कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था का पहिया थाम दिया है. छोटे व्यापारियों से लेकर कारोबारियों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की है या फिर भुगतान को टाल रहे हैं.
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कर्मचारियों और श्रमिकों के वेतन में देरी और कटौती की बात व्यापार संघ की तरफ से की गई है. उद्योगपतियों और कर्मचारी संघ की तरफ से कहा गया कि लाखों छोटे व्यवसायियों ने या तो वेतन में कटौती की है या फिर भुगतान को आगे के लिए बढ़ा दिया है.अखिल भारतीय निर्माता संगठन (एआईएमओ) एक लाख छोटे निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली एक उद्योग संस्था है. उसके मुताबिक दो तिहाई सदस्यों को मंगलवार 7 अप्रैल को वेतन भुगतान करने में समस्या पेश आई. मंगलवार 7 अप्रैल के दिन ही कर्मचारियों को पिछले महीने का वेतन दिया गया था.
एआईएमओ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और चेन्नई में सौर ऊर्जा के पार्ट्स की मैनुफैक्चरिंग यूनिट चलाने वाले केई रघुनाथन कहते हैं, "हमारे पास वेतन भुगतान करने के लिए धन नहीं है.” वह कहते हैं, "हमारी पहली प्राथमिकता बिजली बिल, किराया, बैंक कर्ज का भुगतान और कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए योगदान करना है.” रघुनाथन बताते हैं कि उन्हें ग्राहकों से भुगतान में देरी का सामना करना पड़ रहा है. ग्राहकों में सरकार भी शामिल है.
केंद्र और राज्य सरकारों की सरकारी कंपनियों पर छोटे व्यवसायियों और कारोबारियों का 66 अरब डॉलर का बकाया है. यह बात सरकार ने पिछले महीने संसद में कही थी.
बड़ा सवाल: कोरोना से बचें कि पेट भरें
मेक्सिको में बहुत सारे लोग पटरी पर दुकान लगाकर अपना और अपने परिवार की रोजीरोटी चलाते हैं. कोरोना महामारी ने उनके लिए परेशानी पैदा कर दी है. जान बचाएं कि पेट पालें.
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मेक्सिको सिटी
मेक्सिको की सरकार ने 1 अप्रैल को हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी और कोरोना वायरस को रोकने के लिए सख्त कदमों की घोषणा की. इसका असर मेक्सिको सिटी पर भी हुआ है, जो पर्यटकों में बहुत लोकप्रिय है.
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टेपिटो बाजार
इस बाजार को टेपिटो इलाके में बसा होने के कारण खतरनाक माना जाता है. मजदूरों की ये इलाका कभी अपनी बहादुरी के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन अब इसे चोरों और ड्रग डीलरों का अड्डा माना जाता है.
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ऐतिहासिक केंद्र
टेपिटो बाजार चार गलियों में बने बाजारों से बना है. यह मेक्सिको सिटी के ऐतिहासिक केंद्रीय इलाके के पास ही है. इसलिए यह पर्यटकों में भी लोकप्रिय है. सिर्फ इस इलाके में वही जाते हैं जो संभल कर जा सकें.
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बाजार लगाने की तैयारी
यहां एक स्थानीय दुकानदार अपनी दुकान लगाने की तैयारी कर रहा है. इलाके में कम आय वर्ग के लोगों को किफायती सामान मिल जाता है. भारत में भी बड़े शहरों में इस तरह के बाजार देखे जा सकते हैं.
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रेहड़ी वालों की मुश्किल
अलफांसो रेमिरेज पिछले 50 साल से रेहड़ी लगाकर रोजी रोटी कमाते रहे हैं. अब वे राजधानी में डीवीडी बेचते हैं. कोरोना वायरस को रोकने के लिए उठाए गए कदमों ने उनकी दुकानदारी ठप्प करा दी है.
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कोई नहीं आता पॉलिश करवाने
अलफांसो जैसा ही हाल मानुएल खेमिनेज का है. वे तीस साल से मेक्सिको सिटी में जूतों की पॉलिश कर रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन के जमाने में कोई जूते पॉलिश करनावे नहीं आ रहा.
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परेशान हैं ये दुकानदार
मार्ता दे लोपेज मेक्सिको सिटी के प्लाजा सान खुआन इलाके में हाथ से बनाए गए सामान बेचती है. लेकिन जब से ग्राहक नहीं आ रहे हैं, उसकी कमाई नहीं हो रही है.
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क्या करें रेहड़ी वाले
सराई और उसके पति का तो और बुरा हाल है. वे पटरी पर जड़ी बूटियां और हर्बल चीजें बेचते हैं. ये भी अभी नहीं बिक रहा. कुछ चीजें तो जल्दी खराब होने वाली भी हैं. उनके चार बच्चे भी हर दिन काम पर उनके साथ होते हैं.
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पुलिस बंद करवा रही हैं दुकानें
पटरियों पर सामान बेचने वालों को अब पुलिस अपने घरों में भेज रही है. नोरा और उसकी मां वेलेंसिया अभी भी अपनी रेहड़ी लगा रहे हैं, लेकिन खरीदार अपने घरों में बंद हैं तो उनकी दुकान पर कोई सामान खरीदने नहीं पहुंच रहा.
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भारत में लॉकडाउन 14 अप्रैल को खत्म होना है, तालाबंदी के कारण लाखों प्रवासी मजदूर बिना किसी आय के फंसे हुए हैं. अधिकारियों ने आगाह किया है कि कोरोना वायरस के मामले अगर नहीं रुके तो कुछ राज्य लॉकडाउन को बढ़ा भी सकते हैं. ओडिशा ने लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक के लिए बढ़ा भी दिया है, और लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने वाला पहला राज्य बन गया है.
देरी से वेतन में भुगतान के अलावा, देश के निर्यात पर भी महामारी का असर हुआ है. कंपनियों के 50 फीसदी से अधिक ऑर्डर रद्द हो गए हैं. भारतीय निर्यात संगठनों के संघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय के मुताबिक सबसे बुरी तरह से लाइफस्टाइल उत्पाद प्रभावित हुए हैं, जैसे कि कालीन, हस्तशिल्प और परिधान के ऑर्डर पर असर पड़ा है. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर का अनुमान है कि 50 लाख कर्मचारियों को आंशिक या पूर्ण रूप से वेतन का नुकसान हुआ है.
दूसरी ओर मुंबई के निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक फरवरी में देश की बेरोजगारी की दर 7.2% थी, इस हफ्ते यह 23.4% पर आ गई है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
तालाबंदी: जब थम सी गई जिंदगी
भागती-दौड़ती जिंदगी जब अचानक एक वायरस की वजह से थम जाती है तो बहुत अलग अहसास होता है. क्या गांव और क्या शहर, सभी की रफ्तार अचानक थम गई. तस्वीरों के जरिए डालिए एक नजर "कोरोना लॉकडाउन" के असर पर.
तस्वीर: DW/S. Bandopadhyay
सोशल डिस्टैंसिंग
दिल्ली में बेघरों के कैंप में खाने का इंतजार कर रहे लोगों ने अपनी जगह सफेद गोलाकार में चप्पल रख दी है. बेघरों के लिए सरकार ने खाने और रहने की व्यवस्था की है.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
भोजन और दूरी
भोजन के लिए कतार में लगे लोग सामाजिक दूरी का पालन करते हुए. भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में वायरस को काबू करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.
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खाने का इंतजार
कैंपों में रह रहे प्रवासी मजदूर अचानक फंस गए हैं. एक ओर कोरोना का डर तो दूसरी ओर घर वापस न लौट पाने की चिंता. उन्हें लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार है.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
संक्रामक रोगाणु से मुक्ति?
मुंबई की सड़कों को संक्रामक वायरस से मुक्त करने के लिए सफाई कर्मचारी ब्लोअर का इस्तेमाल करते हुए. इस ब्लोअर के जरिए ऐसे केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है जिससे वायरस नष्ट हो सके.
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संकट में मिली छत
प्रवासी मजदूर और बेघरों के रहने के लिए दिल्ली के खेल परिसर को अस्थायी रूप से आश्रम में तब्दील कर दिया गया है. यहां लोगों को रहने और खाने-पीने की सुविधा दी जा रही है.
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प्रवासी मजदूरों की चिंता
पिछले दिनों हजारों प्रवासी मजदूर दिल्ली से अपने गांव लौट गए थे. जब लोगों के पैदल ही घर निकल पड़ने पर विवाद बढ़ा तो राज्य सरकार ने उनके रहने और खाने का इंतजाम किया.
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सुस्त जिंदगी
तालाबंदी की वजह से लोग अपने घरों में ही रह रहे हैं. जिनको जरूरी काम के लिए बाहर नहीं जाना होता है वह इसी तरह से अपनी खिड़की से बाहर देख अपना समय काटते हैं.
तस्वीर: Reuters/F. Mascarenhas
मास्क का साथ
भारत में कोरोना वायरस के फैलाव से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल हो रहा है. चेन्नई में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के दफ्तर में कर्मचारी मास्क बनाते हुए. यह मास्क पुलिसकर्मियों में बांटे जाएंगे.