चावल निर्यात पर भारत की रोक से दुनियाभर में अफरा-तफरी
१३ सितम्बर २०२२
भारत ने चावल के निर्यात पर पाबंदियां लगाई हैं जिसका असर पूरी दुनिया में पड़ रहा है. चार दिन में ही दाम पांच फीसदी तक बढ़ गए. एशिया में व्यापार ठप्प पड़ गया है.
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भारत ने पिछले हफ्ते चावल के निर्यात पर जो पाबंदियां लगाई थीं, उनके कारण एशिया में व्यापार लगभग ठप्प पड़ गया है क्योंकि भारतीय व्यापारी अब नए समझौतों पर दस्तखत नहीं कर रहे हैं. नतीजतन खरीददार वियतनाम, थाईलैंड और म्यांमार जैसे विकल्प खोज रहे हैं. लेकिन इन देशों के व्यापारियों ने मौके को भुनाने के कारण दाम बढ़ा दिए हैं.
दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने पिछले हफ्ते ही टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाने का ऐलान किया था. साथ ही कई अन्य किस्मों पर निर्यात कर 20 प्रतिशत कर लगा दिया गया. औसत से कम मॉनसून बारिश के कारण स्थानीय बाजारों में चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए यह फैसला किया गया है.
भारत दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को चावल का निर्यात करता है और उसकी तरफ से निर्यात में आने वाली जरा सी भी कमी उन देशों में कीमतों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है. पहले से खाने के सामान की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि झेल रही दुनिया के लिए यह एक बड़ी समस्या हो सकती है. यूरोप और अमेरिका के कई इलाके ऐतिहासिक सूखे से जूझ रहे हैं और यूक्रेन युद्ध का असर भी विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ाए हुए है.
अब यही स्थिति चावल के साथ हो रही है. भारत के फैसले के बाद से एशिया में चावल के दाम पांच प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. जानकारों का कहना है कि अभी कीमतों में और ज्यादा वृद्धि होगी.
पुतिन के युद्ध का दुनिया पर असर
रूस के यूक्रेन पर हमले का असर पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है. खाने पीने की चीजों और ईंधन की कीमतें आसमान पर हैं. कुछ देशों में तो महंगाई के कारण लोग सड़कों पर उतर आए हैं.
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यूक्रेन के कारण महंगाई
जर्मनी में लोगों की जेब पर यूक्रेन युद्ध का असर महसूस हो रहा है. मार्च में जर्मनी की मुद्रास्फीति दर 1981 के बाद सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है.
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केन्या में लंबी लाइन
केन्या के नैरोबी में पेट्रोल पंपों के सामने लंबी-लंबी कतारें देखी जा सकती हैं. तेल महंगा हो गया है और सप्लाई बहुत कम है. इसका असर खाने-पीने और रोजमर्रा की जरूरत की बाकी चीजों पर भी नजर आ रहा है.
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तुर्की में ब्रेड हुई महंगी
रूस दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक है और रूसी उत्पादों पर लगे प्रतिबंधों के कारण गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है. यूक्रेन भी गेहूं के पांच सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. नतीजतन कई जगह ब्रेड महंगी हो गई है.
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इराक में गेहूं बस के बाहर
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से इराक में गेहूं के दाम आसमान पर हैं. इराक ने फिलहाल यूक्रेन के मुद्दे पर निष्पक्ष रुख अपनाया हुआ है. हालांकि देश में पुतिन समर्थक पोस्टर बैन कर दिए गए हैं.
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लीमा में प्रदर्शन
पेरू की राजधानी लीमा में महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन करते लोगों की पुलिस से खासी झड़प हुई. सरकार ने कुछ समय के लिए कर्फ्यू भी लगाकर रखा था लेकिन जैसे ही कर्फ्यू हटाया गया, प्रदर्शन फिर शुरू हो गए.
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श्रीलंका में संकट
श्रीलंका इस वक्त ऐतिहासिक आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. पहले से ही खराब देश की आर्थिक हालत को यूक्रेन युद्ध ने और ज्यादा बिगाड़ दिया है और लोग अब सड़कों पर हैं.
स्कॉटलैंड में लोगों ने महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन किया. पूरे युनाइटेड किंग्डम में ट्रेड यूनियनों ने बढ़ती महंगाई का विरोध किया है. पहले ब्रेक्जिट, फिर कोविड और अब यूक्रेन युद्ध ने लोगों की हालत खराब कर रखी है.
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मछली पर मार
ब्रिटेन के राष्ट्रीय डिश फिश एंड चिप्स पर यूक्रेन युद्ध का असर नजर आ रहा है. सालभर में 38 करोड़ ‘फिश एंड चिप्स’ खाने वाले ब्रिटेन में अब रूस से आने वाली व्हाइट फिश और खाने का तेल इतना महंगा हो गया है कि लोगों को इससे मुंह मोड़ना पड़ा है. फरवरी में यूके की मुद्रास्फीति दर 6.2 प्रतिशत थी.
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नाइजीरिया के लिए मौका
यूक्रेन युद्ध को नाइजीरिया के उत्पादक एक मौके की तरह देख रहे हैं. वे रूस पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं. देश के सबसे धनी व्यक्ति अलीको दांगोट ने हाल ही में नाइजीरिया का सबसे बड़ा खाद कारखाना खोला है.
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भारत के सबसे बड़े चावल निर्यातक सत्यम बालाजी के निदेशक हिमांशु अग्रवाल कहते हैं, "पूरे एशिया में चावल का व्यापार ठप्प पड़ गया है. व्यापारी जल्दबाजी में कोई वादा नहीं करना चाहते. पूरी दुनिया के कुल चावल निर्यात का 40 फीसदी भारत से होता है. इसलिए कोई भी इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं है कि आने वाले समय में दाम कितने बढ़ेंगे."
चावल दुनिया के तीन अरब लोगों का मुख्य भोजन है. 2007 में भी भारत ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था. तब इसके दाम एक हजार डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे.
2021 में भारत का चावल निर्यात रिकॉर्ड 2.15 करोड़ टन पर पहुंच गया था जो दुनिया के बाकी चार सबसे बड़े निर्यातकों थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका के कुल निर्यात से भी ज्यादा है. भारत को सबसे बड़ा फायदा उसकी कीमत से ही होता है क्योंकि वह सबसे सस्ता सप्लायर है.
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बंदरगाहों पर लदाई बंद
भारत सरकार के फैसले के बाद देश के प्रमुख बंदरगाहों पर जहाजों में चावल की भराई का काम बंद हो गया है और करीब दस लाख टन चावल वहां पड़ा हुआ है क्योंकि खरीददार सरकार द्वारा लगाई गए नए 20 प्रतिशत कर को देने से इनकार कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस चावल के दाम पर समझौते बहुत पहले हो चुके हैं और सरकार ने जो नया कर लगाया है वह पहले से तय नहीं था.
अग्रवाल कहते हैं कि बढ़े हुए कर के कारण आने वाले महीनों में भारत का निर्यात 25 फीसदी तक गिर सकता है. वह कहते हैं कि सरकार को कम से कम उन समझौतों के लिए राहत देनी चाहिए जो आज से पहले हो चुके हैं और बंदरगाहों पर चावल लादा जा रहा है.
ये हैं सबसे सस्ते शहर
टाइम आउट सर्वे में शहरों में रहने वाले लोगों से ही पूछा गया कि उनका शहर महंगा है या नहीं. और शहरवासियों के मुताबिक कौन से शहर हैं दुनिया में सबसे सस्ते, देखिए...
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मैनचेस्टर सबसे सस्ता
युनाइटेड किंग्डम के मैनचेस्टर में रहने वाले सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वहां रहना महंगा है. यानी 90 प्रतिशत लोगों को लगता है कि मैनचेस्टर एक सस्ता शहर है, जो सर्वेक्षण में शामिल किसी भी शहर से ज्यादा है.
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जोहानिसबर्ग, बुडापेस्ट, मॉन्ट्रियाल
दक्षिण अफ्रीका में जोहानिसबर्ग, हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट और कनाडा का मॉन्ट्रियाल दूसरे नंबर पर हैं. यहां रहने वाले 17 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनके शहर में रहना बड़ा महंगा है.
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सेंट पीटर्सबर्ग, रूस
रूस का शहर सेंट पीटर्सबर्ग भी अपने लोगों को सस्ता होने का भाव देता है. वहां के सिर्फ 18 प्रतिशत लोगों ने इसे महंगा बताया.
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प्राग, चेक गणराज्य
प्राग के 76 प्रतिशत लोगों ने अपने शहर को सस्ता बताया. इस तरह सूची में प्राग छठे नंबर पर है.
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27 हजार लोगों के बीच सर्वे
इस सर्वे में 27 हजार लोगों से बात की गई. चूंकि यह सर्वे यूक्रेन युद्ध के शुरू होने से काफी पहले हुआ था, इसलिए अब लोगों की भावनाएं अलग हो सकती हैं. सर्वे में स्विट्जरलैंड के जूरिख को सबसे महंगा माना गया. वहां 99 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका शहर बहुत महंगा है.
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तेल अवीव
इस्राएल का तेल अवीव सबसे महंगे शहरों में दूसरे नंबर पर रहा.
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अग्रवाल ने कहा, "खरीददार पहले से तय कीमत पर 20 प्रतिशत ज्यादा नहीं दे सकते और विक्रेता भी 20 प्रतिशत कर वहन नहीं कर सकते. सरकार को पहले से हो चुके समझौतों को राहत देनी चाहिए.”
वैसे, कुछ खरीदार बढ़ा हुआ कर देने को तैयार भी हो गए हैं. चावल निर्यातक ओलाम के उपाध्यक्ष नितिन गुप्ता कहते हैं कि अभी शिपिंग कंपनियां पुराने माल की लदाई में उलझी हैं इसलिए नए समझौतों नहीं हो पा रहे हैं.
दूसरे देशों का फायदा
इसका फायदा भारत के प्रतिद्वन्द्वी देश थाईलैंड, वियतनाम और म्यांमार के व्यापारी उठा रहे हैं क्योंकि चावल की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए खरीददार इन देशों की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन इन देशों के व्यापारियों ने टूटे चावल के दाम पांच फीसदी तक बढ़ा दिए हैं. डीलरों का कहना है कि पिछले चार दिन में, यानी भारत के निर्यात पर रोक के फैसले के बाद से कीमतों में 20 डॉलर यानी लगभग डेढ़ हजार रुपये प्रति टन की वृद्धि हो चुकी है.
दुनिया के सबसे महंगे शहर का नाम जानकर आप चौंक जाएंगे
इकॉनोमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट की ताजा रैंकिंग में दुनिया का सबसे महंगा शहर कौन सा पाया गया है? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह ना लंदन है, ना न्यू यॉर्क, ना पेरिस और ना हांग कांग.
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नंबर 10 पर ओसाका, जापान
रैंकिंग में दसवां स्थान जापान के ओसाका को मिला है. नौवें स्थान पर है अमेरिका का लॉस एंजेलेस और आठवें पर डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन. इस रैंकिंग के लिए इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के वैश्विक निर्वाह खर्च सर्वे से डाटा लिया गया था.
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न्यू यॉर्क छठे नंबर पर
न्यू यॉर्क को ताजा रैंकिंग में छठा स्थान मिला है और स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा को सातवां. इस सर्वे में 173 देशों में 200 से ज्यादा उत्पादों और सेवाओं के दामों की तुलना की जाती है. दामों को स्थानीय मुद्रा की जगह अमेरिकी डॉलरों में देखा जाता है.
तस्वीर: Eduardo Munoz/REUTERS
हांग कांग को मिला पांचवां स्थान
हांग कांग पांचवें स्थान पर रहा और स्विट्जरलैंड का ही एक शहर ज्यूरिख चौथे स्थान पर रहा. समीक्षकों का कहना कि सप्लाई चेन की समस्याओं और कोरोना वायरस की वजह से लगे प्रतिबंधों के कारण कई शहरों में निर्वाह खर्च बढ़ गया है.
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पेरिस फिसला नंबर दो पर
फ्रांस की राजधानी रैंकिंग में पिछले साल के शीर्ष स्थान से फिसल कर इस साल दूसरे स्थान पर आ गई है. साथ ही सिंगापुर को भी दूसरा स्थान मिला है. दुनिया भर में तेल के दामों में उछाल की वजह से यातायात का खर्च बढ़ गया.
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सबसे महंगा शहर
पेरिस को पहले स्थान से हटा कर अब दुनिया का सबसे महंगा शहर बन गया है तेल अवीव. इस्राएल की राजधानी ने डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा शेकेल की मजबूती और यातायात और किराना के सामान के दामों में आई उछाल की वजह से पांच स्थान ऊपर आकर पहली बार यह स्थान हासिल किया.
तस्वीर: Daniel Ferreira-Leites Ciccarino/Zoonar/picture alliance
जर्मनी में हैं सस्ते शहर
जर्मनी की राजधानी बर्लिन आठ स्थान गिर कर 50वें स्थान पर पहुंच गई. रैंकिंग में जर्मनी के छह शहर हैं और बर्लिन को उनमें से सबसे सस्ता पाया गया है. फ्रैंकफर्ट जर्मनी का सबसे महंगा शहर है लेकिन वो भी 19वें स्थान पर है.
तस्वीर: Paul Zinken/dpa/picture alliance
दुनिया का सबसे सस्ता शहर
सीरिया की राजधानी दमिश्क को दुनिया का सबसे सस्ता शहर पाया गया है. (सीके/एए)
वैसे, एक तथ्य यह भी है कि इन देशों के सप्लायर भी बढ़े दामों के बावजूद अभी समझौते कर लेने को उत्सुक नहीं हैं क्योंकि उन्हें कीमतों में और वृद्धि की उम्मीद है. हो ची मिन्ह सिटी के एक व्यापारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले हफ्तों में कीमतें और बढ़ेंगी."
चीन, फिलीपींस, बांग्लादेश और अफ्रीकी देश जैसे कि सेनेगल, बेनिन, नाइजीरिया और घाना सामान्य किस्म के चावल के सबसे बड़े आयातक हैं. ईरान, इराक और सऊदी अरब महंगे बासमती चावल का आयात करते हैं. भारत ने टूटे चावल पर रोक लगाई है जबकि 20 फीसदी कर जिन किस्मों पर लगाया है उनमें बासमती शामिल नहीं है.