काफी मांग उठने के बाद चुनाव आयोग ने कहा है कि लोकसभा चुनावों में अभी तक करीब 45 करोड़ लोगों ने मतदान किया है. लेकिन कई जानकारों का कहना है कि अभी तक तो हर निर्वाचन क्षेत्र से आंकड़े आ जाने चाहिए थे.
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चुनाव आयोग ने गुरुवार, 16 मई को जानकारी दी कि अभी तक हुए मतदान के चारों चरणों में कुल मिलाकर करीब 45 करोड़ लोगों (66. 95 प्रतिशत) ने मतदान किया है. चौथे चरण से पहले विपक्षी पार्टियों, कई पत्रकारों और चुनाव प्रक्रिया के जानकारों ने सवाल उठाया था कि आयोग हर चरण के मतदान प्रतिशत के आंकड़े जारी करने में ज्यादा समय क्यों ले रहा है.
छेड़छाड़ के आरोप
शुरू के दो चरणों में मतदान खत्म होने के बाद और उसके अगले दिन आयोग ने मतदान प्रतिशत का जो तात्कालिक आंकड़ा दिया था उसे बाद में आयोग ने काफी बढ़ा दिया. जानकारों का कहना था कि तात्कालिक और अंतिम आंकड़ों में एक या दो प्रतिशत का अंतर रहता है कि लेकिन यहां तो आंकड़े पांच प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ गए थे.
जानकारों के तीन सवाल थे - पहला, आयोग आंकड़े जारी करने में ज्यादा समय क्यों ले रहा है, दूसरा, तात्कालिक और अंतिम आंकड़ों में ज्यादा अंतर क्यों है और तीसरा, आयोग मतदान प्रतिशत के साथ साथ डाले गए मतों की संख्या कब जारी करेगा.
अब जाकर आयोग ने मतों की संख्या जारी तो की है लेकिन हर निर्वाचन क्षेत्र की संख्या की जगह एक सम्मिलित आंकड़ा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पहले ही इन चिंताओं को लेकर इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियों को एक चिट्ठी लिखी थी.
उन्होंने चिट्ठी में लिखा था कि ऐसा लग रहा है कि चुनाव के नतीजों से छेड़छाड़ की जा रही है. चुनाव आयोग ने खरगे की चिट्ठी का खुद ही संज्ञान लेते हुए खरगे के आरोपों को नकार दिया था. आयोग ने कहा था कि तात्कालिक आंकड़ा एक अनुमान होता है.
सुप्रीम कोर्ट में मामला
मतदान अमूमन छह बजे बंद हो जाता है लेकिन अगर मतदाता उससे पहले मतदान केंद्र में घुस गए तो जब उनमें से सभी जब अपना अपना वोट डाल देंगे, मतदान उसके बाद ही बंद होगा. ऐसे केंद्रों से सही जानकारी दिल्ली तक आने में समय लग जाता है.
छत्तीसगढ़: कितना दुर्गम है पहाड़ी जनजातियों के मतदान का रास्ता
भारत के छत्तीसगढ़ राज्य की सरगुजा लोकसभा सीट का एक ब्लॉक है उदयपुर. यहां के मरेया और सीतकालो गांव में 7 मई को मतदान है.
तस्वीर: Swati Mishra/DW
पहाड़ी जनजातियों की जोशीली हिस्सेदारी
इस पोलिंग बूथ पर बड़ी संख्या में पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोग मतदान के लिए आते हैं. यह कोरवा जनजाति का एक उपसमूह है. पहाड़ी कोरवा छत्तीसगढ़ की पांच विशेष पिछड़ी जनजातियों में से एक है.
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घंटों चल कर बूथ पर पहुंचना
पहाड़ी कोरवा एक प्रिमिटिव ट्राइबल ग्रुप है. कई पहाड़ी कोरवा ऊपर पहाड़ों पर बड़ी दुर्गम जगहों में रहते हैं. उनके गांव (खामखूंट, धवई पानी, चुआंटिकरा) सिर्फ पैदल जाया जा सकता है. वे कई घंटे का रास्ता तय कर के मतदान के लिए आते हैं. पहले चुनाव में इनकी भागीदारी कम थी काफी, जो कि अब बढ़ रही है.
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प्रशासन की व्यवस्था
मरेया में प्रशासन ने इनके लिए खास इंतजाम किए थे, मसलन पोलिंग बूथ के पास ही ठहरने का प्रबंध किया गया था. कई वोटर कल शाम या रात को ही यहां आकर रुक गए थे, ताकि सुबह वोट देकर जल्दी लौट सकें. सीतकालो के पोलिंग बूथ पर कई पहाड़ी कोरवा वोटर खाना बांधकर तड़के सुबह पहाड़ के ऊपर के अपने गांव से मतदान करने पहुंचे.
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ओआरएस घोल से तुरंत ऊर्जा
मतदान केंद्र पर दवा और ओआरएस की व्यवस्था की गई है. ऊपर से आने वालों में कई लोग, जिनमें छोटे बच्चे लेकर आने वाली महिलाएं और 80 बरस के बुजुर्ग भी हैं, इतना चलकर आने के कारण कई बार लोग बीमार भी हो जाते हैं. यही देख कर पोलिंग बूथ पर बुखार, दस्त, मलेरिया जांचने की किट, ब्लड प्रेशर मापने की व्यवस्था भी की गई है.
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कैसा है इन समुदायों का हाल
पहाड़ी कोरवा सुविधाओं और विकास से वंचित समुदाय है. ये लोग मुख्य रूप से जंगल पर निर्भर हैं. महुआ, चार-चिरौंजी, तेंदू पत्ता, साल के बीज चुनकर उन्हें बेचते हैं. कुछ लोग पास के गांवों और मनरेगा में मजदूरी भी करते हैं. यह समूह काफी अलग थलग रहना पसंद करता है.
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विकास से काफी दूर
पहाड़ पर उनके ऊपरी गांवों में बिजली नहीं पहुंची है. यहां ना सड़क हैं, ना स्कूल. नीचे मरेया गांव में एक पहाड़ी कोरवा आश्रम बनाया है प्रशासन ने, जहां उनके बच्चे पढ़ सकते हैं. हालांकि वहां आज भी बस पांचवीं क्लास तक की पढ़ाई होती है. यहां भी कम ही बच्चे जाते हैं, क्योंकि परिवार वाले उन्हें दूर रखकर पढ़ाने से डरते हैं.
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लेकिन इस बीच यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एडीआर ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.
एडीआर ने अदालत से अपील की है कि वो आयोग को मतदान पूरा होने के 48 घंटों के अंदर अंदर हर मतदान केंद्र में हुए मतदान का आंकड़ा अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई मंजूर कर ली है.