.
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प्रज्वल रेवन्ना
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना परिवार का गढ़ मानी जाने वाली कर्नाटक की हासन सीट से चुनाव हारे. उन्हें कांग्रेस के श्रेयस पटेल ने करीब 40 हजार मतों से मात दी.
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कन्हैया कुमार
पूर्व जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार दिल्ली की उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार थे. उन्हें बीजेपी के मनोज तिवारी ने एक लाख 38 हजार से ज्यादा मतों से हराया.
कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े पूर्व सांसद राज बब्बर गुड़गांव सीट से चुनाव हारे. उन्हें बीजेपी के राव इंद्रजीत सिंह ने 75 हजार से ज्यादा वोटों से हराया.
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भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाए. उन्हें राजनंदगांव सीट पर बीजेपी के संतोष पांडेय ने 44 हजार से ज्यादा मतों से हराया.
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दिग्विजय सिंह
कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. उन्हें बीजेपी के रोडमल नागर ने राजगढ़ सीट पर एक लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया.
तस्वीर: Sanjeev Verma/Hindustan Times/IMAGO
दिनेश यादव निरहुआ
गायक दिनेश लाल यादव निरहुआ आजमगढ़ से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार थे. उन्हें समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने लगभग डेढ़ लाख वोटों से हराया.
बीजेपी के तमिलनाडु अध्यक्ष अन्नामलाई कुप्पुसामी को कोयंबटूर सीट पर हार मिली. उन्हें डीएमके के गणपति राजकुमार पी ने एक लाख 18 हजार से ज्यादा वोटों से हराया.
तस्वीर: Mohd Zakir/Hindustan Times Former/imago
उमर अब्दुल्ला
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को निर्दलीय उम्मीदवार राशिद इंजीनियर ने बारामुल्ला सीट पर एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया.
तस्वीर: AB Raoof Ginie/DW
महबूबा मुफ्ती
पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को अनंतनाग-राजौरी सीट पर हार मिली. उन्हें नेशनल कान्फ्रेंस के मियां अल्ताफ अहमद ने दो लाख से ज्यादा वोटों से हराया.
तस्वीर: Mukhtar Khan/AP/picture alliance
मेनका गांधी
आठ बार की सांसद मेनका गांधी को समाजवादी पार्टी के रामभाऊ निषाद ने सुल्तानपुर सीट पर 40 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी. 2019 में मेनका गांधी पीलीभीत से चुनाव जीती थीं.
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बहुत से विशेषज्ञ मानते हैं कि शेयर बाजार की गिरावट बीजेपी को अपने आप पूर्ण बहुमत ना मिल पाने की वजह से आई. एग्जिट पोल भी गलत साबित हुए और एनडीए 300 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया व 293 पर अटक गया. बीजेपी को 240 सीटें ही मिलीं. इसका अर्थ है कि बीजेपी को गठबंधन की सरकार चलानी होगी और सरकर की स्थिरता पर संदेह बना रहेगा.
बीजेपी का जवाब
हालांकि इसके जवाब में बीजेपी ने कहा है कि यह राहुल गांधी की चुनावों में हार को लेकर निराशा है. मीडिया से बातचीत में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कांग्रेस नेता अब तक लोकसभा चुनाव में हार के सदमे से उबरे नहीं हैं.
गोयल ने कहा, “राहुल गांधी अब तक लोकसभा चुनाव की हार से उबरे नहीं हैं. अब वह निवेशकों को गुमराह करने की साजिश कर रहे हैं. भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है.”
गोयल ने कहा कि राहुल गांधी घरेलू और विदेशी निवेशकों को डराना चाहते हैं ताकि वे निवेश ना करें. उन्होंने कहा, “हम सब जानते हैं कि शेयर बाजार किसी भी चुनाव में अनुमानों और अंदाजों पर, या बैंकों व अन्य संस्थानों के अनुमानों पर प्रतिक्रिया देते हैं. कोई घटना ना हो तो भी उतार-चढ़ाव आम बात है.”
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गिरावट का अनुमान था
भारतीय शेयर बाजारों ने 2023 में दुनिया के कई बड़े बाजारों को पीछे छोड़ दिया था. माना जा रहा है कि बाजार असली भाव से कहीं ज्यादा बाहर जा चुका है. फिर भी, निवेशकों को उम्मीद थी कि अगर मोदी सरकार सत्ता में लौटती है तो शेयर बाजारों में कुछ समय के लिए तेजी दिख सकती है. निवेशकों का कहना था कि मोदी सरकार के लौटने का मतलब होगा कि राजनीतिक स्थिरता और नीतियां जारी रहेंगी, जिससे बाजार को बढ़त मिल सकती है.
नतीजे आने से पहले रॉयटर्स से बातचीत में कई फंड मैनेजरों ने कहा था कि अगर मोदी की जीत का अंतर कम होता है तो बाजार में कुछ समय के लिए अस्थिरता देखने को मिल सकती है. मुंबई स्थित आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के वरिष्ठ फंड मैनेजर मितुल कलवाड़िया ने कहा, "बाजार निरंतरता चाहता है. इसलिए गठबंधन या किसी अन्य पार्टी की जीत की उम्मीद नहीं की जा रही है. अगर ऐसा होता है तो एक औचक प्रतिक्रिया दिखाई दे सकती है.”
नतीजों पर क्या कहती है भारत की जनता
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यानी, बड़े निवेशकों को इस गिरावट का अंदाजा था. फिर भी, ऐसी खबरें हैं कि भारतीय बाजार को नियमित रखने वाली संस्था सेबी इसकी जांच कर रही है. हालांकि सेबी ने सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक सूत्र के हवाले से खबर दी है कि सेबी एग्जिट पोल के पहले और चुनाव नतीजों के बाद हुए ट्रेड के पैटर्न की जांच कर रहा है.
इस बीच बहुत से छोटे निवेशक अपने घाटे के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं. हेतल शाह कहते हैं, "बाजार वापस ऊपर तो जाएगा ही. थोड़ा वक्त लगेगा और हमें उसका इंतजार करना होगा.”