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2021 रहा यूनिकॉर्न स्टार्टअप कंपनियों का साल

३१ दिसम्बर २०२१

इस साल भारत में 44 स्टार्टअप कंपनियां यूनिकॉर्न बनीं, यानी उनकी कीमत एक अरब डॉलर को पार कर गई. आखिर क्या कारण रहे इस बूम के और अगला साल कैसा रहने की संभावना है?

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इस साल सुमित गुप्ता के जीवन में बहुत कुछ हुआ. वो 30 साल के हो गए, उनकी शादी हुई और उनका स्टार्टअप देश के नए टेक यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की फेहरिस्त में शुमार हो गया. कोरोना वायरस महामारी की वजह से कई रुकावटें भी आईं.

लगभग पूरा साल उनकी टीम उनकी क्रिप्टोकरेंसी कंपनी कॉइनडीसीएक्स के लिए फंडिंग लाने और कंपनी के विस्तार की कोशिशों में ही लगी रही. हाल ही में अपनी कामयाबियों का जश्न मनाने के लिए टीम ने कुछ दिन गोवा में एक बीच पर बिताए.

निवेशकों की पसंद

सुमित कहते हैं, "यह सबको खुश कर देने वाला था. यह एक बहुत ही रोमांचक यात्रा रही. मैंने बहुत कुछ सीखा...भारत का भविष्य बहुत उज्ज्वल है." इस साल भारत में 44 टेक्नोलॉजी स्टार्टअप कंपनियां यूनिकॉर्न बनीं, यानी उनका बाजार मूल्य एक अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया.

लंबे समय से विदेशी निवेशकों की पसंद चीन रहा हैतस्वीर: HPIC/dpa/picture alliance

विदेशी निवेशकों ने इस साल भारतीय स्टार्टअप्स में 35 अरब डॉलर से भी ज्यादा का निवेश किया. ट्रैकएक्सएन के मुताबिक यह 2020 के मुकाबले तीन गुना बढ़त है. निवेशकों ने यह पैसा फिनटेक और हेल्थ से लेकर गेमिंग तक जैसे क्षेत्रों में लगाया.

लंबे समय से विदेशी निवेशकों की पसंद चीन रहा है, लेकिन इस साल चीन की सरकार ने देश के शक्तिशाली इंटरनेट क्षेत्र में बहुत ही तेज विकास हासिल कर चुकी कंपनियों पर लगाम कस दी. इसकी वजह से निवेशक डर गए और बाइडू, अलीबाबा और टेनसेंट जैसी विशाल कंपनियों के मूल्य में अरबों रुपयों की गिरावट आई.

ग्लोबलडाटा के आंकड़े दिखाते हैं कि स्टार्टअप क्षेत्र में ही इस साल निवेशकों ने चीनी कंपनियों में सिर्फ 54.5 अरब डॉलर लगाए, जब कि 2020 में उन्होंने 73 अरब डॉलर लगाए थे.

एक बड़ा बाजार

इसके विपरीत, युवा और अच्छी तालीम हासिल करने वाले उद्यमियों के देश के रूप में भारत ज्यादा आकर्षक हो गया. ये उद्यमी तेजी से विकसित होते डिजिटल ढांचे की मदद से व्यापार करने के तरीके को ही उलट रहे हैं.

भारतीय स्टार्टअप कंपनियां व्यापार करने के तरीके बदल रही हैंतस्वीर: Rafael Henrique/Sopa/Zuma/picture alliance

निवेश कंपनी बे कैपिटल पार्टनर्स के संस्थापक सिद्धार्थ मेहता कहते हैं, "भारत वाकई वो जमीन है जहां व्यापारी दुनिया की कुल आबादी के छठे हिस्से को आकर्षित कर सकते हैं."

मेहता यह भी कहते हैं, "मुझे लगता है बाजार के आकार के हिसाब से भारत चीन से करीब 13-14 साल पीछे है. भारत के पूरे डिजिटल बाजार का मूल्य करीब 100 अरब डॉलर से नीचे ही है लेकिन अगले 10 से 15 सालों में इसे आसानी से 1000 अरब या 2000 अरब तक ले जाया जा सकता है."

भारत की तरफ आकर्षित होने वालों में जापान का सॉफ्टबैंक, चीन के जैक मा और टेनसेंट और अमेरिका के सीक्वा कैपिटल और टाइगर ग्लोबल शामिल हैं. सॉफ्टबैंक ने इस साल भारत में तीन अरब डॉलर का निवेश किया.

शेयर बाजार में उछाल

उसके संस्थापक मासायोशी सोन ने हाल ही में कहा, "मुझे भारत के भविष्य में विश्वास है. मुझे भारत के युवा उद्यमियों के जुनून में विश्वास है. भारत बहुत बढ़िया रहेगा." भारत में टेक्नोलॉजी क्षेत्र में इस साल रिकॉर्ड संख्या में आईपीओ भी आए.

2021 में कई कंपनियां आईपीओ लेकर आईंतस्वीर: Aamir Ansari/DW

इनमें शामिल रहे खाना डिलीवरी करने वाला ऐप जोमाटो और सौंदर्य उत्पादों की कंपनी नाएका. दोनों कंपनियां शेयर बाजार पर अपने आईपीओ के दामों में खूब बढ़त के साथ शेयर बाजार में लिस्ट हुईं और उनके संस्थापक अरबपति बन गए.

अक्टूबर में भारतीय स्टॉक अप्रैल 2020 के मुकाबले 125 प्रतिशत ज्यादा ऊंचे स्थान पर थे और भारत दुनिया के सबसे अच्छे प्रदर्शन वाले इक्विटी बाजारों में से एक बन गया था. लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि संभव है कि इनमें से कई कंपनियों का असलियत से ज्यादा मूल्य लगाया गया हो.

जैसे इस साल का सबसे बड़ा आईपीओ लाने वाली फिनटेक कंपनी पेटीएम अभी तक मुनाफा नहीं कमा पाई है. उसके शेयर का दाम उसकी आईपीओ के समय के मूल्य से करीब 40 प्रतिशत नीचे आ गया है.

बड़ी चुनौतियां

एक तरफ तो यह साल स्टार्टअपों के लिए जबरदस्त रहा वहीं दूसरी तरफ इसने अर्थव्यवस्था की गंभीर चुनौतियों को ढक दिया. भारत में एक करोड़ लोग हर साल श्रम बाजार में जुड़ते जा रहे हैं लेकिन उनके लिए नौकरियां नहीं बन पा रही हैं.

नौकरी के लिए बेचैन इनमें से कई "गिग इकॉनमी" की कम वेतन वाली नौकरियां ले लेते हैं. ये दिन भर में 300 रुपये जितना ही कमा पाते हैं और नौकरी की सुरक्षा या तो नदारद ही होती है या ना के बराबर.

लेकिन स्टार्टअप क्षेत्र में योग्य वाइट कॉलर श्रमिकों की मांग इस साल सप्लाई से कहीं ज्यादा हो गई. खूब सारी नकदी पर बैठी कंपनियों में सबसे अच्छे उम्मीदवारों को नौकरी देने की होड़ लगी हुई है और इस रेस में वे उन्हें नकद, स्टॉक, मोटरसाइकिलें और यहां तक की क्रिकेट मैचों की टिकटों तक का प्रलोभन दे रही हैं.

सीके/एए (एएफपी)

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