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सालों बाद लोकसभा अध्यक्ष के लिए चुनाव, ओम बिरला जीते

२६ जून २०२४

बीजेपी सांसद ओम बिरला को लगातार दूसरी बार लोकसभा स्पीकर के पद के लिए चुन लिया गया है. लेकिन कई दशकों बाद स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ, जो दिखाता है कि इस लोकसभा में सरकार और विपक्ष के बीच सहयोग कम ही देखने को मिल सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ स्पीकर ओम बिरला
ओम बिरला सिर्फ दूसरे ऐसे सांसद हैं जिन्हें दूसरी बार स्पीकर का पद मिला हैतस्वीर: AP Photo/picture alliance

राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला एक बार फिर लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं. हालांकि, पिछली बार की तरह वह निर्विरोध नहीं चुने जा सके. लोकसभा के इतिहास में करीब 50 सालों में पहली बार स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ.

इससे पहले आखिरी बार लोकसभा स्पीकर के पद के लिए 1976 में चुनाव हुआ था. दोनों प्रत्याशी थे बलिराम भगत और जगन्नाथ राव. बलिराम भगत मुकाबला जीतकर मार्च 1977 तक इस पद पर रहे.

पिछली लोकसभा के पूरे कार्यकाल में डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहा, जो एक संवैधानिक पद है. परंपरागत रूप से यह पद विपक्ष को दिया जाता रहा है. इस बार विपक्ष ने मांग की थी कि अगर सरकार डिप्टी स्पीकर पद विपक्ष को दे दे, तो विपक्ष स्पीकर पद के लिए सरकार के साथ सहयोग करेगा.

ध्वनिमत से पारित हुआ प्रस्ताव

डिप्टी स्पीकर पद के लिए सरकार की तरफ से कोई संकेत ना आने के बाद विपक्ष ने वरिष्ठ कांग्रेस सांसद के सुरेश को स्पीकर के लिए अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा. हालांकि, यह चुनाव विपक्ष जीत नहीं सका.

स्पीकर ओम बिरला से विपक्ष के सांसदों ने निष्पक्षता की उम्मीद जताई हैतस्वीर: IANS

बुधवार, 26 जून को जब लोकसभा की कार्रवाई शुरू हुई, तो स्पीकर के चुनाव के लिए 16 प्रस्ताव सूचित थे. इनमें से 13 प्रस्तावों में ओम बिरला का नाम था और तीन में के सुरेश का. लोकसभा के नियमों के तहत ऐसे में अगर पहला प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो बाकी प्रस्ताव नहीं लिए जाते हैं.

पहला प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया और बिरला को स्पीकर चुन लिया गया. इसके बाद दोनों पक्षों ने उन्हें बधाई दी. सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बिरला को बधाई दी और स्पीकर की कुर्सी तक उनके साथ गए.

स्पीकर पद को लेकर एनडीए में थी खींचतान

उसके बाद प्रो-टेम स्पीकर भर्तृहरि महताब कुर्सी से उठे और बिरला का वहां स्वागत किया. पद पर उनका स्वागत करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी "मुस्कुराहट पूरे सदन को खुश रखती है."

विपक्षी नेताओं ने जताई निष्पक्षता की उम्मीद

विपक्ष के अधिकांश नेताओं ने बिरला का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि उनकी अध्यक्षता में विपक्ष को अपनी बात कहने का पूरा मौका मिलेगा. राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें विश्वास है विपक्ष उनके काम में उनकी सहायता करना चाहेगा और उन्हें विश्वास है कि वह विपक्ष को सदन में बोलने देंगे.

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी कहा कि विपक्ष बिरला के हर फैसले का समर्थन करेगा और उन्हें उम्मीद है कि सिर्फ विपक्ष को ही नियंत्रण में रखने का काम नहीं किया जाएगा. तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि पिछली लोकसभा में सदस्यों का निष्कासन सही नहीं था.

नतीजों पर क्या कहती है भारत की जनता

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि पिछले पांच सालों में बिरला ने बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन जब 150 सांसदों को सदन से निकाल गया था तो वो सब दुखी हो गए थे. उन्होंने बिरला से अपील की कि वह अगले पांच सालों में किसी सांसद को निकालने पर विचार ना करें.

आपातकाल पर दिए गए बयान का सदन में विरोध

पद ग्रहण करने के बाद बिरला ने अपने भाषण में कहा कि वह संसद की मर्यादा का पालन करेंगे और उन्हें उम्मीद है कि संसद में कोई गतिरोध नहीं होगा. हालांकि, इसके बाद उनके एक बयान में सदन में हंगामा हो गया और उन्हें सदन की कार्रवाई रद्द करनी पड़ी.

क्यों जरूरी है मजबूत विपक्ष

दरअसल उन्होंने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू किए गए आपातकाल पर एक बयान पढ़ा, जिसका विपक्ष ने विरोध किया. बिरला ने कहा, "यह सदन 1975 में आपातकाल लागू किए जाने की कड़ी निंदा करता है...साथ ही यह सदन उन लोगों के दृढ संकल्प की सराहना करता है, जो आपातकाल के खिलाफ लड़े."

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