सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी समूह के खिलाफ जांच करने के लिए एसआईटी के गठन की मांग को ठुकरा दिया है. अदालत ने हिंडनबर्ग मामले में अदाणी समूह के खिलाफ सेबी की जांच पर भरोसा जताया है और कहा है कि सेबी ही जांच को आगे ले जाएगी.
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भारतीय शेयर बाजार की नियामक संस्था सेबी अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अदाणी समूह पर लगाए गए धोखेबाजी के आरोपों की जांच कर रही है. एक जनहित याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि वह इस जांच के लिए एक एसआईटी के गठन का आदेश दे, लेकिन अदालत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है.
अदालत ने कहा है कि उसने सुनवाई के दौरान सेबी की जांच पर कोई संदेह और जांच को किसी और संस्था को सौंपने का कोई कारण नहीं पाया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सेबी के नियामक संबंधी अधिकार क्षेत्र में प्रवेश करने की उसकी शक्ति सीमित है.
क्या था हिंडनबर्ग रिपोर्ट में
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने यह भी कहा कि सेबी ने 22 में से 20 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है और सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन के आधार पर अदालत सेबी को बाकी बचे दो मामलों में भी तीन महीनों के अंदर जांच पूरी करने के लिए कहती है.
हिंडनबर्ग ने जनवरी, 2023 में एक रिपोर्ट जारी कर अदाणी समूह पर इतिहास की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. हिंडनबर्ग का आरोप है कि गौतम अदाणी ने लेखा धोखाधड़ी की है और ऑफशोर कर पनाह वाले देशों के रास्ते पैसे लगा कर अपनी कंपनियों के शेयरों के दामों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया.
अदाणी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया था लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद समूह को बड़ा धक्का लगा. बाजार में समूह की पूंजी में 8,000 अरब रुपये से ज्यादा की गिरावट आई और गौतम अदाणी ने दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में अपना स्थान खो दिया.
इसके बाद अगस्त, 2023 में नॉन-प्रॉफिट मीडिया संगठन 'ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट' (ओसीसीआरपी) ने एक रिपोर्ट में दावा किया कि अदाणी परिवार के कुछ सदस्यों ने ही चोरी छिपे कुछ अदाणी कंपनियों के शेयर खरीदे थे. हिंडनबर्ग ने इस रिपोर्ट का स्वागत किया था और कहा था कि इससे उसकी रिपोर्ट में जो बात बाकी रह गई थी वो भी बाहर आ गई है.
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मीडिया रिपोर्टों पर सवाल
मीडिया रिपोर्टों में यह बात भी सामने आई थी कि सेबी ने इन दावों को साबित करने वाले दस्तावेज ओसीसीआरपी से मांगे थे लेकिन संगठन ने यह दस्तावेज सेबी को देने से मना कर दिया था. इसके बाद अक्टूबर, 2023 में ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने दावा किया था कि अदाणी समूह ने गलत तरीके से कोयले के दाम बढ़ाए हैं.
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दिलचस्प है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मीडिया रिपोर्टों के महत्व पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. पीठ ने कहा कि प्रेस की इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट सेबी के लिए 'इनपुट" जरूर हो सकती हैं लेकिन उन्हें "बतौर नियामक सेबी की विफलता का विश्वसनीय सबूत" नहीं माना जा सकता.
साथ ही अदालत ने इस मामले में जनहित याचिका दायर किए जाने पर नाराजगी भी जताई. कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका का जन्म इसलिए हुआ था ताकि आम नागरिक सुप्रीम कोर्ट के सामने उचित मामले ला सकें, लेकिन "अप्रमाणित रिपोर्टों वाली याचिकाओं" को तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए और बार के सदस्यों को इसका ख्याल रखना चाहिए.
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि यह फैसला दिखाता है कि सच की जीत हुई है. फैसले के बाद शेयर बाजार में अदाणी समूह की अलग-अलग कंपनियों के शेयरों के भाव सात प्रतिशत तक बढ़ गए.
इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी के आरोप का सामना कर रहे गौतम अदाणी
गौतम अदाणी कभी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे लेकिन एक रिपोर्ट ने उनके व्यापार को इतना नुकसान पहुंचा दिया कि अदाणी समूह की पूंजी 8000 अरब से ज्यादा गिर गई. जानिए गौतम अदाणी और उनके साम्राज्य के बारे में.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
अपार संपत्ति
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी को कभी एशिया के सबसे अमीर और दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में जाना जाता था. अहमदाबाद के एक मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले और शिक्षा भी पूरी ना कर पाने वाले एक व्यक्ति के लिए इसे एक अचंभित करने वाली उपलब्धि माना जाता था.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
सादा शुरुआत
कहा जाता है कि गौतम अदाणी ने कॉलेज शिक्षा छोड़ कर मुंबई में हीरों का कारोबार शुरू किया. बाद में अहमदाबाद लौट कर उन्होंने अपने भाई के साथ मिल कर प्लास्टिक आयात करने का व्यापार किया. फिर 1980 के दशक में उन्होंने अदाणी एंटरप्राइजेज की स्थापना की.
तस्वीर: Jack Guez/AFP
आर्थिक सुधारों का लाभ
1990 के दशक में जब भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण और वैश्वीकरण का दौर आया तब अदाणी ने अपने व्यापार का विस्तार किया और बंदरगाहों, निर्माण और कोयला खनन में निवेश करना शुरू किया. उनकी पहली बड़ी परियोजना मुंद्रा बंदरगाह आज भारत का सबसे बड़ा व्यावसायिक बंदरगाह है और वो देश के सबसे बड़े निजी बंदरगाह ऑपरेटर हैं.
तस्वीर: Indranil Aditya/NurPhoto/picture alliance
तेजी से विस्तार
इसके बाद एक दशक के अंदर ही वो भारत में कोयला खदानों के सबसे बड़े डेवलपर और ऑपरेटर बन गए. आज अदाणी समूह बड़े शहरों में एयरपोर्ट चलाता है, सड़कें, बिजली, सैन्य उपकरण, कृषि उपकरण और उत्पाद आदि बनाता है और मीडिया संस्थान भी चलाता है. अदाणी समूह का लक्ष्य है 2030 तक अक्षय ऊर्जा में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनना.
तस्वीर: Munsif Vengattil/REUTERS
ऋण पर खड़ा साम्राज्य
शेयर बाजार में अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों के दाम सिर्फ पांच सालों में 1,000 प्रतिशत बढ़ गए. लेकिन समीक्षकों का कहना है कि अदाणी समूह का इतनी तेजी से हुआ विस्तार ऋण के दम पर हुआ है. समूह के ऊपर करीब 2,400 अरब रुपयों का ऋण है, जिसमें से करीब 730 अरब रुपयों का ऋण भारतीय बैंकों से लिया गया है.
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मोदी से संबंध
समीक्षकों का यह भी कहना है कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब गौतम अदाणी ने उनसे हाथ मिलाया और जब मोदी प्रधानमंत्री बने तब उनके करीब संबंधों का फायदा अडानी को राष्ट्रीय स्तर पर मिला. पहली बार प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी चुनाव अभियान में अक्सर अदाणी के चार्टर्ड विमान में यात्रा करते हुए नजर आते थे.
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सरकारी समर्थन के आरोप
आलोचकों का कहना है कि मोदी से दोस्ती होने की वजह से अदाणी अपने प्रतिद्वंदियों से आगे निकल पाए, व्यापार का विस्तार किया और बिना पर्याप्त निगरानी के ज्यादा से ज्यादा ऋण भी उठाया. गौतम अदाणी ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में एक रिपोर्ट जारी कर अदाणी समूह पर इतिहास की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी का आरोप लगाया. हिंडनबर्ग का आरोप है कि गौतम अदाणी ने लेखा धोखाधड़ी की है और ऑफशोर कर पनाह वाले देशों के रास्ते पैसे लगा कर अपनी कंपनियों के शेयरों के दामों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया.
एक रिपोर्ट का असर
अदाणी समूह ने इन आरोपों का भी खंडन किया है लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद समूह को बड़ा धक्का लगा है. बाजार में समूह की पूंजी में 8000 अरब से ज्यादा की गिरावट आई है और गौतम अदाणी ने भी सबसे अमीर लोगों की सूची में अपना स्थान खो दिया है.