घरों के लिए सौर ऊर्जा कार्यक्रम की कम नहीं हैं चुनौतियां
१० मई २०२४इंजीनियर लक्ष्मी नारायण अपने शहर के उन लोगों में हैं, जिन्होंने सौर ऊर्जा की रोशनी सबसे पहले अपने घर में देखी. 2020 में अपने घर की छत पर उन्होंंने सोलर पैनल लगाया था और इस तरह भोपाल में सौर ऊर्जा के क्षेत्र मरें अगुआ बन गए. वह अपने देश को जीवाश्म ईंधन से बचाना चाहते हैं, जो धरती को गर्म कर रहा है.
60 साल के नारायण ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से कहा, "मैं नवीकरणीय ऊर्जा के आइडिया के महत्व को समझता हूं और हर किसी को इसे अपनाना चाहिए." नारायण के इस कदम ने भोपाल के कई लोगों को छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए प्रेरित किया.
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले शुरू हुई एक नई सरकारी योजना अधिक से अधिक लोगों को अपने घरों की छतों पर सौर पैनल लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. भारत 2030 तक नवीकरणीय क्षमता को तीन गुना करना चाहता है.
घर की छत पर सोलर पैनल
फरवरी में लॉन्च की गई योजना के तहत सरकार ने घरों की छतों पर सौर पैनल लगाने के लिए 75 अरब रुपये की सब्सिडी देने की घोषणा की है, इसके तहत एक करोड़ घरों की छत पर लगे सौर पैनल को ग्रिड से जोड़ा जाएगा.
इससे उपभोक्ताओं को बिजली बिल घटाने में मदद मिलेगी और अतिरिक्त यूनिट बेचकर वह पैसे भी कमा पाएंगे. इससे घरों में 30 गीगावॉट सौर क्षमता पैदा होने की उम्मीद है.
अप्रैल के आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र ने एक इंटरव्यू में कहा था, "मैं तीन चीजें चाहता हूं. हर घर का बिजली बिल शून्य होना चाहिए; हमें अतिरिक्त बिजली बेचनी चाहिए और पैसा कमाना चाहिए और मैं भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना चाहता हूं क्योंकि हम इलेक्ट्रिक वाहनों के युग में प्रवेश कर रहे हैं."
प्रक्रिया को आसान बनाने की कोशिश
यह प्रक्रिया जो पहले जटिल थी अब इसे आसान बना दिया गया है. सौर पैनलों को लगाने और उसके लिए आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया गया है. योजना के तहत सब्सिडी सीधे लोगों के बैंक खातों में जमा की जाती है.
नया रूफटॉप सौर प्रोग्राम भले ही लोगों को छतों पर पैनल लगाने के लिए बढ़ावा दे रहा है लेकिन नारायण के कुछ अलग अनुभव भी हैं.
उनका कहना है कि ऑनलाइन पोर्टल कई नौकरशाही सिरदर्दों के जवाब प्रदान करेगा जो प्रक्रिया को बाधित करते थे, लेकिन उनके मुताबिक बड़ी चुनौती बिजली वितरण कंपनियों या डिस्कॉम को शामिल करना है.
दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के दिसंबर 2023 के एक अध्ययन में कहा गया है कि डिस्कॉम को छत पर सौर पैनलों के लिए राष्ट्रीय ग्रिड तक निर्बाध पहुंच और कनेक्टिविटी प्रदान करनी चाहिए थी, लेकिन यह कभी-कभी "कंपनियों के व्यावसायिक हित के सीधे टकराव में होता था."
बिजली बेचने पर कम पैसे
नारायण का कहना है कि उन्होंने तीन साल में ढाई लाख रुपये बिजली बिल में बचा लिए, यह सब छह किलोवॉट के सौर सिस्टम के कारण हो पाया है. लेकिन ग्रिड को अतिरिक्त बिजली बेचना एक समस्या बन गई और कर्ज में डूबी डिस्कॉम अप्रभावी पार्टनर साबित हुई.
नारायण कहते हैं, "जो बिजली मैं ग्रिड से इस्तेमाल करता हूं उसके लिए बिजली वितरण कंपनी मुझसे हर यूनिट के लिए 8 रुपये लेती है, लेकिन अतिरिक्त सौर बिजली जिसे मैं ग्रिड को वापस बेचता हूं, उसके लिए वे मुझे डेढ़ रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करती हैं. यह कैसे उचित है?"
पिछले साल मई में ऊर्जा की संसदीय स्थायी समिति ने भी कहा था कि 2022 के अंत तक हासिल किए जाने वाले 40 गीगावॉट के लक्ष्य के मुकाबले, केवल 5.87 गीगावॉट छत सौर परियोजनाएं स्थापित की गईं, जो लक्ष्य का 15 प्रतिशत से भी कम है.
ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि डिस्कॉम की आय घटने, सौर पैनल बनाने, उसे लगाने और सेवा देने के लिए कुशल श्रमिकों की कमी और घटिया उत्पादों के इस्तेमाल की आशंकाओं से भारत की सौर ऊर्जा बाधित हो रही है.
सौर पैनल लगाने वाली कंपनी सोलर स्क्वायर एनर्जी की सीईओ श्रेया मिश्रा कहती हैं कि उद्योग तेजी के कगार पर हो सकता है. उन्होंने कहा कंपनी ने 2023 में 1,50,000 रूफटॉप सिस्टम स्थापित किए गए और इस साल 25 लाख घरों को लक्षित करने की योजना है.
उन्होंने कहा, "रूफटॉप सोलर प्रोग्राम घरों में चर्चा का विषय बन गया है जिससे उपभोक्ता की रुचि काफी बढ़ गई है."
साथ ही उन्होंने कहा कि इन नई हरित नौकरियों में श्रमिकों के लिए अधिक ट्रेनिंग की जरूरत है और सौर पैनलों के घरेलू निर्माण को भी बढ़ाया जाना चाहिए.
सरकार का कहना है कि नया सौर कार्यक्रम मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स, बिक्री, इन्स्टॉलेशन, ऑपरेशन, रखरखाव और अन्य सेवाओं समेत विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 17 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करेगा.
एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)